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21वाँ आसियान-भारत शिखर सम्मेलन

Lokesh Pal October 14, 2024 02:52 231 0

संदर्भ

हाल ही में 21वाँ आसियान-भारत शिखर सम्मेलन (21st ASEAN-India Summit) लाओस के विएनतियाने में आयोजित किया गया था।

संबंधित तथ्य 

  • भारतीय प्रधानमंत्री ने 11 अक्टूबर, 2024 को विएनतियाने, लाओस में 19वें ईस्ट एशिया समिट  (EAS) में भी भाग लिया।
  • इसी समय भारत ने अपनी एक्ट ईस्ट नीति की 10वीं वर्षगाँठ मनाई।

19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन की मुख्य बिंदु

  • आसियान की केंद्रीय भूमिका: भारत ने अपने हिंद-प्रशांत विजन और क्वाड सहयोग के साथ संरेखित करते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्रीय ढाँचे में आसियान की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।
  • एक्ट ईस्ट पॉलिसी: भारत ने अपनी एक्ट ईस्ट पॉलिसी के मूलभूत घटक के रूप में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) में अपनी भागीदारी पर प्रकाश डाला।
  • ‘विस्तारवाद’ की बजाय ‘विकास’ पर ध्यान देना: क्षेत्र में विस्तारवादी रणनीतियों के विपरीत, विकासोन्मुख दृष्टिकोण की सिफारिश की गई।
  • नालंदा विश्वविद्यालय के लिए समर्थन: भारत ने नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्स्थापित करने में समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया तथा EAS देशों को वहाँ उच्च शिक्षा प्रमुखों के सम्मेलन में आमंत्रित किया।
  • वैश्विक सुरक्षा चुनौतियाँ: भारत ने आतंकवाद, साइबर खतरों तथा समुद्री चुनौतियों को महत्त्वपूर्ण वैश्विक सुरक्षा मुद्दों के रूप में रेखांकित किया तथा इन खतरों से निपटने के लिए सामूहिक कार्रवाई का आह्वान किया।
  • अभिस्वीकृति: भारत ने शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए लाओस के प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया तथा नए आसियान (ASEAN) अध्यक्ष के रूप में मलेशिया के लिए पूर्ण समर्थन व्यक्त किया।

21वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन के  मुख्य बिंदु

  • 10 सूत्रीय योजना: भारतीय प्रधानमंत्री ने 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में आसियान-भारत व्यापक साझेदारी को मजबूत करने के लिए 10 सूत्रीय योजना का अनावरण किया।
  • समुद्री सहयोग: आसियान (ASEAN) और भारत ने ‘आसियान आउटलुक ऑन इंडो-पैसिफिक’ (AOIP) और इंडो-पैसिफिक महासागर पहल (IPOI) के बीच सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
  • आसियान-भारत कार्य योजना: समिट में सभी राष्ट्रप्रमुख, आसियान-भारत साझेदारी की पूरी क्षमता विकसित करने के लिए एक नई आसियान-भारत कार्य योजना (वर्ष 2026-2030) बनाने पर सहमत हुए।
  • आतंकवाद विरोधी सहयोग: शिखर सम्मेलन में वर्ष 2024-2027 के लिए ‘आसियान डिफेंस मिनिस्टर मीटिंग (ADMM) एवं विशेषज्ञों के कार्य समूह’ की भारत की सह-अध्यक्षता पर प्रकाश डाला गया।
  • AITIGA की समीक्षा: दोनों पक्षों ने आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते (AITIGA) की समीक्षा में तेजी लाने की आवश्यकता पर जोर दिया। 
  • शिखर सम्मेलन में 10 सूत्रीय योजना की घोषणा: वर्ष 2025 को आसियान-भारत पर्यटन वर्ष के रूप में मनाया जाएगा, भारत संयुक्त गतिविधियों के लिए 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान देगा।
  • एक्ट ईस्ट नीति का एक दशक: गतिविधियों में युवा शिखर सम्मेलन, स्टार्ट-अप महोत्सव, हैकाथॉन, संगीत महोत्सव तथा दिल्ली वार्ता शामिल हैं।
    • दिल्ली वार्ता, दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ और भारत के बीच राजनीतिक-सुरक्षा तथा आर्थिक मुद्दों पर चर्चा के लिए एक वार्षिक ट्रैक 1.5 कार्यक्रम (Annual Track 1.5 Event) है।

आसियान-भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास कोष (AISTDF) 

