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AI नैतिकता

Lokesh Pal January 02, 2025 03:33 57 0

संदर्भ

इंडियाएआई (IndiaAI) ने ‘सुरक्षित और विश्वसनीय’ AI परियोजनाओं को शुरू करने के लिए सहयोगी प्रस्तावों के लिए ‘रुचि की अभिव्यक्ति’ (EOI) आमंत्रित की है, जिसमें नैतिक AI ढाँचे की स्थापना और AI जोखिम मूल्यांकन तथा प्रबंधन उपकरण एवं ‘डीपफेक डिटेक्शन टूल’ बनाना शामिल है।

एआई नैतिकता (AI Ethics)

  • परिभाषा: एआई नैतिकता, एआई प्रणालियों पर लागू नैतिक सिद्धांतों का बहु-विषयक अध्ययन है, जो जोखिमों और प्रतिकूल परिणामों को कम करते हुए एआई के लाभकारी प्रभाव को अधिकतम करने पर ध्यान केंद्रित करता है। 
  • शासन, चिकित्सा, शिक्षा, वित्त और रक्षा में एआई को अपनाने में वृद्धि से महत्त्वपूर्ण नैतिक मुद्दे उठते हैं।

नैतिक AI के लिए IndiaAI के प्रस्ताव का उद्देश्य

  • भारत एआई मिशन के सुरक्षित और विश्वसनीय एआई खंड के अंतर्गत नैतिक उपयोग के लिए सुरक्षा कवच बनाकर एआई को जिम्मेदारी से अपनाने को बढ़ावा देना।
  • एआई अनुप्रयोगों में पारदर्शिता, जवाबदेही, निष्पक्षता और सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा देना।

AI विकास के लिए प्रमुख नैतिक सिद्धांत (नीति आयोग के जिम्मेदार AI दृष्टिकोण से)

  • सुरक्षा और विश्वसनीयता: यह सुनिश्चित करना कि AI सिस्टम वास्तविक दुनिया की परिस्थितियों में सुरक्षित रूप से कार्य करें।
  • समानता और समावेशिता: भेदभाव को रोकना और AI लाभों तक समान पहुँच सुनिश्चित करना।
  • गोपनीयता और सुरक्षा: उपयोगकर्ता डेटा की सुरक्षा करना और दुरुपयोग से बचाना।
  • पारदर्शिता: AI सिस्टम को समझने योग्य बनाना और उनके निर्णयों को समझाने योग्य बनाना।
  • जवाबदेही: AI परिणामों के लिए जिम्मेदारी को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना।
  • मानव मूल्यों को बढ़ावा देना: नैतिक और सकारात्मक सामाजिक मानदंडों को सुदृढ़ बनाना।​

एआई नैतिकता का महत्त्व

  • निष्पक्षता सुनिश्चित करना और पक्षपात कम करना: AI सिस्टम प्रशिक्षण डेटा से पक्षपात प्राप्त कर सकते हैं, जिससे भेदभावपूर्ण व्यवहार हो सकते हैं। 
    • कैपजेमिनी सर्वेक्षण से पता चला है कि 85% संगठनों को अपने AI कार्यान्वयन में नैतिक चिंताओं का सामना करना पड़ा।
  • गोपनीयता और डेटा सुरक्षा की रक्षा करना: AI बड़े डेटासेट पर निर्भर करता है, जिससे व्यक्तिगत जानकारी के दुरुपयोग के संबंध में चिंताएँ बढ़ जाती हैं। 
    • हाल ही में ANI ने कॉपीराइट किए गए समाचार लेखों के अनधिकृत उपयोग के लिए OpenAI पर मुकदमा दायर किया।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना: पारदर्शी AI सार्वजनिक विश्वास सुनिश्चित करता है और निर्णयों के लिए जिम्मेदारी सौंपने में मदद करता है। 
    • डीप लर्निंग मॉडल में ‘ब्लैक बॉक्स समस्या’ AI निर्णय लेने को अस्पष्ट बनाती है, जिससे जवाबदेही में बाधा आती है।
  • सुरक्षा जोखिम और दुरुपयोग को रोकना: AI सिस्टम पर प्रतिकूल हमले महत्त्वपूर्ण डोमेन में भयावह परिणाम दे सकते हैं। 
    • AI-सक्षम साइबर हमले, जैसे कि डीपफेक, बढ़ रहे हैं; उदाहरण के लिए, रूस-यूक्रेन संघर्ष के दौरान यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के आत्मसमर्पण का नकली वीडियो।

