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23वाँ भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन

Lokesh Pal December 08, 2025 03:39 9 0

संदर्भ

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत की दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर आए। 

  • इस शिखर सम्मेलन के पश्चात जारी संयुक्त वक्तव्य में विविध क्षेत्रों में स्थायी सहयोग को रेखांकित करते हुए इस संबंध की दृढ़ता और परिपक्वता को प्रदर्शित किया गया।

भारत-रूस सामरिक साझेदारी की उत्पत्ति और विकास

  • ऐतिहासिक उपलब्धि (2000): 3 अक्टूबर, 2000 को, भारत और रूस ने भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए, जो पारंपरिक मैत्री से शीत युद्धोत्तर व्यापक रणनीतिक संबंधों की ओर एक ऐतिहासिक परिवर्तन का प्रतीक था।
  • रणनीतिक उन्नयन (2010): वर्ष 2010 में, इस साझेदारी को विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी‘ के रूप में उन्नत किया गया, जो दोनों देशों के पारंपरिक क्षेत्रों से परे सहयोग का विस्तार करने के उद्देश्य को दर्शाता है।
  • निरंतरता और अनुकूलन (2025): वर्ष 2025 में इस साझेदारी के 25 वर्ष पूर्ण होने पर, यह रणनीतिक सहनशक्ति और अनुकूलनशीलता का एक आदर्श उदाहरण बन गया है।

संयुक्त वक्तव्य के मुख्य परिणाम

  • रणनीतिक साझेदारी की पुष्टि: दोनों देशों ने अपनी विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी पर जोर दिया और वर्ष 2000 की रणनीतिक साझेदारी घोषणा के 25 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया, वैश्विक स्थिरता के प्रति विश्वास, अभिसरण और प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
  • व्यापार और अर्थव्यवस्था में तेजी: भारत-यूरेशियन आर्थिक संघ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को प्रोत्साहित करना, राष्ट्रीय मुद्रा-आधारित लेनदेन का विस्तार, रसद तंत्र में सुधार, तथा वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँचाने का नया लक्ष्य, ये सभी पहलें साझेदारी को एक संरचित और भविष्य प्रधान दिशा प्रदान करती हैं।।
  • ऊर्जा सहयोग एक केंद्रीय स्तंभ के रूप में: तेल, गैस, पेट्रोकेमिकल्स, अपस्ट्रीम तकनीक, LNG/LPG अवसंरचना, भूमिगत कोयला गैसीकरण और निवेश संबंधी मुद्दों के समाधान में व्यापक सहयोग; दीर्घकालिक उर्वरक आपूर्ति सुनिश्चित की गई है।
  • संपर्क गलियारों का विस्तार: अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC), चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारा और उत्तरी समुद्री मार्ग (आर्कटिक) पर सहयोग को मजबूत किया गया, साथ ही रेलवे तकनीकी साझेदारी को भी बढ़ाया गया।

अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) के बारे में

  • भारत → ईरान → रूस → यूरोप को जोड़ने वाला 7,200 किलोमीटर का मल्टीमॉडल नेटवर्क (जहाज-रेल-सड़क), जिसे यात्रा समय और लागत में 40% तक की कटौती करने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • यह यूरेशियाई बाजारों तक भारत की पहुँच को मजबूत करता है और स्वेज नहर जैसे पारंपरिक मार्गों पर निर्भरता को कम करता है।

चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारे के बारे में

  • चेन्नई और व्लादिवोस्तोक के मध्य प्रस्तावित सीधे समुद्री मार्ग का उद्देश्य शिपिंग समय को 40 दिनों से घटाकर लगभग 12-15 दिन करना है।
  • यह रूस के सुदूर पूर्व के साथ व्यापार को बढ़ावा देगा और ऊर्जा, खनिज, शिपिंग एवं जनशक्ति में सहयोग को बढ़ावा देगा।

