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संक्षेप में समाचार

Lokesh Pal November 13, 2025 03:44 18 0

अभ्यास विनबैक्स (VINBAX) 

भारत–वियतनाम सेना अभ्यास विनबैक्स (VINBAX) का छठा संस्करण हनोई, वियतनाम में आरंभ हुआ।

विनबैक्स (VINBAX) के बारे में

  • अभ्यास विनबैक्स (वियतनाम-भारत द्विपक्षीय सेना अभ्यास) भारतीय सेना और वियतनाम पीपुल्स आर्मी के बीच एक संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण पहल है, जिसका उद्देश्य आपसी सहयोग और अंतर-संचालन को बढ़ाना है।
    • पहला संस्करण: वर्ष 2018 में जबलपुर, मध्य प्रदेश में आयोजित किया गया था।
  • वर्तमान: वर्ष 2025 का संस्करण हनोई, वियतनाम में आयोजित किया जा रहा है।
  • मुख्य फोकस क्षेत्र: यह अभ्यास संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों (UNPKO) पर जोर देता है, जिसमें सामरिक अभ्यास, मानवीय सहायता और आपदा राहत अभियानों पर विशेष ध्यान दिया जाता है, जो वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • महत्त्व: विनबैक्स भारत–वियतनाम रक्षा सहयोग का एक प्रमुख घटक है। यह न केवल दोनों सेनाओं के बीच सैन्य सहयोग को सुदृढ़ करता है, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में क्षेत्रीय स्थिरता को भी प्रोत्साहित करता है साथ ही यह भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ को और मजबूत बनाता है।

गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCO)

हाल ही में नीति आयोग ने रिपोर्ट किया कि गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCOs), जिनका उद्देश्य उत्पाद मानकों को बढ़ाना था, वास्तव में MSME पर अतिरिक्त भार डाल रहे हैं और भारत की निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता को कमजोर कर रहे हैं।

गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCO) के बारे में

  • गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCO) भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 2016  के अंतर्गत जारी किए गए कानूनी निर्देश हैं, जिनके तहत अधिसूचित उत्पादों के निर्माण, आयात या बिक्री के लिए BIS प्रमाणन अनिवार्य होता है।
  • उद्देश्य: मूल रूप से इसका उद्देश्य उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना और निम्न-स्तरीय आयातों को सीमित करना था। हालाँकि, वर्ष 2019 में केवल 88 QCOs थे जो दिसंबर 2024 तक बढ़कर 765 हो गए, और अब यह धातु, मशीनरी, और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों को शामिल करते हैं।

निर्यात पर प्रभाव 

  • आयात-केंद्रित प्रभाव: अधिकांश QCO कच्चे माल और मध्यवर्ती वस्तुओं  पर लागू हैं, न कि तैयार उत्पादों पर। इससे घरेलू उद्योगों के लिए इनपुट लागत बढ़ गई है।
  • आयात में गिरावट: मध्यवर्ती वस्तुओं के आयात में पहले वर्ष में 16%, अगले वर्ष में 17.5%, और दीर्घकाल में 30% की कमी आई, जिससे घरेलू उत्पादन कमजोर हुआ।
  • मानक असंगति: भारतीय QCO मानक वैश्विक मानकों से मेल नहीं खाते है, जिससे परीक्षण में देरी, लागत वृद्धि और निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता में कमी आई।
  • क्षेत्रीय प्रभाव: निर्यात-उन्मुख क्षेत्रों जैसे जूता उद्योग और इलेक्ट्रॉनिक्स को आयातित इनपुट की कमी और बाजार एकाधिकार से नुकसान हुआ।
  • मूल्य प्रभाव: पॉलिएस्टर यार्न और इस्पात की कीमतें वैश्विक स्तर से 15–30% अधिक बढ़ गईं, जिससे भारत की परिधान निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता घट गई।

सिफारिशें

  • QCO कवरेज का तर्कसंगतिकरण: QCOs को तैयार उत्पादों तक सीमित किया जाए, ताकि औद्योगिक आपूर्ति शृंखलाओं में व्यवधान न हो।
  • वैश्विक मानकों के अनुरूपता: भारतीय मानकों को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप बनाया जाए, जिससे अनुपालन आसान हो और निर्यात स्वीकृति बढ़े।
  • नियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाना: स्टील इम्पोर्ट मॉनिटरिंग सिस्टम (SIMS) और गैर-BIS ग्रेड्स के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) जैसी अप्रासंगिक प्रणालियों को समाप्त किया जाए। इनकी निगरानी विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) के माध्यम से प्रभावी रूप से की जा सकती है।

रिफ्ट वैली फीवर (RVF)

