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भारत में बुनियादी ढाँचा: 10 राज्यों में 12 औद्योगिक पार्क

Lokesh Pal August 30, 2024 02:38 250 0

संदर्भ

हाल ही में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) ने राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (NICDP) के तहत 12 औद्योगिक स्मार्ट शहरों की स्थापना को मंजूरी दी है।

CCEA द्वारा स्वीकृत अन्य परियोजनाएँ

12 औद्योगिक स्मार्ट शहरों के अलावा, CCEA ने निम्नलिखित परियोजनाओं को भी मंजूरी दी:-

  • रेलवे परियोजनाएँ: CCEA ने तीन रेलवे परियोजनाओं तथा दो नई रेलवे लाइनों, मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी, जिनकी कुल अनुमानित लागत 6,456 करोड़ रुपये है।
    • कवरेज: ये तीन रेलवे परियोजनाएँ 4 राज्यों  (ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़) के 7 जिलों को कवर करती हैं।
      • इससे भारतीय रेलवे का मौजूदा नेटवर्क लगभग 300 किलोमीटर बढ़ जाएगा।
    • महत्त्व: इससे असंबद्ध क्षेत्रों को जोड़कर रसद दक्षता में सुधार होगा, मौजूदा लाइन क्षमता और परिवहन नेटवर्क में वृद्धि होगी, जिसके परिणामस्वरूप आपूर्ति शृंखला सुव्यवस्थित होगी और आर्थिक विकास में तेजी आएगी।

  • जलविद्युत परियोजनाएँ: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश की जलवायु प्रतिबद्धता को पूरा करने के उद्देश्य से अगले आठ वर्षों में कुल 15,000 मेगावाट क्षमता की जलविद्युत परियोजनाएँ विकसित करने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों को 4,136 करोड़ रुपये की इक्विटी सहायता को मंजूरी दी।
    • इक्विटी भागीदारी: इस धनराशि का उपयोग पूर्वोत्तर राज्यों द्वारा उनकी संस्थाओं और जलविद्युत परियोजनाओं के केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के डेवलपर्स के बीच संयुक्त उद्यमों के माध्यम से इक्विटी भागीदारी का समर्थन करने के लिए किया जाएगा।
      • केंद्रीय सहायता अप्रैल 2032 तक खर्च किए जाने की परिकल्पना की गई है।
      • इस योजना में विद्युत मंत्रालय के कुल परिव्यय से पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए 10% सकल बजटीय सहायता प्रदान की जाएगी।

औद्योगिक पार्क परियोजनाओं के बारे में

देश के औद्योगिक परिदृश्य को बदलने के लिए, औद्योगिक नोड्स एवं शहरों का एक मजबूत ढाँचा बनाने की तैयारी है, जो आर्थिक विकास तथा वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ावा देगा।

  • लक्ष्य: समिति ने केंद्रीय बजट में की गई घोषणा के अनुरूप 10 राज्यों और 6 प्रमुख औद्योगिक कॉरिडोर में 12 औद्योगिक पार्क स्थापित करने के लिए 28,602 करोड़ रुपये के परिव्यय को मंजूरी दी है।

