सदन के संचालन के लिए प्रोटेम स्पीकर तब चुना जाता है, जब लोकसभा एवं विधानसभाओं का चुनाव हो चुका हो तथा अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का चुनाव न हुआ हो।
संविधान में स्पष्ट रूप से ‘प्रोटेम स्पीकर’ शब्द का उपयोग नहीं किया गया है।
कर्तव्य
लोकसभा/राज्य विधानसभाओं की पहली बैठक की अध्यक्षता करना।
नवनिर्वाचित सांसदों/विधायकों को पद की शपथ दिलाना।
सरकार का बहुमत साबित करने के लिए फ्लोर टेस्ट कराना।
स्पीकर एवं डिप्टी स्पीकर के चुनाव के लिए मतदान कराना।
संबंधित तथ्य
भर्तृहरि महताब राष्ट्रपति के समक्ष लोकसभा सांसद की शपथ लेने वाले पहले व्यक्ति हैं।
राष्ट्रपति ने उन्हें नए अध्यक्ष के चुनाव तक संविधान के अनुच्छेद-95(1) के तहत अस्थायी अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) की जिम्मेदारी सौंपी है।
परंपरा के अनुसार, विधानसभा सदस्यों की सहमति से एक वरिष्ठतम सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाएगा, जो स्थायी अध्यक्ष चुने जाने तक संसदीय प्रक्रिया को जारी रखेगा।
संसदीय शपथ का महत्त्व
अनुच्छेद-99: लोकसभा में बहस एवं मतदान करने के लिए, एक सांसद को संविधान में निर्धारित शपथ या प्रतिज्ञान करके सदन में अपनी अपना दायित्व निभाना होता है।
सांसद का कार्यकाल कब शुरू होता है?
लोकसभा सांसद का पाँच वर्ष का कार्यकाल तब शुरू होता है, जब भारत का चुनाव आयोग (ECI) जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 73 के अनुसार परिणाम घोषित करता है।
सांसद निर्वाचित प्रतिनिधियों के रूप में कुछ अधिकारों के लिए पात्र हैं।
उदाहरण के लिए, उन्हें ECI अधिसूचना की तारीख से अपना वेतन एवं भत्ते मिलना शुरू हो जाते हैं।
अनुच्छेद-104: यदि कोई व्यक्ति शपथ लिए बिना सदन की कार्यवाही में भाग लेता है या मतदान करता है तो संविधान 500 रुपये के वित्तीय दंड (दस्तावेज में एकमात्र जुर्माना) को भी निर्दिष्ट करता है।
अपवाद: कोई व्यक्ति संसद के लिए निर्वाचित हुए बिना भी मंत्री बन सकता है।
उनके पास लोकसभा या राज्यसभा में सीट सुरक्षित करने के लिए छह महीने का समय होता है।
इस दौरान वे सदन की कार्यवाही में हिस्सा तो ले सकते हैं, लेकिन वोट नहीं कर सकते।
क्या जेल में बंद सांसद शपथ ले सकते हैं?
संविधान निर्दिष्ट करता है कि यदि कोई सांसद 60 दिनों तक संसद में उपस्थित नहीं होता है, तो उसकी सीट रिक्त घोषित की जा सकती है।
न्यायालयों ने जेल में बंद सांसदों को संसद में शपथ लेने की अनुमति देने के लिए इस आधार का उपयोग किया है।
उदाहरण के लिए, जून 2019 में पिछली लोकसभा के शपथ ग्रहण के दौरान उत्तर प्रदेश के घोसी से सांसद अतुल कुमार सिंह गंभीर आपराधिक आरोप में जेल में थे।
न्यायालय ने उन्हें जनवरी 2020 में संसद में शपथ लेने की इजाजत दे दी।
‘शपथ’ एवं अन्य प्रक्रिया
भगवान या संविधान: डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने शपथ लेने वाले व्यक्ति के लिए तर्क दिया कि वह पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से संविधान के प्रति सच्ची आस्था तथा निष्ठा रखने का वादा करेगा।
के. टी. शाह एवं महावीर त्यागी ने ‘भगवान’ के नाम पर भी शपथ लेने के लिए ‘भगवान’ शब्द को जोड़ने के लिए संशोधन पेश किया।
सोलहवाँ संशोधन अधिनियम, 1963: इस संशोधन के तहत शपथ में अंतिम बार परिवर्तन किया गया, इसमें कहा गया कि शपथ लेने वाले भारत की संप्रभुता एवं अखंडता को बरकरार रखेंगे।
यह संशोधन राष्ट्रीय एकता परिषद (National Integration Council) की सिफारिशों पर किया गया था।
शपथ एवं प्रतिज्ञान सांसदों के लिए व्यक्तिगत पसंद का मामला है: पिछली लोकसभा में, 87% सांसदों ने भगवान के नाम पर शपथ ली, एवं अन्य 13% ने संविधान के प्रति अपनी निष्ठा की पुष्टि की।
भाषाएँ: सांसद अंग्रेजी या संविधान में निर्दिष्ट 22 भाषाओं में से किसी में भी शपथ या प्रतिज्ञान ले सकते हैं।
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