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मॉरिटानिया और सेनेगल में रिफ्ट वैली फीवर (Rift Valley Fever-RVF) के प्रकोप की पुष्टि की है।

  •  WHO की रिपोर्ट के अनुसार, 404 से अधिक मामले और 42 मौतें दर्ज की गई हैं, जिससे मृत्यु दर लगभग 10% रही।

रिफ्ट वैली फीवर (RVF) के बारे में

  • रिफ्ट वैली फीवर एक वायरल जूनोटिक रोग है, जिसकी पहचान पहली बार वर्ष 1930 के दशक में केन्या की रिफ्ट वैली में हुई थी। यह रोग मुख्यतः पशुओं और मनुष्यों को प्रभावित करता है और भारी वर्षा और बाढ़ के बाद तेजी से फैलता है।
  • कारण: यह रोग फ्लेबोवायरस द्वारा होता है, जो फेनुविरिडे परिवार से संबंधित है।
  • संक्रमण
    • यह वायरस मुख्यतः भेड़, बकरियों, गायों और ऊंटों को संक्रमित करता है।
    • मच्छरों के काटने या संक्रमित पशुओं के रक्त, अंगों या तरल पदार्थों के संपर्क से मनुष्यों में प्रसारित होता है।
    • मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण अब तक दर्ज नहीं हुआ है।
  •  लक्षण: लगभग 90% संक्रमण हल्के होते हैं और फ्लू जैसे लक्षण दिखाते हैं जैसे- बुखार, मांसपेशियों में दर्द, थकान आदि।
    • गंभीर रूपों में नेत्र रोग, मेनिंगोएन्सेफलाइटिस या रक्तस्रावी ज्वर हो सकता है। रक्तस्रावी ज्वर के मामलों में मृत्यु दर 50% तक हो सकती है।
  • उपचार: RVF के लिए कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवा उपलब्ध नहीं है।
    • उपचार मुख्यतः सहायक प्रकृति का होता है, जिसमें तरल संतुलन, अंग-कार्य की निगरानी और रक्तस्राव नियंत्रण पर बल दिया जाता है। निदान हेतु उच्च जैव-सुरक्षा स्तर (BSL) वाली प्रयोगशालाओं में परीक्षण आवश्यक है।
  • रोकथाम: रोकथाम के उपाय ‘वन हेल्थ’ नीति पर आधारित हैं, अर्थात् पशु स्वास्थ्य, मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण निगरानी का एकीकृत दृष्टिकोण चाहिए।
    • पशुओं के लिए टीके उपलब्ध हैं, लेकिन इन्हें रोग प्रकोपों हेतु उपयोग करना अधिक प्रभावी होता है।
    • मनुष्यों के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है, इसलिए रोकथाम हेतु सुरक्षात्मक वस्त्र पहनना, कच्चे पशु उत्पादों से बचना और मच्छरों से नियंत्रण आवश्यक है।
  • भारत में अब तक कोई भी RVF मामला दर्ज नहीं हुआ है, लेकिन भारत की ‘वन हेल्थ’ नीति इसके लिए सतर्क निगरानी और तैयारी को प्राथमिकता देती है, क्योंकि देश की जलवायु परिस्थितियाँ और व्यापारिक संपर्क इसे संभावित जोखिम वाले क्षेत्रों में शामिल करती हैं।

‘आमार  सोनार बांग्ला’ 

भारत ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष का उत्सव मना रहा है, परंतु ‘आमार सोनार बांग्ला’ के वर्ष 2025 में 120 वर्ष पूरे होने पर इसे पर्याप्त सम्मान न मिलने को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ है।

‘आमार  सोनार बांग्ला’ के बारे में

  • ‘आमार  सोनार बांग्ला’ एक देशभक्ति गीत है जो मातृभूमि के प्रति गहरी प्रेम भावना व्यक्त करता है।
    • यह बंगाल को एक पोषक और स्नेहमयी माता के रूप में चित्रित करता है और एकता, भक्ति, और उत्पीड़न के विरुद्ध दृढ़ता का प्रतीक है।
  • रचनाकार: यह गीत रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा वर्ष 1905 में स्वदेशी आंदोलन के दौरान लिखा और संगीतबद्ध किया गया था। यह गीत लॉर्ड कर्जन द्वारा बंगाल विभाजन की घोषणा के विरोध में एक सांस्कृतिक और भावनात्मक प्रतिक्रिया थी।
  • ऐतिहासिक महत्त्व: ‘आमार  सोनार बांग्ला’ ने बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की ‘वंदे मातरम’ में व्यक्त राष्ट्रवादी दृष्टि को आगे बढ़ाया, जिसने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को भावनात्मक शक्ति प्रदान की।
  • वर्तमान संदर्भ: वर्ष 1971 में, बांग्लादेश की स्वतंत्रता के पश्चात, ‘आमार  सोनार बांग्ला’ को बांग्लादेश के राष्ट्रीय गान के रूप में अपनाया गया। यह वर्तमान में भी भारत और बांग्लादेश के बीच सांस्कृतिक एवं भावनात्मक आत्मीयता का प्रतीक बना हुआ है।

