हाल ही में संस्कृति मंत्रालय ने विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र के आयोजन के संबंध में ‘प्रोजेक्ट PARI’ (भारत की लोक कला) शुरु किया।
विश्व धरोहर समिति
यह संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन की एक समिति है।
यह समिति विश्व धरोहर सम्मेलन के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है तथा विश्व धरोहर निधि के उपयोग को परिभाषित करती है तथा सदस्य देशों के अनुरोध पर वित्तीय सहायता आवंटित करती है।
किसी संपत्ति को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया जाए या नहीं, इस पर अंतिम निर्णय इसी समिति का होता है।
यह उत्कीर्ण संपत्तियों के संरक्षण की स्थिति पर रिपोर्टों की जाँच करता है तथा संबंधित राज्यों से उन मामलों में कार्रवाई करने को कहता है, जहाँ संपत्तियों का प्रबंधन उचित रूप से नहीं किया जा रहा हो।
यह खतरे में पड़ी विश्व धरोहर की सूची में संपत्तियों को शामिल करने या हटाने पर भी निर्णय लेता है।
संरचना: इसमें सम्मेलन के 21 पक्ष देशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं, जिन्हें उनकी महासभा द्वारा चुना जाता है।
समिति के सदस्य का कार्यकाल छह वर्ष का होता है, लेकिन अधिकांश राज्य दल अन्य राज्य दलों को समिति में शामिल होने का अवसर देने के लिए स्वेच्छा से केवल चार वर्षों के लिए समिति के सदस्य बनना चुनते हैं।
विश्व धरोहर समिति ब्यूरो: ब्यूरो में सात राज्य पक्ष शामिल होते हैं, जिन्हें समिति द्वारा प्रतिवर्ष चुना जाता है: एक अध्यक्ष, पाँच उपाध्यक्ष और एक प्रतिवेदक।
समिति का ब्यूरो, समिति के कार्यों का समन्वय करता है तथा बैठकों की तिथियाँ, समय और क्रम निर्धारित करता है।
संबंधित तथ्य
प्रोजेक्ट PARI के तहत पहला कार्य दिल्ली में हो रहा है।
प्रोजेक्ट PARI विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र से संबंधित है, जो 21-31 जुलाई, 2024 के बीच नई दिल्ली, भारत में आयोजित किया जाना है।
प्रोजेक्ट PARI
परिचय: प्रोजेक्ट PARI (भारत की लोक कला), भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की एक पहल है, जिसे ललित कला अकादमी और राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है।
उद्देश्य: जिसका उद्देश्य आधुनिक विषयों और तकनीकों को शामिल करते हुए हजारों वर्ष की कलात्मक विरासत (लोक कला/लोक संस्कृति) से प्रेरणा लेने वाली लोक कला को सामने लाना है।
परियोजना PARI का उद्देश्य संवाद, प्रतिबिंब और प्रेरणा को प्रोत्साहित करना है, जो देश के गतिशील सांस्कृतिक ताने-बाने के निर्माण में योगदान देता है।
सामाजिक महत्त्व
ये अभिव्यक्तियाँ भारतीय समाज में कला के अंतर्निहित मूल्य को रेखांकित करती हैं, जो रचनात्मकता और कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए राष्ट्र की स्थायी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
सार्वजनिक स्थानों पर कला का प्रतिनिधित्व विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है, जो देश की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है।
सार्वजनिक प्रतिष्ठानों के माध्यम से कला की पहुँच बढ़ाना, शहरी परिदृश्यों को सुलभ दीर्घाओं में बदल देता है, जहाँ कला पारंपरिक स्थानों जैसे संग्रहालयों और दीर्घाओं की सीमाओं को पार कर जाती है।
सड़कों, पार्कों और पारगमन केंद्रों से कला को जोड़कर, ये पहल सुनिश्चित करती हैं कि कलात्मक अनुभव सभी के लिए उपलब्ध हों।
यह समावेशी दृष्टिकोण एक साझा सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा देता है और सामाजिक सामंजस्य को बढ़ाता है, नागरिकों को अपने दैनिक जीवन में कला से जुड़ने के लिए आमंत्रित करता है।
प्रदर्शित की जाने वाली चित्रकला
प्रस्तावित मूर्तियों में शामिल विचार
बनी ठनी पेंटिंग, पिछवाई पेंटिंग, फड़ चित्रकला (राजस्थान),
थंगका पेंटिंग (सिक्किम/लद्दाख),
मिनीयेचर पेंटिंग (हिमाचल प्रदेश),
गोंड आर्ट (मध्य प्रदेश),
तंजौर पेंटिंग (तमिलनाडु),
कलमकारी (आंध्र प्रदेश),
पट्टचित्र, अल्पना कला (पश्चिम बंगाल),
चेरियल चित्रकला (तेलंगाना),
लांजिया सौरा (ओडिशा),
वरली (महाराष्ट्र),
पिथौरा आर्ट (गुजरात),
ऐपण (उत्तराखंड),
केरल भित्ति चित्र (केरल),
अल्पना कला (त्रिपुरा)
प्रकृति का सम्मान,
नाट्यशास्त्र से प्रेरित विचार,
गांधी जी,
भारत के खिलौने,
आतिथ्य,
प्राचीन ज्ञान,
नाद या आदि ध्वनि,
जीवन का सामंजस्य,
कल्पतरू – दिव्य वृक्ष
प्रस्तावित 46वीं विश्व धरोहर समिति की बैठक के अनुरूप कुछ कलाकृतियों और मूर्तियों, विश्व धरोहर स्थलों जैसे भीमबेटका और भारत में 7 प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थलों को प्रस्तावित कलाकृतियों में विशेष स्थान दिया गया है।
महिला कलाकार परियोजना PARI का अभिन्न अंग रही हैं और बड़ी संख्या में उनकी भागीदारी भारत की नारी शक्ति का प्रमाण है।
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