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25वाँ शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन

Lokesh Pal September 03, 2025 03:14 53 0

संदर्भ

चीन के तियानजिन में आयोजित 25वें शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन (31 अगस्त-1 सितंबर, 2025) में कई देशों के नेता एकत्रित हुए तथा बहुध्रुवीयता, सुरक्षा सहयोग और क्षेत्रीय संपर्क पर चर्चा की गई। 

25वाँ शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन (2025)

  • विषय: प्रमो‍टिंग द शंघाई स्पिरिट: एस.सी.ओ. इन एक्शन’ (Promoting the Shanghai Spirit: SCO in Action) 
    • यह पारस्परिक विश्वास, लाभ, समानता, बहुपक्षीय संवाद और क्षेत्रीय एवं वैश्विक अनिश्चितताओं के प्रति सामूहिक प्रतिक्रिया पर प्रकाश डालता है।
  • स्थान एवं तिथियाँ: चीन द्वारा तियानजिन में 31 अगस्त से 1 सितंबर, 2025 तक तियानजिन मीजियांग कन्वेंशन एवं प्रदर्शनी केंद्र में आयोजित  किया गया है।
  • विशेष विशेषता: अब तक का सबसे बड़ा SCO शिखर सम्मेलन, जो यूरेशियन भू-राजनीति में संगठन की बढ़ती भूमिका का संकेत देता है।

24वाँ SCO शिखर सम्मेलन

  • 3-4 जुलाई, 2024 को अस्ताना, कजाखस्तान में आयोजित किया गया था।
  • मुख्य परिणाम: क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई और वर्ष 2025 में विस्तारित तियानजिन एजेंडे के लिए मंच तैयार किया गया।

भारत द्वारा आयोजित SCO शिखर सम्मेलन

  • 23वाँ SCO शिखर सम्मेलन (2023): भारत 4 जुलाई, 2023 को इस शिखर सम्मेलन की वर्चुअल मेजबानी की गई थी।
  • मुख्य अंश
    • नई दिल्ली घोषणा (New Delhi Declaration) को अपनाना।
    • चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (China-Pakistan Economic Corridor- CPEC) पर संप्रभुता संबंधी चिंताओं के कारण भारत ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (Belt and Road Initiative- BRI) के किसी भी समर्थन का विरोध किया।
    • डिजिटल कनेक्टिविटी, स्टार्ट-अप, आतंकवाद-निरोध और बहुपक्षवाद पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

आगामी SCO शिखर सम्मेलन (2026)

  • 26वाँ SCO शिखर सम्मेलन: वर्ष 2026 में पाकिस्तान में आयोजित होगा (SCO की चक्रीय अध्यक्षता प्रणाली के अनुसार)।
  • भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव तथा संगठन के आंतरिक भू-राजनीतिक संतुलन के कारण इस पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

