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प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के 10 वर्ष

Lokesh Pal April 10, 2025 03:10 39 0

संदर्भ

भारत 8 अप्रैल, 2025 को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (Pradhan Mantri MUDRA Yojana-PMMY) के 10 वर्ष पूरे करेगा।

मुद्रा (MUDRA) कार्ड और मुद्रा मित्र (MUDRA MITRA) मोबाइल एप्लीकेशन

मुद्रा कार्ड के बारे में

  • उद्देश्य: यह एक अभिनव ऋण उत्पाद है जो कार्यशील पूँजी की जरूरतों के लिए ऋण तक सुगम पहुँच को सक्षम बनाता है।
  • कार्यक्षमता: RuPay डेबिट कार्ड के रूप में कार्य करता है; यह ATM, POS मशीनों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपयोग करने योग्य है।
  • ओवरड्राफ्ट की सुविधा: एक लचीली क्रेडिट लाइन प्रदान करता है जिसे अधिशेष नकदी उपलब्ध होने पर चुकाया जा सकता है, जिससे ब्याज का बोझ कम होता है।

मुद्रा मित्र (MUDRA MITRA) ऐप के बारे में

  • उद्देश्य: माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड (MUDRA) और PMMY के तहत इसकी विभिन्न योजनाओं के बारे में व्यापक जानकारी प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है।
    • ऋण संबंधी मार्गदर्शन: यह PMMY के तहत MUDRA ऋण प्राप्त करने के लिए बैंकर से संपर्क करने के लिए ऋण प्राप्तकर्त्ता का मार्गदर्शन करेगा।
    • संसाधनो तक पहुँच: नमूना आवेदन पत्र और ऋण श्रेणियों (शिशु, किशोर, तरुण, तरुण प्लस) पर विवरण प्रदान करता है।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के बारे में

  • प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) एक प्रमुख केंद्रीय क्षेत्र योजना है जिसका उद्देश्य वित्तपोषित न किए गए सूक्ष्म उद्यमों और लघु व्यवसायों को वित्तपोषित करना है।
    • इसे वर्ष 2015 में पूरे भारत में लघु और सूक्ष्म उद्यमियों, विशेष रूप से गैर-कॉर्पोरेट और गैर-कृषि क्षेत्रों में संपार्श्विक-मुक्त माइक्रो क्रेडिट प्रदान करने के लिए लॉन्च किया गया था।
  • नोडल एजेंसी: वित्तीय सेवा विभाग, वित्त मंत्रालय (भारत सरकार)।
  • कार्यान्वयन: PMMY को MUDRA (माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी) के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है, जो निम्नलिखित सुविधाएँ प्रदान करता है:-
    • बैंकों, NBFC  और MFI को पुनर्वित्त सहायता। 
    • ऋण गारंटी के साथ-साथ विकास। 
    • क्षमता निर्माण सहायता।
  • PMMY के तहत ऋण श्रेणियाँ: PMMY ऋणों को व्यवसाय परिपक्वता के आधार पर चार श्रेणियों में संरचित किया गया है:-
    • शिशु श्रेणी: ऋण सीमा: ₹50,000 तक; स्टार्टअप और शुरुआती चरण में व्यवसायों के लिए।
    • किशोर श्रेणी: ऋण सीमा: ₹50,000 से ₹5 लाख; अतिरिक्त पूँजी हेतु विकास के चरण में व्यवसायों के लिए।
    • तरुण श्रेणी: ऋण सीमा: ₹5 लाख से ₹10 लाख; परिचालन को बढ़ाने का लक्ष्य रखने वाले स्थापित व्यवसायों के लिए।
    • तरुण प्लस श्रेणी (केंद्रीय बजट 2024-25 में प्रस्तुत किया गया): ऋण सीमा: ₹10 लाख से ₹20 लाख; तरुण श्रेणी के तहत अच्छे पुनर्भुगतान रिकॉर्ड वाले व्यवसायों के लिए, जो आगे विस्तार की तलाश में हैं।
  • पात्र उधारकर्ता: इस योजना में उद्यमी संस्थाओं का एक व्यापक आधार शामिल है, जिसमें शामिल हैं: व्यक्ति, स्वामित्व वाली संस्थाएँ, साझेदारी फर्म, निजी और सार्वजनिक सीमित कंपनियाँ, अन्य कानूनी संस्थाएँ आदि।
  • क्रेडिट गारंटी सहायता: सूक्ष्म इकाइयों के लिए ऋण गारंटी निधि (Credit Guarantee Fund for Micro Units-CGFMU) डिफॉल्ट को कवर करता है, जिससे वित्तीय संस्थानों को अधिक उधार देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
    • सूक्ष्म इकाइयों के लिए ऋण गारंटी निधि (CGFMU) भारत सरकार द्वारा स्थापित एक ट्रस्ट निधि है, जिसका उद्देश्य बैंकों/NBFC/MFI/अन्य वित्तीय मध्यस्थों द्वारा पात्र उधारकर्ताओं को दिए गए सूक्ष्म ऋणों में त्रुटि के विरुद्ध भुगतान की गारंटी प्रदान करना है।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की आवश्यकता