उत्तरी समुद्री मार्ग (आर्कटिक) के बारे में

  • रूस के आर्कटिक तट के समानांतर स्थित एक शिपिंग लेन, जो पिघलती बर्फ के कारण अधिक सुलभ रूप मे उपलब्ध  है।
  • यह स्वेज मार्ग का एक छोटा विकल्प प्रदान करता है, जिससे यूरोप-एशिया पारगमन समय में 30-40% तक की कमी आती है।
  • भारत आर्कटिक रसद, अनुसंधान और परिवहन अवसरों पर रूस के साथ सहयोग कर रहा है।

वोडो-वोडानोई एनर्जेटिकेस्की रिएक्टर, या जल-जल ऊर्जा रिएक्टर (VVER) 

  • यह रूस का दाबित जल रिएक्टरों (PWR) के लिए प्राथमिक डिजाइन है, जो अपनी द्वि-लूप प्रणाली, क्षैतिज वाष्प उत्सर्जक और षट्कोणीय ईंधन संयोजनों के लिए जाना जाता है।

  • रक्षा एवं सैन्य-तकनीकी सहयोग में वृद्धि: ‘मेक-इन-इंडिया’ कार्यक्रम के अंतर्गत सह-विकास, सह-उत्पादन तथा संयुक्त अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करने की प्रवृत्ति, संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘इंद्र’ की सराहना, तथा रूसी-निर्मित प्रणालियों के लिए पुर्जों एवं घटकों के संयुक्त निर्माण, ये सभी कदम रक्षा सहयोग को अधिक आत्मनिर्भर, प्रौद्योगिकी-साझेदारी आधारित और दीर्घकालिक बनाते हैं।
  • परमाणु एवं अंतरिक्ष सहयोग में वृद्धि: कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र (NPP) में हुई प्रगति तथा दूसरे संभावित परमाणु ऊर्जा परियोजना स्थल पर जारी विचार-विमर्श को रेखांकित किया गया।
    • भारत में ‘VVER-1200’ रिएक्टर इकाइयों वाले एक नए परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए तकनीकी विनिर्देश रूसी पक्ष द्वारा प्रस्तावित किए जा रहे हैं।
    • परमाणु उपकरणों के संयुक्त निर्माण और मानव अंतरिक्ष उड़ान तथा रॉकेट इंजन विकास सहित इसरो-रोस्कोस्मोस सहयोग में भी प्रगति हुई है।
    • प्रमुख परमाणु ऊर्जा विस्तार: रूस भारत के लिए एक व्यापक परमाणु ऊर्जा-विस्तार पैकेज को आगे बढ़ा रहा है, जिसके अंतर्गत वह स्माल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) और फ्लोटिंग न्यूक्लियर रिएक्टर्स जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों को प्रस्तुत कर रहा है, जिससे भारतीय ऊर्जा परिदृश्य में उसकी तकनीक भारत के तीव्र, निम्न-कार्बन बेसलोड ऊर्जा विकास प्रयासों का एक केंद्रीय घटक बन सकती है।
  • भारत-रूस गतिशीलता संबंधी समझौते (अर्द्ध-कुशल एवं कुशल श्रमिक): भारत और रूस ने दो समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं जो भारतीय कुशल और अर्द्ध-कुशल श्रमिकों की सुरक्षित, औपचारिक, सरकार-विनियमित गतिशीलता को सक्षम बनाते हैं, जिससे रूस की लगभग 500,000 श्रमिकों की आवश्यकता पूरी होती है।
    • ये समझौते शोषण तथा अनियमित भर्ती को रोकने के उद्देश्य से तैयार किए गए हैं, विशेषकर अतीत में भारतीय नागरिकों को गुमराह कर रूसी सेना में शामिल किए जाने की घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में, और भारत को विदेशों में रोजगार संबंधी प्रक्रियाओं की व्यवस्थित निगरानी एवं सुगमीकरण में सहायक सिद्ध होंगे।
  • पर्यटक आदान-प्रदान: भारत शीघ्र ही रूसी नागरिकों के लिए 30-दिवसीय निःशुल्क ई-पर्यटक वीजा और 30-दिवसीय समूह पर्यटक वीजा शुरू करेगा।
  • बहुपक्षीय संरेखण और वैश्विक शासन: रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की स्थायी सदस्यता हेतु अपने समर्थन की पुनर्पुष्टि की; संयुक्त राष्ट्र, G20, ब्रिक्स और SCO जैसे बहुपक्षीय मंचों में मजबूत सहयोग पर बल दिया; सुधारित बहुपक्षवाद को आगे बढ़ाने के लिए संयुक्त प्रतिबद्धताओं को रेखांकित किया; तथा वर्ष 2026 में भारत की ब्रिक्स अध्यक्षता के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया।।
    • इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA): दोनों पक्षों ने रूसी पक्ष द्वारा इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (IBCA) में शामिल होने के लिए रूपरेखा समझौते को अपनाने का स्वागत किया।

