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17वाँ ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2025

Lokesh Pal July 08, 2025 03:54 16 0

संदर्भ

ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में वर्ष 2025 में आयोजित होने वाला 17वाँ ब्रिक्स शिखर सम्मेलन समूह के विकास में एक महत्त्वपूर्ण क्षण होगा, क्योंकि इसमें सदस्यता और साझेदारी में बड़ा विस्तार देखा जाएगा।

संबंधित तथ्य

  • शिखर सम्मेलन का समापन रियो डी जेनेरियो घोषणा-पत्र को अपनाने के साथ हुआ, जिसमें ‘ग्लोबल साउथ’ में सहयोग को मजबूत करने तथा अधिक समावेशी, न्यायसंगत और सतत् वैश्विक शासन ढाँचे को बढ़ावा देने के लिए उनकी सामूहिक प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई।

17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बारे में

  • विषय: “अधिक समावेशी और सतत् प्रशासन के लिए वैश्विक दक्षिण सहयोग को मजबूत करना”।
  • स्थान: रियो डी जेनेरियो, ब्राजील 
  • दिनांक: 6-7 जुलाई, 2025।
  • पिछला शिखर सम्मेलन: कजान, रूस में (16वाँ शिखर सम्मेलन)।

ब्रिक्स के बारे में

  • ब्रिटिश अर्थशास्त्री जिम ओ’नील द्वारा वर्ष 2001 में गढ़ा गया शब्द ‘ब्रिक्स’ ब्राजील, रूस, भारत और चीन का प्रतिनिधित्व करता है, जो तेजी से बढ़ती उभरती अर्थव्यवस्थाएँ हैं।
  • वर्ष 2006: G8 आउटरीच शिखर सम्मेलन के दौरान ब्रिक ने औपचारिक रूप से काम करना शुरू किया।
  • वर्ष 2009: रूस में पहला ब्रिक शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया।
  • वर्ष 2010: दक्षिण अफ्रीका को शामिल करने से यह ब्रिक्स में बदल गया।
  • नए सदस्य (वर्ष 2024 से आगे): मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात।
    • इंडोनेशिया (पूर्ण ब्रिक्स सदस्य के रूप में)।
    • ब्रिक्स भागीदार देशों के रूप में 10 अन्य देश: बेलारूस, बोलीविया, कजाकिस्तान, नाइजीरिया, मलेशिया, थाईलैंड, क्यूबा, ​​वियतनाम, युगांडा और उज्बेकिस्तान।
  • महत्त्वपूर्ण पहल
    • न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB): 100 बिलियन डॉलर की आरंभिक पूँजी के साथ स्थापित, NDB का उद्देश्य ब्रिक्स और अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं में बुनियादी ढाँचे और सतत् विकास परियोजनाओं को वित्तपोषित करना है।
      • इसकी स्थापना वर्ष 2014 में ब्राजील के फोर्टालेजा में छठे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में की गई थी।
    • आकस्मिक रिजर्व व्यवस्था (Contingent Reserve Arrangement- CRA): भुगतान संतुलन संकट का सामना कर रहे सदस्य देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए 100 बिलियन डॉलर का आपातकालीन रिजर्व फंड।
      • 2014 में ब्राजील के फोर्टालेजा में छठे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में स्थापित।
    • ब्रिक्स पे: स्थानीय मुद्राओं का उपयोग करके ब्रिक्स देशों के बीच भुगतान की सुविधा के लिए एक प्रस्तावित प्रणाली, जो संभवतः पारंपरिक ‘स्विफ्ट’ प्रणाली को दरकिनार कर सकती है।

