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WTO का 13वाँ मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (MC13)

Lokesh Pal March 04, 2024 08:08 119 0

संदर्भ

हाल ही में विश्व व्यापार संगठन (WTO) का 13वाँ मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (MC13) 26 फरवरी से 29 फरवरी, 2024 तक अबू धाबी में आयोजित किया गया।

संबंधित तथ्य

भारत ने फरवरी 2024 में विश्व व्यापार संगठन (WTO) की मंत्रिस्तरीय बैठक में खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग के मुद्दे का स्थायी समाधान खोजने का आह्वान किया है।

इस सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ

  • नए WTO सदस्य: अबू धाबी में सम्मेलन में उद्घाटन के दिन औपचारिक रूप से विश्व व्यापार संगठन में नए सदस्य के रूप में कोमोरोस (Comoros) और तिमोर-लेस्ते (Timor-Leste) शामिल हो गए और इस संगठन के 165वें और 166वें सदस्य बन गए हैं।
  • सेवा घरेलू विनियम परिणाम (Service Domestic Regulations Outcome)
    • 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (MC13) में सेवाओं के घरेलू विनियमन पर नए नियमों की घोषणा की गई।
    • नए नियममोस्ट फेवर्ड नेशन’ (Most Favoured Nation) सिद्धांत पर लागू किया जाएगा, जिसका अर्थ है कि वे सभी WTO सदस्यों को लाभान्वित करेंगे।
    • इन नियमों का आर्थिक प्रभाव
      • इससे दुनिया भर में व्यापार लागत में 125 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की कमी आने की उम्मीद है।
      • WTO के नए शोध से पता चलता है कि उनके कार्यान्वयन से निम्न-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं के लिए सेवा व्यापार लागत को 10 प्रतिशत और उच्च-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं के लिए 14% कम करने में मदद मिलेगी, जिससे 127 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कुल बचत होगी।
      • वर्ष 2032 तक, वैश्विक वास्तविक आय (Global Real Income) में कम-से-कम 0.3% की वृद्धि होने का अनुमान है, जो 301 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रतिनिधित्व करता है और वैश्विक सेवा निर्यात में 0.8% की वृद्धि होने की उम्मीद है, जो कि 206 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
  • भारत द्वारा उठाए गए मुद्दे
    • बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली (Multilateral Trading System): भारत ने बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के विखंडन से बचने की आवश्यकता और गैर-व्यापारिक मुद्दों को WTO एजेंडे के साथ मिलाने के बजाय केंद्रित रहने के महत्त्व का उल्लेख किया।
    • सतत् कार्यक्रम: भारत ने बताया कि उसने जलवायु परिवर्तन से निपटने के कार्यक्रम LiFE – ‘पर्यावरण के लिए जीवन शैली के लिए एक जन आंदोलन के माध्यम से परंपराओं एवं संरक्षण के मूल्यों के आधार पर जीवन जीने का एक स्थायी तरीका प्रचारित किया है।

    • गैर-व्यापारिक मुद्दे: भारत ने इस बात पर जोर दिया कि गैर-व्यापारिक मुद्दों में व्यापार विकृत करने वाली सब्सिडी और गैर-व्यापार बाधाओं को प्रोत्साहित करने की क्षमता है।
      • लैंगिक और MSME जैसे मुद्दों को WTO चर्चा के दायरे में लाना व्यावहारिक नहीं था, क्योंकि इन मुद्दों पर पहले से ही अन्य प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय संगठनों में चर्चा की जा रही थी।
      • समावेशन जैसे मुद्दे: भारत ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे मुद्दों (समावेशन) को प्रासंगिक एवं लक्षित राष्ट्रीय उपायों के माध्यम से बेहतर तरीके से संबोधित किया जाता है और वे अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधों के क्षेत्र में नहीं आते हैं।
    • अपीलीय निकाय (Appellate Body) का पुनर्स्थापन: भारत ने अपीलीय निकाय के पुनर्स्थापन पर जोर दिया, जो दिसंबर 2019 से निष्क्रिय है।
    • निवेश सुविधा विकास (IFD) समझौते का विरोध: भारत और दक्षिण अफ्रीका ने WTO में चीन के नेतृत्व वाले एक प्रमुख प्रस्ताव पर वीटो कर दिया, जिसे निवेश सुविधा विकास समझौते (Investment Facilitation Development Agreement-IFD) के रूप में जाना जाता है।

निवेश सुविधा विकास समझौता (IFD) क्या है?