CCIT के बारे में

  • यह एक प्रस्तावित अंतर-सरकारी सम्मेलन है जो आतंकवादी कृत्यों पर मुकदमा चलाने के लिए कानूनी अधिकार प्रदान करेगा, क्योंकि इसका उद्देश्य सभी प्रकार के अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को अपराध घोषित करना और आतंकवादियों, उनके वित्तपोषकों और समर्थकों को धन, हथियार एवं सुरक्षित स्थानों तक पहुँच से वंचित करना है।
  • भारत ने पहली बार वर्ष 1996 में संयुक्त राष्ट्र में CCIT के गठन का प्रस्ताव रखा था।

    • भारतीय पक्ष ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) में रूस के शीघ्र शामिल होने की आशा व्यक्त की।
  • आतंकवाद-निरोध एवं क्षेत्रीय सुरक्षा: आतंकवाद के प्रति शून्य-सहिष्णुता का दृष्टिकोण, पहलगाम और क्रोकस सिटी हॉल में हुए हमलों की निंदा, अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र के व्यापक सम्मेलन (CCIT) को अपनाने का आह्वान, और अफगानिस्तान, मध्य पूर्व स्थिरता और जलवायु परिवर्तन पहलों पर समन्वित दृष्टिकोण।

भारत-रूस संबंधों का ऐतिहासिक विकास

  • प्रारंभिक राजनयिक आधार: भारत और सोवियत संघ ने वर्ष 1947 में राजनयिक संबंध स्थापित किए, जिससे विश्वास और पारस्परिक सम्मान पर आधारित दीर्घकालिक साझेदारी की नींव रखी गई।
  • औद्योगीकरण के लिए सोवियत समर्थन: 1950-60 के दशक में, सोवियत संघ ने भिलाई इस्पात संयंत्र, बोकारो और रांची के भारी मशीन निर्माण संयंत्र जैसी परियोजनाओं के माध्यम से भारत के औद्योगिक आधार के निर्माण में सहायता की।
  • वर्ष 1971 का रणनीतिक संबंध: भारत-सोवियत शांति, मैत्री और सहयोग संधि (1971) ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान भारत को महत्त्वपूर्ण राजनयिक और सैन्य समर्थन प्रदान किया।
  • सोवियत-पश्चात पुनर्परिभाषा: वर्ष 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद, नई वैश्विक वास्तविकताओं के अनुरूप लोकतांत्रिक और बाजार सिद्धांतों के आधार पर संबंधों का पुनर्गठन किया गया।
  • संस्थागत साझेदारी: वर्ष 2000 में इस संबंध को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक उन्नत किया गया, तथा वर्ष 2010 में इसे विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी का दर्जा प्रदान किया गया, जो वैश्विक स्तर पर भारत के अत्यंत सीमित और विशिष्ट द्विपक्षीय संबंधों में से एक है।