  • समावेशी विकास को बढ़ावा देना: नैतिक एआई सुनिश्चित करता है कि लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुँचे, जिससे डिजिटल विभाजन से बचा जा सके। 
    • NIRAMAI (प्रारंभिक स्तन कैंसर का पता लगाना) जैसे एआई समाधानों को ग्रामीण क्षेत्रों में अपनाने को सुनिश्चित करने के लिए समावेशिता को संबोधित करना चाहिए।
    • भारत द्वारा ‘एआई फॉर ऑल’ रणनीति का उद्देश्य वंचित समुदायों में एआई लाभों का लोकतंत्रीकरण करना है।
  • एआई सिस्टम में सार्वजनिक विश्वास का निर्माण: नैतिक एआई उपयोग विश्वास को बढ़ावा देता है, जिसे व्यापक रूप से अपनाया और स्वीकार किया जाता है।
    • माइक्रोसॉफ्ट और गूगल द्वारा चेहरे की पहचान के लिए नैतिक दिशा-निर्देशों ने उपयोगकर्ता के विश्वास में सुधार किया।

अन्य देशों में एआई नैतिकता

जर्मनी: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में नैतिकता के लिए संस्थान

  • मानव-केंद्रित इंजीनियरिंग और एआई में तेजी से प्रगति के सांस्कृतिक और सामाजिक आधार पर ध्यान केंद्रित करना, जिसमें दर्शन, नैतिकता, समाजशास्त्र और राजनीति विज्ञान जैसे विषय शामिल हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका: द एआई नाउ इंस्टिट्यूट

  • एआई के सामाजिक निहितार्थ, विशेषकर निम्नलिखित क्षेत्रों में: अधिकार और स्वतंत्रता, श्रम और स्वचालन, पूर्वाग्रह और समावेशन, तथा सुरक्षा और महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचा।

यूनाइटेड किंगडम: द इंस्टिट्यूट फॉर एथिकल एआई एंड मशीन लर्निंग

  • संस्थान का उद्देश्य जिम्मेदार मशीन लर्निंग के सिद्धांतों के आधार पर एआई विकसित करने के लिए व्यक्तियों से लेकर पूरे राष्ट्र को सशक्त बनाना है।

बेल्जियम: AI4People

  • एआई के सामाजिक प्रभाव, तथा संस्थापक सिद्धांत, नीतियाँ और प्रथाएँ जिन पर ‘गुड एआई सोसायटी’ का निर्माण किया जा सके।