  • इसकी स्थापना वर्ष 2008 में 1 मिलियन डॉलर से की गई थी और बाद में भारत तथा आसियान सदस्य देशों के बीच सहयोगात्मक अनुसंधान परियोजनाओं को समर्थन देने के लिए इसे वर्ष 2015 में बढ़ाकर 5 मिलियन डॉलर कर दिया गया।

  • आसियान-भारत महिला वैज्ञानिक सम्मेलन का आयोजन: आसियान-भारत विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विकास कोष (ASEAN-India Science and Technology Development Fund- AISTDF) के तहत हुआ।
  • छात्रवृत्ति में वृद्धि: नालंदा विश्वविद्यालय में छात्रवृत्ति को दोगुना करना तथा कृषि विश्वविद्यालयों में आसियान छात्रों के लिए नई छात्रवृत्ति प्रदान करना।
  • आसियान-भारत व्यापार समझौते की समीक्षा: वर्ष 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य।
  • आपदा संबंधी लचीलेपन को बढ़ाना: भारत आपदा लचीलेपन पहल के लिए 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान देगा।
  • आसियान-भारत स्वास्थ्य मंत्रियों का ट्रैक: स्वास्थ्य तन्यकता का निर्माण करना।
  • आसियान-भारत साइबर नीति वार्ता: डिजिटल और साइबर लचीलेपन को मजबूत करना।
  • हरित हाइड्रोजन कार्यशाला: स्वच्छ ऊर्जा सहयोग को बढ़ावा देना।
  • ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान: जलवायु लचीलेपन को बढ़ाने के लिए एक पेड़ माँ के नाम अभियान में भाग लेने के लिए आसियान नेताओं को आमंत्रित किया गया।

आसियान-भारत वार्ता संबंधों का विकास

  • 1990 के दशक में: भारत ने दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए लुक ईस्ट नीति (Look East policy) का प्रारंभ किया।
  • प्रारंभिक वृद्धि दशक 1992-2002 
    • आसियान-भारत संबंध वर्ष 1992 में एक क्षेत्रीय वार्ता साझेदारी के रूप में प्रारंभ हुए, जो वर्ष 1995 तक पूर्ण वार्ता साझेदारी तक पहुँच गए।
    • पहला आसियान-भारत शिखर सम्मेलन वर्ष 2002 में आयोजित हुआ, जो उनके सहयोग में तेजी से प्रगति का प्रतीक है।
  • सामरिक साझेदारी, 2012 
    • वर्ष 2012 में, जब आसियान तथा भारत ने वार्ता के 20 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया तो ये संबंध सामरिक साझेदारी के स्तर तक पहुँच गए।
    • आसियान-भारत प्रतिष्ठित व्यक्ति समूह का गठन संबंधों की समीक्षा और उन्हें मजबूत करने के लिए किया गया था।
  • एक्ट ईस्ट नीति: एक्ट ईस्ट नीति एक अधिक सक्रिय दृष्टिकोण पर जोर देती है, जिसके अंतर्गत न केवल आसियान देश शामिल हैं, बल्कि ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे अन्य हिंद-प्रशांत देशों को भी शामिल करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • व्यापक रणनीतिक साझेदारी 2022 
    • वर्ष 2022 में, दोनों पक्षों ने आसियान-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी की स्थापना की तथा पारस्परिक रूप से लाभकारी साझेदारी के 30 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया।

आसियान – दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन के बारे में 

  • स्थापना: 8 अगस्त, 1967 को बैंकॉक, थाईलैंड में आसियान घोषणा-पत्र (बैंकॉक घोषणापत्र) पर हस्ताक्षर के साथ।
  • संस्थापक सदस्य: इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड।
  • आदर्श वाक्य: ‘एक दृष्टि, एक पहचान, एक समुदाय (One Vision, One Identity, One Community)’।
  • सदस्य: 10 सदस्य
    • इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई दारुस्सलाम (वर्ष 1984), वियतनाम (1995), लाओ पीडीआर (Lao PDR ) और म्याँमार (1997), और कंबोडिया (1999)
  • अध्यक्षता: अध्यक्षता का चक्रीय क्रम में परिवर्तन, सदस्य देशों के अंग्रेजी नामों के वर्णानुक्रम के आधार पर प्रतिवर्ष होता है।

पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (East Asia Summit- EAS) के बारे मे

  • स्थापना: वर्ष 2005 में आसियान के नेतृत्व वाली पहल के रूप मे।
  • उद्देश्य: यह खुलेपन, समावेशिता, अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति सम्मान और आसियान की केंद्रीयता पर जोर देता है, जिसमें आसियान प्रेरक शक्ति के रूप में कार्य करता है।
  • सदस्यता: इसके 18 सदस्य हैं: 10 आसियान देश (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम) तथा  आठ गैर-आसियान सदस्य देश (ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका)।