अंतर-सरकारी आयोग 

  • यह दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक सहयोग के क्षेत्रों में द्विपक्षीय प्रगति की नियमित निगरानी के लिए एक तंत्र है, जिसे मई 1992 में हस्ताक्षरित व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग पर अंतर-सरकारी आयोग के समझौते द्वारा स्थापित किया गया था।

संस्थागत ढाँचा और रणनीतिक संवाद तंत्र

  • अंतर-सरकारी आयोग: भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (IRIGC) दोनों देशों के बीच संबंधों के परिचालन आधार स्तंभ के रूप दो प्रमुख कार्यक्षेत्रों के माध्यम से कार्य करता है:-
    • व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग (IRIGC–TEC): भारत के विदेश मंत्री और रूस के प्रथम उप-प्रधानमंत्री की सह-अध्यक्षता में, यह व्यापार, प्रौद्योगिकी और नवाचार-संचालित सहयोग का प्रबंधन करता है।
    • सैन्य एवं सैन्य-तकनीकी सहयोग पर संयुक्त आयोग (IRIGC–M&MTC), जिसकी सह-अध्यक्षता दोनों देशों के रक्षा मंत्री करते हैं, रक्षा उत्पादन, आधुनिकीकरण तथा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के क्षेत्र में परस्पर सहयोग को आगे बढ़ाने में केंद्रीय भूमिका निभाता है।
  • वार्षिक शिखर सम्मेलन-शीर्ष वार्ता: वार्षिक शिखर सम्मेलन राजनीतिक दिशा और रणनीतिक मार्गदर्शन के लिए सर्वोच्च-स्तरीय तंत्र बना हुआ है।
    • अब तक 22 शिखर सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं, और वर्ष 2024 के मास्को शिखर सम्मेलन मेंभारत-रूस: स्थायी और विस्तारित साझेदारी’ संयुक्त वक्तव्य को अपनाया गया है।
  • 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता: वर्ष 2021 में शुरू किया गया, 2+2 प्रारूप दोनों पक्षों के विदेश और रक्षा मंत्रियों को रणनीतिक प्राथमिकताओं को समन्वित करने और साझेदारी के राजनयिक और सुरक्षा आयामों को जोड़ने में सक्षम बनाता है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा और संसदीय संबंध: नियमित राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) वार्ता, मंत्रिस्तरीय दौरे और अंतर-संसदीय आयोग कई स्तरों पर समन्वय बनाए रखते हैं।

रसद समझौते का पारस्परिक आदान-प्रदान (RELOS)

  • हाल ही में, रूस ने भारत के साथ RELOS सैन्य रसद समझौते की पुष्टि की, यह भारत-रूस के बीच एक समझौता है जिसके तहत दोनों देश अपने-अपने सैन्य ठिकानों से दूर अभियानों के दौरान सैनिकों, युद्धपोतों और विमानों के लिए एक-दूसरे की सैन्य सुविधाओं को रसद और सहायता प्रदान करते हैं।
  • यह एक-दूसरे के हवाई क्षेत्र, बंदरगाहों, रसद सुविधाओं तक पारस्परिक पहुँच और सैन्य तैनाती के लिए सरलीकृत सहायता को सक्षम बनाता है।

विभिन्न देशों के साथ भारत के रसद समझौते

  • भारत और अमेरिका: लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरैंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA), 2016।
  • भारत और ऑस्ट्रेलिया: म्यूचुअल लॉजिस्टिक्स सपोर्ट एग्रीमेंट (MLSA), 2020।
  • भारत और जापान: ऐक्विजिशन एंड क्रॉस-सर्विसिंग एग्रीमेंट (ACSA), 2020।