एआई के नैतिक उपयोग में भारत के लिए चुनौतियाँ

  • डेटा गोपनीयता और सुरक्षा: भारत में व्यापक डेटा सुरक्षा कानून का अभाव है, जिससे यह विनियमित करना मुश्किल हो जाता है कि AI सिस्टम डेटा कैसे एकत्रित और उपयोग करते हैं।
    • यूरोपीय संघ के GDPR जैसे मजबूत गोपनीयता कानूनों की अनुपस्थिति AI अनुप्रयोगों के माध्यम से व्यक्तिगत डेटा के दुरुपयोग के संबंध में चिंताएँ बढ़ाती है।
  • AI मॉडल में पूर्वाग्रह और भेदभाव: प्रशिक्षण डेटासेट प्रायः सामाजिक, सांस्कृतिक और प्रणालीगत पूर्वाग्रहों को दर्शाते हैं, जिससे भेदभावपूर्ण AI निर्णय लिए जाते हैं।
    • नीति आयोग की रिपोर्ट में समावेशी आँकड़ों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है, जो भारत की भाषायी और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है।
  • डिजिटल डिवाइड: AI प्रौद्योगिकियों और बुनियादी ढाँचे तक असमान पहुँच ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में नैतिक और समावेशी AI अपनाने को सीमित करती है।
    • इंटरनेट की पहुँच की कमी के कारण ई-स्वास्थ्य समाधान जैसे एआई अनुप्रयोग हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए दुर्गम बने हुए हैं।
  • प्रौद्योगिकी की दोहरी-उपयोग प्रकृति: AI की दोहरी-उपयोग प्रकृति भारत के लिए चुनौतियाँ खड़ी करती है, जो लाभकारी अनुप्रयोगों (जैसे- स्वास्थ्य सेवा, सुरक्षा) और हानिकारक दुरुपयोग (जैसे- निगरानी, ​​डीपफेक) दोनों को सक्षम बनाती है, जिसके लिए मजबूत विनियमन, नैतिक निरीक्षण और सार्वजनिक जागरूकता की आवश्यकता होती है।
  • AI विनियमन और मानकों का अभाव: भारत में AI विकास और परिनियोजन को नियंत्रित करने के लिए विशिष्ट विनियमनों का अभाव है, जिससे नैतिक चिंताओं का समाधान नहीं हो पाता।
    • भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने हाल ही में AI मानकों पर कार्य शुरू किया है, लेकिन प्रगति धीमी है।
  • एआई गवर्नेंस: भारत में विभिन्न क्षेत्रों में एआई के नैतिक उपयोग को नियंत्रित करने के लिए एक केंद्रीकृत विनियामक ढाँचे का अभाव है। MeitY, नीति आयोग और अन्य निकायों के बीच अतिव्यापक जिम्मेदारियाँ AI गवर्नेंस में अस्पष्टताएँ उत्पन्न करती हैं।
    • सिंगापुर के ‘मॉडल एआई गवर्नेंस फ्रेमवर्क’ के समान एक समर्पित एआई नैतिकता और शासन निकाय अभी तक भारत में स्थापित नहीं किया गया है।
  • नौकरी विस्थापन और आर्थिक असमानता: AI के माध्यम से तेजी से स्वचालन बड़े पैमाने पर बेरोजगारी का कारण बन सकता है, विशेषकर विनिर्माण और सेवाओं जैसे क्षेत्रों में।
    • ग्राहक सेवा भूमिकाओं में AI-संचालित चैटबॉट और स्वचालन भारत के BPO क्षेत्र में लाखों नौकरियों के लिए खतरा है।
    • ‘मैकेन्जी ग्लोबल इंस्टिट्यूट’ द्वारा अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2030 तक स्वचालन के कारण वैश्विक स्तर पर 800 मिलियन नौकरियाँ समाप्त हो सकती हैं। 
  • कुशल कार्यबल की कमी: भारत में AI नैतिकता, शासन और तकनीकी क्षेत्रों में प्रशिक्षित कुशल पेशेवरों की कमी है।
    • नैतिक AI डिजाइन के लिए प्रौद्योगिकी, कानून और सामाजिक विज्ञान में ‘क्रॉस-डिसिप्लिनरी’ विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है, जिसकी वर्तमान में कमी है।
    • नैसकॉम ने वर्ष 2021 में रिपोर्ट दी थी कि भारत को 2 मिलियन AI पेशेवरों की आवश्यकता है, लेकिन वर्तमान प्रतिभा पूल बहुत छोटा है।
  • निगरानी में AI का उपयोग: AI-संचालित निगरानी प्रणाली का दुरुपयोग होने पर गोपनीयता और नागरिक स्वतंत्रता का उल्लंघन होने का जोखिम है।
    • सार्वजनिक स्थानों पर चेहरे की पहचान करने वाली प्रणालियों की उपस्थिति ने पर्याप्त निगरानी के बिना बड़े पैमाने पर निगरानी के बारे में चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
    • ‘फ्रीडम हाउस’ की वर्ष 2021 की रिपोर्ट ने डिजिटल अधिकारों के मामले में भारत को ‘आंशिक रूप से स्वतंत्र’ के रूप में वर्गीकृत किया, जिसमें AI के दुरुपयोग के जोखिमों पर प्रकाश डाला गया।
  • अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मामले: निगरानी, ​​पूर्वानुमानित पुलिसिंग और सीमा नियंत्रण जैसे क्षेत्रों में AI का उपयोग अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों का उल्लंघन करने का जोखिम उत्पन्न करता है।
    • भारत मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा पर हस्ताक्षरकर्ता है, जिसमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अधिकारों की रक्षा करने वाले सिद्धांतों का पालन करने की आवश्यकता होती है।
  • सीमा पार डेटा प्रवाह और संप्रभुता: विदेशी AI प्रौद्योगिकियों और डेटा भंडारण पर निर्भरता डेटा संप्रभुता और सुरक्षा के मुद्दों को उठाती है।
    • भारत ने वर्ष 2020 में डेटा संप्रभुता और सुरक्षा चिंताओं के कारण टिकटॉक पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि इसकी चीन स्थित मूल कंपनी, ByteDance द्वारा भारतीय उपयोगकर्ता डेटा तक अनधिकृत पहुँच है।
  • जन जागरूकता और विश्वास: AI नैतिकता के बारे में सीमित सार्वजनिक समझ के कारण लोगों में विश्वास और स्वीकृति कम हो जाती है।
    • डीपफेक और एआई-जनित गलत सूचनाओं के दुरुपयोग ने एआई प्रौद्योगिकियों के बारे में संदेह को बढ़ा दिया है।
    • ‘प्यू रिसर्च सेंट’ के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 60% भारतीय इस बात को लेकर चिंतित हैं कि एआई नौकरियों और गोपनीयता के उल्लंघन का स्थान ले रहा है।