ब्रिक्स 2025 शिखर सम्मेलन (ब्राजील) में भारतीय प्रधानमंत्री

  • पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल) की निंदा करते हुए इसे भारत की आत्मा, पहचान और गरिमा पर हमला बताया।
  • आह्वान किया गया
    • आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट वैश्विक कार्रवाई।
    • बिना किसी संकोच के आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाना।
    • देश या राजनीतिक सुविधा के आधार पर दोहरे मानदंडों को समाप्त करना।
  • राजनीतिक लाभ के लिए मौन समर्थन या निष्क्रियता मानवता के साथ विश्वासघात है।
  • वैश्विक संस्थाओं में सुधार
    • 20वीं सदी की संस्थाओं में मानवता के 2/3 भाग को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है।
    • समावेशी, सुधारित बहुपक्षवाद का आह्वान किया।
  • शांति और सुरक्षा के लिए ब्रिक्स
    • शांति विकास की नींव है।
    • ब्रिक्स को वैश्विक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक रूप से कार्य करना चाहिए।
    • पहलगाम हमले के बाद भारत का समर्थन करने वाले देशों को धन्यवाद दिया।
  • गाजा संकट और भारत की प्रवृत्ति
    • गाजा का मानवीय संकट अत्यंत चिंताजनक है।
    • भारत संवाद, शांति, अहिंसा (बुद्ध, गांधी मूल्यों) के पक्ष में है।

ब्रिक्स 2025 की मुख्य विशेषताएँ 

  • नए सदस्यों का स्वागत किया गया
    • इंडोनेशिया (पूर्ण ब्रिक्स सदस्य के रूप में)।
    • ब्रिक्स भागीदार देशों के रूप में 10 अन्य देश: बेलारूस, बोलीविया, कजाकिस्तान, नाइजीरिया, मलेशिया, थाईलैंड, क्यूबा, ​​वियतनाम, युगांडा और उज्बेकिस्तान।
  • ब्रिक्स प्रतिबद्धता और सहयोग स्तंभ
    • ब्रिक्स मूल्यों की पुष्टि: संप्रभु समानता, समावेशिता, आम सहमति
    • 3 स्तंभों में सहयोग को मजबूत करना:
      • राजनीतिक और सुरक्षा
      • आर्थिक और वित्तीय
      • सांस्कृतिक और लोगों-से-लोगों का संपर्क
  • भारत को पूर्ण समर्थन दिया गया: वर्ष 2026 की अध्यक्षता और XVIII शिखर सम्मेलन के लिए।

