100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

मेक इन इंडिया के 10 वर्ष

Lokesh Pal October 01, 2024 03:19 224 0

संदर्भ

25 सितंबर 2024 को ‘मेक इन इंडिया’ पहल की 10वीं वर्षगाँठ मनाई गई, जो भारतीय डिजाइन और विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के लिए परिवर्तनकारी विकास का एक दशक रहा।

मेक इन इंडिया पहल के विषय में

  • लॉन्च किया गया: इस पहल की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितंबर, 2014 को की थी।
  • उद्देश्य: घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना, नवाचार को बढ़ावा देना, कौशल विकास को बढ़ाना और विदेशी निवेश को सुविधाजनक बनाना।
  • नोडल मंत्रालय: केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (Department for Promotion of Industry and Internal Trade- DPIIT)
  • लक्ष्य 
    • विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर को सालाना 12-14% तक पहुँचाना।
    • वर्ष 2022 तक अर्थव्यवस्था में अतिरिक्त 100 मिलियन विनिर्माण नौकरियाँ उत्पन्न करना। वर्ष 2022 तक सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र के योगदान को 25% तक बढ़ाना (बाद में संशोधित कर वर्ष 2025 तक)।
  • मेक इन इंडिया 2.0: यह अक्षय ऊर्जा, हरित प्रौद्योगिकियों और उन्नत विनिर्माण में रणनीतिक हस्तक्षेप के साथ स्थिरता, नवाचार और आत्मनिर्भरता को आगे बढ़ाने पर केंद्रित है।
    • मेक इन इंडिया 2.0 अतिरिक्त 27 क्षेत्रों पर केंद्रित है, जिनमें 15 विनिर्माण क्षेत्र और 12 सेवा क्षेत्र शामिल हैं।
  • मेक इन इंडिया के स्तंभ
    • नई प्रक्रियाएँ: इसने उद्यमिता विकास के लिए ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ जैसे नए उपाय अपनाए, ताकि इसे स्टार्टअप एवं स्थापित उद्यमों दोनों के लिए अधिक अनुकूल बनाया जा सके।

    • नया बुनियादी ढाँचा: विश्व स्तरीय बुनियादी ढाँचा बनाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक और उच्च गति संचार तथा बेहतर बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights- IPR) बुनियादी ढाँचे के साथ औद्योगिक गलियारों एवं स्मार्ट शहरों के विकास पर ध्यान केंद्रित किया।
    • नए क्षेत्र: रक्षा उत्पादन और रेलवे बुनियादी ढाँचे जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) खोलना। साथ ही बीमा और चिकित्सा उपकरणों में FDI नियमों को आसान बनाना, अंतरराष्ट्रीय निवेश और विकास को प्रोत्साहित करना।
    • नई अवधारणाएँ: औद्योगिक विकास और नवप्रवर्तन को समर्थन देने वाले सहयोगात्मक वातावरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने नियामक की बजाय सुविधाप्रदाता की भूमिका अपनाई।

विनिर्माण क्षेत्र

सेवा क्षेत्र

एयरोस्पेस और रक्षा सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवाएँ (IT & ITeS)
ऑटोमोटिव और ऑटो घटक पर्यटन और आतिथ्य सेवाएँ
फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरण मेडिकल वैल्यू ट्रैवल
जैव-प्रौद्योगिकी परिवहन और रसद सेवाएँ
रत्न एवं आभूषण वित्तीय सेवाएँ
खाद्य प्रसंस्करण पर्यावरण सेवा
चमड़ा एवं जूते निर्माण और संबंधित इंजीनियरिंग सेवाएँ
इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण (Electronics System Design and Manufacturing- ESDM) संचार सेवाएँ
शिपिंग शिक्षा सेवाएँ
रेलवे ऑडियो विजुअल सेवाएँ
निर्माण लेखा और वित्त सेवाएँ
पूँजीगत माल कानूनी सेवाएँ
वस्त्र एवं परिधान
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा
रसायन और पेट्रोरसायन

