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AI एक्शन समिट

Lokesh Pal February 13, 2025 12:59 97 0

संदर्भ

फ्रांस और भारत ने 10-11 फरवरी 2025 को AI एक्शन समिट की सह-अध्यक्षता की, जिसमें सार्वजनिक कल्याण के लिए AI को आगे बढ़ाने के लिए वैश्विक नेताओं को एक साथ लाया गया।

संबंधित तथ्य

  • यह शिखर सम्मेलन ब्लेचली पार्क (नवंबर 2023) और सियोल (मई 2024) शिखर सम्मेलनों से प्राप्त महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों पर आधारित है।
  • फ्रांस ने अगले AI शिखर सम्मेलन के मेजबान के रूप में भारत का स्वागत किया।

शिखर सम्मेलन के मुख्य परिणाम

  • ‘लोगों और ग्रह के लिए समावेशी और टिकाऊ कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ पर संयुक्त वक्तव्य
    • हस्ताक्षरित: संयुक्त वक्तव्य पर भारत, चीन, ब्राजील, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय आयोग सहित 58 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं।
      • संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम ने इससे दूरी बना ली।
  • पब्लिक इंटरेस्ट AI प्लेटफॉर्म और इनक्यूबेटर: इसे पब्लिक इंटरेस्ट AI पर मौजूदा सार्वजनिक और निजी पहलों के बीच विभाजन को कम करने और डिजिटल विभाजन को संबोधित करने के लिए लॉन्च किया गया है।
    • संस्थापक सदस्य: भारत, केन्या, जर्मनी, चिली, फिनलैंड, स्लोवेनिया, फ्रांस, नाइजीरिया, मोरक्को।
    • उद्देश्य: डेटा, मॉडल विकास, पारदर्शिता, ऑडिट, कंप्यूट, प्रतिभा, वित्तपोषण और सहयोग में तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण परियोजनाओं का समर्थन करके सार्वजनिक हित को आगे बढ़ाते हुए एक विश्वसनीय AI पारिस्थितिकी तंत्र का सह-निर्माण करना।
  • ऊर्जा, AI और डेटा केंद्रों पर वेधशाला: पहली बार देशों ने AI और पर्यावरण पर अंतरराष्ट्रीय चर्चा को बढ़ावा दिया।
    • IEA 2025 में ऊर्जा, AI और डेटा केंद्रों पर वेधशाला जारी करेगा।
    • यह ऊर्जा क्षेत्र में अत्याधुनिक AI अनुप्रयोगों पर नजर रखने के अलावा AI की विद्युत की जरूरतों पर दुनिया भर में सबसे व्यापक एवं हालिया डेटा एकत्र करेगा।
  • पर्यावरण की दृष्टि से संधारणीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के लिए गठबंधन: इसका उद्देश्य AI के इर्द-गिर्द वैश्विक चर्चा में संधारणीय AI की जगह को उसी तरह मजबूत करना है, जिस तरह से AI सुरक्षा या AI नैतिकता का अध्ययन किया जाता है।
    • पहलकर्ता: फ्रांस, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU)
  • ग्रीन डिजिटल एक्शन इनिशिएटिव: यह एक बहु-हितधारक पहल है जिसे अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ द्वारा एक समर्पित संधारणीय AI कार्य समूह के साथ ग्रीन कंप्यूटिंग पर एक नया विषयगत स्तंभ लॉन्च करने के लिए आयोजित किया गया है।
  • वर्तमान AI: वर्तमान AI खुले, जवाबदेह और उद्देश्य-संचालित AI को निधि देगा जो नुकसान को रोकने और AI के लाभों का दोहन करने के लिए पारदर्शिता, निष्पक्षता और वैश्विक समानता को प्राथमिकता देता है।
    • शुरू किया गया: मैकआर्थर ने सरकार, तकनीकी कंपनियों और परोपकार के साथ साझेदारी में $400 मिलियन के शुरुआती निवेश के साथ शुरू किया।
      • इस साझेदारी का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में कुल 2.5 बिलियन डॉलर जुटाना है।
  • श्रम के लिए AI: कार्यस्थलों, प्रशिक्षण और शिक्षा के लिए AI के निहितार्थों का बेहतर अनुमान लगाने और उत्पादकता, कौशल विकास, गुणवत्ता और कार्य स्थितियों एवं सामाजिक संवाद को बढ़ावा देने के लिए AI का उपयोग करने के लिए वेधशालाओं के एक नेटवर्क का निर्माण करना।
  • AI गवर्नेंस पर वैश्विक संवाद: AI गवर्नेंस और AI पर स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक पैनल पर वैश्विक संवाद शुरू करने और चल रहे गवर्नेंस प्रयासों को संरेखित करने, पूरकता सुनिश्चित करने और दोहराव से बचने की प्रतिबद्धता जताई गई है।