  • समय सीमा: ये तीन वर्ष में पूरे किए जाएँगे।
  • उद्देश्य: ‘संतुलित’ क्षेत्रीय विकास को आगे बढ़ाने के लिए मजबूत बुनियादी ढाँचा स्थापित करना।
  • कवरेज क्षेत्र: खुरपिया (उत्तराखंड), राजपुरा-पटियाला (पंजाब), दिघी (महाराष्ट्र), पलक्कड़ (केरल), आगरा और प्रयागराज (उत्तर प्रदेश), गया (बिहार), जहीराबाद (तेलंगाना), ओर्वाकल और कोप्पर्थी (आंध्र प्रदेश) और जोधपुर-पाली (राजस्थान)।
    • नोट: चुनावी राज्यों में आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण एक शहर का नाम उजागर नहीं किया गया है।
    • शामिल कॉरिडोर: विजाग और चेन्नई, हैदराबाद तथा बंगलूरू, हैदराबाद एवं नागपुर व चेन्नई और बंगलूरू के बीच बनने वाले कॉरिडोर में एक-एक औद्योगिक पार्क के विकास को शामिल किया गया है।
      • कवरेज पार्क: इनमें आंध्र प्रदेश के कोप्पार्थी और ओर्वाकल में लगभग 2,600 एकड़ के दो पार्क, तेलंगाना के जहीराबाद में 3,245 एकड़ का पार्क और केरल के पलक्कड़ में 1,710 एकड़ का पार्क शामिल हैं।
  • मौजूदा परियोजनाएँ: इन नई स्वीकृतियों के अतिरिक्त, NICDP ने पहले ही चार परियोजनाएँ पूरी कर ली हैं, तथा अन्य चार परियोजनाएँ वर्तमान में कार्यान्वयन के अधीन हैं। 
    • पूर्ण हो चुका बुनियादी ढाँचा: धोलेरा (गुजरात), औरिक (महाराष्ट्र), विक्रम उद्योगपुरी (मध्य प्रदेश) और कृष्णापट्टनम (आंध्र प्रदेश)। 
    • कार्यान्वयन के तहत बुनियादी ढाँचा: तुमकुरु (कर्नाटक), कृष्णापट्टनम (आंध्र प्रदेश), नांगल चौधरी (हरियाणा) और दादरी-ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश)।

औद्योगिक पार्कों के बारे में

  • औद्योगिक पार्क एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे विशेष रूप से औद्योगिक विकास के लिए निर्धारित एवं नियोजित किया गया है। उदाहरण: धोलेरा SEZ (गुजरात), अदानी मुंद्रा SEZ आदि। 
  • औद्योगिक पार्कों का महत्त्व
    • उत्पादकता और प्रतिस्पर्द्धात्मकता: औद्योगिक पार्क रोजगार के अवसर उत्पन्न करते हैं तथा बुनियादी ढाँचे के साझा उपयोग को प्रोत्साहित करते हैं, जिससे उत्पादकता और प्रतिेस्पर्द्धात्मकता बढ़ती है।
    • विकास और प्रगति: वे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करते हैं और विनिर्माण गतिविधियों में वृद्धि को प्रोत्साहित करते हैं।
      • औद्योगिक पार्कों के कुछ लाभों में एकीकृत बुनियादी ढाँचा, लागत बचत और स्थानीयकृत पर्यावरण नियंत्रण शामिल हैं।
      • कुल मिलाकर, वे स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहित करके और व्यापार विस्तार के लिए अनुकूल वातावरण बनाकर क्षेत्रीय आर्थिक विकास में योगदान करते हैं।

हाल ही में घोषित 12 औद्योगिक पार्कों की मुख्य विशेषताएँ 

  • ये शहर स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना के महत्त्वपूर्ण केंद्रों पर स्थित ‘औद्योगिक शहरों की माला’ के समान होंगे और इसमें केंद्र एवं राज्य सरकार दोनों का योगदान होगा।
  • रणनीतिक निवेश: NICDP को बड़े प्रमुख उद्योगों और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) दोनों से निवेश की सुविधा प्रदान करके एक जीवंत औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • स्मार्ट शहर और आधुनिक बुनियादी ढाँचा: नए औद्योगिक शहरों को वैश्विक मानकों के ग्रीनफील्ड स्मार्ट शहरों के रूप में विकसित किया जाएगा, जिन्हें ‘प्लग-एन-प्ले’ और ‘वॉक-टू-वर्क’ अवधारणाओं पर ‘माँग से आगे’ के आधार पर विकसित किया जाएगा।
    • प्लग-एन-प्ले अवधारणा: इसका तात्पर्य है कि आवश्यक बुनियादी ढाँचा आसानी से उपलब्ध होगा, जिससे व्यवसायों के लिए परिचालन को जल्दी से स्थापित करना आसान हो जाएगा।
    • वॉक-टू-वर्क अवधारणा: यह कार्यस्थलों के करीब आवासीय क्षेत्रों के निर्माण पर जोर देती है, जिससे आवागमन का समय कम हो जाता है और निवासियों के जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।

