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खाद्य पदार्थों में मिलावट और FSSAI

Lokesh Pal September 21, 2024 05:12 293 0

संदर्भ

प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू में मिलावटी घी के इस्तेमाल को लेकर उठे विवाद ने खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा को लेकर चिंताएँ उत्पन्न कर दी हैं।

संबंधित तथ्य

आरोप सामने आए कि तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम् (TTD) को आपूर्ति किए जाने वाले घी में सस्ते वनस्पति तेल और यहाँ तक ​​कि पशु वसा भी मिलाया जाता है, जिससे इसकी प्रामाणिकता और शुद्धता खतरे में पड़ जाती है।

खाद्य पदार्थों में मिलावट क्या है?

  • खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954 (Prevention of Food Adulteration Act, 1954) में मिलावट को, किसी खाद्य पदार्थ के स्थान पर निम्न-श्रेणी या सस्ती सामग्री का प्रयोग करना, जिससे वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो जाता है, के रूप में परिभाषित किया गया है। 

मिलावट के विभिन्न प्रकार

  • वनस्पति तेल: घी में अक्सर सस्ते तेलों जैसे कि पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल की मिलावट की जाती है, जिनकी कीमत काफी कम होती है।
  • पशु वसा (Animal Fats): तिरुपति लड्डू मामले में आरोप है कि इसमें गोमांस वसा और सूअर की चर्बी की मिलावट की गई है, जो घी से सस्ती है।
  • सिंथेटिक योजक (Synthetic Additives): रसायन और सिंथेटिक पदार्थों का उपयोग (अक्सर पोषण मूल्य की कीमत पर) दिखावट या शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए किया जाता है।

मिलावट के कारण

  • आर्थिक कारक: खाद्य व्यवसाय अपने लाभ मार्जिन को बढ़ाने के लिए सस्ती सामग्री को मिलावट के रूप में प्रयोग कर सकते हैं।
    • उदाहरण के लिए, दूध में पानी, मसालों में चूरा या फलों और सब्जियों में सिंथेटिक रंग मिलाना मिलावट के सामान्य रूप हैं।
  • नियामक कारक: कमजोर खाद्य कानून, कम कर्मचारी या खराब प्रशिक्षित खाद्य नियामक, या भ्रष्टाचार से ऐसा माहौल बन सकता है, जहाँ खाद्य मिलावट पनप सकती है।
  • गलत प्रस्तुति: मिलावट किसी प्रसिद्ध खाद्य पदार्थ की नकल करके उसको बेहतर तरीके से प्रदर्शित कर सकती है या किसी खाद्य पदार्थ की उत्पत्ति के बारे में झूठे दावे प्रस्तुत कर सकती है।
    • कृत्रिम रूप से प्राप्त स्वाद वाले रसायन को प्राकृतिक रूप से प्राप्त के रूप में लेबल करना।
  • अनुचित हैंडलिंग: प्रसंस्करण के दौरान अनुचित हैंडलिंग प्रथाओं से अनाज और अन्य खाद्य पदार्थों में दोष उत्पन्न हो सकते हैं।

मिलावट का स्वास्थ्य पर प्रभाव

  • पोषक तत्त्वों की कमी: मिलावट से उपभोक्ता आवश्यक पोषक तत्त्वों से वंचित हो जाते हैं, जैसे घी की जगह वनस्पति वसा का प्रयोग किया जाता है।
  • पाचन संबंधी समस्याएँ: मिलावटी वसा के सेवन से पाचन संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं, विशेषकर उन लोगों के लिए जो कुछ तेलों या वसा के प्रति संवेदनशील होते हैं।
  • दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिम: मिलावटी भोजन के नियमित सेवन से खराब गुणवत्ता वाले वसा के कारण हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और मोटापे जैसी पुरानी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