  • जनसांख्यिकीय लाभ: भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश को युवा आकांक्षाओं संबंधी उद्यम में बदलने के लिए एक मंच की आवश्यकता थी।
  • ऋण अंतराल को पाटना: लाखों छोटे उद्यमियों के पास औपचारिक, संपार्श्विक-मुक्त वित्त तक पहुँच नहीं थी।
  • समावेशी विकास को बढ़ावा देना: जमीनी स्तर पर उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करना विशेषकर ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में समावेशी विकास को प्राप्त करने की कुंजी है।
  • उद्यमशीलता की क्षमता का दोहन करना: लघु और सूक्ष्म उद्यमियों की अव्यक्त क्षमता का दोहन करने की एक मजबूत आवश्यकता थी, जिनके पास औपचारिक ऋण तक पहुँच नहीं थी।
  • आत्मनिर्भरता को उत्प्रेरित करना: एक स्व-नियोजित, आत्मनिर्भर भारत जो आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

योजना की उपलब्धियाँ

  • ऋण वितरण: अप्रैल 2015 में अपनी शुरुआत के बाद से, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) ने ₹32.61 लाख करोड़ मूल्य के 52 करोड़ से अधिक ऋण स्वीकृत किए हैं।
  • MSME पर प्रभाव: MSME ऋण में भारी वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2014 में MSME ऋण ₹8.51 लाख करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में ₹27.25 लाख करोड़ हो गया।
    • कुल बैंक ऋण में बढ़ती हिस्सेदारी: MSME क्षेत्र की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2014 में 15.8% से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में लगभग 20% हो गई। 
    • वित्त वर्ष 2025 में MSME ऋण 30 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है।
  • महिला सशक्तीकरण
    • महिला लाभार्थियों की बड़ी हिस्सेदारी: मुद्रा लाभार्थियों में 68% महिलाएँ हैं, जो इस योजना का महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने पर प्रकाश डालता है।
    • महिलाओं के लिए वित्तीय सहायता में वृद्धि: वित्त वर्ष 2016 से वित्त वर्ष 2025 तक, प्रति महिला PMMY संवितरण 13% CAGR से बढ़कर ₹62,679 तक पहुँच गया।
    • बचत एवं जमा में वृद्धि: प्रति महिला वृद्धिशील जमा 14% CAGR से बढ़कर ₹95,269 तक पहुँच गया।
  • कमजोर वर्गों के लिए समावेशी विकास
    • कमजोर वर्गों के लिए सहायता: मुद्रा खातों का 50% हिस्सा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के उद्यमियों के लिए है।
    • अल्पसंख्यक समुदायों का उत्थान: मुद्रा ऋण धारकों में से 11% अल्पसंख्यक समुदायों से हैं, जो योजना की विविधता और समानता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • प्रगतिशील ऋण: (शिशु से तरुण तक)
    • पहुँच का विस्तार: पिछले दशक में मुद्रा योजना के तहत 52 करोड़ से अधिक ऋण खाते खोले गए हैं, जो जमीनी स्तर पर उद्यमिता में वृद्धि को दर्शाता है।
    • विकास-चरण उद्यमों की ओर बदलाव: किशोर ऋणों (₹50,000-₹5 लाख) की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2016 में 5.9% से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 44.7% हो गई, जो सूक्ष्म से लघु उद्यमों की ओर संक्रमण को दर्शाता है।
    • तरुण ऋणों के साथ विस्तार: तरुण श्रेणी (₹5 लाख-₹10 लाख) लगातार लोकप्रिय हो रही है, जो मुद्रा की भूमिका को न केवल आरंभ करने में, बल्कि व्यापार विस्तार को सक्षम करने में उजागर करती है।
    • ऋण अवधिचक्र सहायता: यह योजना उद्यमियों को विभिन्न चरणों [शुरुआत (शिशु) से लेकर विस्तार (किशोर और तरुण) तक] में सहायता करती है।
  • मानसिकता में बदलाव: नौकरी चाहने वालों से लेकर नौकरी देने वालों तक, ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में भी इसके माध्यम से मानसिक बदलाव देखा जा रहा है।
  • बड़े ऋण, मजबूत व्यवसाय
    • औसत ऋण आकार में वृद्धि: औसत ऋण राशि में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है:-
      • वित्त वर्ष 2016 में ₹38,000 
      • वित्त वर्ष 2023 में ₹72,000 
      • वित्त वर्ष 2025 में ₹1.02 लाख का अनुमान है। यह बढ़ते व्यापार पैमाने और गहन बाजार एकीकरण को दर्शाता है।
    • ऋण वितरण में वृद्धि: वित्त वर्ष 2023 में ऋण वितरण में 36% की वृद्धि हुई, जो छोटे व्यवसायों के बीच नए उद्यमी आत्मविश्वास एवं मजबूत ऋण आवश्यकता का संकेत है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर PMMY की मान्यता

  • अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत में वित्तीय पहुँच बढ़ाने और समावेशी उद्यमिता को बढ़ावा देने में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के प्रभाव को लगातार स्वीकार किया है।
    • वर्ष 2017: महिलाओं के नेतृत्व वाले व्यवसायों को सक्षम बनाने और MSME को संपार्श्विक-मुक्त ऋण प्रदान करके PMJDY को पूरक बनाने के लिए मान्यता दी गई।
    • वर्ष 2019: MUDRA के माध्यम से विनिर्माण, व्यापार और सेवाओं में सूक्ष्म उद्यमों का समर्थन करने के लिए प्रशंसा की गई।
    • वर्ष 2023: PMMY की सुलभ ऋण संरचना के कारण महिलाओं के स्वामित्व वाले MSME में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जो अब 2.8 मिलियन से अधिक हो गई है।
    • वर्ष 2024: समावेशी ऋण पहुँच के माध्यम से स्वरोजगार एवं औपचारिकता को बढ़ावा देने में PMMY की भूमिका की पुष्टि की गई।

मुद्रा योजना से जुड़ी चुनौतियाँ एवं चिंताएँ

  • असमान वितरण: वर्ष 2021-22 में, शीर्ष 10 जिलों को 26,000 करोड़ रुपये मिले, जो कि निचले 318 जिलों के बराबर है।
    • वर्ष 2015 और वर्ष 2022 के बीच, पूर्वोत्तर क्षेत्र ने लगातार इस योजना के तहत सबसे कम खाते और स्वीकृत राशि दर्ज की है, जिसमें पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है।
  • केंद्रीकृत ग्राहक डेटाबेस का अभाव: ग्राहक जानकारी एकत्र करने और प्रबंधित करने के लिए कोई एकीकृत प्रणाली नहीं है, जिससे बैंक खातों के कुशल सत्यापन एवं औपचारिकता में बाधा आती है।
  • कमजोर वर्गों के लिए अपर्याप्त ऋण पहुँच: कमजोर वर्गों और अविकसित क्षेत्रों में ऋण पहुँच खराब बनी हुई है।
  • डिजिटल शिकायत निवारण प्लेटफॉर्म की आवश्यकता: गारंटी कवर, परिचालन प्रक्रियाओं और तकनीकी दिशानिर्देशों से संबंधित प्रश्नों को तुरंत संबोधित करने के लिए एक मजबूत डिजिटल प्लेटफॉर्म की आवश्यकता है।
  • रोजगार डेटा की कमी: मुद्रा ऋण द्वारा उत्पन्न रोजगार पर कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है। यह स्व-रोजगार या उद्यमिता को बढ़ावा देने में योजना की प्रभावशीलता पर चिंता उत्पन्न करता है।
  • NPA में वृद्धि संबंधी चिंता
    • मुद्रा के लिए आधिकारिक NPA: 4% (दिसंबर 2017 तक), औसत PSB NPA (~10%) से कम।
    • हालाँकि, विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस योजना के तहत वास्तविक NPA केवल तीन वर्षों के भीतर ₹14,350 करोड़ से अधिक हो सकता है, जिससे मुद्रा ऋण के बारे में चिंता बढ़ रही है जो समय के साथ बैंकिंग क्षेत्र के लिए संभावित रूप से बढ़ती देनदारी बन सकता है।
  • बैंकर्स द्वारा जताई गई चिंता: मुद्रा योजना के तहत ऋण अक्सर बिना किसी उचित व्यावसायिक योजना या जोखिम मूल्यांकन के दिए जाते हैं, क्योंकि इसमें संपार्श्विक की कमी होती है, और वितरण लक्ष्यों को पूरा करने के दबाव के कारण बैंकिंग के वास्तविक सिद्धांतों का उल्लंघन होता है। 
  • धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार की घटनाएँ: राजस्थान के बाड़मेर में, एक PNB अधिकारी ने बिना उचित सत्यापन के ₹62 लाख के 26 मुद्रा ऋण धोखाधड़ी से स्वीकृत किए।
    • इस योजना में महिलाओं को प्राथमिकता दिए जाने का अक्सर प्रॉक्सी आवेदकों के माध्यम से दुरुपयोग किया जाता है, जिससे बैंकर जोखिमपूर्ण ऋण जारी करने या शिकायतों का सामना करने के बीच दुविधा में पड़ जाते हैं।