25वें SCO शिखर सम्मेलन के प्रमुख परिणाम

  • तियानजिन घोषणा (Tianjin Declaration): शिखर सम्मेलन के केंद्रीय राजनीतिक परिणाम के रूप में तियानजिन घोषणा (Tianjin Declaration), के अंतर्गत अप्रैल 2025 में भारत में हुए पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की गई, जिसमें 26 लोग मारे गए थे।
    • इस घोषणा में अपराधियों और प्रायोजकों को न्यायिक अभिरक्षा में लाने का आह्वान किया गया और इस बात पर जोर दिया गया कि आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में दोहरे मापदंड अस्वीकार्य हैं।
  • सुरक्षा और आतंकवाद-निरोध: भारत ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद को उचित नहीं ठहराया जा सकता और SCO के क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी ढाँचे (Regional Anti-Terrorist Structure- RATS) के माध्यम से सामूहिक कार्रवाई का आह्वान किया।
    • सीमा पार आतंकवाद के संदर्भों को कमजोर करने के प्रयासों को भारत ने अवरुद्ध कर दिया, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान को घेर लिया गया।
    • संगठित अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी और साइबर खतरों से निपटने के लिए चार नए SCO केंद्रों को मंजूरी दी गई।
  • दीर्घकालिक रणनीति और सहयोग: SCO विकास रणनीति 2026-2035 को मंजूरी दी गई, जिसमें अगले दशक के लिए संगठनात्मक प्राथमिकताओं को रेखांकित किया गया।
    • चरमपंथी विचारधारा का मुकाबला करने और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए एक सहयोग कार्यक्रम (2026-2030) को मंजूरी दी गई।
  • संस्थागत सुधार और विस्तार: पर्यवेक्षक देशों और संवाद भागीदारों को एक ही श्रेणी (SCO भागीदार) में मिला दिया गया।
    • लाओस को भागीदार का दर्जा दिया गया, जिससे SCO समूह का विस्तार 27 देशों (10 सदस्य और 17 भागीदार) तक हो गया।
  • आर्थिक और विकास पहल: सदस्यों के बीच बुनियादी ढाँचे, आर्थिक प्रगति और सामाजिक सहयोग को बढ़ाने के लिए एक SCO विकास बैंक की स्थापना का निर्णय लिया गया।
    • वर्ष 2030 तक SCO ऊर्जा सहयोग के लिए एक रोडमैप को मंजूरी दी गई।
    • रूस ने पश्चिमी वित्तीय निर्भरता को कम करने के लिए SCO बॉण्ड और नए भुगतान तंत्र का प्रस्ताव रखा, जबकि भारत ने वित्तीय विविधीकरण का सावधानीपूर्वक समर्थन किया।
    • चीन ने विकास को समर्थन देने के लिए 1.4 बिलियन डॉलर के अनुदान और ऋण देने की प्रतिबद्धता जाहिर की।
  • भारत का विजन – तीन-स्तंभ ढाँचा (S-C-O):
    • सुरक्षा (Security): आतंकवाद के विरुद्ध सख्त कार्रवाई और क्षेत्रीय स्थिरता पर जोर दिया जाना चाहिए।
    • संपर्क (Connectivity): चीन के BRI का मुकाबला करते हुए विश्वास-आधारित और समावेशी बुनियादी ढाँचे का समर्थन किया।
    • अवसर (Opportunity): बिना किसी दबाव के आर्थिक सहयोग को बढ़ावा दिया।
    • लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए एक सभ्यतागत संवाद मंच का प्रस्ताव रखा।
  • रणनीतिक कूटनीति: भारत ने रूस, चीन और मध्य एशियाई देशों के बीच एक संतुलित दृष्टिकोण बनाए रखा और खुद को एक स्थिर यूरेशियाई शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया।
    • इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष जैसे विभाजनकारी मुद्दों को शामिल करने से परहेज किया और SCO के मूल अधिदेश पर ध्यान केंद्रित किया।
    • चीनी राष्ट्रपति ने ‘ड्रैगन (चीन) और हाथी (भारत) को साथ-साथ नृत्य करना चाहिए’ वाक्य का उपयोग करते हुए भारत-चीन सहयोग का आह्वान किया।
  • सांस्कृतिक, शैक्षिक और AI सहयोग: SCO युवा सांस्कृतिक महोत्सव और SCO शिखर सम्मेलन मंच (2025-2027) के रोटेशन का समर्थन किया।
    • संयुक्त विश्वविद्यालय प्रशिक्षण और छात्रवृत्ति कार्यक्रमों को मंजूरी दी, जिसका लक्ष्य वार्षिक रूप से 5,000 छात्रवृत्तियाँ प्रदान करना है।
    • सदस्य राष्ट्र कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में सहयोग को गहरा करने पर सहमत हुए, जिसमें भारत ने AI तक पहुँच और इसके विकास में समान अधिकारों पर बल दिया।
    • चोलपोन अता (Cholpon Ata) (किर्गिज गणराज्य) को SCO की पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी (2025-2026) के रूप में नामित किया गया।
  • वैश्विक शासन सुधार: चीनी राष्ट्रपति और रूसी राष्ट्रपति ने पश्चिम-नेतृत्व वाली अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को चुनौती देने और बहुध्रुवीकरण तथा समावेशी वैश्वीकरण को बढ़ावा देने के लिए एक नई वैश्विक शासन प्रणाली की वकालत की।
  • भविष्य के निहितार्थ और दृष्टिकोण
    • रणनीतिक पुनर्संरेखण: SCO में चीन का प्रभुत्व बढ़ता जा रहा है, जिससे भारत के हितों के साथ संरेखण पर सवाल उठ रहे हैं।
    • निरंतर प्रासंगिकता: मध्य एशियाई बाजारों, ऊर्जा संसाधनों और क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी संरचना (RATS) सहयोग तक पहुँच आतंकवाद-रोधी लाभ प्रदान करती रहेगी।
    • चयनात्मक सहभागिता: भारत ठोस लाभ वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा और मुख्य सुरक्षा मुद्दों पर सैद्धांतिक रुख बनाए रखेगा।
    • व्यापक कूटनीति: यह भारत के न्यूनतम बाधाओं के साथ अधिकतम सहभागिता, क्षेत्रीय प्रभाव और रणनीतिक स्वायत्तता के बीच संतुलन स्थापित करने के दृष्टिकोण को दर्शाता है।