  • PM गतिशक्ति पर क्षेत्रीय दृष्टिकोण: PM गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अनुरूप, परियोजनाओं में मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी अवसंरचना की सुविधा होगी, जो लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करेगी।
  • ‘विकसित भारत’ के लिए विजन: वैश्विक मूल्य शृंखलाओं (GVC) में भारत को एक मजबूत हितधारक के रूप में स्थापित करके, NICDP तत्काल आवंटन के लिए तैयार विकसित भूमि उपलब्ध कराएगा, जिससे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए भारत में विनिर्माण इकाइयाँ स्थापित करना आसान हो जाएगा।
  • सतत् विकास के प्रति प्रतिबद्धता: NICDP के अंतर्गत परियोजनाओं को स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करते हुए डिजाइन किया गया है, जिसमें पर्यावरणीय प्रभाव को न्यूनतम करने के लिए ICT-सक्षम उपयोगिताओं और हरित प्रौद्योगिकियों को शामिल किया गया है।

हाल ही में घोषित 12 औद्योगिक पार्कों का महत्व

  • वृद्धि: ये परियोजनाएँ भारत की विनिर्माण क्षमताओं और आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम हैं, जिसके तहत शहरों को उन्नत बुनियादी ढाँचे और कुशल औद्योगिक संचालन से सुसज्जित किया जाएगा।
  • विकास: ये ग्रीनफील्ड औद्योगिक ‘स्मार्ट शहर’ 1.5 लाख करोड़ रुपये के संभावित निवेश को आकर्षित कर सकते हैं, जिससे संभावित रूप से 1 मिलियन प्रत्यक्ष तथा 3 मिलियन तक अप्रत्यक्ष नौकरियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
    • इससे न केवल आजीविका के अवसर उपलब्ध होंगे, बल्कि उन क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान में भी योगदान मिलेगा जहाँ ये परियोजनाएँ क्रियान्वित की जा रही हैं।
  • लक्ष्य के लिए उत्प्रेरक: ये औद्योगिक नोड वर्ष 2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात को प्राप्त करने के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेंगे।
    • NICDP के तहत विकसित किए जाने वाले ये औद्योगिक केंद्र औद्योगिक शहरों की तरह कार्य करेंगे, जहाँ आवासीय और वाणिज्यिक सुविधाएँ एक साथ मौजूद होंगी।
  • वैश्विक मूल्य शृंखलाओं (GVCs) में वृद्धि: विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप, ये परियोजनाएँ निवेशकों के लिए आवंटन के लिए तैयार भूमि के साथ GVC में भारत की भूमिका को मजबूत करेंगी।

औद्योगिक पार्क के कार्यान्वयन में चुनौतियाँ

  • बुनियादी ढाँचे का विकास: औद्योगिक पार्कों का उद्देश्य औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढाँचे के प्रावधान को अर्थव्यवस्था के समूह के साथ जोड़ना है। हालाँकि, इस संतुलन को हासिल करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  • विनियामक बाधाएँ: नौकरशाही प्रक्रियाओं और विनियामक आवश्यकताओं को पूरा करने से औद्योगिक पार्कों की स्थापना और संचालन में देरी हो सकती है।
  • भूमि अधिग्रहण: औद्योगिक पार्कों के लिए उपयुक्त भूमि का अधिग्रहण चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि इसमें भू-स्वामियों के साथ वार्ता करने, संपत्ति विवादों को सुलझाने तथा पर्यावरणीय एवं कानूनी चिंताओं का प्रबंधन करने की आवश्यकता होती है, जो विकास प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं।
  • नकारात्मक प्रभाव: कभी-कभी, औद्योगिक पार्क नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करते हैं। इनमें पर्यावरण प्रदूषण, यातायात की भीड़ या स्थानीय संसाधनों पर दबाव शामिल हो सकता है।
  • कौशल की कमी: कुशल कार्यबल को आकर्षित करना तथा बनाए रखना मुश्किल हो सकता है, जिससे पार्क के भीतर व्यवसायों की उत्पादकता और विकास प्रभावित हो सकता है।
  • स्थानीय समुदायों और आजीविका पर प्रभाव: तीव्र औद्योगिकीकरण और शहरीकरण स्थानीय समुदायों को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है, जिसमें संभावित विस्थापन, आजीविका में परिवर्तन और पर्यावरण क्षरण शामिल हैं।