‘लोगों तथा ग्रह के लिए समावेशी और टिकाऊ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ के बारे में

  • यह AI पर तीसरा ऐसा अंतरराष्ट्रीय वक्तव्य है, इससे पहले शिखर सम्मेलनों के बाद जारी किए गए वक्तव्य थे:-
    • ब्लेचली घोषणा, यू.के: यह वर्ष 2023 में यू.के. के ब्लेचली पार्क में आयोजित AI सुरक्षा शिखर सम्मेलन में 28 देशों और यूरोपीय संघ द्वारा हस्ताक्षरित फ्रंटियर AI द्वारा उत्पन्न अवसरों और जोखिमों की साझा समझ स्थापित करता है।
    • सियोल घोषणा, दक्षिण कोरिया: इस पर वर्ष 2024 में 10 देशों और यूरोपीय संघ द्वारा हस्ताक्षर किए गए, इसने AI द्वारा उत्पन्न अवसरों एवं जोखिमों की साझा समझ की पुष्टि की।
  • प्राथमिकताएँ
    • AI की सुलभता: वक्तव्य में AI की सुलभता को बढ़ावा देने और प्रौद्योगिकी को लागू करने में विश्वास और सुरक्षा सुनिश्चित करने का आह्वान किया गया है।
    • नवाचारों को बढ़ावा देना: AI में नवाचारों को विकसित होने सक्षम बनाना और औद्योगिक सुधार एवं विकास को बढ़ावा देने वाले बाजार संकेंद्रण से बचना।
    • श्रम सुरक्षा: AI में विकास को इस तरह से सक्षम बनाना कि यह कार्य एवं श्रम बाजारों के भविष्य को सकारात्मक रूप से आकार देना।
    • मानवाधिकार आधारित AI: यह AI को ‘मानवाधिकार आधारित, मानव-केंद्रित, नैतिक, सुरक्षित, संरक्षित और भरोसेमंद’ बनाने का आह्वान करता है।
    • समान AI: वक्तव्य में विकासशील देशों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्षमता-निर्माण में सहायता करके असमानताओं को कम करने की आवश्यकता और तात्कालिकता पर भी जोर दिया गया है।
    • संधारणीय AI: AI को (डेटा केंद्रों से लेकर प्रशिक्षण मॉडल तक) संधारणीय ऊर्जा पर चलना चाहिए ताकि यह अधिक संधारणीय भविष्य को बढ़ावा दे सके।
      • IEA के अनुमान के अनुसार, वर्ष 2022 में डेटा केंद्रों में 1.65 बिलियन गीगाजूल विद्युत की खपत  (वैश्विक माँग का लगभग 2%) होगी।

AI एक्शन समिट के बारे में

  • AI एक्शन समिट 10-11 फरवरी, 2025 को आयोजित किया गया था, जिसकी सह-अध्यक्षता भारत और फ्रांस ने की थी।
  • AI पर मौजूदा बहुपक्षीय पहल: इस समिट में AI पर मौजूदा बहुपक्षीय पहलों को स्वीकार किया गया, जिनमें शामिल हैं:-
    • संयुक्त राष्ट्र महासभा के संकल्प, वैश्विक डिजिटल समझौता, AI की नैतिकता पर यूनेस्को की सिफारिश, अफ्रीकी संघ महाद्वीपीय AI रणनीति, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD), यूरोप की परिषद एवं यूरोपीय संघ, हिरोशिमा AI प्रक्रिया और G20 सहित G7।
  • विषय-वस्तु
    • जनहित AI: सार्वजनिक हित के लिए लाभकारी सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय परिणामों के लिए वैश्विक AI क्षेत्र के लिए महत्त्वपूर्ण ओपन AI अवसंरचना को परिभाषित करना, बनाना और वितरित करना।
    • कार्य का भविष्य: निरंतर सामाजिक संवाद के माध्यम से कृत्रिम बुद्धिमत्ता के सामाजिक रूप से जिम्मेदार उपयोग को बढ़ावा देना।
    • नवाचार और संस्कृति: सभी आर्थिक क्षेत्रों, विशेष रूप से रचनात्मक और सांस्कृतिक उद्योगों के साथ कार्य करने वाले स्थायी अभिनव पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना।
    • AI में विश्वास: सुरक्षा और सुरक्षा मुद्दों पर वैज्ञानिक सहमति के आधार पर AI में विश्वास बनाने के लिए तंत्र को मजबूत करना।
    • वैश्विक AI शासन: AI पर अंतरराष्ट्रीय शासन के समावेशी और प्रभावी ढाँचे को आकार देना।

