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AI प्रसार रूपरेखा: अमेरिकी रणनीति पर पुनर्विचार और भारत के लिए अवसर

Lokesh Pal June 30, 2025 02:47 6 0

संदर्भ

अमेरिका ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence- AI) तकनीक पर लगाए गए सख्त निर्यात नियंत्रणों वाले AI डिफ्यूजन फ्रेमवर्क को वापस लेने का ऐलान किया है, जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद आवश्यक माना जाता था।

  • भारत ने इन परिवर्तनों का समर्थन किया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि भले ही दृष्टिकोण में बदलाव आया हो, AI नियंत्रण और वैश्विक प्रभुत्व प्राप्त करने की रणनीतिक आकांक्षाएँ अभी भी यथास्थान बनी हुई हैं।

AI डिफ्यूजन फ्रेमवर्क के बारे में

  • इसे बाइडेन प्रशासन के अंतिम चरण के दौरान पेश किया गया था, AI डिफ्यूजन फ्रेमवर्क ने AI क्षमताओं को राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले के रूप में माना।
  • इसका उद्देश्य विरोधियों की पहुँच को सीमित करके और सहयोगियों के बीच AI विकास को मजबूत करके अमेरिकी AI नेतृत्व को संरक्षित करना था।
    • चीन और रूस जैसे विरोधियों को उन्नत AI चिप्स और मॉडल वेट प्राप्त करने से रोकना।
    • सहयोगी देशों के अंतर्गत AI विकास पर ध्यान केंद्रित करके अमेरिकी नेतृत्व को मजबूत करना।
    • AI को परमाणु हथियारों जैसी सैन्य-ग्रेड तकनीकों के बराबर समझना, AI श्रेष्ठता के रूप में कंप्यूटिंग शक्ति पर ध्यान केंद्रित करना।
  • इस ढाँचे के तहत अमेरिकी सरकार ने तीन स्तर के देश बनाने का प्रस्ताव दिया है, जिनमें से प्रत्येक के लिए AI चिप्स और GPU के निर्यात पर विशिष्ट प्रतिबंध होंगे।
  • देशों को विश्वसनीय सहयोगी, प्रतिबंधित भागीदार और विरोधियों में वर्गीकृत किया गया था,
  • भारत वर्गीकरण के टियर 2 (प्रतिबंधित भागीदार) में था, GPU के आयात के लिए कुछ प्रतिबंध आरोपित किए गए थे, जब तक कि कंप्यूटिंग शक्ति विश्वसनीय और सुरक्षित वातावरण में होस्ट न की जाए।
  • यह ढाँचा इस तर्क पर आधारित था कि अधिक कंप्यू टेशनल शक्ति (कंप्यूट) बेहतर AI क्षमता में परिवर्तित हो जाती है।

AI डिफ्यूजन फ्रेमवर्क की आलोचना

  1. रणनीतिक अतिक्रमण: इस ढाँचे में अमेरिकी निर्यात मानदंडों का अंतरराष्ट्रीयकरण करने का प्रयास किया गया, जिसके कारण मित्र राष्ट्रों से भी प्रतिरोध उत्पन्न हुआ।
    • इसे एक तकनीकी आदेश के रूप में देखा गया, जो सहयोगात्मक नवाचार को कमजोर करता है।
    • एनवीडिया (AI जीपीयू निर्माता) ने इस ढाँचे की आलोचना करते हुए कहा कि यह नवाचार को कमजोर करता है और अमेरिका की वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा को कमजोर करता है।
  2. नागरिक-सैन्य गलत वर्गीकरण: परमाणु प्रौद्योगिकी के विपरीत, AI मुख्य रूप से दोहरे उपयोग की क्षमता वाला नागरिक-संचालित नवाचार है। 
    • इसे केवल सैन्य परिसंपत्ति के रूप में मानना ​​गलत माना गया।
  3. प्रतिकूल नवप्रवर्तन दबाव: निर्यात नियंत्रणों ने विरोधी राज्यों में स्वदेशी नवप्रवर्तन को प्रोत्साहित किया।
    • उदाहरण: चीन के डीपसीक R1 ने बहुत कम कंप्यूटिंग शक्ति का उपयोग करके अमेरिकी मॉडलों के साथ लगभग समानता प्राप्त की, जो हार्डवेयर-आधारित प्रतिबंधों की सीमाओं को दर्शाता है।
  4. विश्वास की हानि और तकनीकी विखंडन: मित्र राष्ट्रों ने इस ढाँचे को तकनीकी सहयोग में अविश्वसनीयता के संकेत के रूप में देखा।
    • इसने देशों को समानांतर AI पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए प्रेरित किया, जिससे दीर्घकालिक अमेरिकी प्रभाव कमजोर हो गया।

भारत के अवसर

  • मूल ढाँचे के तहत भारत को अनुकूल स्थिति में नहीं रखा गया था, जिससे उच्च-स्तरीय AI चिप्स और साझेदारी तक पहुँच सीमित हो गई थी।
  • यह वापसी एक सकारात्मक विकास है, जिससे भारत को और अधिक अवसर प्राप्त होंगे:
    • अपने AI R&D पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना।
    • एक संतुलित वैश्विक AI शासन मॉडल के लिए प्रयास करना।
    • आयातित AI अवसंरचना पर निर्भरता कम करना।
  • हालाँकि, चिप-स्तरीय नियंत्रण, ट्रैकिंग सुविधाओं और संस्थाओं को ब्लैकलिस्ट करने के माध्यम से अमेरिकी नीति का निरंतर विकास अभी भी भारत की तकनीकी महत्त्वाकांक्षाओं को प्रभावित कर सकता है।

