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मासिक धर्म स्वच्छता नीति का मसौदा (Draft Menstrual Hygiene Policy)

Samsul Ansari December 15, 2023 06:44 194 0

संदर्भ

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने ‘मासिक धर्म स्वच्छता नीति मसौदा’ (Draft Menstrual Hygiene Policy) तैयार किया है।

संबंधित तथ्य 

  • स्वच्छ मासिक धर्म सुरक्षा में वृद्धि : 5वें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey -NFHS 5) के अनुसार, अपने मासिक धर्म चक्र के दौरान सुरक्षा के स्वच्छ तरीके का उपयोग करने वाली महिलाओं (15-24 वर्ष की आयु) के प्रतिशत में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जो NFHS-4 में 58% से बढ़कर 78% हो गया है।
    • इन महिलाओं में से 64% सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करती हैं, 50% कपड़े का उपयोग करती हैं और 15% स्थानीय रूप से तैयार नैपकिन का उपयोग करती हैं।
  • लड़कियों के लिए शिक्षा का महत्त्व : राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण से पता चला है कि जिन महिलाओं ने 12वीं या अधिक वर्षों तक स्कूली शिक्षा प्राप्त की है, उनमें स्कूली शिक्षा न लेने वाली महिलाओं की तुलना में स्वच्छता पद्धति का उपयोग करने की संभावना दोगुनी से भी अधिक हो जाती है।
  • ग्रामीण-शहरी अंतर: क्षेत्र के संदर्भ में, 73% ग्रामीण महिलाएँ  जबकि 90% शहरी महिलाएँ  क्रमशः मासिक धर्म सुरक्षा की स्वच्छ पद्धति का उपयोग करती हैं।
  • राज्यों में अंतराल: कुछ राज्यों में महिलाओं और लड़कियों द्वारा मासिक धर्म में सुरक्षा  एवं  स्वच्छता विधि का उपयोग करने की पहुँच औसत से कम है। मासिक धर्म  में सुरक्षा एवं स्वच्छता विधि का उपयोग करने वाली लड़कियों का प्रतिशत बिहार (59.7%) में सबसे कम है।
  • मासिक धर्म स्वच्छता नीति की आवश्यकता: उपर्युक्त निष्कर्ष भारत में मासिक धर्म स्वच्छता प्रथाओं में सुधार के लिए लक्षित प्रयासों और पहल की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं।

मासिक धर्म (Menstruation) के बारे में

  • मासिक धर्म: यह उस मासिक प्रक्रिया को संदर्भित करता है जो एक महिला के शरीर में योनि से रक्तस्राव के माध्यम से गर्भाशय के अस्तरण को बाहर निकल जाता है।
    • यह मासिक धर्म चक्र एक प्रकार की प्राकृतिक प्रक्रिया है और आमतौर पर महिलाओं में प्रजनन काल (15-49 वर्ष) के दौरान होता है।
  • रक्तस्राव चरण: रक्तस्राव चरण, जिसे मासिक धर्म या पीरियड के रूप में जाना जाता है और यह आमतौर पर लगभग 3 से 7 दिनों का मासिक चक्र होता है।
  • मासिक धर्म: मासिक धर्म हार्मोन द्वारा नियंत्रित होता है और मासिक धर्म चक्र आमतौर पर लगभग 28 दिनों तक चलता है, हालाँकि, यह प्रत्येक महिलाओ में भिन्न-भिन्न  हो सकता है।
  • मासिक धर्म स्वास्थ्य: यह किसी महिला के स्वास्थ्य का एक अभिन्न भाग है और जीवन की गुणवत्ता का निर्धारक है जिसमें गतिशीलता, कार्य भागीदारी, शिक्षा तक पहुँच, गरिमा और स्वतंत्रता जैसी चीजें शामिल हैं।

