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भारतीय खाद्य पदार्थों में माइक्रोप्लास्टिक संदूषण को दूर करने के लिए एक योजना

Lokesh Pal August 19, 2024 02:03 64 0

संदर्भ

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा भारतीय खाद्य आपूर्ति में माइक्रोप्लास्टिक संदूषण की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए एक अभूतपूर्व योजना प्रारंभ की गई है।

संबंधित तथ्य

  • योजना का शीर्षक:
    • माइक्रो-और नैनो-प्लास्टिक उभरते खाद्य संदूषक के रूप में: मान्य पद्धतियों की स्थापना और विभिन्न खाद्य मैट्रिक्स में व्यापकता को समझना
  • उद्देश्य: 
    • इसका उद्देश्य खाद्य उत्पादों में माइक्रो और नैनो-प्लास्टिक का पता लगाने के लिए विधियों को विकसित और मानकीकृत करना है, साथ ही उपभोक्ताओं के लिए उनकी व्यापकता और संभावित जोखिमों का आकलन करना है।

माइक्रो प्लास्टिक

  • इन्हें पाँच मिलीमीटर से कम व्यास वाले प्लास्टिक के रूप में परिभाषित किया जाता है। 
  • सौर UV विकिरण , पवन, धाराओं और अन्य प्राकृतिक कारकों के प्रभाव में , प्लास्टिक छोटे कणों में टूट जाता है, जिन्हें माइक्रोप्लास्टिक्स (5 मिमी से छोटे कण) या नैनोप्लास्टिक्स (100 एनएम से छोटे कण) कहा जाता है।


  • अन्य संबंधित संस्थान
    • यह पहल भारत भर के प्रमुख शोध संस्थानों के सहयोग से संचालित की जा रही है, जिसमें शामिल हैं-
      • CSIR-भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान (लखनऊ), 
      • ICAR-केंद्रीय मत्स्य प्रौद्योगिकी संस्थान (कोच्चि) और 
      • बिरला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान (पिलानी) 
    • ये संस्थान सूक्ष्म और नैनो-प्लास्टिक का विश्लेषण करने, प्रयोगशाला के भीतर और बाहर तुलना करने एवं भारतीय उपभोक्ताओं के बीच सूक्ष्म प्लास्टिक के संपर्क पर महत्त्वपूर्ण डेटा तैयार करने के लिए मिलकर कार्य करेंगे।

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI)

स्थापित: यह एक स्वतंत्र वैधानिक प्राधिकरण है, जिसे खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के तहत स्थापित किया गया है।

प्रशासनिक मंत्रालय: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (भारत सरकार)

उद्देश्य: FSSAI को खाद्य पदार्थों के लिए विज्ञान आधारित मानकों को निर्धारित करने एवं मानव उपभोग के लिए सुरक्षित तथा पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उनके निर्माण, भंडारण, वितरण, बिक्री एवं आयात को विनियमित करने के लिए बनाया गया है।

FSSAI के कार्य

  • खाद्य सुरक्षा मानकों एवं दिशा-निर्देशों को निर्धारित करने के लिये नियमों का निर्धारण।
  • FSSAI खाद्य व्यवसायों के लिये लाइसेंस और प्रमाणन प्रदान करना।
  • खाद्य व्यवसायों में कार्यरत प्रयोगशालाओं हेतु प्रक्रिया एवं दिशा-निर्देश निर्धारित करना।
  • नीति निर्माण में सरकार को सलाह देना।
  • खाद्य उत्पादों में संदूषकों के बारे में डेटा एकत्र करना, उभरते जोखिमों की पहचान करना और त्वरित चेतावनी प्रणाली  शुरु करना।
  • खाद्य सुरक्षा के संबंध में देश भर में एक सूचना नेटवर्क तैयार करना।
  • खाद्य सुरक्षा एवं खाद्य मानकों के संबंध में सामान्य जागरूकता को बढ़ाना।

FSSAI का विधायी ढाँचा

खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 की मुख्य विशेषताएँ

  • इस अधिनियम का उद्देश्य बहु-स्तरीय और बहु-विभागीय नियंत्रण से एकल नियंत्रण की ओर बढ़ते हुए खाद्य सुरक्षा एवं मानकों से संबंधित सभी मामलों हेतु एकल संदर्भ बिंदु स्थापित करना है।
  • अधिनियम के अंतर्गत FSSAI तथा प्रत्येक राज्य के लिये राज्य खाद्य सुरक्षा प्राधिकरणों की स्थापना हुई।

खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2011 के मुख्य प्रावधान व विशेषताएँ:

  • नियमों में खाद्य सुरक्षा मामलों के अधिनिर्णयन हेतु खाद्य सुरक्षा अपीलीय अधिकरण एवं अपीलीय अधिकरण के पंजीयक का प्रावधान किया गया है।
  • इसमें लाइसेंसिंग एवं पंजीकरण, खाद्य व्यवसायों की लेबलिंग एवं उत्पादों की पैकेजिंग, खाद्य उत्पाद मानक तथा खाद्य योजक विनियमन शामिल हैं।
  • यह गैर-निर्दिष्ट खाद्य और खाद्य सामग्री के विक्रय या अनुमोदन पर रोक लगाता है तथा प्रतिबंधित करता है, ऐसे तत्त्व मानव स्वास्थ्य को हानि पहुँचा सकते हैं।
  • यह जैविक खाद्य पर खाद्य सुरक्षा एवं मानकों का प्रावधान करता है तथा खाद्य विज्ञापन को नियंत्रित करता है।

FSSAI की संरचना:

  • FSSAI में एक अध्यक्ष तथा 22 अन्य सदस्य होते हैं जिनमें एक-तिहाई महिलाएँ होती हैं।
  • FSSAI के अध्यक्ष की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।
  • खाद्य प्राधिकरण को मानक स्थापित करने में वैज्ञानिक समितियों एवं पैनलों तथा प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय में केंद्रीय सलाहकार समिति के माध्यम से सहायता प्रदान की जाती है।


  • प्रमुख तथ्य
    • खाद्य पदार्थों में सूक्ष्म प्लास्टिक प्रदूषण को लेकर बढ़ती चिंता को खाद्य और कृषि संगठन (FAO) की एक हालिया रिपोर्ट ने रेखांकित किया है, जिसमें चीनी और नमक जैसे आम खाद्य पदार्थों में सूक्ष्म प्लास्टिक की पहचान की गई है। 
    • जबकि सूक्ष्म प्लास्टिक की वैश्विक व्यापकता अच्छी तरह से प्रलेखित है, देश में मानव स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए निहितार्थों को बेहतर ढंग से समझने के लिए भारत के लिए विशिष्ट डेटा की तत्काल आवश्यकता है।
  • परिणाम
    • इस अध्ययन के परिणामों से भविष्य में नियामक कार्यवाही को आकार देने और खाद्य सुरक्षा उपायों को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है, जिससे माइक्रोप्लास्टिक्स द्वारा उत्पन्न पर्यावरणीय और स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के अंतर्राष्ट्रीय प्रयास में भारतीय अनुसंधान एक प्रमुख घटक बन जाएगा।

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