AI अर्थव्यवस्था के संबंध में चिंताएँ

  • AI-एनर्जी नेक्सस: AI एक बहुत ही उच्च ऊर्जा गहन क्षेत्र है, IEA का अनुमान है कि एक एकल चैटजीपीटी क्वेरी के लिए 2.9 वाट/घंटे विद्युत की आवश्यकता (वर्तमान में गूगल पर खोज के लिए 0.3 वाट/घंटे की तुलना में 10 गुना अधिक) होती है।
    • वर्ष 2030 तक डेटा सेंटर की विद्युत की माँग 160 प्रतिशत बढ़ जाएगी और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में अपेक्षित वृद्धि 125-140 बिलियन डॉलर (वर्तमान मूल्य पर) की ‘सामाजिक लागत’ का प्रतिनिधित्व करेगी।
  • श्रम बाजारों में विस्थापन: श्रम बाजार, विशेष रूप से प्रवेश-स्तर की नौकरियों पर AI का प्रभाव नीति निर्माताओं के लिए एक चुनौती है, क्योंकि उन्हें डर है कि बड़े पैमाने पर आर्थिक विस्थापन से मौजूदा सामाजिक एवं आर्थिक विभाजन और भी बढ़ सकता है।
    • अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का अनुमान है कि AI के कारण वैश्विक स्तर पर लगभग 75 मिलियन नौकरियाँ पूर्णतः स्वचालन के खतरे में हैं।
  • स्वचालन असमानता: विकासशील देशों के लिए नुकसानदेह ‘विनर टेक्स आल’ दृष्टिकोण में स्वचालन के लाभों के केंद्रित होने का जोखिम है, जो श्रम एवं संसाधन-समृद्ध हैं, जिससे असमानता और भी बढ़ रही है।
  • AI मॉडल में पूर्वाग्रह: प्रशिक्षण डेटासेट सामाजिक पूर्वाग्रहों को दर्शा सकते हैं, जिससे AI सिस्टम द्वारा निर्णय लेने पर भेदभावपूर्ण परिणाम सामने आ सकते हैं।
  • AI गवर्नेंस: AI गवर्नेंस के दृष्टिकोण में अंतर स्पष्ट है, जिसमें यूरोप विनियमन तथा निवेश करना चाहता है, चीन राज्य समर्थित तकनीकी दिग्गजों के माध्यम से पहुँच का विस्तार कर रहा है, और अमेरिका नियंत्रण-मुक्त दृष्टिकोण का समर्थन कर रहा है।
    • वैश्विक AI मानक विकास की प्रक्रिया में हैं तथा विकासशील देशों के पास पर्याप्त AI हिस्सेदारी न होने के कारण इस प्रक्रिया से बाहर रह जाने का खतरा है।

AI युग में श्रम

  • अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन का अनुमान है कि AI के कारण वैश्विक स्तर पर लगभग 75 मिलियन नौकरियाँ स्वचालन के पूर्ण जोखिम में हैं।
  • भारत: नैसकॉम का अनुमान है कि भारतीय AI बाजार वर्ष 2027 तक 25 से 35 प्रतिशत CAGR  की दर से बढ़ेगा।
  • संकट
    • विस्थापन: भारत के IT कार्यबल का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा कम मूल्यवर्द्धित सेवाओं में कार्यरत है, जो स्वचालन के लिए सबसे अधिक संवेदनशील हैं।
      • आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, भारत को बढ़ते कार्यबल की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वर्ष 2030 तक गैर-कृषि क्षेत्र में सालाना औसतन 78.5 लाख नौकरियाँ उत्पन्न करनी होंगी।
    • वृहद आर्थिक निहितार्थ: भारत एक उपभोग आधारित अर्थव्यवस्था है, इसलिए नौकरी जाने से उपभोग में गिरावट भारत के विकास की यात्रा को प्रभावित करेगी क्योंकि इसके गंभीर वृहद आर्थिक निहितार्थ हो सकते हैं।
    • आर्थिक असमानता: श्रमिकों को तकनीकी प्रगति से जुड़ी उत्पादकता और लाभप्रदता लाभ का तुरंत लाभ नहीं मिल सकता है, जिससे उन्हें लगातार कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
  • उत्प्रेरक
    • पूरक: मणि (वर्ष 2018) द्वारा किए गए एक अध्ययन में बताया गया है कि भारत में रोबोट की शुरूआत ने वर्ष 2016 तक विनिर्माण क्षेत्र में प्रति 10000 पर केवल 10 नौकरियों के प्रतिस्थापन के लिए जिम्मेदार ठहराया।
    • कौशल असमानता में कमी: AI टूल कौशल अंतर को पाटने में मदद करता है क्योंकि यह कम कुशल श्रमिकों को बिना किसी उपकरण के उच्च कुशल श्रमिकों के कार्य की गुणवत्ता के करीब आउटपुट का उत्पादन करने की अनुमति देता है जिससे समग्र उत्पादकता में वृद्धि होती है।
      • ग्राहक सहायता कर्मियों को बढ़ाने वाले जनरेटिव AI सहायकों की शुरूआत से उत्पादकता में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसमें नए एवं कम कुशल श्रमिकों के लिए 34 प्रतिशत सुधार शामिल है।
    • प्रतिभा पूल: भारत सबसे युवा कार्यबल आबादी वाला देश है, इसलिए शिक्षा तथा कौशल पहलों में निवेश करके उभरती प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने के लिए एक समृद्ध प्रतिभा पूल उपलब्ध है।

