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अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन का 113वाँ सत्र

Lokesh Pal June 19, 2025 03:31 10 0

संदर्भ

हाल ही में अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन (International Labour Conference) का 113वाँ पूर्ण सत्र जिनेवा, स्विट्जरलैंड में आयोजित किया गया।

अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन (ILC) के बारे में

  • अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन (ILC), अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था/महासभा है।
    • इसे प्रायः ‘श्रम संसद’ (Parliament of Labour) के रूप में संदर्भित किया जाता है और यह प्रतिवर्ष जिनेवा, स्विट्जरलैंड में आयोजित किया जाता है।
  • प्रथम अधिवेशन: पहला अधिवेशन वर्ष 1919 में वाशिंगटन में आयोजित किया गया था। 
    • भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए, ट्रेड यूनियन नेता और गोपाल कृष्ण गोखले के विचारों से प्रभावित नारायण मल्हार जोशी ने इस कार्यक्रम/सम्मेलन में श्रमिकों के प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया था।
  • वार्षिक बैठक: ILC की बैठक प्रत्येक वर्ष जिनेवा में होती है और इसमें सभी 187 ILO सदस्य देशों की सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिकों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
  • त्रिपक्षीय संरचना: प्रत्येक सदस्य देश चार प्रतिनिधि भेजता है:-
    • दो सरकारी प्रतिनिधि
    • एक नियोक्ता प्रतिनिधि
    • एक कर्मचारी प्रतिनिधि
      • प्रत्येक प्रतिनिधि के पास एक स्वतंत्र वोट होता है।
  • भारत एवं ILC: भारत अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का संस्थापक सदस्य है, जो वर्ष 1919 में अस्तित्व में आया था।
    • अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन (ILC) में अब तक 4 भारतीय अध्यक्ष रह चुके हैं:-
      • सर अतुल चटर्जी (1927)
      • श्री जगजीवन राम, श्रम मंत्री (1950)
      • डॉ. नागेंद्र सिंह, अध्यक्ष, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (1970)
      • श्री रवींद्र वर्मा, श्रम और संसदीय मामलों के मंत्री (1979)

प्लेटफॉर्म इकॉनमी के बारे में

  • ‘प्लेटफॉर्म इकॉनमी’ एक ऐसी प्रणाली है जहाँ डिजिटल प्लेटफॉर्म वस्तुओं या सेवाओं के लिए प्रदाताओं एवं उपभोक्ताओं को जोड़ते हैं।
  • इसमें उबर, स्विगी और अमेजॅन जैसे ऐप द्वारा सुगम ‘गिग और फ्रीलांस’ कार्य शामिल हैं।
  • लचीलापन प्रदान करते हुए, इसमें प्रायः नौकरी की सुरक्षा, उचित वेतन और सामाजिक सुरक्षा का अभाव होता है।

अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन (ILC) के 113वें पूर्ण अधिवेशन के मुख्य बिंदु