PWOnlyIAS विशेष

तीन-स्तंभ SCO रणनीति: क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक प्रभाव के लिए भारत का मार्ग

भारत का तीन-स्तंभ वाला SCO फ्रेमवर्क

  • सुरक्षा (Security) (S)
    • फोकस: आतंकवाद, संगठित अपराध और साइबर खतरों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई।
    • व्यावहारिक परिणाम: क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी संरचना (Regional Anti-Terrorist Structure- RATS) को मजबूत किया गया; भारत ने सीमा पार आतंकवाद के संदर्भों को कमजोर करने के प्रयासों को सफलतापूर्वक रोका, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान पर दबाव बना।
    • महत्त्व: क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देता है, भारत को ‘सुरक्षा प्रदाता’ के रूप में प्रस्तुत करता है, और यूरेशियाई रणनीतिक मामलों में इसकी विश्वसनीयता को मजबूत करता है।
  • कनेक्टिविटी (Connectivity) (C)
    • फोकस: विश्वास-आधारित, समावेशी बुनियादी ढाँचे और परिवहन नेटवर्क को बढ़ावा देना, चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (Belt and Road Initiative- BRI) जैसी बाध्यकारी निर्भरताओं का मुकाबला करता है।
    • व्यावहारिक परिणाम: SCO विकास बैंक और ऊर्जा सहयोग रोडमैप (2026-2030) जैसी पहल सतत् बुनियादी ढाँचे के विकास और क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण को सुगम बनाती हैं।
    • महत्त्व: क्षेत्रीय संपर्क को मजबूत करता है, समान विकास को बढ़ावा देता है, और यूरेशियाई परियोजनाओं में रणनीतिक स्वायत्तता की रक्षा करता है।
  • अवसर (Opportunity) (O)
    • फोकस: रणनीतिक निर्भरता के बिना आर्थिक, विकासात्मक, सांस्कृतिक, शैक्षिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देना।
    • व्यावहारिक परिणाम: संयुक्त विश्वविद्यालय कार्यक्रम (5,000 छात्रवृत्तियाँ/वर्ष), SCO युवा सांस्कृतिक महोत्सव, AI सहयोग समझौते और वित्तीय विविधीकरण पहल।
    • महत्त्व: रणनीतिक स्वतंत्रता के साथ आर्थिक जुड़ाव को संतुलित करता है और लोगों के मध्य संबंधों को बढ़ाता है।

