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2,500 वर्ष पुराने भूकंप ने गंगा नदी की दिशा बदल दी

Lokesh Pal August 08, 2024 05:04 99 0

संदर्भ

नेचर कम्युनिकेशंस में जून 2024 के पेपर में वैज्ञानिकों ने बताया कि लगभग 2,500 वर्ष पहले 7 से 8 तीव्रता के भूकंप के कारण गंगा नदी ने अपना मार्ग नाटकीय रूप से बदल दिया था। 

भूकंप

  • परिचय: भूकंप का आशय है धरती की सतह का अचानक हिलना। यह सभी प्राकृतिक आपदाओं में सर्वाधिक विनाशकारी है। यह तब घटित होता हैं जब धरती की सतह में दरार आ जाती है, आमतौर पर किसी फॉल्ट लाइन के साथ, जिससे भूकंपीय तरंगें उत्पन्न होती हैं जो जमीन से होकर फैलती हैं।  
  • भूकंप के कारण
    • टेक्टॉनिक गतिविधियाँ (Tectonic Activities): भूकंप पृथ्वी की सतह पर टेक्टॉनिक गतिविधियों के दौरान ऊर्जा के अचानक मुक्त होने से होने वाली पृथ्वी की हलचलों की शृंखला के परिणामस्वरूप आते हैं।  
    • अन्य कारण: यह ज्वालामुखी विस्फोट (Volcanic Eruption), चट्टानों के गिरने (Rock Falls), भूस्खलन (Landslides), धँसाव (Subsidence) विशेष रूप से खनन क्षेत्रों मे, बाँधों और जलाशयों के अवरुद्ध होने आदि के कारण भी हो सकता है। 
  • भूकंप मापना
    • सीस्मोग्राफ (Seismographs): यह भूकंप से उत्पन्न भूकंपीय तरंगों का पता लगाने और रिकॉर्ड करने का एक उपकरण है।
      • भूकंपमापी द्वारा दर्ज की गई जानकारी से भूकंप का समय, स्थान और तीव्रता। 
      • यह अभिलेख उन चट्टानों के बारे में भी जानकारी प्रदान करता है, जिनसे होकर भूकंपीय तरंगें गुजरीं। 

द्रवण (Liquefaction)

  • द्रवण तब होता है जब भूकंप के दौरान जमीन की सतह पर जमा, जल-जमाव वाले तलछट, जमीन के तेज कंपन के कारण अपनी ऊर्जा खो देते हैं।
  • मिट्टी तरल पदार्थ की तरह व्यवहार करती है, जिससे भारी नुकसान होता है। यह घटना दुनिया भर में ऐतिहासिक भूकंपों में भारी नुकसान के लिए जिम्मेदार रही है।
  • उदाहरण के लिए, वर्ष 2001 में भुज में आए भूकंप के दौरान, कच्छ के रण में भूजल स्तर के नीचे मौजूद महीन गाद और रेत में तेज कंपन के कारण द्रवण/द्रवीकरण हुआ। खनिज कण नीचे बैठ गए और उनके बीच का जल सतह पर आ गया। 

    • भूकंप की घटनाओं का मापन: भूकंप की घटनाओं का मापन या तो झटके की तीव्रता अथवा परिमाण के अनुसार किया जाता है। 
      • रिक्टर स्केल (Richter Scale): परिमाण पैमाने को रिक्टर स्केल के नाम से जाना जाता है। परिमाण भूकंप के दौरान निकलने वाली ऊर्जा से संबंधित है। परिमाण को निरपेक्ष संख्याओं, 0-10 में व्यक्त किया जाता है। 
      • मरकेली स्केल: तीव्रता पैमाने का नाम इतालवी भूकंप विज्ञानी मरकेली के नाम पर रखा गया है। तीव्रता पैमाने में घटना से होने वाले दृश्यमान नुकसान को ध्यान में रखा जाता है। तीव्रता पैमाने की सीमा 1-12 तक होती है। 