17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की प्रमुख पहल

क्षेत्र

पहल

वित्तीय
  • न्यू डेवलपमेंट बैंक (New Development Bank- NDB): अपने “दूसरे स्वर्णिम दशक” में प्रवेश करते हुए, NDB स्थानीय मुद्रा वित्तपोषण, असमानता को कम करने और सतत् विकास पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • आकस्मिक रिजर्व व्यवस्था (Contingent Reserve Arrangement- CRA): अधिक पात्र मुद्राओं को शामिल करने, जोखिम प्रबंधन में सुधार करने और नए सदस्यों को सक्षम करने के लिए संशोधित किया गया।
  • ब्रिक्स क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट्स इनिशिएटिव: इंटरऑपरेबल टेक्नोलॉजी के माध्यम से तीव्र, किफायती और सुरक्षित भुगतान प्रणाली का लक्ष्य।
  • ब्रिक्स बहुपक्षीय गारंटी (BMG): नई पूँजी की आवश्यकता के बिना निवेश को जोखिम मुक्त करने के लिए NDB के तहत एक पायलट तंत्र।
  • नया निवेश प्लेटफॉर्म (NIP): आर्थिक सहयोग को गहरा करने के लिए चर्चा चल रही है।
‘ग्लोबल साउथ’ की अभिव्यक्ति
  • संयुक्त राष्ट्र सुधार के लिए समर्थन: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के विस्तारित प्रतिनिधित्व का आह्वान किया।
    • द्वितीय विश्वयुद्ध की 80वीं वर्षगाँठ पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव 79/272 का समर्थन किया।
  • भारत और ब्राजील का समर्थन किया: वैश्विक शासन में अधिक भूमिका का समर्थन किया।
  • ब्रिक्स प्लस और भागीदार देश: नए भागीदार देशों का स्वागत किया गया और संवादों का विस्तार किया गया।
  • G20 में अफ्रीकी संघ (AU) के लिए समर्थन: G20 में AU की पूर्ण सदस्यता और बहुपक्षीय मंचों में प्रतिनिधित्व बढ़ाने का समर्थन किया गया।
    • अफ्रीकी महाद्वीप में AU शांति सहायता अभियानों, मध्यस्थता प्रयासों, शांति प्रक्रियाओं और व्यापक शांति निर्माण पहलों को समर्थन देने के नए तरीकों पर विचार करना।
सुरक्षा एवं संघर्ष समाधान
  • आतंकवाद निरोध: जम्मू-कश्मीर और रूस में आतंकवाद की निंदा की; अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन (Comprehensive Convention on International Terrorism-CCIT) को अंतिम रूप देने का समर्थन किया।
  • संघर्ष मध्यस्थता: यूक्रेन, मध्य पूर्व, सूडान, सीरिया और हैती में राजनयिक प्रस्तावों का समर्थन किया।
  • शांति स्थापना और मानवीय कानून: समावेशी शांति प्रक्रियाओं, संयुक्त राष्ट्र-AU मध्यस्थता का समर्थन किया और मानवीय उल्लंघनों की निंदा की।
  • परमाणु निरस्त्रीकरण और बाह्य अंतरिक्ष: परमाणु हथियार मुक्त क्षेत्रों और अंतरिक्ष हथियारीकरण की रोकथाम का समर्थन किया।
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1325 (2000) के प्रति पूर्ण प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई: इसमें महिलाओं पर युद्ध के प्रभाव तथा संघर्ष समाधान, शांति स्थापना, मानवीय प्रतिक्रिया और संघर्ष के बाद पुनर्निर्माण में महिलाओं की पूर्ण एवं समान भागीदारी के महत्त्व पर ध्यान दिया गया है।
विज्ञान प्रौद्योगिकी
  • नई औद्योगिक क्रांति पर साझेदारी (PARTNIR) और उद्योग 4.0: बुद्धिमान विनिर्माण, डिजिटल परिवर्तन और SME तकनीक अपनाने में संरचित सहयोग।
  • ब्रिक्स STI सहयोग (2015-2025): AI, क्वांटम और औद्योगिक नवाचार पर संयुक्त अनुसंधान।
  • पनडुब्बी केबल प्रस्ताव: उच्च गति वाले BRICS इंटरनेट केबल के लिए व्यवहार्यता अध्ययन।
  • रिमोट सेंसिंग और अंतरिक्ष परिषद: BRICS अंतरिक्ष परिषद की स्थापना और संयुक्त अंतरिक्ष-आधारित निगरानी को बढ़ाने पर सहमति हुई।
स्वास्थ्य और महामारी संबंधी तैयारी
  • WHO महामारी समझौता: वैश्विक महामारी तैयारी समझौते का समर्थन किया।
  • BRICS वैक्सीन अनुसंधान एवं विकास केंद्र: स्वास्थ्य सेवा, निदान और दवाओं तक समान पहुँच को बढ़ावा दिया।
  • सामाजिक रोग भागीदारी: सामाजिक रूप से निर्धारित बीमारियों के विरुद्ध कार्रवाई को अपनाया।
  • डिजिटल स्वास्थ्य और AI: स्वास्थ्य सेवा में डिजिटल स्वास्थ्य और जिम्मेदार AI पर सहयोग को बढ़ावा दिया।
  • BRICS TB अनुसंधान नेटवर्क: तपेदिक अनुसंधान पर गहन सहयोग।
  • UHC और चिकित्सा विनियमन: सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज और विनियामक अभिसरण पर ध्यान केंद्रित किया।
जलवायु एवं पर्यावरण
  • COP30 एवं जलवायु वित्त: ब्राजील में COP30 के लिए मजबूत समर्थन; जलवायु वित्त पर नेताओं की रूपरेखा को अपनाया गया।