मेक इन इंडिया के 10 वर्ष: उपलब्धियाँ

  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI): भारत ने (वर्ष 2014-24) की अवधि में 31 राज्यों और 57 क्षेत्रों में FDI प्रवाह में 119% की वृद्धि दर्ज की है। इसी अवधि में विनिर्माण क्षेत्र में FDI प्रवाह में 69% की वृद्धि देखी गई।
    • भारत ने 667.41 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित किया, जो अप्रैल 2014 से मार्च 2024 के बीच पिछले 24 वर्षों में प्राप्त कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का लगभग 67% है।
  • उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (Production Linked Incentive-PLI) योजना: PLI योजनाओं के परिणामस्वरूप जून 2024 तक ₹1.32 लाख करोड़ (USD 16 बिलियन) का निवेश हुआ है और विनिर्माण उत्पादन में ₹10.90 लाख करोड़ (USD 130 बिलियन) की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इस पहल के कारण प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से 8.5 लाख से अधिक नौकरियाँ सृजित हुई हैं।
  • निर्यात और रोजगार: वित्त वर्ष 2023-24 में भारत का व्यापारिक निर्यात 437 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर गया, जबकि विनिर्माण क्षेत्र में कुल रोजगार वर्ष 2017-18 में 57 मिलियन से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 64.4 मिलियन हो गया।
  • डिजिटल लेनदेन: यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस ने दुनिया के अग्रणी डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म को पीछे छोड़ दिया है, जिसने वैश्विक रियल-टाइम  भुगतान लेनदेन का 46% प्रभावशाली स्कोर किया है। अप्रैल 2024 से जुलाई 2024 के बीच अकेले UPI ने लगभग ₹81 लाख करोड़ के लेनदेन संसाधित किए।

35 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और मेक इन इंडिया

  • नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने मुंबई टेक वीक (MTW) के एक सत्र के दौरान सुझाव दिया कि भारत वर्ष 2047 तक 35 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य बना रहा है।
    • उन्होंने आगे कहा कि वर्ष 2047 तक यानी हमारी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगाँठ तक, भारत को दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए अगले तीन दशकों तक 9-10% की निरंतर विकास दर की आवश्यकता होगी।
  • उठाए जाने वाले कदम
    • प्रौद्योगिकी आधारित विकास: निर्माता क्षेत्र में नई सोच, प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकियों को अपनाने की आवश्यकता है।
    • डिजिटलीकरण: भारत इस क्षेत्र में अग्रणी है और इसने आधार के माध्यम से 1.4 बिलियन लोगों के लिए डिजिटल पहचान, UPI के माध्यम से सक्षम डिजिटल लेनदेन और JAM ट्रिनिटी के माध्यम से वित्तीय समावेशन हासिल किया है।
    • उद्यमी संस्कृति: स्टार्ट-अप इंडिया और हैकथॉन तथा मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से देश के युवाओं में उद्यमशीलता की संस्कृति उत्पन्न हुई है, जिससे रोजगार और विकास को बढ़ावा मिला है।
    • सामाजिक विकास: शिक्षा, कौशल और स्वास्थ्य जैसे मानव क्षेत्रों में निवेश एक स्वस्थ और प्रेरित कार्यबल में योगदान देगा।
    • लॉजिस्टिक्स: भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को केवल बैकएंड और फ्रंटएंड दोनों समर्थन के साथ एक कुशल लॉजिस्टिक्स नेटवर्क का निर्माण करके ही महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ाया जा सकता है।

  • सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम: वर्तमान में पाँच प्रस्ताव पाइपलाइन में हैं, जिनका कुल संयुक्त निवेश 1.52 लाख करोड़ रुपये के करीब है। उदाहरण: माइक्रोन के साथ एक बड़ी परियोजना को लगभग 22,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई और टाटा का ताइवान के पॉवरचिप के साथ धोलेरा में संयुक्त उद्यम।
  • स्टार्टअप: 30 जून, 2024 तक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप की संख्या बढ़कर 1,40,803 हो गई है, जिसने 15.5 लाख से ज्यादा प्रत्यक्ष नौकरियाँ उत्पन्न की हैं।
  • ईज ऑफ डूइंग बिजनेस: विश्व बैंक की डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में भारत की रैंक वर्ष 2014 में 142वीं रैंक से सुधरकर वर्ष 2019 में 63वीं रैंक पर पहुँच गई है।
  • प्रक्रियात्मक सरलीकरण: जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) अधिनियम, 2023 ने 42 केंद्रीय अधिनियमों में 183 प्रावधानों को अपराधमुक्त कर दिया है। इसके अलावा, कुल मिलाकर 42,000 अनुपालन कम किए गए हैं और 3,700 प्रावधानों को अपराधमुक्त किया गया है।
  • चिकित्सा विकास: भारत दुनिया के लगभग 60% टीके और अन्य जीवन रक्षक दवाइयों की आपूर्ति करता है, जिसे सही मायने में दुनिया का फार्मा कहा जाता है।
  • रक्षा में आत्मनिर्भरता: वर्ष 2023-24 में, रक्षा उत्पादन बढ़कर ₹1.27 लाख करोड़ हो गया, जिसका निर्यात 90 से अधिक देशों तक पहुँच गया। रक्षा निर्यात 1,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 21,000 करोड़ रुपये हो गया। इसके अलावा भारत ने देश का पहला घरेलू विमानवाहक पोत INS विक्रांत लॉन्च किया।
  • मोबाइल विनिर्माण: भारत में कुल इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में मोबाइल फोन का हिस्सा 43% है, जो इसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता बनाता है।
    • वित्त वर्ष 2023 में इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र कुल मिलाकर 155 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ गया, जबकि वित्त वर्ष 17 में उत्पादन 48 बिलियन अमेरिकी डॉलर से लगभग दोगुना होकर वित्त वर्ष 2023 में 101 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
  • कपड़ा उद्योग: इसने देश भर में 14.5 करोड़ नौकरियों का सृजन किया है, जिसने भारत के रोजगार परिदृश्य में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • खिलौने: खिलौनों के निर्यात में पिछले 10 वर्षों में 239% की वृद्धि हुई है और सालाना 400 मिलियन खिलौनों का उत्पादन होता है, जिसमें प्रति सेकंड 10 नए खिलौने बनते हैं।
  • राज्य स्तरीय पहल: कई भारतीय राज्यों ने तमिलनाडु ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट, मेक इन ओडिशा, वाइब्रेंट गुजरात, हैपनिंग हरियाणा और मैग्नेटिक महाराष्ट्र जैसी अपनी स्थानीय पहल भी शुरू की हैं।

मेक इन इंडिया में स्किल इंडिया का योगदान

स्किल इंडिया मिशन, वर्ष 2015 में शुरू किया गया था जिसका लक्ष्य वर्ष 2022 तक 400 मिलियन से अधिक लोगों को विभिन्न कौशलों में प्रशिक्षित करना और उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करना है।

  • प्रमुख कौशल प्रदान करना: प्रशिक्षुता प्रशिक्षण (स्नातकों/डिप्लोमा धारकों को शिक्षा के बाद नौकरी प्रशिक्षण प्रदान करना) और ‘ई-स्किल’ इंडिया पोर्टल के साथ ऑनलाइन कौशल प्रदान करना, जो डिजिटल रूप से संचालित होने वाली B2C ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म को जोड़ता है एवं ई-लर्निंग सामग्री विकसित करता है।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: तकनीकी प्रशिक्षु प्रशिक्षण कार्यक्रम (Technical intern training programme-TITP) भाग लेने वाले देशों के बीच कौशल, प्रौद्योगिकी और विशेषज्ञता के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करता है और इस प्रकार मानव संसाधन विकसित करने में सहायता करता है।
    • यह कार्यक्रम छात्रों को जापान के औद्योगिक समाज में एक निश्चित अवधि (3-5 वर्ष) के लिए व्यावसायिक विकास पाठ्यक्रमों के अवसर प्रदान करता है।
  • भविष्य के कौशल: यह मिशन उद्योग 4.0, वेब 3.0, AI/ML, AR/VR, ड्रोन प्रौद्योगिकी आदि से संबंधित भविष्य की और नए जमाने की नौकरी की भूमिकाओं में कौशल विकास पर जोर देता है, जिसमें जिला कौशल विकास योजना में उद्योग की माँग के अनुरूप पाठ्यक्रम शामिल हैं।
  • जन शिक्षण संस्थान (Jan Shikshan Sansthan-JSS): यह वंचित आबादी (अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अल्पसंख्यक) को न्यूनतम बुनियादी ढाँचे एवं संसाधनों के साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करके सशक्त बनाएगा।
  • पूर्व शिक्षण की मान्यता (Recognition of Prior Learning- RPL): स्किल इंडिया पूर्व शिक्षण को मान्यता देता है, जो कार्यबल में प्रवेश करने या व्यवसाय शुरू करने में व्यक्तियों की मदद करता है।