भारत-आसियान साझेदारी का महत्त्व 

  • आर्थिक महत्त्व
    • व्यापार
      • भारत और आसियान प्रमुख व्यापारिक साझेदार हैं, आसियान के साथ भारत का व्यापार उसके वैश्विक व्यापार का 11% है। 
      • पिछले दशक में भारत-आसियान व्यापार दोगुना होकर 130 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है।
      • आसियान-भारत मुक्त व्यापार क्षेत्र (FTA) ने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाया है और भारत आसियान का छठा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार देश  है।
    • निवेश
      • भारत, आसियान का आठवाँ सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) स्रोत है।
      • सिंगापुर आसियान में भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है तथा विश्वभर में छठा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है।
  • सामरिक महत्त्व
    • चीन के प्रभाव का मुकाबला करना: आसियान भारत के लिए एक महत्त्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है, विशेषकर चीन के साथ बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के मध्य।
    • भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ का आसियान के हिंद-प्रशांत परिदृश्य के साथ संरेखण: भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ और आसियान का ‘हिंद-प्रशांत परिदृश्य’ क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए समान दृष्टिकोण साझा करते हैं।
    • क्षेत्रीय सुरक्षा में भारत की भूमिका: भारत पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन और आसियान क्षेत्रीय मंच जैसे मंचों के माध्यम से आसियान के साथ जुड़ता है ताकि स्वयं को एक व्यापक सुरक्षा प्रदाता के रूप में स्थापित कर सके।
  • क्षेत्रीय संपर्क: भारत-म्याँमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग और कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट परियोजना जैसी प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
    • वे क्षेत्र में चीन की बेल्ट एंड रोड पहल के विकल्प के रूप में भी काम करते हैं।
  • रक्षा सहयोग: भारत और आसियान ने आसियान-भारत समुद्री अभ्यास जैसे संयुक्त सैन्य अभ्यासों तथा ‘आसियान डिफेंस मिनिस्टर्स मीटिंग प्लस’ (ADMM+) में भागीदारी के माध्यम से रक्षा संबंधों को मजबूत किया है।
    • भारत आसियान को क्षेत्रीय सुरक्षा और विकास के लिए अपनी हिंद-प्रशांत रणनीति का केंद्रीय भाग मानता है, जिसका प्रतिनिधित्व सागर (SAGAR) पहल द्वारा किया जाता है।
  • अन्य
    • वित्तपोषण एवं वित्तीय सहायता: भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से आसियान देशों को विभिन्न निधियों जैसे आसियान-भारत सहयोग निधि, आसियान-भारत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास निधि तथा आसियान-भारत हरित निधि के माध्यम से सहायता प्रदान की है।
    • शिक्षा और अनुसंधान: भारत ने आसियान-भारत संबंधों पर अध्ययन को सुविधाजनक बनाने के लिए विकासशील देशों के लिए अनुसंधान और सूचना प्रणाली (RIS) में आसियान-भारत केंद्र की स्थापना की है।
    • HADR मे प्रथम प्रतिक्रियादाता: भारत इस क्षेत्र में मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) प्रदान करने वाले प्रथम प्रतिक्रियादाताओं में से एक रहा है।
      • उदाहरण: भारत ने अपनी दीर्घकालिक ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के अनुरूप, टाइफून यागी के कारण आई भीषण बाढ़ के उत्तर में लाओस, म्याँमार और वियतनाम में आपदा राहत पहुँचाने के लिए ऑपरेशन सद्भाव (Operation Sadbhav) प्रारंभ  किया।

 भारत-आसियान संबंधों में चुनौतियाँ

  • बाजार पहुँच का अभाव: उच्च टैरिफ तथा गैर-टैरिफ बाधाओं जैसे कारकों के कारण कुछ भारतीय उत्पादों को आसियान देशों में बाजार पहुँच नहीं मिल पाती है।
    • व्यावसायिक सेवाओं में पारस्परिक मान्यता समझौतों का अभाव कुशल पेशेवरों की गतिशीलता को प्रतिबंधित करता है।
  • आसियान में उत्पत्ति के सख्त नियम: भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के सख्त नियम हैं, जिससे भारतीय निर्यातकों के लिए टैरिफ कटौती के लिए अर्हता प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
  • आसियान FTA का दुरुपयोग: ऐसी रिपोर्टें हैं कि चीन से माल को न्यूनतम मूल्य संवर्द्धन के साथ आसियान देशों के माध्यम से भेजा जा रहा है, जिससे FTA  लाभों का दुरुपयोग हो रहा है।