सहयोग के स्तंभ

  • रक्षा और सामरिक सुरक्षा: रक्षा क्षेत्र, भारत-रूस विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक साझेदारी की आधारशिला बना हुआ है।
    • भारत के रक्षा आयात का सर्वाधिक हिस्सा रूस (36 प्रतिशत) से प्राप्त हुआ, यद्यपि यह अनुपात वर्ष 2015–19 के 55 प्रतिशत तथा वर्ष 2010–14 के 72 प्रतिशत की तुलना में उल्लेखनीय रूप से कम है।
    • प्रमुख पहलों में शामिल हैं:-
      • भारत में S-400 ट्रायम्फ मिसाइल प्रणाली, T-90 टैंक, सुखोई-30MKI विमान और मिग-29 लड़ाकू विमानों के साथ-साथ AK-203 असॉल्ट राइफल का उत्पादन भी शामिल है।
      • कलिनिनग्राद में फ्रिगेट ‘INS तुशील’ और INS तमाल (नवीनतम स्टील्थ मल्टी-रोल फ्रिगेट) का भी जलावतरण किया गया।
      • ब्रह्मोस मिसाइल परियोजना, भारत-रूस तकनीकी सामंजस्य का प्रतीक है, जिसे मित्र देशों को निर्यात करने की योजना है।
      • इंद्र’ जैसे नियमित संयुक्त सैन्य अभ्यास, और रक्षा आधुनिकीकरण, साइबर सुरक्षा और अंतरिक्ष-आधारित सुरक्षा प्रणालियों में सहयोग।
  • ऊर्जा सहयोग – रणनीतिक जीवनरेखा: ऊर्जा सहयोग का दूसरा स्तंभ है, जिसमें रूस कच्चे तेल, कोयला और परमाणु ऊर्जा प्रौद्योगिकी का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है।
    • कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना (तमिलनाडु) – भारत का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा सहयोग संयंत्र है जो असैन्य परमाणु साझेदारी का प्रतीक है।
    • रूसी तेल और गैस क्षेत्रों में भारत के निवेश और रियायती कच्चे तेल के आयात ने इसकी ऊर्जा सुरक्षा और विविधीकरण को बढ़ाया है।
    • दोनों पक्ष भारत के ऊर्जा परिवर्तन लक्ष्यों के अनुरूप, तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG), आर्कटिक ऊर्जा अन्वेषण और नवीकरणीय क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार कर रहे हैं।
    • भारत अपनी कुल कच्चे तेल की खपत का 35-40% रूस से आयात करता है।
  • व्यापार और आर्थिक साझेदारी: आर्थिक सहयोग में अत्यधिक वृद्धि हुई है, जिससे रूस भारत के शीर्ष पाँच व्यापारिक साझेदारों में से एक बन गया है।
    • द्विपक्षीय व्यापार तेजी से बढ़ा है और वित्त वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड 68.7 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है,
      • भारतीय निर्यात 4.9 बिलियन डॉलर (मुख्यतः फार्मास्यूटिकल्स, रसायन, लोहा एवं इस्पात, तथा समुद्री उत्पाद)
      • रूस से आयात 63.8 बिलियन डॉलर (मुख्यतः कच्चा तेल और पेट्रोलियम उत्पाद, सूरजमुखी तेल, उर्वरक, कोकिंग कोयला, और कीमती पत्थर/धातुएँ)
    • दोनों देश अपने नेतृत्त्वकर्त्ताओं द्वारा निर्धारित महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों की दिशा में काम कर रहे हैं: वर्ष 2025 तक 50 अरब डॉलर का पारस्परिक निवेश और वर्ष 2030 तक 100 अरब डॉलर का वार्षिक द्विपक्षीय व्यापार।
    • दोनों देश व्यापार विस्तार को संस्थागत बनाने के लिए भारत और यूरेशियन आर्थिक संघ के बीच एक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर कार्य कर रहे हैं।
  • भारत-रूस सांस्कृतिक संबंध: अफनासी निकितिन की 15वीं शताब्दी में अस्त्राखान स्थित प्रारंभिक रूसी बस्तियों की यात्रा और कोलकाता में गेरासिम लेबेदेव के रंगमंच (थिएटर) से लेकर सदियों पुराने सांस्कृतिक संबंध हैं।
    • भारतीय फिल्मों, नृत्य और योग के प्रति रूसियों का लगाव आज भी प्रबल है; रूसी शहरों में योग का व्यापक रूप से अभ्यास किया जाता है।
      • उदाहरण के लिए: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में भारत और रूस के बीच मित्रता की स्थायी मजबूती पर जोर देने के लिए बॉलीवुड के दिग्गज राज कपूर का उदाहरण दिया।
    • मॉस्को स्थित जवाहरलाल नेहरू सांस्कृतिक केंद्र भारतीय कलाओं (कथक, तबला, हिंदुस्तानी संगीत, योग) को बढ़ावा देता है तथा रूसी विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी करता है।