  • प्रस्तावित: इसे वर्ष 2017 में प्रस्तावित किया गया था। 
  • IFD के बारे में: IFD का लक्ष्य निवेश प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना और सीमा पार निवेश की सुविधा प्रदान करना है।
  • आलोचना: इस समझौते के कारण संभावित रूप से विभिन्न देश चीन के निवेश और विकसित देशों पर बहुत अधिक निर्भर हो जाएँगे।

भारत इसका विरोध क्यों करता है?

  • भारत ने तर्क दिया कि IFD, WTO के दायरे से बाहर है, क्योंकि यह मराकेश समझौते (Marrakesh Agreement) के दायरे से परे एक व्यापारिक मुद्दा नहीं है।
  • भारत ने बताया कि IFD औपचारिक समझौते के मानदंडों को पूरा नहीं करता है क्योंकि इसे सभी WTO  सदस्यों से सर्वसम्मति से समर्थन नहीं मिला है।

विश्व व्यापार संगठन (WTO) में ब्राजील का आह्वान

  • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और कृषि सब्सिडी: ब्राजील ने विकासशील देशों, विशेष रूप से महामारी की तैयारी, जलवायु शमन और ऊर्जा संक्रमण के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण की सुविधा हेतु WTO की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर दिया।
  • कृषि सब्सिडी सीमित और कम करना: ब्राजील ने कृषि वार्ता में प्रगति की गंभीरता पर जोर दिया। इसने व्यापार को विकृत करने वाली कृषि सब्सिडी को सीमित करने और कम करने के निर्देश देने का आह्वान किया, जो सभी WTO सदस्यों की खाद्य सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
    • मत्स्यपालन सब्सिडी: ब्राजील ने विश्व स्तर पर मछली पकड़ने की टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए इस मुद्दे को संबोधित करने के महत्त्व को रेखांकित करते हुए, मत्स्यपालन सब्सिडी पर वार्ता के लिए अपनी मजबूत प्रतिबद्धता दोहराई।
      • मत्स्यपालन क्षेत्र पर भारत का रुख: भारत ने विशिष्ट आर्थिक क्षेत्रों के साथ मछली पकड़ने की विविध प्रथाओं और स्थानीय मछुआरों की आजीविका पर विचार करने के महत्त्व को रेखांकित किया।
      • सब्सिडी पर 25 वर्ष का स्थगन: भारत ने मछली पकड़ने की टिकाऊ प्रथाओं पर उनके प्रतिकूल प्रभावों का हवाला देते हुए, दूर-दराज के जल में मछली पकड़ने की गतिविधियों के लिए सब्सिडी पर 25 वर्ष का प्रतिबंध लगाने का भी आग्रह किया।

विश्व व्यापार संगठन (WTO) के बारे में

  • WTO  एकमात्र वैश्विक अंतरराष्ट्रीय व्यापार संगठन है, जो राष्ट्रों के बीच व्यापार के नियमों से संबंधित है।
  • WTO समझौते इसके मूल तत्त्व हैं, जिन पर कई व्यापारिक देशों द्वारा बातचीत एवं हस्ताक्षर किए गए हैं और उन देशों की संसद में जिनकी पुष्टि की गई है।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • WTO ने 124 देशों द्वारा 15 अप्रैल, 1994 को हस्ताक्षरित मराकेश समझौते (Marrakesh Agreement) के तहत 1 जनवरी, 1995 को परिचालन शुरू किया।
  • इसने वर्ष 1948 में शुरू हुए टैरिफ और व्यापार पर सामान्य समझौते (GATT) का स्थान ले लिया है।
  • WTO द्वारा केंद्रित अधिकांश मुद्दे पिछली व्यापार वार्ताओं विशेषकर उरुग्वे दौर (वर्ष 1986-1994) से लिए गए हैं।