आगे की राह

  • ऊर्जा बचत करने वाला AI इंफ्रास्ट्रक्चर: ऐसे AI एल्गोरिदम और इंफ्रास्ट्रक्चर डिजाइन करना बहुत जरूरी है जो कम ऊर्जा की खपत करें और AI को स्मार्ट ग्रिड में एकीकृत करके विद्युत के उपयोग को अनुकूलित करें।
  • AI संस्थान: ऐसे उच्च स्तरीय संस्थान बनाना जो कर्मचारियों को मध्यम एवं उच्च-कुशल नौकरियों में जाने में मदद कर सकें, जहाँ AI उनकी जगह लेने के बजाय उनके प्रयासों को बढ़ा सके।
  • कौशल पहल: स्कूल एवं कॉलेज के पाठ्यक्रम और कर्मचारियों के लिए कौशल विकास कार्यक्रमों में AI को एक आधारभूत विषय के रूप में शामिल करना।
  • पूर्वाग्रह मुक्त मॉडल: ऐसे ओपन सोर्स प्रारूप में AI मॉडल का विकास जो समावेशी हो और भाषा अवरोधों जैसी बाधाओं से मुक्त हो।
  • AI इंफ्रास्ट्रक्चर एकाधिकार को खत्म करना: AI इंफ्रास्ट्रक्चर (जैसे- Nvidia, USA द्वारा उन्नत AI चिप का उत्पादन) पर उन्नत देशों के एकाधिकार को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए ताकि AI तक अधिक न्यायसंगत पहुँच हो और सभी अर्थव्यवस्थाओं को इसका लाभ मिल सके।

AI समिट में भारत

  • भारत ने फ्रांस के साथ इस समिट की सह-अध्यक्षता की।
    • भारत ने वर्ष 2026 में AI समिट की मेजबानी करने की इच्छा व्यक्त की है।
  • AI वीडियो स्थानीयकरण: मीडियावेन (फ्रांस) और रेवरी लैंग्वेज टेक्नोलॉजीज (भारत) के बीच एक रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की गई है, जिसका उद्देश्य 11 भारतीय भाषाओं में सहज स्थानीयकरण को सक्षम करके वीडियो एक्सेसिबिलिटी में परिवर्तनकारी बदलाव लाना है, जिससे विविध दर्शकों में समावेशिता को बढ़ावा मिलेगा।
    • यह समाधान Coming2India.com में शामिल किया गया है, जो यूरेका इनोवाइड (Eureka Innowwide) द्वारा समर्थित एक नव-लॉन्च किया गया पूर्ण-सेवा स्थानीयकरण प्लेटफॉर्म है।
  • भारतीय प्रधानमंत्री का संदेश
    • ओपन सोर्स: PM ने नवाचार और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए चीन के AI मॉडल डीपसीक की तर्ज पर ओपन-सोर्स AI मॉडल को अपनाने का आह्वान किया।
    • पूर्वाग्रहों से मुक्त डेटासेट: भारत सरकार ऐसे आधारभूत मॉडल को निधि देने पर विचार कर रही है जो भारत के विभिन्न पहलुओं को समझते हुए भारतीय संदर्भ को समझें।
    • नौकरियों पर AI का संभावित प्रभाव: हालाँकि भविष्य की नौकरियों की प्रकृति में काफी बदलाव आएगा, लेकिन प्रधानमंत्री ने प्रौद्योगिकी को अपनाते हुए लोगों को ‘कौशल एवं पुनः कौशल’ प्रदान करने का आह्वान किया।
    • संधारणीय AI: AI एक अत्यधिक ऊर्जा गहन क्षेत्र है और इसे परमाणु ऊर्जा की तरह ‘अपने भविष्य को बढ़ावा देने के लिए हरित ऊर्जा’ पर निर्भर रहना होगा।
      • सतत् AI का अर्थ यह भी है कि AI मॉडल आकार, डेटा आवश्यकताओं और संसाधन आवश्यकताओं के मामले में कुशल एवं टिकाऊ होने चाहिए।

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