RBI ने एआई के नैतिक उपयोग के लिए रूपरेखा विकसित करने हेतु 8 सदस्यीय पैनल का गठन किया

  • उद्देश्य
    • रिजर्व बैंक ने वित्तीय क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (FREE-AI) के जिम्मेदार और नैतिक सक्षमता के लिए एक रूपरेखा विकसित करने के लिए आठ सदस्यीय समिति का गठन किया है।
    • समिति की अध्यक्षता डॉ. पुष्पक भट्टाचार्य करेंगे, जो आईआईटी बॉम्बे में कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं।
  • समिति के अधिदेश
    • समिति वैश्विक स्तर पर और भारत में वित्तीय सेवाओं में एआई को अपनाने के वर्तमान स्तर का आकलन करेगी।
    • समिति एआई से जुड़े संभावित जोखिमों की भी पहचान करेगी।
    • यह मूल्यांकन, शमन और निगरानी ढाँचे की सिफारिश करेगी।
  • प्रमुख फोकस क्षेत्र
    • AI/ML अनुप्रयोगों में निष्पक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना।
    • पूर्वाग्रह, डेटा गोपनीयता और साइबर सुरक्षा जोखिम जैसी चुनौतियों का समाधान करना।

नैतिक एआई को बढ़ावा देने वाली भारतीय पहल

  • नीति आयोग की कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए राष्ट्रीय रणनीति (NSAI)
    • गोपनीयता, पारदर्शिता और जवाबदेही जैसे नैतिक सिद्धांतों पर जोर देते हुए सामाजिक और आर्थिक लाभों के लिए एआई का लाभ उठाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
    • स्वास्थ्य सेवा, कृषि और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में समावेशी और न्यायसंगत एआई विकास सुनिश्चित करने के लिए ‘सभी के लिए जिम्मेदार एआई’ की अवधारणा प्रस्तुत की गई।
  • भारतीय मानक ब्यूरो (BIS)
    • एआई में मानक निर्धारित करने के लिए एक समिति की स्थापना की, जिसमें नैतिकता, गोपनीयता, सुरक्षा और अंतर-संचालन पर ध्यान केंद्रित किया गया।
    • भारतीय मानकों को वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ संरेखित करने के लिए ISO जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करता है।
  • व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम 2023
    • इसका उद्देश्य एआई सिस्टम द्वारा व्यक्तिगत डेटा के उपयोग को विनियमित करना, डेटा गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
    • डेटा स्थानीयकरण और व्यक्तिगत जानकारी के दुरुपयोग के लिए कठोर दंड का प्रस्ताव करता है।
  • डिजिटल इंडिया कार्यक्रम
    • डिजिटल सशक्तीकरण और एआई अपनाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए सुलभता एवं समावेशिता जैसे नैतिक विचारों को बढ़ावा दिया जाता है।
    • वंचित क्षेत्रों और विविध भाषायी समूहों के लिए अनुकूलित एआई समाधानों के विकास को प्रोत्साहित करता है।
  • एआई पे चर्चा (AI Pe Charcha) (AI Dialogue)
    • यह इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) के राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग (NeGD) द्वारा आयोजित कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर पैनल चर्चाओं की एक शृंखला है।
    • ‘AI पे चर्चा’ शृंखला को वर्ष 2020 में भारत के पहले वैश्विक AI शिखर सम्मेलन, सामाजिक सशक्तीकरण के लिए जिम्मेदार AI (RAISE) के हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया था।