मराकेश समझौता (Marrakesh Agreement)

  • औपचारिक रूप से WTO  की स्थापना करने वाले समझौते के रूप में जाना जाता है।
  • इस पर 15 अप्रैल, 1994 को 123 देशों द्वारा मराकेश, मोरक्को में हस्ताक्षर किए गए थे।
  • इसकी परिणति बहुपक्षीय व्यापार वार्ता के 8-वर्षीय दौर में हुई। इसने GATT के स्थान पर WTO के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया।

विश्व व्यापार संगठन के कार्य

  • मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना: गैर-भेदभाव और पारदर्शिता जैसे व्यापार नियमों की स्थापना और समर्थन करना। साथ ही, यह टैरिफ एवं कोटा जैसी बाधाओं को भी कम करता है।
  • व्यापार विवादों का समाधान: व्यापार विवादों को शांतिपूर्वक निपटाने के लिए एक कानूनी ढाँचा एवं प्रक्रिया प्रदान करता है। यह व्यापारिक साझेदारों के बीच बातचीत एवं मध्यस्थता के लिए एक मंच भी प्रदान करता है।
  • आर्थिक विकास का समर्थन: विकासशील देशों को वैश्विक व्यापार प्रणाली में एकीकृत करता है। विकासशील देशों के लिए विशेष प्रावधान एवं लचीलेपन की पेशकश करता है, जिसे विशेष एवं विभेदक उपचार प्रावधानों के रूप में जाना जाता है।
  • वैश्विक सहयोग में संलग्न होना: WTO गरीबी उन्मूलन आदि जैसी व्यापक आर्थिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए IMF और विश्व बैंक जैसे अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करता है।

विश्व व्यापार संगठन का मंत्रिस्तरीय सम्मेलन

  • WTO का मंत्रिस्तरीय सम्मेलन इसके संचालन का केंद्र है। अब तक WTO ने 12 मंत्रिस्तरीय सम्मेलन आयोजित किए हैं। हाल ही में 12-17 जून, 2022 के बीच 12 मंत्रिस्तरीय सम्मेलन आयोजित किया गया था। यह जिनेवा में WTO मुख्यालय में हुआ था।

    • सम्मेलन की अध्यक्षता कजाकिस्तान के राष्ट्रपति के डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ तिमुर सुलेमेनोव (Timur Suleimenov) ने की थी।
  • 13वाँ मंत्रिस्तरीय सम्मेलन 26 से 29 फरवरी, 2024 तक अबू धाबी में हुआ। जिसकी अध्यक्षता संयुक्त अरब अमीरात के विदेश व्यापार राज्य मंत्री डॉ. थानी बिन अहमद अल जेयौदी (Thani bin Ahmed Al Zeyoudi) ने की।

विश्व व्यापार संगठन के प्रमुख समझौते

  • टैरिफ और व्यापार पर सामान्य समझौता (General Agreement on Tariffs and Trade- GATT)
    • द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद इस समझौते को लेकर वर्ष 1947 में 23 देशों ने हस्ताक्षर किए थे।
    • इसका उद्देश्य राष्ट्रों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए टैरिफ एवं अन्य संबंधित बाधाओं को कम करना है।
    • इसकी सीमाओं के कारण उरुग्वे दौर की वार्ता हुई, जिसका समापन वर्ष 1995 में WTO में हुआ।
  • कृषि पर समझौता (Agreement on Agriculture- AoA)