  • जैव खतरों पर कन्वेंशन संख्या 192 को अपनाना: सम्मेलन ने कन्वेंशन संख्या 192 को अपनाया, जो कार्य वातावरण में जैव खतरों को विशेष रूप से संबोधित करने वाला पहला अंतरराष्ट्रीय मानक है।
  • समुद्री श्रम कन्वेंशन (Maritime Labour Convention- MLC), 2006: समुद्री श्रम कन्वेंशन (MLC), 2006 में संशोधन को मंजूरी दी गई।
  • यह संशोधन नाविकों के ‘शोर लीव’ और स्वदेश वापसी के अधिकार को सुनिश्चित करता है।
  • यह नाविकों को प्रमुख श्रमिकों के रूप में मान्यता प्रदान करता है।
    • अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा अपनाया गया समुद्री श्रम सम्मेलन (MLC), 2006 एक व्यापक अंतरराष्ट्रीय संधि है जो वैश्विक स्तर पर नाविकों के लिए न्यूनतम कार्य एवं जीवन स्तर निर्धारित करती है।
    • भारत ने वर्ष 2015 में MLC की पुष्टि की।
  • प्लेटफॉर्म इकॉनमी में उचित कार्य: प्लेटफॉर्म इकॉनमी में श्रम मुद्दों को संबोधित करने के लिए पहली बार मानक-निर्धारण प्रक्रिया पर चर्चा की गई, जिसमें गिग एवं ऐप-आधारित कार्य शामिल हैं।
    • इसका उद्देश्य प्लेटफॉर्म-आधारित श्रमिकों के अधिकारों और सुरक्षा में सुधार करना है।
    • इसका लक्ष्य वर्ष 2026 में एक नया कन्वेंशन एवं अनुशंसा अपनाना है जो प्लेटफॉर्म-आधारित श्रमिकों के लिए उचित वेतन, स्वास्थ्य और सुरक्षा, डेटा सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और संघ की स्वतंत्रता से संबंधित अधिकारों को सुनिश्चित करता है।
  • श्रम अधिकार और मानवाधिकार: ILC  ने ILO में फिलिस्तीन को पर्यवेक्षक का दर्जा दिया। 
    • इस सम्मेलन ने म्यांमार के विरुद्ध ILO संविधान के अनुच्छेद 33 का हवाला देते हुए सैन्य जुंटा से जबरन श्रम पर अंतरराष्ट्रीय सिफारिशों का पालन करने का आग्रह किया। 
    • इसमें बेलारूस, हंगरी, जॉर्जिया, इराक, किर्गिस्तान और मलेशिया जैसे देशों में श्रम अधिकारों के उल्लंघन पर भी चर्चा की गई।
  • वैश्विक सामाजिक विकास में ILO की भूमिका: सामाजिक विकास के लिए आगामी द्वितीय विश्व शिखर सम्मेलन (नवंबर 2025, दोहा) में ILO के त्रिपक्षीय योगदान के लिए औपचारिक अनुमोदन प्रदान किया गया।

अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन के 113वें पूर्ण सत्र में भारत की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया

  • भारत की बेरोजगारी दर वर्ष 2017 में 6% से घटकर वर्ष 2024 तक 3.2% हो गई है। 
  • पिछले सात वर्षों में औपचारिक क्षेत्र में 7.5 करोड़ से अधिक नौकरियाँ सृजित की गईं। 
  • वैश्विक नौकरी की माँगों को एकत्रित करने के लिए राष्ट्रीय कॅरियर सेवा (National Career Service- NCS) पोर्टल का लाभ उठाया जा रहा है।
  •  अंतरराष्ट्रीय श्रम गतिशीलता को सुगम बनाना।
  • ई-श्रम पोर्टल पर 300 मिलियन से अधिक असंगठित श्रमिकों ने पंजीकरण कराया है, जिससे लक्षित लाभ एवं सामाजिक सुरक्षा कवरेज का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
  • ILO विश्व सामाजिक सुरक्षा रिपोर्ट के अनुसार, भारत का सामाजिक सुरक्षा कवरेज वर्ष 2019 में 24.4% से बढ़कर वर्ष 2025 में 64.3% हो गया है।
    • भारत में 940 मिलियन से ज्यादा लोगों को सामाजिक सुरक्षा कवरेज प्राप्त है।
  • भारत की सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 प्लेटफॉर्म वर्कर्स को एक अलग श्रेणी के रूप में मान्यता देती है।

अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन के 113वें पूर्ण सत्र में भारत की सिफारिशें

  • श्रमिकों की सुरक्षा: भारत व्यावसायिक परिस्थितियों में श्रमिकों को जैविक खतरों से बचाने की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता का समर्थन करता है। लेकिन जैविक खतरों के साधन में अत्यधिक व्यापक परिभाषाओं के प्रति सतर्क है जो कार्यस्थल की परिस्थितियों से परे हैं।
  • जोखिम-स्तरीय रणनीति: भारत श्रेणीबद्ध, जोखिम-स्तरीय रणनीति की सिफारिश करता है जो परिचालन वास्तविकताओं के साथ श्रमिक सुरक्षा को संतुलित करती है
  • विविधताओं का समायोजन: यह वैश्विक मानकों को निर्धारित करते समय विभिन्न देशों में विविधताओं को ध्यान में रखने और समायोजित करने का आग्रह करता है।

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