आगे की चुनौतियाँ

  • स्थिर विनिर्माण क्षेत्र: वर्ष 2023-24 में विनिर्माण क्षेत्र द्वारा मूल्य संवर्द्धन का हिस्सा 15.9 प्रतिशत है, जबकि वर्ष 2013-14 में यह सकल घरेलू उत्पाद (स्थिर मूल्य में) का 16.7 प्रतिशत था। इसके अलावा सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण हिस्सेदारी को 25% तक बढ़ाने का लक्ष्य भी दूर का लगता है, जो अभी भी 15% पर है।
  • बढ़ती बेरोजगारी: अशोका यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर इकोनॉमिक डेटा एंड एनालिसिस के अनुसार, 100 मिलियन विनिर्माण नौकरियों को जोड़ने का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ है, बल्कि भारत ने वर्ष 2016-17 और वर्ष 2020-21 के बीच 24 मिलियन नौकरियों का नुकसान दर्ज किया है।
    • इसके अलावा, भारत दशकों में अपनी सबसे अधिक बेरोजगारी दर का अनुभव कर रहा है।
  • उच्च कराधान: कर संबंधी मुकदमेबाजी के मामलों से निपटने में करों की अधिकता तथा मनमानी एक और चुनौती है।
  • GDP के प्रतिशत के रूप में FDI: FDI के संदर्भ में भी, शुद्ध FDI प्रवाह वर्ष 2013-14 में FDI के 1.5 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2023-24 में 0.8 प्रतिशत रह गया है।
  • वैश्विक अवसरों का दोहन: भारत कपड़ा, चमड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में चीन से श्रम गहन विनिर्माण इकाइयों के वैश्विक बदलाव को आकर्षित करने में असमर्थ रहा है, जो वियतनाम और बांग्लादेश जैसी अर्थव्यवस्थाओं में स्थानांतरित हो गए हैं।
  • पूँजी गहन उद्योगों पर ध्यान: वर्तमान औद्योगिक नीति बड़े और मध्यम स्तर के उद्योगों को सब्सिडी प्रदान करते हुए पूँजी गहन उद्योगों के विकास पर असंगत रूप से ध्यान केंद्रित करती है।
    • उदाहरण: ऑटोमोबाइल, फार्मा, उन्नत बैटरी सेल, दूरसंचार उपकरण, आदि श्रम-गहन विनिर्माण गतिविधियों में तुलनात्मक लाभ होने के बावजूद।
  • कुशल कार्यबल की कमी: भारत में अर्द्ध एवं उच्च कुशल कार्यबल की कमी है, हालाँकि कौशल विकास कार्यक्रम मेक इन इंडिया पहल का हिस्सा हैं, जिसमें व्यावसायिक प्रशिक्षण और शिक्षा कार्यक्रमों की अपेक्षाकृत सफलता है।
  • असहायक बुनियादी ढाँचा: परिवहन नेटवर्क, विद्युत आपूर्ति और रसद जैसे पर्याप्त बुनियादी ढाँचे की कमी समग्र अर्थव्यवस्था के विकास के लिए एक महत्त्वपूर्ण विकास अवरोधक है।
  • गुणवत्ता और मानक: भारतीय खाद्य उत्पादों पर वैश्विक स्तर पर घटिया गुणवत्ता के आरोप लग रहे हैं, जिससे उनके निर्यात और भारत की छवि पर असर पड़ रहा है।
    • उदाहरण: सिंगापुर और यूरोपीय देशों में एवरेस्ट और MDH के मसाला ब्रांडों का हानिकारक कीटनाशक अवशेषों के लिए परीक्षण किया गया।
  • तकनीकी पिछड़ापन: भारत को अपनी विनिर्माण प्रक्रियाओं में उन्नत प्रौद्योगिकियों को अपनाने और लागू करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, क्योंकि अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों तक पहुँच की कमी, सीमित अनुसंधान और विकास क्षमताएँ एवं कम प्रौद्योगिकी प्रवेश इसकी प्रतिस्पर्द्धात्मकता में बाधा बन रहे हैं।
  • विनिर्माण के बजाय संयोजन पर ध्यान केंद्रित करना: मेक इन इंडिया योजना के तहत प्रमुख फोकस असेंम्बल तक ही सीमित हैं, जबकि कई वैश्विक कंपनियों ने देश में इकाइयाँ स्थापित की हैं।
    • उदाहरण: मोबाइल, दूरसंचार और इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण विनिर्माण, आदि।