आगे की राह

  • मजबूत जोखिम मूल्यांकन तंत्र: व्यवहार्य व्यावसायिक योजनाओं और पुनर्भुगतान क्षमता के आधार पर ऋण प्रदान करने के लिए मजबूत ऋण मूल्यांकन प्रणाली को लागू करने की आवश्यकता है।
  • संवर्द्धित ऋण गारंटी योजना (Enhanced Credit Guarantee Scheme-ECGS) शुरू करना: मुद्रा में संवर्द्धित ऋण गारंटी योजना (ECGS) को शामिल किया जाना चाहिए ताकि बैंकों को लघु और सूक्ष्म उद्यमों को अधिक ऋण देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। यह योजना ऋण गारंटी प्रदान करती है और वित्तीय संस्थानों के लिए जोखिम को कम करती है।
  • मजबूत निगरानी और मूल्यांकन ढाँचा (Robust Monitoring & Evaluation Framework-RMEF): ऋण वितरण, निधि उपयोग और पुनर्भुगतान की निगरानी के लिए वास्तविक समय की तकनीक का लाभ उठाने की आवश्यकता है।
    • RMEF में सामाजिक-आर्थिक परिणामों को मापने एवं नीतिगत संवर्द्धन के लिए अंतर्दृष्टि प्रदान करने के लिए लाभार्थी प्रभाव आकलन भी शामिल होगा।
  • उधारकर्ताओं की क्षमता निर्माण: लाभार्थियों, विशेष रूप से पहली बार उधारकर्ताओं और महिला उद्यमियों को वित्तीय साक्षरता और उद्यमिता प्रशिक्षण प्रदान करना।
  • डेटा-संचालित रोजगार ट्रैकिंग: वास्तविक प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए मुद्रा ऋण से जुड़े रोजगार सृजन को ट्रैक करने के लिए एक ढाँचा स्थापित करना।
  • मध्यम अवधि के स्केलिंग समर्थन पर ध्यान केंद्रित करना: सलाह, बाजार लिंकेज और अतिरिक्त कार्यशील पूँजी समर्थन के साथ शिशु से तरुण ऋण में संक्रमण की सुविधा प्रदान करना।
  • प्रॉक्सी ऋण प्रथाओं पर अंकुश लगाना: प्रॉक्सी दुरुपयोग को रोकने के लिए, विशेष रूप से महिलाओं को लक्षित ऋण वितरण में, सख्त KYC मानदंड और भौतिक सत्यापन लागू करना।

निष्कर्ष 

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) ने भारत में उद्यमशीलता के परिदृश्य को मौलिक रूप से नया आकार दिया है, जिससे वित्तीय समावेशन में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई है। मुद्रा योजना की सफलता को आगे बढ़ाने के लिए, आउटरीच, वित्तीय साक्षरता और निगरानी प्रणालियों को मजबूत करने की आवश्यकता है। एक केंद्रित और समावेशी मुद्रा 2.0 योजना भारत के सूक्ष्म उद्यमियों की पूर्ण क्षमता को प्रदर्शित कर सकती है।

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