राष्ट्रीय औद्योगिक कॉरिडोर विकास कार्यक्रम (NICDP)

  • राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम, नई प्रौद्योगिकियों से सुसज्जित, ‘स्मार्ट सिटी’ के रूप में नए औद्योगिक शहरों के विकास के लिए केंद्र का बुनियादी ढाँचा कार्यक्रम है।
  • उद्देश्य: विनिर्माण को बढ़ावा देने तथा रोजगार के अवसर उत्पन्न करने के लिए देश भर में औद्योगिक कॉरिडोर की एक शृंखला विकसित करना।
  • कार्य: इन कॉरिडोर का उद्देश्य विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के विकास के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करना है, जिससे रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
  • उदाहरण: इस तरह के सबसे पुराने कॉरिडोर दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर (DMIC) तथा पश्चिमी समर्पित माल ढुलाई गलियारा हैं, जो भारत के परिवहन क्षेत्र के मुख्य आधार हैं।
  • फंडिंग: भारत सरकार, राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास तथा कार्यान्वयन ट्रस्ट (NICDIT) के माध्यम से, विश्व स्तरीय ट्रंक बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए इक्विटी/ऋण के रूप में धन प्रदान करती है।

 राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास तथा कार्यान्वयन ट्रस्ट (NICDIT)

  • NICDIT एक सरकारी एजेंसी है, जो भारत में औद्योगिक कॉरिडोर के विकास के समन्वय और निगरानी के लिए जिम्मेदार है।
  • उद्देश्य: सतत्, प्लग-एंड-प्ले और ICT-सक्षम उपयोगिताओं के साथ ग्रीनफील्ड स्मार्ट औद्योगिक शहरों की स्थापना करना।

आगे की राह

  • बुनियादी ढाँचे में निवेश: भारत को देश भर में लॉजिस्टिक्स और कनेक्टिविटी में सुधार के लिए समर्पित माल ढुलाई गलियारा (DFC) तथा भारतमाला परियोजना जैसी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
  • स्मार्ट औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना: विनिर्माण इकाइयों को आकर्षित करने के लिए विद्युत, जल और परिवहन जैसे एकीकृत बुनियादी ढाँचे के साथ गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (GIFT City) जैसे विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) की स्थापना आवश्यक है।
  • मानव कौशल में वृद्धि: जर्मनी जैसे देशों में सफल व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों की तर्ज पर विनिर्माण कौशल में श्रमिकों को प्रशिक्षित करने और प्रमाणित करने के लिए कौशल भारत मिशन जैसी पहलों का विस्तार करने की आवश्यकता है।
  • उद्योग 4.0 प्रौद्योगिकियों को अपनाना: इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (PLI) जैसी योजनाओं के माध्यम से स्वचालन, IoT और डिजिटल विनिर्माण प्रौद्योगिकियों को अपनाने को प्रोत्साहित करने का समय आ गया है।
  • हरित विनिर्माण पहलों पर ध्यान देना: स्वीडन के कार्बन-तटस्थ विनिर्माण लक्ष्यों के समान, पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकियों और वैश्विक पर्यावरण मानकों के अनुपालन के लिए प्रोत्साहन के माध्यम से सतत् प्रथाओं को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

NICDP के तहत 12 नए औद्योगिक नोड्स की मंजूरी भारत की वैश्विक विनिर्माण शक्ति बनने की यात्रा में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है। एकीकृत विकास, सतत् बुनियादी ढाँचे और निर्बाध कनेक्टिविटी पर रणनीतिक ध्यान देने के साथ, ये परियोजनाएँ भारत के औद्योगिक परिदृश्य को फिर से परिभाषित करने और आने वाले वर्षों में देश की आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए तैयार हैं।

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