    • कृषि पर समझौता (AoA), जो कि विश्व व्यापार संगठन की एक अंतरराष्ट्रीय संधि है।
    • उद्देश्य: घरेलू कृषि उत्पादकों को दी जाने वाली सरकारी सहायता एवं सब्सिडी को कम करना।
      • कृषि पर समझौते में तीन स्तंभ शामिल हैं:
        • घरेलू समर्थन: यह घरेलू सब्सिडी में कटौती का आह्वान करता है, जो मुक्त व्यापार और उचित मूल्य को विकृत करता है। सब्सिडी के स्वरूप मूलतः कृषि समझौते के अंतर्गत दिए गए हैं। वे ग्रीन बॉक्स, एम्बर बॉक्स और ब्लू बॉक्स सब्सिडी हैं।
        • बाजार पहुँच: WTO में वस्तुओं के लिए बाजार पहुँच का मतलब उन शर्तों, टैरिफ और गैर-टैरिफ उपायों से है, जिन पर सदस्यों द्वारा अपने बाजारों में विशिष्ट वस्तुओं के प्रवेश के लिए सहमति व्यक्त की जाती है।
        • निर्यात सब्सिडी: सरकारी समर्थन, जो निर्यात लागत को कम करता है, जिसमें इनपुट सब्सिडी, आयात शुल्क में छूट और अन्य निर्यात प्रोत्साहन शामिल हैं, निर्यात सब्सिडी के अंतर्गत आता है।
  • सेवाओं में व्यापार पर सामान्य समझौता (General Agreement on Trade in Services- GATS)
    • यह WTO की एक संधि है, जो उरुग्वे दौर की वार्ता के परिणामस्वरूप जनवरी 1995 में लागू हुई।
    • इसे बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली (Multilateral Trading System) को सेवा क्षेत्र तक विस्तारित करने के लिए बनाया गया था, उसी तरह GATT वाणिज्यिक व्यापार के लिए सुविधाएँ प्रदान करता है।
    • इसमें अधिकांश सेवा क्षेत्र शामिल हैं, जिसके लिए सदस्य देशों को अपना बाजार खोलने और विदेशी प्रदाताओं के साथ उचित व्यवहार करने की आवश्यकता होती है।
  • व्यापार संबंधी निवेश उपायों पर समझौता (Agreement on Trade Related Investment Measures- TRIMS)
    • उरुग्वे दौर के की वार्ता के अंतर्गत जिस समझौते पर बातचीत हुई थी, वह केवल उन उपायों पर लागू होता है, जो वस्तुओं के व्यापार को प्रभावित करते हैं।
    • यह मानते हुए कि कुछ निवेश उपायों के व्यापार-प्रतिबंधात्मक और विकृत प्रभाव हो सकते हैं, इसमें कहा गया है कि कोई भी सदस्य ऐसे उपाय को लागू नहीं करेगा, जो अनुच्छेद-3 (राष्ट्रीय उपचार) या अनुच्छेद-9 (मात्रात्मक प्रतिबंध) में GATT के प्रावधानों द्वारा निषिद्ध है।

G33 देशों के बारे में

  • G33 (या कृषि में विशेष उत्पादों के मित्र देश) विकासशील और अल्प-विकसित देशों का एक गठबंधन है।
  • वर्तमान में चीन, क्यूबा, ​​भारत, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, पाकिस्तान आदि सहित 48 सदस्य देश हैं।

सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग (PSH)

  • यह एक ऐसी नीति है, जिसमें सरकार उचित कीमतों पर खाद्य पदार्थों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए खरीदती है और भंडारण करती है।
  • इसका उपयोग कई विकासशील देशों द्वारा मूल्य जीवन शक्ति और खाद्य असुरक्षा के कारण उत्पन्न खाद्य संकट को कम करने के लिए एक उपकरण के रूप में किया जाता है। उदाहरण:  MSP योजना।

विश्व व्यापार संगठन के मुद्दे

सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग (PSH) से संबंधित मुद्दे

  • व्यापार में विकृत: WTO का कहना है कि PSH कार्यक्रम व्यापार को विकृत करते हैं, विशेषकर जब बिना सीमाओं के लागू किए जाते हैं। 
  • वर्तमान WTO  नियम: कृषि पर समझौता (AoA), PSH कार्यक्रमों को घरेलू खपत के लिए देश के उत्पादन के 10% तक सीमित करता है। 
  • G33 देशों की आपत्ति: G33 देशों को WTO द्वारा सब्सिडी स्तरों की गणना के लिए उपयोग की जाने वाली पुरानी पद्धति पर आपत्ति है, जो मुद्रास्फीति को ध्यान में नहीं रखती है।
    • पुरानी पद्धति: सब्सिडी गणना की यह पद्धति वर्ष 1986-88 के मूल्य सूचकांक (Price Index) पर आधारित है, जिसमें मुद्रास्फीति को ध्यान में नहीं रखा जाता था।