  • ऊर्जा संक्रमण: SDG 7, स्वच्छ ऊर्जा और तकनीक तक गैर-भेदभावपूर्ण पहुँच के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
  • कार्बन बाजार: BRICS कार्बन बाजार भागीदारी और लेखांकन सिद्धांतों को अपनाया।
  • उष्णकटिबंधीय वन सुविधा: COP30 में वन स्थिरता तंत्र के शुभारंभ का समर्थन किया।
  • प्लास्टिक प्रदूषण: UNEA संकल्प 5/14 के आधार पर कानूनी रूप से बाध्यकारी वैश्विक संधि का आह्वान किया।
  • महत्त्वपूर्ण खनिज: निष्पक्ष आपूर्ति शृंखलाओं और संसाधन संप्रभुता के लिए जोर दिया।
डिजिटल एवं साइबर सहयोग
  • ब्रिक्स डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI): राष्ट्रीय संप्रभुता का सम्मान करते हुए समावेशी, अंतर-संचालनीय DPI को बढ़ावा दिया गया।
  • साइबर सुरक्षा: ब्रिक्स CERT सहयोग, साइबर अपराध संधि (UN 2025), और रैपिड सूचना सुरक्षा चैनल।
  • AI गवर्नेंस: वैश्विक AI गवर्नेंस वक्तव्य को अपनाया गया; क्षमता निर्माण का समर्थन किया गया।
  • डेटा संप्रभुता: ब्रिक्स डेटा अर्थव्यवस्था शासन समझ का स्वागत किया गया।
  • UN साइबर अपराध सम्मेलन: शीघ्र अनुसमर्थन और एक पूरक प्रोटोकॉल के लिए आह्वान किया गया।
कृषि एवं खाद्य सुरक्षा
  • ब्रिक्स ग्रेन एक्सचेंज: उचित मूल्य निर्धारण और आपातकालीन आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अनाज व्यापार मंच का समर्थन किया।
  • डेक्कन सिद्धांत: समावेशी कृषि-मूल्य शृंखलाओं और स्थानीय कृषि-तकनीक का समर्थन किया।
  • खाद्य हानि में कमी: डिजिटल उपकरण, पौधे तथा पशु स्वास्थ्य, और ई-प्रमाणन प्रणाली पर जोर दिया।
  • व्यापक कृषि-सहयोग: मत्स्यपालन, जलीय कृषि और स्थानीय मशीनरी उत्पादन को बढ़ावा दिया।
व्यापार एवं MSME सहायता
  • समावेशी व्यापार ढाँचा: BRICS व्यापार और सतत् विकास ढाँचे को अपनाया गया।
  • MSME के लिए समर्थन: डिजिटल उपकरण, सतत् आपूर्ति शृंखला और राष्ट्रीय SDG-संरेखित विकास को बढ़ावा दिया गया।
  • हीरा व्यापार: किम्बरले प्रक्रिया और सतत् कीमती धातु बाजारों को समर्थन की पुष्टि की गई।
  • स्थायी सरकारी खरीद: समावेशी विकास और औद्योगिक नीति पर जोर दिया गया।
मानवाधिकार एवं समावेशन
  • महिला सशक्तीकरण: शिक्षा, नेतृत्व और STEM तक समान पहुँच का समर्थन किया; महिलाओं के प्रति ऑनलाइन कुकृत्यों से निपटना।
  • नस्लीय न्याय और क्षतिपूर्ति: अफ्रीकी संघ के क्षतिपूर्ति विषय का समर्थन किया; नस्लवाद विरोधी प्रतिबद्धताओं की पुष्टि की।
  • बीजिंग घोषणा (30 वर्ष): डिजिटल अधिकारों, भेदभाव विरोधी और कार्यस्थल सुरक्षा नीतियों के लिए प्रतिबद्ध।
  • समावेशी श्रम और AI संक्रमण: सामाजिक सुरक्षा, कौशल और नौकरियों पर AI के प्रभाव पर ध्यान केंद्रित किया।
शिक्षा, संस्कृति और खेल
  • तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा तथा प्रशिक्षण (Technical and Vocational Education and Training-TVET) गठबंधन चार्टर: सतत् समावेशन के लिए तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा दिया।
  • ब्रिक्स नेटवर्क विश्वविद्यालय: 10 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया; नए सदस्य और गुणवत्ता मानक।
  • क्रिएटिव इकोनॉमी प्लेटफॉर्म: सांस्कृतिक उद्योगों में नवाचार का समर्थन किया।
  • खेलों पर समझौता ज्ञापन: स्थानीय/पारंपरिक खेलों और नीति संवाद को बढ़ावा देने के लिए हस्ताक्षर किए गए।
शहरी विकास एवं युवा
  • युवा समझौता ज्ञापन (2025): स्कूल से कार्य तक के बदलाव और संरचित वित्तपोषण को मजबूत किया गया।
  • शहरीकरण मंच: किफायती आवास और SDG-स्थानीयकरण के लिए जोर दिया गया।
  • युवा वैज्ञानिक और गहरे समुद्र में शोध: युवा अनुसंधान एवं विकास तथा पर्यावरण शोध मंचों को बढ़ाया गया।
लोगों के मध्य सहयोग
  • संसदीय एवं नागरिक मंच: युवा, कानूनी, महिला एवं SME मंचों के माध्यम से सहयोग को बढ़ावा दिया गया।
  • अंतर-सभ्यता संवाद: सभ्यताओं के बीच संवाद के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया गया।
  • सांस्कृतिक पुनर्स्थापन: सांस्कृतिक संपत्ति की वापसी और विरासत संरक्षण का समर्थन किया गया।
आपदा लचीलापन और शासन
  • कार्य योजना (2025-28): असमानता, प्रारंभिक चेतावनी और लचीले बुनियादी ढाँचे पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • नागरिक समाज संवाद: ब्रिक्स सिविल काउंसिल ने पहली रिपोर्ट प्रस्तुत की; शेरपा-नागरिक इंटरफेस को बढ़ाया गया।
  • सदस्यता विस्तार: समावेशिता, संप्रभु समानता और दस्तावेजीकरण पारदर्शिता की पुष्टि की गई।

