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सरोगेसी कानून के तहत आयु सीमा

Lokesh Pal October 11, 2025 02:49 37 0

संदर्भ 

सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 को पूर्व प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता है। इसका अर्थ है कि जिन दंपतियों ने 25 जनवरी, 2022 को अधिनियम लागू होने से पहले ही सरोगेसी की प्रक्रिया शुरू कर दी थी, उन्हें इस कानून के नए नियमों के तहत अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है।

मामले की पृष्ठभूमि

  • याचिकाओं में सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 की धारा 4(iii)(c)(I) को चुनौती दी गई थी, जिसमें पात्रता की सीमा महिलाओं के लिए 23–50 वर्ष और पुरुषों के लिए 26–55 वर्ष निर्धारित की गई।
  • दंपतियों ने तर्क दिया कि उन्होंने वर्ष 2022 से पहले ही भ्रूण फ्रीज कर लिया था, इसलिए नए आयु सीमा नियमों को पिछली तिथि से लागू करना अनुचित है और यह उनके प्रजनन अधिकार का उल्लंघन करता है।

विधि आयोग की 228वीं रिपोर्ट

यदि प्रजनन अधिकार को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है, तो सरोगेसी, जो एक बाँझ दंपति को उस अधिकार का प्रयोग करने की अनुमति देती है, को भी वही संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है।

सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के प्रमुख बिंदु 

  • प्रजनन स्वायत्तता
    • सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि प्रजनन स्वायत्तता, संविधान के अनुच्छेद-21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का अभिन्न भाग है।
    • न्यायिक पीठ ने यह भी उल्लेख किया कि दत्तक ग्रहण के लिए कोई आयु सीमा नहीं है, फिर सहायक प्रजनन पर अलग मानक क्यों है?
    • सर्वोच्च न्यायालय ने सुचिता श्रीवास्तव बनाम चंडीगढ़ प्रशासन (वर्ष 2009) मामले का हवाला देते हुए कहा कि प्रजनन का चुनाव एक संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकार है।
  • गैर-पूर्वव्यापी अनुप्रयोग: यह आयु सीमा उन लोगों पर पूर्वव्यापी रूप से लागू नहीं हो सकती, जिन्होंने वर्ष 2022 से पहले सरोगेसी शुरू की थी। यह छूट उन मामलों को कवर करती है, जहाँ भ्रूण को कानून बनने से पहले फ्रीज कर दिया गया था, भले ही प्रत्यारोपण बाद में हुआ हो।
    • न्यायालय ने कहा कि ऐसे दंपतियों ने उस समय के वैध कानूनी ढाँचे में कार्य किया था, इसलिए अब उन्हें वंचित करना न्याय और विधिक प्रक्रिया के विपरीत होगा।
  • समता सिद्धांत (Parity Principle): न्यायालय ने कहा कि सहायक प्रजनन तकनीक (ART) का उपयोग करने वाले दंपति को प्राकृतिक गर्भाधान करने वाले दंपतियों के समान अधिकार और सम्मान मिलना चाहिए।
  • स्वतंत्रता और उचित प्रतिबंध: प्राकृतिक गर्भाधान की तरह सरोगेसी के अधिकार को केवल उचित प्रतिबंधों द्वारा ही सीमित किया जा सकता है, न कि पूर्वव्यापी अयोग्यता द्वारा।
    • न्यायालय ने कहा कि पालन-पोषण की क्षमताओं या युग्मक गुणवत्ता के बारे में चिंताएँ प्रजनन विकल्प के पूर्वव्यापी खंडन को उचित नहीं ठहरा सकती हैं।

सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के बारे में 

  • जनवरी 2022 में अधिनियमित सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 और सहायक प्रजनन तकनीक (विनियमन) अधिनियम, 2021, दोनों मिलकर वाणिज्यिक सरोगेसी पर प्रतिबंध लगाते हैं और केवल परोपकारी सरोगेसी की अनुमति देते हैं।
  • सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, सरोगेसी लेने के इच्छुक दंपतियों के लिए पात्रता की शर्तें निर्धारित करता है।
  • परिभाषा: सरोगेसी वह प्रक्रिया है, जिसमें एक महिला किसी दंपति के लिए बच्चे को जन्म देती है और जन्म के बाद उसे उस दंपति को सौंप देती है।
  • प्रकार: केवल परोपकारी सरोगेसी, जिसमें चिकित्सा व्यय और बीमा के अलावा कोई मौद्रिक मुआवजा नहीं दिया जाता है।
  • पात्रता 
    • विवाहित दंपति, जिनकी शादी को कम-से-कम 5 वर्ष हो चुके हों।
    • पत्नी की आयु: 25–50 वर्ष, पति की आयु: 26–55 वर्ष।
    • कोई जीवित जैविक, दत्तक या सरोगेट बच्चा नहीं होना चाहिए, सिवाय इसके कि बच्चा दिव्यांग हो या उसे जीवन के लिए खतरा हो।
  • सरोगेट मदर 
    • निकट संबंधी, आयु 25–35 वर्ष, विवाहित और कम-से-कम एक बच्चा हो।
    • केवल एक बार सरोगेट मदर बन सकती है।
    • चिकित्सीय और मनोवैज्ञानिक फिटनेस प्रमाण-पत्र आवश्यक है।
  • नियामक तंत्र
    • राष्ट्रीय एवं राज्य सरोगेसी बोर्ड नैतिक प्रथाओं का विनियमन, निगरानी और सुनिश्चित करते हैं।
    • क्लीनिकों का पंजीकरण: 60 दिनों के भीतर अनिवार्य।
    • दंड: व्यावसायिक सरोगेसी पर 10 वर्ष तक की सजा और ₹10 लाख का जुर्माना लगाया जा सकता है।

निर्णय का महत्त्व

  • प्रजनन अधिकार की पुष्टि: यह निर्णय अनुच्छेद-21 के तहत प्रजनन स्वायत्तता के न्यायशास्त्र को मजबूत करता है।
  • विधायी अतिरेक पर रोक: प्रतिबंधात्मक प्रजनन कानूनों के पूर्वव्यापी अनुप्रयोग को रोकता है।
  • समानता और न्याय का संरक्षण: यह मान्यता है कि सहायक गर्भाधान को प्राकृतिक गर्भाधान के समान ही सम्मान मिलना चाहिए।
  • मामलों की सुरक्षा: जिन दंपतियों ने कानून लागू होने से पूर्व भ्रूण को फ्रीज करा दिया था, उनके अधिकार सुरक्षित रहेंगे।

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