पीस क्लॉज (Peace Clause) संबंधी प्रावधान 

  • इसे वर्ष 2013 में बाली समझौते (Bali Agreement) के तहत लागू किया गया था।
  • यह विकासशील देशों को अन्य सदस्यों द्वारा कानूनी कार्रवाई का सामना किए बिना 10 प्रतिशत की सीमा को पार करने की अनुमति देता है।
  • इसके परिणामस्वरूप ‘पीस क्लॉज’ सहित कई व्यापार मुद्दों पर समझौतों की एक शृंखला को अपनाया गया।

पीस क्लॉज से संबंधित मुद्दे

  • विवादास्पद: कुछ विकसित देशों का तर्क है कि इससे विकासशील देशों को अनुचित लाभ मिलता है और इससे व्यापार विकृतियाँ हो सकती हैं। जबकि अन्य पक्ष का मानना है कि विकासशील देशों के लिए अपनी खाद्य सुरक्षा को पूरा करना महत्त्वपूर्ण है।
  • नियम-आधारित व्यवस्था में लचीलापन: WTO एक नियम आधारित संगठन है और ‘पीस क्लॉज’ को उन नियमों से विचलन के रूप में देखा जाता है। WTO द्वारा ‘पीस क्लॉज’ में प्रदान किए गए लचीलेपन से विकसित और विकासशील देशों के बीच हितों का टकराव हो रहा है।

  • कृषि सब्सिडी ढाँचे से जुड़े मुद्दे
    • ग्रीन बॉक्स सब्सिडी में व्यक्तिपरकता (Subjectivity): ग्रीन बॉक्स में सब्सिडी का वर्गीकरण, जिसे न्यूनतम व्यापार विकृति का कारण माना जाता है, व्यक्तिपरकता का परिचय देता है। ‘न्यूनतम’ स्तर की अलग-अलग व्याख्याओं के कारण अक्सर विवाद उत्पन्न होते हैं, जिससे राष्ट्रों के बीच तनाव उत्पन्न होता है।
    • गणना में पारदर्शिता का अभाव: ग्रीन बॉक्स पात्रता को परिभाषित करने वाले मानदंड एवं गणना में पारदर्शिता का अभाव है।
    • विकासशील देशों को छूट: हालाँकि विकासशील देशों को उच्च एम्बर बॉक्स सीमा से लाभ होता है, यह विकसित देशों के लिए एक असमान प्रतिस्पर्द्धा को जन्म देता है। निष्पक्षता के बारे में चिंताएँ उभरती हैं क्योंकि छूट संभावित रूप से प्रतिस्पर्द्धा एवं व्यापार की गतिशीलता को विकृत कर सकती है।
  • अपीलीय निकाय (Appellate Body)
    • अमेरिका की अवरोध की नीति या अमेरिकी बाधावाद (Obstructionism): अमेरिका ने वर्ष 2019 से अकेले ही अपीलीय निकाय (AB) में नए सदस्यों की नियुक्ति को अवरुद्ध कर दिया है, जिससे विवाद निपटान तंत्र (Dispute Settlement mechanism- DSM) अप्रभावी हो गया है।
    • WTO की निष्क्रियता: कार्यशील AB के बिना, देश आसानी से पैनल के फैसलों का अनुपालन करने से बच सकते हैं, जिससे WTO  की विवाद समाधान प्रक्रिया कमजोर हो सकती है।
    • गैर-न्यायिकीकरण: अपने अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधों को गैर-न्यायिकीकरण करने की अमेरिका की इच्छा, अपीलीय निकाय (Appellate Body) के पूर्ण पुनर्स्थापन के बारे में संदेह उत्पन्न करती है।

