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UIDAI द्वारा निजी संस्थाओं के लिए आधार प्रमाणीकरण नियम अधिसूचित

Lokesh Pal February 03, 2025 01:35 19 0

संदर्भ

हाल ही में सुशासन के लिए आधार प्रमाणीकरण (सामाजिक कल्याण, नवाचार, ज्ञान) संशोधन नियम, 2025 को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा अधिसूचित किया गया है।

  • नियमों के अंतर्गत प्रस्ताव के अनुमोदन के आधार पर निजी संस्थाओं को आधार प्रमाणीकरण प्रदान करने की प्रक्रिया की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है।

संशोधित नियम

  • उद्देश्य: सरकारी और गैर-सरकारी दोनों संस्थाओं को जनहित में विभिन्न सेवाएँ प्रदान करने के लिए आधार प्रमाणीकरण सेवा का लाभ उठाने में सक्षम बनाना और निर्णय लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता तथा समावेशिता को बेहतर बनाने में मदद करना।
  • उद्देश्य: आधार प्रमाणीकरण विशिष्ट उद्देश्यों के लिए सेवाएँ प्रदान करने हेतु माँगा जाता है, जैसे,
    • नवाचार को सक्षम बनाना, ज्ञान का प्रसार करना, निवासियों के जीवन को आसान बनाना और ई-कॉमर्स, यात्रा, पर्यटन, आतिथ्य एवं स्वास्थ्य आदि जैसे क्षेत्रों में सेवाओं तक बेहतर पहुँच को सक्षम बनाना।
  • प्रस्ताव: आधार प्रमाणीकरण का उपयोग करने के लिए इच्छुक कोई भी निजी संस्था, आधार अधिनियम के नियम-3 में निर्दिष्ट उद्देश्य के लिए एक प्रस्ताव तैयार करेगी और इसे संबंधित सरकार के संबंधित मंत्रालय या विभाग को प्रस्तुत करेगी। 
    • संबंधित मंत्रालय केंद्र सरकार को अपनी सिफारिशों के साथ प्रस्ताव को अग्रेषित करेगा।
  • जाँच: निजी संस्थाओं के आवेदनों की जाँच UIDAI (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) द्वारा की जाएगी। 
  • अनुमोदन: इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (Meity) आधार प्रमाणीकरण का उपयोग करने के लिए UIDAI की सिफारिश के आधार पर अनुमोदन जारी करेगा। 
  • अधिसूचना: केंद्र या राज्य सरकार का संबंधित मंत्रालय या विभाग इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय (Meity) से पुष्टि प्राप्त करने के बाद आधार उपयोग के लिए संस्था को अधिसूचित करेगा।
    • नियम-3: यह सुशासन सुनिश्चित करने, सामाजिक कल्याण लाभों के अपव्यय को रोकने और नवाचार को सक्षम बनाने तथा ज्ञान के प्रसार के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म के उपयोग के लिए आधार प्रमाणीकरण की अनुमति देता है।
      • नियम-3 के तहत उप-नियमों में से एक यह अनिवार्य करता है कि आधार प्रमाणीकरण स्वैच्छिक आधार पर होना चाहिए।

आधार का निजी संस्था द्वारा प्रमाणीकरण:

  • पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ (2018): पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ (2018) में सर्वोच्च न्यायालय  के पाँच न्यायाधीशों के निर्णय ने आधार अधिनियम, 2016 की धारा 57 को रद्द कर दिया। यह निजी संस्थाओं को आधार प्रमाणीकरण सेवाओं का उपयोग करने से रोकता है।
    • उच्चतम न्यायालय ने आधार अधिनियम की धारा 57 को “दुरुपयोग के प्रति अतिसंवेदनशील” बताया था।
  • धारा 57: इसने निजी संस्थाओं को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए आधार प्रमाणीकरण प्राप्त करने और उसका उपयोग करने का अधिकार दिया।
    • पेटीएम और एयरटेल पेमेंट्स बैंक जैसी निजी कंपनियाँ अपनी संस्थाएँ स्थापित करने के लिए इस प्रावधान के तहत ग्राहकों से आधार विवरण माँगती हैं।
  • आधार अधिनियम की धारा 2(D): न्यायालय ने यह भी निर्णय दिया कि प्रमाणीकरण रिकॉर्ड में मेटाडेटा शामिल नहीं होना चाहिए। रिकॉर्ड छह महीने की अवधि से अधिक नहीं रखे जा सकते।

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