भारत का संतुलनकारी दृष्टिकोण

  • क्षेत्रीय: यह रूस, चीन और मध्य एशियाई देशों के बीच समान दूरी बनाए रखता है। साथ ही, इजरायल-फिलिस्तीन जैसे विभाजनकारी मुद्दों से बचते हुए, भारत को एक स्थिरकारी शक्ति के रूप में प्रस्तुत करने वाले SCO के मूल अधिदेश पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • वैश्विक: बहुध्रुवीयता और समावेशी वैश्वीकरण का समर्थन करता है, साथ ही पश्चिमी नेतृत्व वाली व्यवस्था को चुनौती देने वाले प्रस्तावों (जैसे- SCO बॉण्ड) पर सावधानीपूर्वक विचार करता है।
    • भारत को एक व्यावहारिक, रणनीतिक शक्ति के रूप में स्थापित करता है, जो यूरेशियन क्षेत्रीय सहयोग और वैश्विक शासन सुधार के बीच सेतु का कार्य करता है।

SCO के ‘तियानजिन घोषणा-पत्र’ (2025) में ‘पहलगाम’ संदर्भ का महत्त्व

  • भारत की कूटनीतिक जीत: पहलगाम आतंकी हमले के संबंध में चर्चा, बहुपक्षीय मंच पर सीमापार आतंकवाद का अंतरराष्ट्रीयकरण करने में भारत की कूटनीतिक सफलता को दर्शाती है।
    • इसने SCO के ढाँचे के भीतर भारत की सुरक्षा चिंताओं को वैध ठहराया और पाकिस्तान को अप्रत्यक्ष रूप से अलग-थलग कर दिया।
  • आतंकवाद-रोधी एजेंडे को मजबूत करना: इस उल्लेख ने SCO के क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी ढाँचे (RATS) को आतंकी नेटवर्क, वित्तपोषण और कट्टरपंथ के विरुद्ध एक विश्वसनीय उपकरण के रूप में पुष्ट किया।
    • आतंकवाद को इस बार एक केंद्रीय मुद्दे के रूप में उभारा गया, जो पहले की घोषणाओं में केवल औपचारिक उल्लेख तक सीमित रहता था।
  • आम सहमति में प्रतीकात्मक सफलता: SCO शायद ही कभी विशिष्ट आतंकी घटनाओं पर चर्चा करता है, जिससे यह एक दुर्लभ स्पष्ट स्वीकृति बन जाती है।
    • इसने रूस, चीन और मध्य एशिया सहित सदस्य देशों की भारत के दृष्टिकोण से जुड़ने की इच्छा को दर्शाया।
  • पाकिस्तान को संदेश: हालाँकि पाकिस्तान SCO का सदस्य है, लेकिन इस संदर्भ ने उसके आतंकी ढाँचे के प्रति क्षेत्रीय अस्वीकृति का संकेत दिया।
    • इसने बिना किसी प्रत्यक्ष टकराव के इस्लामाबाद पर कूटनीतिक दबाव बढ़ा दिया।
  • क्षेत्रीय सुरक्षा निहितार्थ: यह भविष्य के SCO घोषणा-पत्रों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करता है।
    • यह यूरेशिया के अंतर्गत आतंकवाद को संपर्क और आर्थिक सहयोग से जोड़ने के भारत के तर्क को मजबूत करता है।
  • निष्कर्ष
    • तियानजिन घोषणा-पत्र में पहलगाम का उल्लेख भारत के लिए एक ऐतिहासिक कूटनीतिक जीत थी, जिसने आतंकवाद को SCO के सुरक्षा एजेंडे के केंद्र में ला दिया, साथ ही एक क्षेत्रीय मंच पर पाकिस्तान को भी उपेक्षित कर दिया।

शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation- SCO) के बारे में

  • अर्थ एवं उत्पत्ति: शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक यूरेशियाई राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा समूह है।
    • पृष्ठभूमि एवं उत्पत्ति
      • सोवियत संघ के पतन के बाद का संदर्भ: सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ (USSR) के पतन के बाद, मध्य एशिया को नृजातीय तनाव, अलगाववाद और चरमपंथी धार्मिक समूहों का सामना करना पड़ा, जिससे एक क्षेत्रीय सुरक्षा ढाँचे की माँग उठी।
      • शंघाई फाइव (1996): चीन, रूस, कजाखस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान से मिलकर बने इस संगठन का उद्देश्य सीमा विवादों को सुलझाना, विश्वास का निर्माण करना और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाना था।
      • रूपांतरण (2001): उज्बेकिस्तान के प्रवेश के साथ, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की औपचारिक स्थापना 15 जून, 2001 को शंघाई में हुई, जिसने इसकी भूमिका को सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और कूटनीति तक विस्तारित किया।
      • विस्तार
        • वर्ष 2017 – भारत और पाकिस्तान इसमें शामिल हुए।
        • वर्ष 2023 – ईरान पूर्ण सदस्य बन गया।
        • वर्ष 2024 – बेलारूस 10वाँ पूर्ण सदस्य बन गया।
      • सदस्यता (2025): पूर्ण सदस्य (10): चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत, पाकिस्तान, ईरान और बेलारूस (वर्ष 2024 में शामिल)।
      • पर्यवेक्षक: अफगानिस्तान, मंगोलिया।
      • संवाद भागीदार (17): इसमें नेपाल, श्रीलंका, तुर्किए, कंबोडिया, अजरबैजान, आर्मेनिया, लाओस आदि शामिल हैं।
  • मुख्यालय: बीजिंग, चीन।
  • आधिकारिक भाषाएँ: रूसी और चीनी।
  • पैमाना और पहुँच
    • SCO के सदस्य देशों में विश्व की 43% जनसंख्या निवास करती है।
    • वे वैश्विक अर्थव्यवस्था के लगभग एक-चौथाई हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • SCO के उद्देश्य
    • क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करना।
    • आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद का मुकाबला (RATS- क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी संरचना, ताशकंद के माध्यम से) करना।
    • आर्थिक, ऊर्जा और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देना।
    • यूरेशिया में संपर्क और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में सुधार करना।
    • वैश्विक शासन में बहुध्रुवीयता को प्रोत्साहित करना, पश्चिमी नेतृत्व वाली संस्थाओं पर निर्भरता को कम करना।
  • प्रमुख तंत्र
    • राष्ट्राध्यक्षों एवं शासनाध्यक्षों की परिषद (Council of Heads of State & Government): सर्वोच्च निर्णय लेने वाला प्राधिकारी।
    • क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी संरचना (Regional Anti-Terrorist Structure- RATS): ताशकंद (उज्बेकिस्तान) में स्थित, यह संस्था गोपनीय जानकारी साझा करने, आतंकवाद-रोधी अभ्यासों, मादक पदार्थों के विरुद्ध अभियानों और साइबर खतरों की निगरानी का समन्वय करती है।
    • नए केंद्र (2025): संगठित अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी और साइबर सुरक्षा सहयोग के लिए स्थापित किए गए।
    • SCO विकास बैंक (2025): क्षेत्रीय ऊर्जा परियोजनाओं और बुनियादी ढाँचे के विकास के वित्तपोषण के लिए स्वीकृत किया गया है।

क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी संरचना (RATS) के बारे में