अपीलीय निकाय (Appellate Body) के बारे में

  • इसकी स्थापना वर्ष 1995 में हुई थी और यह एक स्थायी निकाय है, जिसमें 7 सदस्य हैं, जिनमें से प्रत्येक का कार्यकाल (4 वर्ष) सीमित है।
  • इसका प्राथमिक कार्य WTO के सदस्य देशों द्वारा सामने लाए गए मामलों में पैनल द्वारा जारी विवाद संबंधी रिपोर्टों की अपील सुनना है।

  • विशेष सुरक्षा तंत्र (Special Safeguard Mechanism- SSM): यह आयात वृद्धि का मुकाबला करने का एक उपकरण है, जो विकासशील देशों में कृषि उत्पादन को खतरे में डाल सकता है।
    • कृषि पर समझौते (AoA) के मौजूदा डिजाइन के अनुसार, केवल 39 सदस्य, मुख्य रूप से विकसित देश, विशेष सुरक्षा उपायों (Special Safeguards- SSGs) का उपयोग कर सकते हैं।
    • SSM का लक्ष्य विकासशील देशों तक समान उपायों का विस्तार करना है।

आगे की राह

  • खाद्य सब्सिडी सीमा की गणना के लिए सूत्र में संशोधन: भारत ने खाद्य सब्सिडी सीमा की गणना के लिए संशोधन और वर्ष 2013 के बाद लागू कार्यक्रमों को ‘पीस क्लॉज’ के दायरे में शामिल करने जैसे उपाय सुझाए हैं।
  • बाह्य संदर्भ मूल्य (External Reference Price- ERP) का अद्यतनीकरण: भारत बाह्य संदर्भ मूल्य (ERP) को वर्ष 1986-88 के स्तर से वर्तमान बाजार दरों तक अद्यतन करने की आवश्यकता पर जोर देता है।
    • MSP सीमा का निर्धारण करते समय मुद्रास्फीति को ध्यान में रखना चाहिए।
  • किसी फसल की तीन साल की औसत कीमत: उस उत्पाद के लिए उच्चतम और निम्नतम प्रविष्टियों को छोड़कर, पिछली पाँच वर्ष की अवधि के आधार पर किसी फसल की तीन वर्ष की औसत कीमत का उपयोग करना।
    • सब्सिडी की गणना सभी योग्य उत्पादन को शामिल करने के बजाय वास्तविक खरीद पर आधारित होनी चाहिए।
  • PSH कार्यक्रमों को अनुमति देना: खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों के लिए डिजाइन किए गए सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग कार्यक्रमों को कुछ शर्तों के तहत अनुमति दी जानी चाहिए और विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुरूप माना जाना चाहिए। इन शर्तों में शामिल हैं:
    • यह सुनिश्चित करना कि PSH के माध्यम से प्राप्त स्टॉक व्यापार को विकृत न किया जाए या विश्व व्यापार संगठन के अन्य सदस्यों के खाद्य सुरक्षा हितों को नुकसान न पहुँचाया जाए।
    • सदस्यों को अंतरराष्ट्रीय खाद्य सहायता और गैर-व्यावसायिक मानवीय उद्देश्यों को छोड़कर, अर्जित स्टॉक के निर्यात से बचना चाहिए।
  • विशेष सुरक्षा तंत्र: देशों को विशेष सुरक्षा तंत्र के माध्यम से अपने घरेलू बाजारों को अन्य देशों द्वारा डंपिंग से बचाने का अधिकार होना चाहिए।
  • MPIA में शामिल होना: तदर्थ अपीलीय समीक्षा को औपचारिक रूप देने के लिए विकासशील देश यूरोपीय संघ के नेतृत्व वाले बहुदलीय अंतरिम अपील मध्यस्थता व्यवस्था (Multi-party Interim Appeal Arbitration Arrangement-MPIA) में शामिल हो सकते हैं। हालाँकि, इसमें मूल अपीलीय निकाय (AB) की बाध्यकारी प्रकृति और पूर्वानुमेयता का अभाव है।

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