समकालीन विश्व में ब्रिक्स की प्रासंगिकता

  • जनसंख्या शक्ति: ब्रिक्स+ में 4.45 बिलियन लोग हैं, जो वैश्विक जनसंख्या का 55.61% हैं (2025, IMF)।
  • आर्थिक प्रभाव: वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 43.93% PPP पर प्रतिनिधित्व करता है, जो ‘ग्लोबल साउथ’ के बढ़ते आर्थिक भारांक को दर्शाता है।
  • ‘ग्लोबल साउथ’ की अभिव्यक्ति: ब्रिक्स विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और विकास समानता पर चिंता व्यक्त करने का अधिकार देता है।
    • भारत समावेशी विकास और निष्पक्ष वैश्विक नियमों पर ‘ग्लोबल साउथ’ के समर्थन का नेतृत्व करने के लिए इसका लाभ उठाता है।
  • ऊर्जा और आर्थिक लाभ: ईरान, सऊदी अरब और UAE के साथ, ब्रिक्स वैश्विक कच्चे तेल का 44% नियंत्रित करता है। स्थानीय मुद्रा व्यापार को बढ़ावा देता है, NBD को मजबूत करता है और डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती देता है।
  • वैश्विक शासन में सुधार: निष्पक्ष प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए UNSC और WTO सुधारों पर जोर देता है। ईरान और इथियोपिया को छोड़कर, सभी ब्रिक्स+ सदस्य WTO के सदस्य हैं, जो सामूहिक सुधार की माँग को बढ़ाते हैं।
  • तटस्थ रणनीतिक मंच: तनाव के बीच भी संवाद के लिए एक सुरक्षित स्थान प्रदान करता है (जैसे- भारत-चीन डोकलाम)। पश्चिमी ब्लॉकों के बाहर रणनीतिक स्वायत्तता को प्रोत्साहित करता है।
  • वैश्विक विस्तार: ब्रिक्स+ में इंडोनेशिया, मिस्र, अर्जेंटीना आदि शामिल हैं, जो इसकी भू-राजनीतिक पहुँच को व्यापक बनाते हैं और दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देते हैं।
  • वैश्विक चुनौतियों का समाधान: जलवायु वित्त, AI नैतिकता, महामारी प्रतिक्रिया और सतत् विकास पर ध्यान केंद्रित करना, जैसा कि रियो घोषणा 2025 में रेखांकित किया गया है।