शोध से मुख्य निष्कर्ष

  • रेत के बाँधों की खोज: क्षेत्रीय कार्य के दौरान, वैज्ञानिकों को एक प्राचीन नदी चैनल से एक किलोमीटर पूर्व में दो बड़े रेत के बाँध मिले। 
    • भूकंप के दौरान द्रवीकरण से निर्मित इन बाँधों से पता चला कि भूकंपीय गतिविधियों के कारण तलछट तरल की तरह बहते हैं। 
  • भूकंप के साक्ष्य
    • तटबंधों की उपस्थिति: शोधकर्ताओं को संदेह था कि ये तटबंध किसी बड़े भूकंप की घटना का संकेत देते हैं, जिसकी बाद में पुष्टि हुई। 
      • बाँधों ने पहली बार यह साक्ष्य प्रस्तुत किया कि भूकंप नदियों के मार्ग को बदल सकते हैं।
  • अध्ययन परिणाम
    • गंगा नदी का मार्ग परिवर्तन: भूकंप की तीव्रता के कारण 2,500 वर्ष पूर्व गंगा नदी का मार्ग परिवर्तित हो गया था। 
    • पैलियोचैनल की उपस्थिति: इस बदलाव ने क्षेत्र में एक अच्छी तरह से संरक्षित पैलियोचैनल (प्राचीन नदी तल) का निर्माण किया, जिसका उपयोग अब चावल की खेती के लिए किया जाता है। 
    • समय-संबंध: रेत के बाँधों के निर्माण का समय नदी के कटाव से मेल खाता है, जो भूकंप और नदी के बहाव के बीच संबंध को पुष्ट करता है। 
  • समय विश्लेषण के लिए ऑप्टिकली स्टिम्युलेटेड ल्यूमिनेसेंस (Optically Stimulated Luminescence-OSL) डेटिंग 
    • परिचय: ऑप्टिकली स्टिम्युलेटेड ल्यूमिनेसेंस (OSL) डेटिंग एक ऐसी विधि है, जिसका उपयोग तलछट जमा की आयु निर्धारित करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग भूकंप और नदी के उफान दोनों के समय को निर्धारित करने के लिए किया गया था।  
    • OSL डेटिंग की क्रियाविधि: OSL डेटिंग, उनमें संगृहीत प्राकृतिक विकिरण को मापकर यह अनुमान लगाती है कि खनिज कण कितने समय से दबे हुए हैं। 
      • संगृहीत ऊर्जा की मात्रा का अनुमान लगाने के लिए, शोधकर्ता कणों पर नीली रोशनी डालते हैं, जिससे फँसे हुए इलेक्ट्रॉन क्रिस्टल संरचना से निकलकर परमाणुओं में वापस आ जाते हैं। 
      • ऐसा करते समय वे प्रकाश का एक फोटॉन उत्सर्जित करते हैं।
      • एक फोटोमल्टीप्लायर (Photomultiplier) ट्यूब फोटॉनों को पकड़ती है और उनकी संख्या का अनुमान लगाती है, जिससे फँसी हुई ऊर्जा का मापन होता है।
  • अनसुलझे प्रश्न
    • भूकंप का सटीक उद्गम अभी भी अज्ञात है।
      • शोधकर्ताओं का सुझाव है कि इसकी उत्पत्ति इंडो-बर्मा पर्वत शृंखलाओं या शिलांग पहाड़ियों में हुई होगी, जहाँ भारतीय और यूरेशियाई टेक्टॉनिक प्लेटें मिलती हैं। 

 संभावित खतरे और तैयारी 

  • भूकंप से खतरा बढ़ा है: यह खोज कि बड़े भूकंप नदियों में बड़े पैमाने पर कटाव उत्पन्न कर सकते हैं, इससे पता चलता है कि इनका प्रभाव पहले से समझी गई जानकारी से कहीं अधिक हो सकता है।
    • नदियों के कटाव के कारण इतिहास की कुछ सबसे खतरनाक बाढ़ें आई हैं, जिनका गंगा-मेघना-ब्रह्मपुत्र डेल्टा जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। 
  • उत्तेजक कारक (Exacerbating Factors)
    • मानवीय गतिविधियों और जलवायु परिवर्तन से नदियों के कटाव का खतरा बढ़ जाता है। 
    • इसके कारणों में व्यापक तटबंधों के कारण नदी तटों के पास तेजी से हो रहा भूस्खलन, समुद्र का बढ़ता स्तर तथा चरम मौसम संबंधी घटनाएँ शामिल हैं। 

आगे की राह

  • अनुसंधान की आवश्यकता: अनुसंधान में भूकंप प्रेरित विच्छेदन की आवृत्ति की जाँच की जानी चाहिए तथा ऐसे बड़े भूकंपों के लिए पूर्वानुमान विधियों का विकास किया जाना चाहिए। 
    • डेल्टा क्षेत्र के निर्णयकर्ताओं और निवासियों को इन विस्फोटों से जुड़े जोखिमों के लिए तैयार रहना चाहिए। 
  • भविष्य की तैयारी के लिए निहितार्थ: शोध में संभावित नदी परिवर्तनों के लिए तैयारी हेतु बेहतर भूकंप पूर्वानुमान की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है। 
    • विशेषज्ञ ऐसी भूकंपीय घटनाओं के लिए जन जागरूकता और तैयारी बढ़ाने के महत्त्व पर बल देते हैं। 
  • क्षेत्रीय सहयोग: प्रभावी तैयारी के लिए अनुसंधान, निगरानी और समर्थन में भारत, बांग्लादेश और म्याँमार के बीच सहयोग की आवश्यकता है। 

गंगा नदी

  • परिचय: गंगा भारत की सबसे लंबी नदी है, जो पहाड़ों, घाटियों और मैदानों से होकर 2,510 किलोमीटर से अधिक का प्रवाह मार्ग तय करते हुए बहती है।
  • बेसिन और कवरेज
    • गंगा बेसिन भारत, तिब्बत, नेपाल और बांग्लादेश में 1,086,000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
    • भारत में, यह 861,452 वर्ग किमी., जो देश के भूमि क्षेत्र का लगभग 26% है, जल निकास प्रदान करता है।
  • स्रोत और पाठ्यक्रम
    • इसका उद्गम हिमालय के गंगोत्री ग्लेशियर से होता है, जिसे पहले भागीरथी कहा जाता था।
    • देवप्रयाग में अलकनंदा से मिलकर यह गंगा बन जाती है।
  • सहायक नदियाँ
    • दाहिने तट की प्रमुख सहायक नदियाँ: यमुना, सोन।
    • बाएँ किनारे की सहायक नदियाँ: रामगंगा, घाघरा, गंडक, कोसी, महानंदा।
    • महत्त्वपूर्ण उप-सहायक नदियाँ: चंबल, बेतवा। 
  • डेल्टा 
    • यह नदी बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र से मिलती है और आगे पद्मा के रूप में प्रवाहित होती है।
    • बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले यह नदी सुंदरबन में गंगा डेल्टा के रूप में विस्तृत हो जाती है। 

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