  • वर्ष 2019 में, रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भारत और रूस के बीच विशेष मित्रता को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ‘ऑर्डर ऑफ द होली एपोस्टल एंड्रयू द फर्स्ट’ से सम्मानित किया।

    • CEP/ICCR के अंतर्गत नियमित सांस्कृतिक आदान-प्रदान में भारतीय मंडलियों द्वारा वार्षिक प्रदर्शन शामिल हैं; मानविकी, कला, आयुर्वेद और संगीत में रूसी छात्रों को छात्रवृत्तियाँ प्रदान की जाती हैं।
    • हाल की प्रमुख घटनाएँ: मास्को में आयोजित भारत उत्सव 2025, जिसमें लगभग 8.5 लाख आगंतुकों ने भाग लिया तथा पाँच प्रमुख शहरों में सम्पन्न भारतीय फिल्म महोत्सव 2025 तथा 60 से अधिक क्षेत्रों में मनाया गया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस भारत-रूस सांस्कृतिक परस्परता के निरंतर विस्तार को रेखांकित करते हैं।
    • वर्ष 2025 मास्को अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले में भारत मुख्य अतिथि था; रूस में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों का औपचारिक प्रदर्शन किया गया।
    • उच्च-स्तरीय सांस्कृतिक संबंध बने हुए है, जिसमें फिल्म संबंधी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए WAVES शिखर सम्मेलन के लिए रूसी संस्कृति मंत्री की वर्ष 2025 की भारत यात्रा भी शामिल है।
  • प्रौद्योगिकी और नवाचार संबंध: सहयोग के उभरते क्षेत्रों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), क्वांटम कंप्यूटिंग, जहाज निर्माण और रेलवे आधुनिकीकरण शामिल हैं।
    • अटल नवाचार मिशन और रूस के सीरियस एजुकेशनल फाउंडेशन के अंतर्गत पहल युवाओं के बीच संयुक्त अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देती है।
  • बहुपक्षीय अभिसरण: भारत और रूस संयुक्त राष्ट्र (UN), G20, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) और ब्रिक्स जैसे वैश्विक और क्षेत्रीय मंचों पर घनिष्ठ समन्वय बनाए रखते हैं। रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी का समर्थन करता रहेगा।
    • दोनों देश एक बहुध्रुवीय, नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था को बनाए रखते हैं तथा आतंकवाद-निरोध, अफगानिस्तान की स्थिरता, समुद्री सुरक्षा और वैश्विक दक्षिण की विकास प्राथमिकताओं पर सहयोग पर जोर देते हैं।
    • ब्रिक्स और SCO के अंतर्गत उनका समन्वय सुधारित वैश्विक शासन के लिए सामूहिक समर्थन को और मजबूत करता है।