ब्रिक्स से जुड़ी चुनौतियाँ

  • भिन्न भू-राजनीतिक हित: भारत-चीन सीमा विवाद (जैसे- गलवान), और सऊदी-ईरान प्रतिद्वंद्विता एकता में बाधा डालती है।
    • पश्चिम के साथ भिन्न विदेश नीति संरेखण ब्रिक्स की एक सुसंगत ब्लॉक के रूप में कार्य करने की क्षमता को कमजोर करते हैं।
  • आर्थिक असमानताएँ और प्रतिबंध: आर्थिक आकार में बहुत बड़ा अंतर है – चीन प्रभावी है; रूस और ईरान प्रतिबंधों का सामना कर रहे हैं, जिससे समन्वित कार्रवाई सीमित हो रही है।
    • सदस्य अर्थव्यवस्थाएँ आंतरिक चुनौतियों का सामना कर रही हैं – जैसे- चीन की मंदी, रूस की युद्ध लागत, दक्षिण अफ्रीका की राजकोषीय अस्थिरता।
  • अधूरी आर्थिक क्षमता: ब्रिक्स के वैश्विक व्यापार में 18% की हिस्सेदारी होने के बावजूद इंट्रा-ब्रिक्स व्यापार कम (2022 में ~2.2%) बना हुआ है।
    • भौगोलिक दूरी और चीन-केंद्रित व्यापार प्रवाह गहन एकीकरण में बाधा डालते हैं।
  • संस्थागत कमजोरियाँ: कोई केंद्रीय सचिवालय नहीं होने से निरंतरता में कमी, कार्यान्वयन में कमी और चक्रीय रूप से निर्धारित अध्यक्षों पर निर्भरता रहती है।
    • क्रेडिट रेटिंग एजेंसी (Credit Rating Agency-CrRA) और ब्रिक्स केबल परियोजनाओं में अनुवर्ती कार्रवाई की कमी है; आकस्मिक रिजर्व व्यवस्था (CRA) का कम उपयोग किया जाता है।
  • सुधारों की धीमी गति: UNSC और WTO सुधारों के लिए बार-बार आह्वान के बावजूद, कोई वास्तविक संस्थागत पुनर्गठन नहीं हुआ है।
    • ब्रिक्स+ देशों के पास पुनर्निर्माण और विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय बैंक (IBRD) में केवल 19% मतदान शक्ति है, जो G7 या यूरोपीय संघ ब्लॉकों की तुलना में बहुत कम है।
  • कमजोर वित्तीय विकल्प: NDB के पास IMF, विश्व बैंक या यहाँ तक ​​कि AIIB से प्रतिस्पर्द्धा करने के लिए पूँजी और विश्वसनीयता की कमी है। 
    • सीमित सह-वित्तपोषण, सीमित प्रभाव और व्यापक अंतरराष्ट्रीय भागीदारी की कमी इसके वैश्विक प्रभाव को कम करती है।
  • सर्वसम्मति-आधारित पक्षाघात: निर्णय लेने में सर्वसम्मति की आवश्यकता संकट प्रतिक्रिया और नीति निर्माण को धीमा कर देती है।
  • पश्चिमी विरोधी ब्लॉक के रूप में धारणा: बहुध्रुवीयता के लिए समर्थन व्यक्त करने के बावजूद, ब्रिक्स को पश्चिम विरोधी माना जाता है।
    • यह धारणा वैश्विक मंचों में अविश्वास पैदा करती है और आम एजेंडे पर सहयोग को सीमित करती है।
  • बाहरी दबाव और धमकियाँ: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डॉलर के उपयोग को कम करने पर ब्रिक्स देशों पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी।
    • “अमेरिकी विरोधी ब्रिक्स नीतियों” को अपनाने वाले किसी भी देश पर 10% टैरिफ लगाने की चेतावनी दी, जो डॉलरीकरण पर पश्चिमी प्रतिरोध को दर्शाता है।
  • प्रतिस्पर्द्धी समूह: IBSA (भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका) और बेसिक (ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत, चीन) को अधिक वैचारिक रूप से संरेखित माना जाता है।
    • ब्रिक्स की राजनीतिक विविधता, साझा एजेंडा निर्धारित करना जटिल बनाती है।