मेक इन इंडिया के लिए वैश्विक सहयोग

  • भारत-जापान: वर्ष 2015 में $12 बिलियन के ‘जापान-भारत मेक-इन-इंडिया विशेष वित्त सुविधा’ कोष की घोषणा की गई थी, जिसका प्रबंधन निप्पॉन एक्सपोर्ट एंड इन्वेस्टमेंट इंश्योरेंस (NEXI) और जापान बैंक फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन (JBIC) द्वारा किया जाएगा।
    • जापान ने (वर्ष 2000-2023 की अवधि में) भारत में लगभग 39.94 बिलियन डॉलर का निवेश किया, जो ऑटोमोबाइल, विद्युत उपकरण, दूरसंचार, रसायन, वित्त (बीमा) और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में FDI स्रोतों में पाँचवें स्थान पर है।
  • भारत-जर्मनी: ‘मेक इन इंडिया मिटेलस्टैंड (MIIM)’ की घोषणा वर्ष 2015 में की गई थी, जिसका उद्देश्य छोटी एवं मध्यम आकार की जर्मन कंपनियों को भारत में निवेश और विनिर्माण के लिए प्रोत्साहित करके आर्थिक सहयोग को बढ़ाना है।
    • MIIM कार्यक्रम ने वर्ष 2021 तक 151 से अधिक जर्मन मिटेलस्टैंड कंपनियों का समर्थन किया है, जिसके परिणामस्वरूप कुल घोषित निवेश €1.4 बिलियन से अधिक है।
  • भारत-कोरिया: सैमसंग, LG और हुंडई मोटर्स जैसी प्रमुख कोरियाई कंपनियों ने सामूहिक रूप से भारत में 4.4 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है। इसके अलावा भारत में 600 से अधिक बड़ी और छोटी कोरियाई कंपनियाँ कार्य कर रही हैं, जैसे कि POSCO (स्टील मेकिंग), लोटे (Lotte) (खाद्य प्रसंस्करण), और सैंगयोंग मोटर्स (ऑटोमोटिव) जो भारत में प्रवेश करने या अपनी उपस्थिति का विस्तार करने की योजना बना रही हैं।

आगे की राह

  • नीतिगत सुधार और विनियामक सरलीकरण: भारत को प्रत्यक्ष कर सुधार जैसे नीतिगत सुधारों की शुरुआत करके और GST व्यवस्था तथा श्रम कानूनों को और अधिक तर्कसंगत बनाकर विनियामक एवं नीतिगत बाधाओं को दूर करने की आवश्यकता है।
  • कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम: अकुशल और बेरोजगार कार्यबल भारत के लिए एक निरंतर सिरदर्द है, जो इसके विकास को रोक रहा है।
    • व्यावसायिक प्रशिक्षण पहलों और उद्योग-अकादमिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित करने वाली राष्ट्रीय शिक्षा नीति कौशल अंतर को पाट सकती है तथा एक सक्षम कार्यबल सुनिश्चित कर सकती है।
  • प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाना: वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा करने के लिए भारतीय निर्माताओं को उन्नत प्रौद्योगिकियों को अपनाने, उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार करने और अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने के लिए विनिर्माण प्रक्रियाओं को अनुकूलित करके अपनी प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने की आवश्यकता है।
  • एकीकरण: चीनी उदाहरण का अनुसरण करते हुए ‘मेक इन इंडिया’ को ‘असेम्बल फॉर द वर्ल्ड’ के साथ एकीकृत करने की आवश्यकता है, जहाँ उसने अपने घरेलू विनिर्माण उद्योगों को वैश्विक ‘नेटवर्क उत्पाद’ कंपनियों के लिए असेंबलिंग इकाइयों के साथ एकीकृत किया।
    • आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, इससे वर्ष 2025 तक लगभग 4 करोड़ उच्च वेतन वाली नौकरियाँ और वर्ष 2030 तक लगभग 8 करोड़ नौकरियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • श्रम आधारित क्षेत्रों के लिए PLI: PLI योजना का विस्तार करके इसमें श्रम आधारित क्षेत्रों जैसे चमड़ा, परिधान, हल्के इंजीनियरिंग सामान, खिलौने और जूते को शामिल करने की आवश्यकता है, जिससे अधिकतम स्थानीय मूल्य संवर्द्धन हो सके, क्योंकि पारंपरिक विनिर्माण क्षेत्र आम जनता के लिए रोजगार सृजन के लिए सबसे व्यवहार्य विकल्प बना हुआ है।