प्रमुख चुनौतियाँ

  • प्रतिबंध और भुगतान प्रतिबंध: पश्चिमी प्रतिबंधों ने वित्तीय समझौतों को जटिल बना दिया है, जिससे व्यापार और निवेश का सुचारू प्रवाह सीमित हो गया है।
    • उदाहरण: भारतीय बैंकों को रुपया-रूबल लेनदेन करने में सावधानी बरतनी पड़ रही है, जिससे सरकारी सुविधा उपायों के बावजूद व्यापार धीमा हो रहा है।
    • अमेरिकी टैरिफ वृद्धि: इस वर्ष अगस्त में, ट्रंप ने भारत से आने वाले सामानों पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया, जिससे कुल शुल्क बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया। यह भारत द्वारा रूसी तेल की निरंतर खरीद के दंड के रूप में लगाया गया।
  • व्यापार असंतुलन: भारत का तेल, कोयला और उर्वरकों का आयात उसके निर्यात से कहीं अधिक है, जिससे व्यापार घाटा और निर्भरता बढ़ रही है।
    • उदाहरण: वित्त वर्ष 2024 में, आयात निर्यात से 50 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया, जिससे फार्मास्यूटिकल्स, मशीनरी और आईटी सेवाओं में निर्यात विविधीकरण की आवश्यकता रेखांकित होती है।
  • रक्षा आपूर्ति में देरी: प्रतिबंधों और आपूर्ति शृंखला संबंधी समस्याओं के कारण प्रमुख रक्षा परियोजनाओं में देरी हुई है, जिससे समय-सीमा प्रभावित हुई है।
    • उदाहरण: S-400 वायु रक्षा प्रणाली की आपूर्ति में देरी हो रही है, और अब अंतिम डिलीवरी वर्ष 2024 के स्थान पर वर्ष 2026-27 तक आने की उम्मीद है।
  • चीन कारक: रूस की चीन के साथ बढ़ती निकटता के लिए भारत को आपसी विश्वास बनाए रखते हुए रणनीतिक संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है।
    • उदाहरण: जापान सागर में संयुक्त रूस-चीन सैन्य अभ्यास और आर्कटिक सहयोग रूस की समानांतर रणनीतिक प्राथमिकताओं को उजागर करते हैं।
  • प्रौद्योगिकी और दोहरे उपयोग वाले निर्यात की जाँच: रूस को प्रतिबंधित प्रौद्योगिकी के आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की बढ़ती भूमिका पश्चिमी देशों की जाँच का विषय रही है।
    • उदाहरण: कथित तौर पर रूस से जुड़े शिपमेंट के लिए बेंगलुरु स्थित एक प्रौद्योगिकी कंपनी पर जापानी प्रतिबंध बढ़ते अनुपालन दबाव को दर्शाते हैं।
  • लॉजिस्टिक अंतराल: अकुशल परिवहन मार्ग और सीमित वित्तीय अवसंरचना इष्टतम व्यापार विस्तार में बाधा डालते हैं।
    • उदाहरण: अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारे (CVMC) का धीमा संचालन कनेक्टिविटी लाभ को प्रभावित करता है।