आगे की राह

a. AI विनियमन के लिए वैश्विक ढाँचा

  • संयुक्त राष्ट्र (UN), OECD,  या G20 जैसी संस्थाओं के तहत AI मानदंडों और निर्यात प्रशासन के लिए बहुपक्षीय संवाद को बढ़ावा देना।
  • उद्देश्य: AI प्रणालियों में पारदर्शिता
  • नवाचार को बाधित किए बिना दोहरे उपयोग का प्रबंधन
  • साझा नैतिक सिद्धांतों की स्थापना (जैसे- निष्पक्षता, सुरक्षा, जवाबदेही)
  • विखंडित AI परिदृश्य से बचने के लिए, विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण देशों के बीच तकनीकी सहयोग को प्रोत्साहित करना।

वैश्विक AI शासन तंत्र तथा  पहल

  • ब्लेचली घोषणा (यू.के. AI सुरक्षा शिखर सम्मेलन, नवंबर 2023): जिम्मेदार AI विकास को बढ़ावा देने के लिए 25 से अधिक देशों (अमेरिका, यू.के., भारत, चीन, यूरोपीय संघ सहित) द्वारा हस्ताक्षरित।
    • फ्रंटियर AI की दोहरे उपयोग की प्रकृति को मान्यता दी गई है। 
    • अंतरराष्ट्रीय सहयोग, पारदर्शिता और सुरक्षा प्रोटोकॉल की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
  • OECD AI सिद्धांत (2019): AI पर पहला अंतर-सरकारी मानक। इसके पक्षधर हैं: समावेशी विकास, मानव-केंद्रित मूल्य और पारदर्शिता और जवाबदेही।
  • AI नैतिकता पर यूनेस्को की सिफारिश (2021): AI के उपयोग के लिए वैश्विक नैतिक ढाँचा, जिसमें जोर दिया गया है: मानवाधिकार, डेटा शासन और निष्पक्षता।
  • जनरेटिव AI पर G7 हिरोशिमा प्रक्रिया (2023): जनरेटिव AI के सुरक्षित, पारदर्शी उपयोग के लिए सामान्य नियम बनाने पर ध्यान केंद्रित करती है।

महत्त्व: ये पहल बहुपक्षीय, नैतिक और समावेशी AI शासन ढाँचे की नींव रखती हैं, जो AI प्रसार ढाँचे जैसे एकतरफा दृष्टिकोण का मुकाबला करती हैं।


b. भारत के लिए नीतिगत परिप्रेक्ष्य

  • डिजिटल इंडिया और इंडियाAI जैसे मिशनों के माध्यम से स्वदेशी चिप और कंप्यूट इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश करना।
  • एक व्यापक AI नीतिगत ढाँचा विकसित करना, जो संतुलित हो:
    • राष्ट्रीय सुरक्षा
    • नैतिक चिंताएँ
    • औद्योगिक विकास
  • मुक्त और समावेशी AI पारिस्थितिकी तंत्र को आगे बढ़ाने के लिए समान विचारधारा वाले देशों (जैसे- जापान, ऑस्ट्रेलिया, आदि) के साथ रणनीतिक गठबंधन का निर्माण करना।
  • कृषि, स्वास्थ्य और शासन जैसे क्षेत्रों में मूलभूत AI अनुसंधान और AI अनुप्रयोगों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
  • भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप डेटा सुरक्षा, एल्गोरिदम पारदर्शिता और गोपनीयता सुरक्षा सुनिश्चित करना।

भारत AI मिशन

  • लॉन्च: मार्च 2024 में स्वीकृत।
  • बजट: पाँच वर्षों में ₹10,371 करोड़।
  • उद्देश्य: तकनीकी संप्रभुता और AI के नैतिक उपयोग को सुनिश्चित करते हुए भारत को वैश्विक AI नवाचार केंद्र के रूप में स्थापित करना।

प्रमुख घटक

  • इंडियाAI कंप्यूट क्षमता: 10,000 से अधिक GPU के साथ एक आधारभूत AI कंप्यूट अवसंरचना का विकास।
  • इंडियाAI इनोवेशन सेंटर: घरेलू स्तर पर विकसित ‘लार्ज लैंग्वेज मॉडल’ (Large Language Models- LLM) को विकसित करने और उन्हें बेहतर बनाने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर का शोध केंद्र।
  • इंडिया AI डेटासेट प्लेटफॉर्म: स्टार्ट-अप और शोधकर्ताओं के लिए ‘क्यूरेटेड डेटासेट’ तक एकीकृत पहुँच।
  • स्टार्ट-अप वित्तपोषण: AI स्टार्ट-अप को फंडिंग और मेंटरिंग के साथ समर्थन देने के लिए समर्पित इंडिया AI स्टार्ट-अप वित्तपोषण योजना।
  • कौशल और कार्यबल विकास: MeitY और शिक्षाविदों के सहयोग से AI-विशिष्ट कौशल कार्यक्रम।
  • सुरक्षित और जिम्मेदार AI: नैतिक, निष्पक्ष और व्याख्यात्मक AI सिस्टम पर ध्यान केंद्रित करना।

निष्कर्ष:

AI प्रसार ढाँचे को वापस लेना अमेरिका की रणनीति में परिवर्तन को अवश्य दर्शाता है, परंतु उसकी समग्र रणनीतिक दिशा में कोई मौलिक परिवर्तन नहीं हुआ है। भारत के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण नीतिगत क्षण है, जिसका उपयोग वह अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को सशक्त रूप से व्यक्त करने, अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करने और वैश्विक स्तर पर नैतिक तथा न्यायसंगत AI विकास की दिशा में विमर्श का नेतृत्व करने हेतु कर सकता है।

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