मेक इन इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत प्रमुख पहल

  • स्टार्टअप इंडिया: 16 जनवरी, 2016 को शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य उद्यमियों का समर्थन करना, एक मजबूत स्टार्टअप इकोसिस्टम का निर्माण करना और भारत को नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी देने वालों के देश में बदलना है।
  • उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजनाएँ: आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने के लिए 14 प्रमुख क्षेत्रों को कवर करते हुए देश की विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए इसे वर्ष 2020 में पेश किया गया था।
    • मोबाइल विनिर्माण और निर्दिष्ट इलेक्ट्रॉनिक घटक; महत्त्वपूर्ण प्रमुख प्रारंभिक सामग्री/दवा मध्यस्थ और सक्रिय दवा सामग्री; चिकित्सा उपकरणों का विनिर्माण; ऑटोमोबाइल और ऑटो घटक; फार्मास्यूटिकल्स ड्रग्स; विशेष स्टील; दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पाद; इलेक्ट्रॉनिक/प्रौद्योगिकी उत्पाद; व्हाइट गुड्स (एयर कंडीशनर एवं LED); खाद्य उत्पाद, 
    • कपड़ा उत्पाद: MMF खंड और तकनीकी वस्त्र; उच्च दक्षता सौर पीवी मॉड्यूल; उन्नत रसायन सेल (ACC) बैटरी; ड्रोन एवं ड्रोन के घटक।
  • पीएम गतिशक्ति: इसका लक्ष्य 36 मंत्रालयों/विभागों के बीच नियोजन एवं समन्वय को बढ़ावा देकर ‘सरकार के समग्र’ दृष्टिकोण के माध्यम से मल्टीमॉडल और कनेक्टिविटी संबंधी बुनियादी ढाँचे के निर्माण के माध्यम से वर्ष 2025 तक 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था का  लक्ष्य प्राप्त करना है।
    • मल्टीमॉडल ग्रोथ के 7 इंजन: रेलवे, सड़कें, बंदरगाह, जलमार्ग, हवाई अड्डे, जन परिवहन, लॉजिस्टिक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर। 
    • दृष्टिकोण: यह स्वच्छ ऊर्जा और सबका प्रयास है यानी केंद्र सरकार, राज्य सरकारें और निजी क्षेत्र एक साथ आ रहे हैं।
  • सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम: यह पैकेजिंग, डिस्प्ले प्रौद्योगिकी, आउटसोर्स्ड सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्टिंग (OSAT), सेंसर, फैब्रिकेशन प्लांट (fabs) आदि को शामिल करते हुए एक टिकाऊ सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इकोसिस्टम के हर खंड के विकास पर केंद्रित है।
    • उप-योजनाएँ: भारत में सेमीकंडक्टर फैब स्थापित करने के लिए संशोधित योजना; भारत में डिस्प्ले फैब स्थापित करने के लिए संशोधित योजना; भारत में सेमीकंडक्टर असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग और पैकेजिंग (ATMP)/OSAT सुविधाओं के साथ-साथ कम्पाउंड सेमीकंडक्टर, सिलिकॉन फोटोनिक्स, सेंसर फैब और डिस्क्रीट सेमीकंडक्टर स्थापित करने के लिए संशोधित योजना; डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) योजना।
  • राष्ट्रीय रसद नीति (National Logistics Policy): यह पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान की पूरक योजना है और भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के सॉफ्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने पर केंद्रित है।
    • उद्देश्य: एक व्यापक लॉजिस्टिक्स कार्य योजना (Comprehensive Logistics Action Plan-CLAP) बनाई गई, जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक भारत की लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक रैंकिंग को शीर्ष 25 देशों में सुधारना है।
  • राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम: इसका उद्देश्य ‘स्मार्ट सिटीज’ और उन्नत औद्योगिक केंद्र, मजबूत मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के साथ एकीकृत औद्योगिक गलियारे और व्यवस्थित शहरीकरण को बढ़ावा देना है।
  • एक-जिला-एक-उत्पाद (ODOP): भारत भर में स्वदेशी उत्पादों और शिल्प कौशल को बढ़ावा देते हुए, ODOP पहल ने स्थानीय आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया है, इन अद्वितीय उत्पादों के लिए प्लेटफॉर्म प्रदान करने के लिए 27 राज्यों में यूनिटी मॉल स्थापित किए जा रहे हैं।
  • वस्तु एवं सेवा कर (GST): 1 जुलाई, 2017 से लागू हुई नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था ने देश के 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एक ही आम बाजार में एकीकृत कर दिया है, जिससे कर संरचना सरल हो गई है और कई करों के प्रभाव को कम किया जा सका है, जिससे स्थानीय उत्पादन प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा मिला है।
  • एकीकृत भुगतान इंटरफेस: UPI एक वास्तविक समय, निर्बाध डिजिटल भुगतान नवाचार तकनीक है, जो भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की आधारशिला एवं वैश्विक डिजिटल भुगतान परिदृश्य में अग्रणी बनकर उभरी है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.