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7वाँ भारत-जर्मनी अंतर-सरकारी परामर्श

Lokesh Pal October 29, 2024 02:26 48 0

संदर्भ

भारत और जर्मनी ने नई दिल्ली में 7वें अंतर-सरकारी परामर्श (Inter-Governmental Consultations- IGC) का आयोजन किया, जिसकी अध्यक्षता भारतीय प्रधानमंत्री तथा जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने की, जिसमें महत्त्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की गई।

अंतर-सरकारी परामर्श (IGC)

  • वर्ष 2011 में शासनाध्यक्ष स्तर पर शुरू की गई IGC नए सहयोग क्षेत्रों की व्यापक समीक्षा और पहचान करने में सक्षम बनाती है। 
  • भारत उन चुनिंदा देशों में से है, जिनके साथ जर्मनी का इस तरह का संरचित संवाद है।

वैश्विक मुद्दों पर मुख्य निष्कर्ष

  • रूस-यूक्रेन संघर्ष: भारतीय प्रधानमंत्री ने शांतिपूर्ण संघर्ष समाधान के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।
    • ओलाफ स्कोल्ज ने दक्षिण एशिया में भारत की तटस्थ भूमिका की सराहना की तथा भारत को यूक्रेन संकट के राजनीतिक समाधान का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित किया।
  • पश्चिम एशिया: दोनों नेताओं ने इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष को संबोधित करने के लिए युद्धविराम और ‘टू-स्टेट’ समाधान की वकालत करते हुए इसे आगे बढ़ने से रोकने पर जोर दिया।
  • भारत-जर्मनी ट्रैक 1.5 वार्ता: इसमें थिंक-टैंक और राजनयिकों का आदान-प्रदान शामिल है, जिसे वर्ष 2019 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों का एक स्तंभ बनने की परिकल्पना की गई थी।
  • भारत-प्रशांत सुरक्षा: दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय सुरक्षा में संयुक्त प्रयासों के लिए प्रतिबद्धता जताते हुए भारत-प्रशांत क्षेत्र में नियम-आधारित व्यवस्था और समुद्री स्वतंत्रता के महत्त्व पर प्रकाश डाला।
    • उन्होंने इंडो-पैसिफिक में सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए आपसी रसद सहायता के लिए एक संयुक्त समझौता ज्ञापन की घोषणा की।
    • जर्मनी समुद्री यातायात की निगरानी को मजबूत करने के लिए गुरुग्राम में सूचना संलयन केंद्र-भारतीय महासागर क्षेत्र (IFC-IOR) में एक स्थायी संपर्क अधिकारी तैनात करेगा।
  • आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद की निंदा: दोनों नेताओं ने सभी प्रकार के आतंकवाद तथा हिंसक उग्रवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) द्वारा प्रतिबंधित संगठनों सहित सभी आतंकवादी संगठनों के विरुद्ध एकीकृत कार्रवाई का आह्वान किया।
  • वैश्विक संस्थाओं में सुधार: दोनों नेताओं ने वर्तमान की चुनौतियों का अधिक प्रभावी ढंग से समाधान करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे बहुपक्षीय संगठनों में सुधार की वकालत की।
  • साझेदारी के लिए विस्तारित दृष्टिकोण: उन्होंने व्यापक, गहन सहयोग के उद्देश्य से ‘संपूर्ण राष्ट्र’ दृष्टिकोण की ओर बदलाव पर भी प्रकाश डाला।

प्रमुख घोषणाएँ एवं समझौते

  • कुशल भारतीय श्रमिकों के लिए वीजा कोटा में वृद्धि: जर्मनी कुशल भारतीयों के लिए वार्षिक वीजा को 20,000 से बढ़ाकर 90,000 करेगा, जिससे भारत की प्रतिभा को जर्मन आर्थिक विकास के लिए एक परिसंपत्ति के रूप में मान्यता मिलेगी।
  • जर्मनी की ‘फोकस ऑन इंडिया’ रणनीति: जर्मनी का रणनीतिक दृष्टिकोण भारत के कुशल कार्यबल को प्राथमिकता देता है और साझेदारी को मजबूत करता है, जो विश्वास के गहरे स्तर को रेखांकित करता है।
  • चीन पर निर्भरता कम करना: विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण कच्चे माल जैसे क्षेत्रों में ‘एकतरफा निर्भरता’ से बचने के महत्त्व पर जोर दिया, जिससे आपूर्ति शृंखलाओं में विविधता लाने में भारत को एक प्रमुख भागीदार के रूप में स्थान मिला।
  • वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में भारत: भारतीय प्रधानमंत्री ने भारत को एक व्यापार और विनिर्माण केंद्र के रूप में बढ़ावा दिया, जिससे जर्मन व्यवसायों को ‘भारत में निर्माण, दुनिया के लिए निर्माण’ के लिए प्रोत्साहित किया गया।
  • रक्षा और सुरक्षा सहयोग में वृद्धि: उन्होंने रक्षा मामलों में आपसी विश्वास को दर्शाते हुए वर्गीकृत सूचना विनिमय सहित समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
    • आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (Mutual Legal Assistance Treaty- MLAT) सुरक्षा चुनौतियों से संयुक्त रूप से निपटने के लिए कानूनी सहयोग को मजबूत करेगी।
  • स्वच्छ ऊर्जा तथा सतत् विकास
    • ग्रीन हाइड्रोजन रोडमैप: यह रोडमैप अक्षय ऊर्जा सहयोग की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है, जो दोनों देशों के जलवायु लक्ष्यों के साथ संरेखित है।
    • संयुक्त अनुसंधान और विकास (R&D): उन्नत सामग्रियों पर R&D में सहयोग करने के इरादे की घोषणा, तकनीकी नवाचार के लिए साझा प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालती है।
  • त्रिकोणीय विकास सहयोग (Triangular Development Cooperation- TDC): यह अफ्रीका, एशिया और अन्य स्थानों पर सतत् विकास लक्ष्यों और जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायता के लिए तीसरे देशों में उनकी प्राथमिकताओं के अनुसार सतत्, व्यवहार्य और समावेशी परियोजनाएँ प्रस्तुत करने के लिए आपसी शक्तियों और अनुभवों को एकत्रित करता है।

भारत-जर्मनी संबंधों के बारे में

  • भारत और जर्मनी ने वर्ष 2000 से ही ‘रणनीतिक साझेदारी’ कायम रखी है, जो अब AI, साइबर सुरक्षा, सर्कुलर अर्थव्यवस्था, स्मार्ट कृषि और सतत् विकास जैसे क्षेत्रों में और भी गहरी होती जा रही है।
  • यह आज के वैश्विक संदर्भ में भारत-जर्मनी संबंधों की बढ़ती प्रासंगिकता को रेखांकित करता है।

द्विपक्षीय व्यापार संबंध

  • जर्मनी यूरोपीय संघ के भीतर भारत का शीर्ष व्यापारिक साझेदार है, जिसका व्यापार वर्ष 2022-23 में 26 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया था।
  • जर्मनी को भारतीय निर्यात 10.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जबकि जर्मन आयात 14.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।
  • हालाँकि कोई प्रत्यक्ष मुक्त व्यापार समझौता (FTA) नहीं है, जर्मनी आर्थिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए चल रही EU-भारत व्यापक FTA वार्ता का समर्थन करता है।

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