मासिक धर्म स्वच्छता नीति (Menstrual Hygiene Policy) के बारे में

  • यह मासिक धर्म को प्रजनन आयु की लड़कियों और महिलाओं सहित उन सभी के लिए एक प्राकृतिक शारीरिक प्रक्रिया के रूप में मान्यता देता है और हमारे देश में मासिक धर्म से जुड़ी लंबे समय से चली आ रही चुनौतियों का समाधान करता है।
  • SDG के साथ संरेखण: यह नीति सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals- SDGs) को प्राप्त करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप है, विशेष रूप से लक्ष्य 3 (अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण), लक्ष्य 4 (गुणवत्तापूर्ण शिक्षा), लक्ष्य 5 (लैंगिक समानता) और लक्ष्य 6 (स्वच्छ जल और स्वच्छता) के संबंध में।
  • जीवन चक्र दृष्टिकोण: यह नीति मासिक धर्म से लेकर रजोनिवृत्ति तक महिलाओं की विशिष्ट आवश्यकताओं को पहचानते हुए, संपूर्ण मासिक धर्म चक्र के दौरान व्यापक समर्थन सुनिश्चित करती है।
    • रजोदर्शन (Menarche): यह एक महिला किशोरी में मासिक धर्म की शुरुआत का प्रतीक है जो आम तौर पर 10 से 16 वर्ष की उम्र के बीच होता है।
    • रजोनिवृत्ति (Menopause): यह प्रजनन वर्षों के अंत का प्रतीक है और अधिकांश महिलाएँ  45 से 55 वर्ष की आयु के बीच इसका अनुभव करती हैं।
  • नीति दृष्टिकोण:  सभी महिलाएँ , लड़कियाँ और मासिक धर्म वाले व्यक्ति सुरक्षित, स्वस्थ और स्टिग्मा से मुक्त तरीके से मासिक धर्म का अनुभव करने में सक्षम हैं।
  • नीतिगत लक्ष्य: सुरक्षित और सम्मानजनक मासिक धर्म स्वच्छता संसाधनों तक पहुँच सुनिश्चित करना।
    • स्वास्थ्य एवं कल्याण, शिक्षा, आर्थिक और जीवन के अन्य पहलुओं में उनकी पूरी क्षमता का एहसास करना।

प्रमुख लक्ष्य समूह

  • प्राथमिक लक्ष्य समूह: इस समूह में युवा एवं किशोर लड़कियाँ, ट्रांस और गैर-बाइनरी मासिक धर्म संबंधी वर्ग, माताएँ, सहकर्मी और परिवार की अन्य वृद्ध महिलाएँ हैं।
  • माध्यमिक लक्ष्य समूह: इस समूह में लड़के, पुरुष, शिक्षक, अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कार्यकर्ता (जैसे आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम और स्वच्छता कार्यकर्ता) पीआरआई, स्वयं सहायता समूह के सदस्य आदि हैं।
  • तृतीयक लक्ष्य समूह: इस समूह में प्रमुख राजनीतिक नेता, सामाजिक-राजनीतिक प्रभावकारक, अनौपचारिक नेटवर्क, धार्मिक समूह, पड़ोस समूह आदि हैं।

प्रमुख नीतिगत उद्देश्य

  • संसाधनों तक पहुँच सुनिश्चित करना: यह सुनिश्चित करना कि महिलाओं, लड़कियों और मासिक धर्म वाले व्यक्तियों को सुरक्षित, स्वच्छ और गुणवत्ता वाले मासिक धर्म उत्पादों और स्वच्छता सुविधाओं तक पहुँच प्राप्त हो।
  • सही सूचनाओं तक पहुँच: महिलाओं, लड़कियों, पुरुषों एवं लड़कों सहित विभिन्न समूहों के लिए एक सक्षम वातावरण बनाना ताकि उन्हें मासिक धर्म के बारे में सही जानकारी मिल सके, और मासिक धर्म के आसपास मिथकों, धारणाओं और लैंगिक मुद्दों का समाधान किया जा सके।
  • समन्वय सुनिश्चित करना: विभिन्न केंद्र सरकार के मंत्रालयों, राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और संबंधित हितधारकों और क्षेत्रों के बीच एक समन्वय तंत्र प्रदान करना।
  • मासिक धर्म अनुकूल वातावरण: घरों, स्कूलों, शैक्षिक संस्थानों, कार्यस्थलों और सार्वजनिक स्थानों सहित सभी सेटिंग्स में ‘मासिक धर्म अनुकूल वातावरण’ बनाना।