‘वंदे मातरम’ और ‘आमार सोनार बांग्ला’ मातृभूमि की एक समान कल्पना को साझा करते हैं जो स्नेह, त्याग और गौरव से भरी हुई है और इसलिए समान सम्मान और समझ के पात्र हैं।

जलवायु निवेश कोष  (CIF)

UNFCCC के COP30 में जर्मनी और स्पेन ने विश्व बैंक के जलवायु निवेश कोष (CIF) के तहत एक नए जलवायु अनुकूलन कार्यक्रम के समर्थन हेतु 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रदान करने की प्रतिबद्धता की।

जलवायु निवेश कोष (CIF) के बारे में

  • जलवायु निवेश कोष (CIF) एक बहुपक्षीय जलवायु वित्त तंत्र है, जिसमें योगदान देने वाले देशों द्वारा 12 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की प्रतिबद्धता की गई है। इसने अब तक 64 अरब डॉलर से अधिक का सह-वित्तपोषण सफलतापूर्वक जुटाया है।
  • सचिवालय: विश्व बैंक के अंतर्गत।
  • स्थापना वर्ष: वर्ष 2008
  • उद्देश्य: विकासशील देशों को रियायती वित्त प्रदान करना, ताकि वे स्वच्छ प्रौद्योगिकी और जलवायु अनुकूलन  जैसे क्षेत्रों में जलवायु कार्रवाई कर सकें।
  • CIF द्वारा वित्तपोषित प्रमुख जलवायु पहलें: CIF विभिन्न क्षेत्रों जैसे नवीकरणीय ऊर्जा, सतत् कृषि, और जलवायु-स्मार्ट अवसंरचना  में अनुकूलन, शमन और निर्माण संबंधी परियोजनाओं को वित्तपोषित करता है।
    • यह बहुपक्षीय विकास बैंकों के साथ मिलकर निजी निवेश को आकर्षित करता है और जलवायु जोखिमों को आर्थिक अवसरों में परिवर्तित करने का प्रयास करता है।
  • वर्तमान योगदान का उद्देश्य: जर्मनी और स्पेन से प्राप्त 100 मिलियन डॉलर का योगदान ARISE (एक्सेलेरेटिंग रेजिलियंस इन्वेस्टमेंट्स एंड इनोवेशन्स फॉर सस्टेनेबल इकोनॉमीज) को बढ़ावा देगा।

‘एक्सेलेरेटिंग रेजिलियंस इन्वेस्टमेंट्स एंड इनोवेशन्स फॉर सस्टेनेबल इकोनॉमीज’ (ARISE) के बारे में

  • ARISE पहल एक वैश्विक कार्यक्रम है जो सार्वजनिक–निजी भागीदारी के माध्यम से लचीले और सतत् अवसंरचना निवेश को प्रोत्साहित करता है।
  • शुरुआत एवं उत्पत्ति: इसकी अवधारणा वर्ष 2009 के UNFCCC कोपेनहेगन जलवायु सम्मेलन के बाद विकसित हुई।
    • इसे औपचारिक रूप से वर्ष 2010 में जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के ERI कार्यक्रम के डॉ. डेविड झिराड द्वारा रॉकफेलर फाउंडेशन के समर्थन से विकसित किया गया था।
  • मुख्य उद्देश्य: ‘ग्रीन’ और लचीली अवसंरचना के लिए बड़े पैमाने पर पूँजी निवेश जुटाना ताकि जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा गरीबी और पारिस्थितिकी क्षरण जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटा जा सके।
  • साझेदारी ढाँचा: ARISE, सॉवरेन वेल्थ फंड्स, बहुपक्षीय विकास बैंक, दान एजेंसियाँ और निजी निवेशकों के बीच सहयोग पर आधारित है ताकि सतत् अवसंरचना परियोजनाओं के पोर्टफोलियो को वित्त पोषित किया जा सके।
  • वैश्विक प्रासंगिकता: संयुक्त राष्ट्र (UN) और विश्व बैंक के जलवायु अनुकूलन लक्ष्यों के अनुरूप, ARISE कार्यक्रम शहरी एवं ग्रामीण दोनों प्रकार की अवसंरचना परियोजनाओं को समर्थन प्रदान करता है, जिससे समावेशी और जलवायु अनुकूल विकास सशक्त होता है।

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