  • स्थापना: वर्ष 2002 में स्थापित किया गया था, जिसका मुख्यालय ताशकंद, उज्बेकिस्तान में है।
  • अधिदेश: शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का स्थायी अंग, जो निम्नलिखित पर केंद्रित है:-
    • आतंकवाद-रोधी
    • अलगाववाद
    • उग्रवाद (तथाकथित ‘तीन बुराइयाँ’)।
  • कार्य
    • खुफिया जानकारी साझा करना: SCO देशों में आतंकवादी समूहों, चरमपंथी आंदोलनों और अलगाववादी संगठनों के बारे में जानकारी एकत्रित, संगृहीत और उसका विश्लेषण करता है।
    • ब्लैक लिस्ट और समन्वय: प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों का डेटाबेस रखता है और आतंकवादियों के प्रत्यर्पण में सहायता करता है।
    • आतंकवाद-रोधी अभ्यास: SCO सदस्य देशों के बीच संयुक्त आतंकवाद-रोधी अभ्यासों का समन्वय करता है।
    • क्षमता निर्माण: आतंकवाद के वित्तपोषण से जुड़े सीमा सुरक्षा, साइबर सुरक्षा और मादक पदार्थों के विरुद्ध अभियानों को बढ़ाने में सदस्यों की सहायता करता है।
  • भारत के लिए महत्त्व
    • सहयोग मंच: भारत को क्षेत्रीय आतंकवादी संगठनों, विशेष रूप से सीमा पार समूहों के बारे में गोपनीय जानकारी प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
    • पाकिस्तान-आधारित आतंकवाद का मुकाबला: भारत, पाकिस्तान की भूमि से संचालित आतंकवादी समूहों के बारे में चिंता व्यक्त करने के लिए RATS का उपयोग करता है।
    • मध्य एशियाई संबंध: मध्य एशिया, रूस और चीन के साथ आतंकवाद-रोधी जुड़ाव को बढ़ाता है।

SCO का रणनीतिक महत्त्व

  • विश्व के लिए: एशियाई शक्तियों के नेतृत्व में सबसे बड़े सुरक्षा-केंद्रित अंतरराष्ट्रीय संगठनों में से एक है।
    • उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) जैसे पश्चिमी गठबंधनों और विश्व बैंक एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) जैसी संस्थाओं के लिए रूस-चीन समर्थित प्रतिपक्ष के रूप में कार्य करता है।
  • भारत के लिए 
    • मध्य एशिया तक पहुँच: संसाधन संपन्न मध्य एशिया में भारत की रणनीतिक उपस्थिति को मजबूत करता है।
    • सुरक्षा संवाद: सीमा पार आतंकवाद संबंधी चिंताओं को उठाने और आतंकवाद-रोधी सहयोग के लिए RATS का उपयोग करने हेतु एक मंच प्रदान करता है।
    • संपर्क विकल्प: भारत को अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (International North-South Transport Corridor- INSTC) और चाबहार बंदरगाह को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाता है, जबकि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरने वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (China–Pakistan Economic Corridor- CPEC) के कारण बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को अस्वीकार करता है।
    • ऊर्जा एवं अर्थव्यवस्था: हाइड्रोकार्बन आयात और वित्तीय सहयोग ढाँचों में भागीदारी के दायरे का विस्तार करता है।
    • राजनयिक उपयोगिता: भारत को एक ही बहुपक्षीय मंच पर रूस, चीन और पाकिस्तान के साथ एक साथ जुड़ने का अवसर प्रदान करता है।

SCO की संरचनात्मक और रणनीतिक चुनौतियाँ

  • अलग एजेंडा: इस संगठन के सदस्य अलग-अलग उद्देश्यों को प्राथमिकता देते हैं – चीन (बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव), रूस (सुरक्षा संतुलन), भारत (संप्रभुता और आतंकवाद पर ध्यान केंद्रित), मध्य एशिया (विकासात्मक आवश्यकताएँ)।
  • भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान प्रतिद्वंद्विता: लगातार सीमा विवाद, आतंकवाद प्रायोजन और कश्मीर पर बहस एकजुटता को कमजोर करती है।
  • सर्वसम्मति-आधारित मॉडल: SCO के निर्णयों के लिए सर्वसम्मति की आवश्यकता होती है, जिससे कार्यान्वयन धीमा और कमजोर हो जाता है।
  • चीन का प्रभुत्व: SCO की अधिकांश पहल बीजिंग के रणनीतिक हितों के अनुरूप हैं, जिससे अन्य सदस्य हाशिये पर चले जाते हैं।
  • कमजोर आर्थिक एकीकरण: अविश्वास और संरचनात्मक कमियों के कारण व्यापार तथा निवेश मामूली बना हुआ है।
  • पश्चिम-विरोधी झुकाव: रूस और चीन प्रायः SCO को एक पश्चिम-विरोधी मंच के रूप में चित्रित करते हैं, जिससे भारत के लिए असुविधा होती है।
  • अफगानिस्तान में अस्थिरता: तालिबान के नेतृत्व वाला अफगानिस्तान क्षेत्रीय सुरक्षा और SCO के आतंकवाद-रोधी लक्ष्यों के लिए खतरा है।