BRICS सहयोग को मजबूत करने के सुझाव

  • एक स्पष्ट और साझा दृष्टिकोण विकसित करना: विविध सदस्य हितों को संरेखित करने और एकता को बढ़ावा देने के लिए दीर्घकालिक लक्ष्यों को परिभाषित करना। 
    • संस्थागत निरंतरता, समन्वय और कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए एक स्थायी ब्रिक्स सचिवालय की स्थापना करना। 
    • इस दृष्टिकोण का उद्देश्य IMF और विश्व बैंक जैसी पश्चिमी-प्रभुत्व वाली वैश्विक संस्थाओं को चुनौती देना होना चाहिए।
  • वैश्विक वित्तीय प्रशासन में सुधार: न्यू डवलपमेंट बैंक (NDB) को सशक्त बनाना, यह सुनिश्चित करना कि यह माँग-संचालित, वित्तीय रूप से सतत् हो और एक स्वस्थ क्रेडिट रेटिंग बनाए रखे।
    • BRICS की अध्यक्षता के दौरान अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली में सुधार पर ब्राजील के प्रयास का समर्थन करना।
    • BRICS-पे, CRA आदि जैसी पहलों के लिए संस्थागत क्षमता को बढ़ाना।
  • वैश्विक दक्षिण की भागीदारी को गहरा करना: जलवायु-अनुकूल कृषि, जैव प्रौद्योगिकी और परिशुद्ध कृषि पर सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए ब्रिक्स कृषि अनुसंधान मंच जैसे प्लेटफॉर्मों का विस्तार करना।
    • भारत के एक राष्ट्र, एक सदस्यता मॉडल को लागू करना और ब्रिक्स विज्ञान तथा अनुसंधान भंडार स्थापित करना।
    • वैश्विक दक्षिण की बढ़ती अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए “उदाहरण आधारित नेतृत्व” के सिद्धांत को बनाए रखना।
  • महत्त्वपूर्ण संसाधनों के लिए सुरक्षित आपूर्ति शृंखलाएँ: एकाधिकार या शस्त्रीकरण को रोकने के लिए महत्त्वपूर्ण खनिजों और रणनीतिक प्रौद्योगिकियों पर सहयोग करना।
    • साझा सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिए लचीली और विविध आपूर्ति शृंखलाओं को बढ़ावा देना।
  • जिम्मेदार AI शासन को बढ़ावा देना: नैतिक AI के लिए वैश्विक मानक तैयार करना, पूर्वाग्रह, गलत सूचना और पारदर्शिता की कमी जैसे जोखिमों को संबोधित करना।
    • कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और शासन में भारत के “सभी के लिए AI” मॉडल को बढ़ावा करना।
    • AI इम्पैक्ट समिट जैसी पहलों का समर्थन करना और AI शासन पर नेताओं के वक्तव्य को लागू करना।
  • संस्थागत और सदस्यता सुधार: उद्देश्यों को कमजोर होने से बचाने के लिए स्पष्ट सदस्यता मानदंड निर्धारित करना और भारत जैसे मुख्य सदस्यों की चिंताओं का समाधान करना।
    • सक्रिय कूटनीति के माध्यम से आम सहमति बनाने के लिए तंत्र का निर्माण करना।
    • भारत की आर्थिक कूटनीति और रूस तथा ईरान के साथ मजबूत संबंधों के साथ संतुलन बनाकर चीनी प्रभुत्व पर अंकुश लगाना।
  • इंट्रा-ब्रिक्स व्यापार और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना: स्थानीय मुद्रा व्यापार को बढ़ावा देकर और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करके ‘इंट्रा-ब्रिक्स’ व्यापार को बढ़ावा देना।
    • ब्रिक्स केबल और डिजिटल एकीकरण प्लेटफॉर्म जैसी कनेक्टिविटी परियोजनाओं को पुनर्जीवित और कार्यान्वित करना।

निष्कर्ष

ब्रिक्स एक बहुध्रुवीय, समावेशी वैश्विक व्यवस्था को आगे बढ़ाने और वर्ष 2030 तक के सतत् विकास एजेंडे को आगे बढ़ाने वाले एक महत्त्वपूर्ण मंच के रूप में उभरा है। वित्त, स्वास्थ्य, प्रौद्योगिकी, शिक्षा, पर्यावरण और शासन में सहयोग को गहरा करके, यह ‘ग्लोबल साउथ’ की अभिव्यक्ति और आकांक्षाओं को बढ़ाता है साथ ही समानता, स्थिरता एवं वैश्विक शांति को बढ़ावा देता है।

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