अन्य उद्देश्य

  • सामाजिक उद्यमियों और निजी क्षेत्र के साथ नवीन प्रथाओं को बढ़ावा देना।
  • पर्यावरण की दृष्टि से स्थायी मासिक धर्म अपशिष्ट निपटान को मजबूत करना।

भारत में मासिक धर्म स्वच्छता से जुड़ी चुनौतियाँ

  • स्टिग्मा (Stigma) और वर्जनाएँ: सांस्कृतिक मान्यताएँ और प्रथाएँ मासिक धर्म के बारे में खुली चर्चा की कमी में योगदान करती हैं, जिससे गलत सूचना मिलती है और मिथक कायम रहते हैं।
    • उदाहरण के लिए, मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को रसोई में प्रवेश करने और अपने परिवार के साथ भोजन करने की अनुमति नहीं है।
  • शिक्षा का अभाव: मासिक धर्म के बारे में पर्याप्त शिक्षा का अभाव अनुचित स्वच्छता प्रथाओं को जन्म देता है और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में योगदान देता है।
    • उदाहरण के लिए, कम पढ़ी-लिखी महिलाएँ टैम्पोन और सैनिटरी पैड जैसे स्वच्छ तरीकों का उपयोग करने से बचती हैं।
  • मासिक धर्म उत्पादों तक सीमित पहुँच: मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों की सामर्थ्य और पहुँच, विशेष रूप से ग्रामीण और आर्थिक रूप से वंचित क्षेत्रों में, कई महिलाओं को अस्वच्छ सामग्री का उपयोग करने के लिए प्रेरित करती है।
  • अपशिष्ट निपटान बुनियादी ढाँचे की कमी: इन सुविधाओं की कमी के कारण इस्तेमाल किए गए मासिक धर्म उत्पादों का निपटान खुले स्थानों में होता है जो पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करता है।
    • उदाहरण के लिए, पैड जलाने से हानिकारक गैस निकलती है जो स्वास्थ्य और पर्यावरण को प्रभावित करती है।

मासिक धर्म स्वच्छता नीति का महत्त्व 

  • पहुँच एवं सामर्थ्य में सुधार: सुरक्षित मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों तक पहुँच में सुधार करना और व्यक्तियों एवं परिवारों पर मासिक धर्म के वित्तीय बोझ को कम करना, विशेष रूप से कम आय वाले समुदायों और हाशिए पर रहने वाले समूहों के लिए।
  • समानता सुनिश्चित करना: सभी मासिक धर्म वाले व्यक्तियों को, उनकी सामाजिक आर्थिक स्थिति और भौगोलिक स्थिति की परवाह किए बिना, सुरक्षित और स्वच्छ तरीके से उनके मासिक धर्म तक पहुँचने और प्रबंधित करने के समान अवसर प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए समानता को प्राथमिकता देना।
    • उन असमानताओं और बाधाओं को दूर करें जो कुछ समूहों को आवश्यक मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों, संसाधनों और जानकारी तक पहुँचने से रोकते हैं।
  • समावेशिता: सभी महिलाओं और किशोरियों, विकलांग व्यक्तियों, जातीय समूहों, अल्पसंख्यकों, ट्रांस और गैर-बाइनरी आबादी, कमजोर आबादी और विशेष रूप से पहचाने गए समूहों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
    • यह नीति पुरुषों की भूमिकाओं को मजबूत करने और अनुकूल वातावरण बनाने के लिए जागरूकता कार्यक्रमों की एक शृंखला के माध्यम से परिवार और सामुदायिक स्तर पर पुरुषों और लड़कों को भी लक्षित करती है।
  • शिक्षा और जागरूकता: व्यापक मासिक धर्म स्वच्छता शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करें, जिसका उद्देश्य मासिक धर्म, इसकी जैविक प्रक्रियाओं और मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के महत्त्व  के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
    • इसमें सटीक जानकारी को बढ़ावा देना, मासिक धर्म से जुड़ी गलत धारणाओं और कमियों को दूर करना शामिल है।
  • सुरक्षित और स्वच्छ सुविधाएँ प्रदान करना: नीति में स्कूलों, कार्यस्थलों, सार्वजनिक स्थानों और समुदायों में स्वच्छ, निजी और अच्छी तरह से बनाए गए शौचालय, कपड़े धोने की सुविधा और निपटान प्रणाली का प्रावधान है ताकि व्यक्तियों को सुरक्षित, स्वच्छ और गरिमा के साथ अपनी मासिक धर्म स्वच्छता का प्रबंधन करने में सक्षम बनाया जा सके।
  • अपशिष्ट प्रबंधन और पर्यावरणीय स्थिरता: नीति पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए पर्यावरण अनुकूल मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों और उचित निपटान प्रथाओं की आवश्यकता की पहचान करती है।
    • उदाहरण के लिए, उपयोगकर्ता के अनुकूल बायोडीग्रेडेबल या पुन: प्रयोज्य मासिक धर्म उत्पादों को विकसित करना और विशिष्ट प्रणालियों का कार्यान्वयन जो पर्यावरण के अनुकूल तरीके से मासिक धर्म अपशिष्ट का प्रबंधन कर सकते हैं।

मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहल

  • महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ: स्कूल न जाने वाली किशोरियों के लिए मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन पर सत्र आयोजित करने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और पर्यवेक्षकों को प्रशिक्षण।
  • समग्र शिक्षा के तहत स्वच्छ विद्यालय घटक: इसमें लड़कियों के लिए स्कूलों और आवासीय स्कूलों में स्वच्छ विद्यालय कार्यक्रम के तहत मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन पर नोडल शिक्षकों का प्रशिक्षण शामिल है।
  • स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण: यह मिशन मासिक धर्म को सुरक्षित रूप से प्रबंधित करने के लिए घर पर महिलाओं और लड़कियों के लिए अलग शौचालयों को बढ़ावा देता है। मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन पर स्कूल न जाने वाली लड़कियों के लिए जागरूकता सृजन महिला स्वच्छाग्रही के माध्यम से किया जाता है।
  • राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम: राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम में युवावस्था और मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन पर किशोर लड़कियों की परामर्श शामिल है।
  • पंचायती राज मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका योजना: इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में किशोरियों को सैनिटरी नैपकिन की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए स्वयं सहायता समूहों को सैनिटरी पैड स्थापित करने और उत्पादन करने के लिए सशक्त बनाना है।

आगे की राह

  • व्यापक संचार दिशानिर्देश विकसित करें: मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन पर, जिसमें मासिक धर्म उत्पादों के उपयोग, उनके निपटान और व्यक्तिगत स्वच्छता प्रथाओं को शामिल किया जाए।
    • स्पष्ट, संक्षिप्त और सांस्कृतिक रूप से उपयुक्त संदेश विकसित करें जो मासिक धर्म वाले व्यक्तियों को कलंकित करने से बचने के लिए समावेशी भाषा का उपयोग करते हुए लक्ष्य समूहों की विशिष्ट आवश्यकताओं और चिंताओं को संबोधित करता हो।
  • सामुदायिक सहभागिता सुनिश्चित करना: पुरुषों, धार्मिक नेताओं आदि सहित सभी समुदाय के सदस्यों की भागीदारी को प्रोत्साहित करके और संचार पहलों को कार्यान्वित करने में स्थानीय संगठनों, सामुदायिक प्रभावशाली लोगों आदि को शामिल करने के लिए जागरूकता अभियान आयोजित करके इसे प्राप्त किया जा सकता है।
  • एक मजबूत निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली लागू करें: संचार गतिविधियों के प्रभाव का आकलन करने के लिए, मासिक धर्म स्वच्छता से संबंधित प्रथाओं पर डेटा एकत्र करना और सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने और संचार रणनीति में आवश्यक समायोजन करने के लिए नियमित मूल्यांकन करना।
  • उचित मासिक धर्म अपशिष्ट निपटान सुनिश्चित करना: सरकार को स्वच्छता अपशिष्ट निपटान के लिए दीर्घकालिक समाधान विकसित करने की जिम्मेदारी लेने की आवश्यकता है।
    • उदाहरण के लिए, भस्मक (Incinerators) का उपयोग पर्यावरण-अनुकूल दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जा सकता है ताकि वे कम हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करें, इसे स्कूलों, संस्थानों और झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्रों और सामुदायिक स्तर पर स्थापित किया जा सकता है।

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