SCO और ब्रिक्स (BRICS) के बीच तुलना

पहलू SCO ब्रिक्स (BRICS)
फोकस सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता अर्थव्यवस्था और वैश्विक शासन
भू-संबद्धता यूरेशिया-केंद्रित वैश्विक (एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका)
संस्थान RATS, सचिवालय NDB, CRA
भारत के लिए चुनौतियाँ चीन-पाकिस्तान संबंध  चीन का प्रभुत्व, डॉलर-विरोधी प्रयास
रूस के हित यूरेशिया में सुरक्षा, चीन में संतुलन पश्चिमी प्रतिबंधों का मुकाबला, नई आर्थिक व्यवस्था
दृष्टिकोण क्षेत्रीय सहयोग वैश्विक प्रणालीगत सुधार

आगे की राह

  • सुरक्षा सहयोग को गहरा करना: RATS संचालन और खुफिया-साझाकरण नेटवर्क को मजबूत करना।
    • राज्य-प्रायोजित आतंकवाद पर प्रकाश डालते हुए, आतंकवाद की विश्व स्तर पर स्वीकृत परिभाषा पर जोर देना।
  • संप्रभुता के साथ संपर्क को संतुलित करना: बेल्ट एंड रोड पहल के विकल्प के रूप में अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) और चाबहार बंदरगाह को बढ़ावा देना।
    • समावेशी संपर्क मानदंडों का समर्थन करते हुए चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का विरोध जारी रखना।
  • आर्थिक और तकनीकी जुड़ाव का विस्तार: मध्य एशिया के साथ दीर्घकालिक ऊर्जा आयात समझौते सुनिश्चित करना।
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) और डिजिटल अर्थव्यवस्था सहयोग में अवसरों का दोहन करना।
  • सांस्कृतिक और शैक्षिक सॉफ्ट पॉवर का लाभ उठाना: छात्रवृत्ति कार्यक्रमों, युवा आदान-प्रदान और सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ाना।
    • भारत को यूरेशिया में एक ज्ञान-संचालित नवाचार केंद्र के रूप में प्रस्तुत करना।
  • विरोधाभासों का व्यावहारिक प्रबंधन: रूस, चीन और मध्य एशिया के साथ संबंधों को संतुलित करते हुए रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखना।
    • SCO के पश्चिम-विरोधी विचारों से जुड़ने के बजाय, मुद्दा-आधारित सहयोग पर ध्यान केंद्रित करना।
  • वैश्विक दृष्टिकोण के साथ समनाज्स्य स्थापित करना: बहुध्रुवीयता, संयुक्त राष्ट्र सुधारों और अधिक न्यायसंगत वैश्विक शासन को बढ़ावा देने के लिए SCO का उपयोग करना।
    • भारत के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने के लिए ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) और G20 (ग्रुप ऑफ ट्वेंटी) के साथ SCO कूटनीति का समन्वय करना।

निष्कर्ष

SCO वर्तमान में यूरेशियाई सुरक्षा और बहुध्रुवीयता का एक प्रमुख वाहक है। भारत के संदर्भ में यह रणनीतिक जुड़ाव का एक अवसर और चीन-पाकिस्तान संबंधों के कारण एक चुनौती दोनों के रूप में उपस्थित है। भविष्य की राह व्यावहारिक सहयोग, विषय-विशेष पर केंद्रित साझेदारी, संप्रभुता-सम्मानित कनेक्टिविटी और यूरेशियाई संबंधों को भारत की व्यापक वैश्विक दृष्टि से जोड़ने में निहित है।

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