मिलावटखोरी रोकने के प्रावधान

  • खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006: यह अधिनियम खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानूनी ढाँचा प्रदान करता है तथा खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954 जैसे पुराने कानूनों को निरस्त करता है। यह अधिकारियों को खाद्य उत्पादन को विनियमित करने और सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करने का अधिकार देता है। 
  • लाइसेंसिंग एवं विनियमन: अधिनियम खाद्य व्यवसायों के लिए लाइसेंस प्राप्त करना और सुरक्षा विनियमों का पालन करना अनिवार्य करता है।
  • भारतीय न्याय संहिता: खाद्य पदार्थों में मिलावट के अपराधों के लिए कारावास और जुर्माने सहित दंड का प्रावधान करती है तथा असुरक्षित खाद्य प्रथाओं के लिए कठोर दंड का प्रावधान करती है। 

राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक (State Food Safety Index- SFSI)

  • उद्देश्य: भारतीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में खाद्य सुरक्षा प्रदर्शन का मूल्यांकन करना।
  • प्रकाशित: प्रत्येक वर्ष 7 जून (विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस) को।
  • मूल्यांकन: पाँच प्रमुख खाद्य सुरक्षा मापदंडों के आधार पर।
  • डेटा स्रोत: FSSAI ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (FoSCoS, FoSCoRIS, FoSTaC, INFoLNET, राज्य पोर्टल)।
  • प्रथम प्रकाशन: 7 जून, 2019।
  • सूचकांक एक गतिशील मात्रात्मक और गुणात्मक बेंचमार्किंग मॉडल है, जो सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में खाद्य सुरक्षा के मूल्यांकन के लिए एक उद्देश्यपूर्ण रूपरेखा प्रदान करता है।
  • यह खाद्य सुरक्षा के पाँच महत्त्वपूर्ण मापदंडों पर राज्यों के प्रदर्शन को मापता है।
  • केरल ने एक बार फिर वर्ष 2024 के राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक (SFSI) में शीर्ष स्थान हासिल किया है।

FSSAI और इसकी भूमिका

  • भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI), खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है।
  • नोडल मंत्रालय: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (भारत सरकार)।
    • यह खाद्य पदार्थों के निर्माण, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात को नियंत्रित करता है, साथ ही खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मानक भी स्थापित करता है।
  • निगरानी और परीक्षण: FSSAI ने DART (रैपिड टेस्ट से मिलावट का पता लगाना) जैसे प्लेटफॉर्म स्थापित किए हैं, जो दूषित पदार्थों के लिए खाद्य उत्पादों की वास्तविक समय पर जाँच करने की अनुमति देता है।
  • राज्य निकायों के साथ समन्वय: FSSAI खाद्य सुरक्षा कानूनों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए राज्य-स्तरीय खाद्य सुरक्षा अधिकारियों और आयुक्तों के साथ मिलकर कार्य करता है।
  • उपभोक्ता संरक्षण: मानकों और विनियमों के माध्यम से, FSSAI का उद्देश्य खाद्य मिलावट के जोखिम को कम करके सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करना है।

बेहतर भोजन विकल्प के लिए पहल

  • ईट राइट इंडिया मूवमेंट एक सरकारी पहल है, जिसका उद्देश्य भारत में स्वस्थ खाने की आदतों और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देना है।
  • यह लोगों को सूचित भोजन विकल्प बनाने और संतुलित आहार अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है। मूवमेंट के प्रमुख घटकों में शामिल हैं:
    • सार्वजनिक जागरूकता अभियान: सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया और टेलीविजन जैसे विभिन्न चैनलों के माध्यम से स्वच्छ खाद्य को बढ़ावा देना।
    • स्वस्थ भोजन वातावरण: ऐसे वातावरण का निर्माण करना, जो स्वस्थ भोजन विकल्पों का समर्थन करते हैं, जैसे कि स्कूलों और कार्यस्थलों में स्वस्थ भोजन विकल्पों को बढ़ावा देना।
    • पोषण शिक्षा: व्यक्तियों और समुदायों को सूचित भोजन विकल्प बनाने में मदद करने के लिए पोषण शिक्षा प्रदान करना।

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