आगे की राह

  • FTA निष्कर्ष और व्यापार विविधीकरण: भारत-यूरेशियन आर्थिक संघ (EAEU) मुक्त व्यापार समझौते के शीघ्र पूरा होने से, जिसमें रूस सबसे बड़ा सदस्य और प्राथमिक भागीदार है, भारत-रूस व्यापार की मात्रा को बढ़ाने, शुल्क को कम करने और व्यापार असंतुलन को दूर करने में मदद मिलेगी।
    • उदाहरण: एक बार अंतिम रूप दिए जाने के बाद, FTA से वर्ष 2030 तक रूस और अन्य EAEU सदस्यों के साथ द्विपक्षीय व्यापार को 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक बढ़ाने की उम्मीद है, जिससे भारतीय फार्मास्यूटिकल्स, वस्त्र और इंजीनियरिंग वस्तुओं के लिए बाजार पहुँच बढ़ेगी।
  • संयुक्त अनुसंधान एवं विकास और सह-विनिर्माण विस्तार: AI, हरित हाइड्रोजन, अर्द्धचालक और एयरोस्पेस जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग को मजबूत करने से औद्योगिक संबंधों का आधुनिकीकरण होगा।
    • उदाहरण: स्कोल्कोवो इनोवेशन सेंटर के तहत प्रस्तावित भारत-रूस प्रौद्योगिकी नवाचार कोष और सहयोग का उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान और औद्योगिक नवाचार को गति देना है।
  • वित्तीय अवसंरचना और निपटान: रुपया-रूबल व्यापार तंत्र, डिजिटल भुगतान प्रणाली और बैंकिंग संपर्क को बेहतर बनाने से वित्तीय लेनदेन सुगम होंगे।
    • उदाहरण: एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) का विस्तार करने और इसे रूस की MIR प्रणाली के साथ एकीकृत करने की भारत की योजना लेन-देन संबंधी लागत और मुद्रा जोखिम को कम करेगी।
  • संपर्क गलियारे और रसद: प्रमुख गलियारों के संचालन से आपूर्ति शृंखलाएँ मजबूत होंगी और दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और यूरोप के बीच रणनीतिक संपर्क बढ़ेगा।
    • उदाहरण: अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री गलियारे (CVMC) को तेज करने से माल ढुलाई लागत में लगभग 30% की कमी आ सकती है और वितरण समय में सुधार हो सकता है।
  • सुदूर पूर्व और आर्कटिक में संबंध: रूस के सुदूर पूर्व और आर्कटिक में गहराते सहयोग से संसाधनों तक पहुँच और आर्थिक साझेदारी के नए मार्ग खुलेंगे।
    • उदाहरण: पूर्वी आर्थिक मंच (2024) में भारत की भागीदारी और सुदूर-पूर्व में भारतीय कार्यबल गलियारे की स्थापना बढ़ती भागीदारी को दर्शाती है।
  • जन-केंद्रित और शैक्षिक कूटनीति: छात्र आदान-प्रदान, व्यावसायिक प्रशिक्षण और सांस्कृतिक सहयोग का विस्तार द्विपक्षीय संबंधों के सामाजिक आयाम को बनाए रखेगा।
    • उदाहरण: रूस में एक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) परिसर स्थापित करने और शैक्षणिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों को पुनर्जीवित करने की योजनाएँ, इस जन-प्रथम दृष्टिकोण को रेखांकित करती हैं।
  • संतुलित सामरिक स्वायत्तता: भारत को रूस के साथ मजबूत संबंध बनाए रखते हुए और पश्चिमी तथा हिंद-प्रशांत भागीदारों के साथ संबंधों को संतुलित करते हुए स्वतंत्र विदेश नीति का पालन जारी रखना चाहिए।
    • उदाहरण: यूक्रेन संघर्ष पर भारत का दृष्टिकोण, जहाँ उसने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए संवाद और कूटनीति का आह्वान किया, इस संतुलित स्वायत्तता को दर्शाता है।

निष्कर्ष

23वें भारत–रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन ने पिछले 25 वर्षों में विकसित हुई इस साझेदारी की गहराई, लचीलेपन और रणनीतिक निरंतरता की पुष्टि की जो रक्षा, ऊर्जा, संपर्क, परमाणु सहयोग, गतिशीलता तथा बहुपक्षीय मंचों पर जुड़ाव जैसे क्षेत्रों में सतत् विस्तार का अनुभव कर रही है और इस संबंध को भारत की विदेश नीति की आधारशिला तथा उभरते बहुध्रुवीय विश्व में एक स्थायी शक्ति के रूप में स्थापित करती है।

अभ्यास प्रश्न

भारत प्रायः रूस के साथ अपने संबंधों को ‘सर्वोत्तम मित्र देश’ के रूप में प्रस्तुत करता है, किंतु यह साझेदारी वास्तविक रूप से उतनी सशक्त और गतिशील नहीं बन पाई है। दोनों देशों के बीच यह दीर्घकालिक राजनीतिक सहजता व्यापक, संरचनात्मक साझेदारी में क्यों परिवर्तित नहीं हो सकी? साथ ही, वे कौन-से प्रमुख क्षेत्र हैं जहाँ भारत और रूस भविष्य में अधिक गहन एवं रणनीतिक सहयोग विकसित कर सकते हैं?

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