क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) आसियान सदस्यों और मुक्त व्यापार समझौता (FTA) भागीदारों के मध्य एक आर्थिक समझौता है।

  • सदस्य: 15 सदस्य देश, जैसे- चीन, जापान, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया तथा आसियान राष्ट्र (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम)।

  • व्यापार असंतुलन: वर्ष 2010 में मुक्त व्यापार समझौते के क्रियान्वयन के बाद से आसियान के साथ भारत का व्यापार घाटा दोगुने से भी अधिक हो गया है, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स और मशीनरी जैसे क्षेत्रों में, क्रियान्वयन, सीमा शुल्क प्रक्रियाओं और गैर-टैरिफ बाधाओं आदि से संबंधित मुद्दों के कारण।
  • भारत का RCEP से बाहर निकलना: भारत के क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) से बाहर निकलने के निर्णय से आसियान सदस्यों में महत्त्वपूर्ण आर्थिक निराशा उत्पन्न हुई है।
  • बुनियादी ढाँचे से जुड़ी चुनौतियाँ: इस क्षेत्र में भौतिक बुनियादी ढाँचे से संबंधित चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं।
    • उदाहरण: भारत-म्याँमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग को काफी विलंब का सामना करना पड़ा है और यह अभी भी अधूरा है।
  • चीन कारक: क्वाड गठबंधन के माध्यम से चीन को संतुलित करने के भारत के प्रयासों को आसियान देशों से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिलती है।
    • दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावों (जिनमें से कई फिलीपींस और ब्रुनेई जैसे आसियान सदस्यों के दावों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करते हैं) और इसके सदस्य देश म्याँमार में सैन्य संघर्ष के मुद्दे से भी सहयोग प्रभावित हुआ है।

भारत-आसियान संबंधों में सुधार के उपाय 

  • आसियान-भारत मुक्त व्यापार समझौते (AIFTA) का पुनर्मूल्यांकन: व्यापार असंतुलन को दूर करने तथा फार्मास्यूटिकल्स, वस्त्र और सेवाओं के लिए अधिक बाजार पहुँच जैसे प्रमुख क्षेत्रों में संतुलित टैरिफ कटौती पर बातचीत करने के लिए AIFTA की समीक्षा करने की आवश्यकता है।
  • बुनियादी ढाँचे की कनेक्टिविटी बढ़ाना: भारत-म्याँमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग जैसी प्रमुख परियोजनाओं में तेजी लाना तथा इसे कंबोडिया, लाओस और वियतनाम तक विस्तारित करना।
    • आसियान का ‘मास्टर प्लान ऑन कनेक्टिविटी 2025’ के अनुरूप एक ‘कनेक्टिविटी मास्टर प्लान’ विकसित करना, जिसमें भारत-आसियान पनडुब्बी केबल परियोजना जैसी डिजिटल पहल शामिल है।
  • विनिर्माण प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ावा देना: आसियान व्यापार के लिए महत्त्वपूर्ण उद्योगों में प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना का विस्तार करना।
  • QUAD को QUAD+ तक विस्तारित करना: QUAD+ व्यवस्था बनाते हुए आसियान देशों को शामिल करने के लिए ‘क्वाडिलैटरल सिक्योरिटी डॉयलॉग’ की अवधारणा का विस्तार किया जाना चाहिए।
  • आसियान में सेमीकंडक्टर कूटनीति का विस्तार: भारत को सेमीकंडक्टर विनिर्माण में सहयोग बढ़ाते हुए अन्य आसियान देशों को शामिल करने के लिए मलेशिया और सिंगापुर के साथ अपनी सेमीकंडक्टर कूटनीति का विस्तार करना चाहिए।
  • सांस्कृतिक संबंधों को सुदृढ़ बनाना: पर्यटन के माध्यम से, सिनेमा, संगीत और टेलीविजन में सहयोगात्मक निर्माण, भारत में आसियान भाषाओं के लिए भाषा पाठ्यक्रम प्रदान करना और प्राचीन  संबंधों को गहरा कर सकते है।

निष्कर्ष 

मजबूत व्यापार तथा सांस्कृतिक संबंधों के माध्यम से भारत-आसियान संबंध एशिया में पारस्परिक समृद्धि और स्थिरता सुनिश्चित कर सकते हैं।

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