  • युवा कार्यक्रम के लिए उत्तरदायी एआई (Responsible AI for Youth Programme)
    • इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) द्वारा वर्ष 2022 में स्कूली छात्रों के बीच AI नैतिकता के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए लॉन्च किया गया।
    • अगली पीढ़ी को AI के नैतिक निहितार्थों, जैसे गोपनीयता और निष्पक्षता के बारे में शिक्षित करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • राष्ट्रीय एआई पोर्टल (IndiaAI)
    • भारत में AI जागरूकता को बढ़ावा देने और नैतिक AI प्रथाओं पर अपडेट प्रदान करने के लिए एक सरकारी पहल।
    • भारत की AI नीतियों, परियोजनाओं और नैतिक मानकों पर जानकारी के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य करता है।
  • G20 नई दिल्ली घोषणा
    • चुनौतियों को हल करने, सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने और समग्र सार्वजनिक कल्याण प्राप्त करने के लिए एक उपकरण के रूप में एआई का उपयोग।
    • जिम्मेदार, सुरक्षित, समावेशी और मानव-केंद्रित के रूप में एआई प्रणाली की विशेषताएँ।
    • पारदर्शिता, जवाबदेही, व्याख्या और गोपनीयता सहित मानवाधिकारों के सम्मान के माध्यम से जिम्मेदार एआई सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
    • एक ऐसे नवाचार समर्थक दृष्टिकोण को अपनाना, जो जोखिमों को कम करते हुए लाभों के समान बँटवारे को प्रोत्साहित करता है।

इंडियाएआई मिशन और इसका महत्त्व

  • इंडियाएआई मिशन (IndiaAI Mission) 
    • यह एक राष्ट्रीय पहल है, जिसका उद्देश्य नवाचार को बढ़ावा देकर, मजबूत बुनियादी ढाँचे का विकास करके और नैतिक एआई उपयोग को बढ़ावा देकर भारत को एआई में वैश्विक नेतृत्त्वकर्ता के रूप में स्थापित करना है।

इंडियाएआई मिशन के प्रमुख स्तंभ

  • इंडियाएआई कंप्यूट क्षमता: सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से 10,000 से अधिक GPU के साथ स्केलेबल AI कंप्यूटिंग अवसंरचना की स्थापना।
  • इंडियाएआई इनोवेशन सेंटर (IAIC): बड़े मल्टीमॉडल मॉडल (LMM) सहित मूलभूत AI मॉडल विकसित करना।
  • इंडियाएआई डेटासेट प्लेटफ़ॉर्म: अनुसंधान और नवाचार के लिए उच्च-गुणवत्ता वाले सार्वजनिक डेटासेट तक पहुँच बढ़ाना।
  • इंडियाएआई स्टार्टअप वित्तपोषण: उत्पाद विकास से लेकर व्यावसायीकरण तक AI स्टार्टअप के लिए वित्तपोषण प्रदान करना।
  • इंडियाएआई फ्यूचर स्किल्स प्रोग्राम: स्नातक/स्नातकोत्तर कार्यक्रमों के माध्यम से AI शिक्षा का विस्तार करना और शहरों तथा कस्बों में डेटा एवं AI लैब स्थापित करना।
  • इंडियाएआई एप्लिकेशन डेवलपमेंट पहल: सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रभावशाली AI समाधानों को बढ़ावा देना।
  • सुरक्षित और विश्वसनीय AI: नैतिक AI परिनियोजन सुनिश्चित करना।

नैतिक एआई को बढ़ावा देने वाली वैश्विक पहल

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर OECD सिद्धांत
    • आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) ने विश्वसनीय AI के लिए सिद्धांत स्थापित किए हैं।
    • मानव-केंद्रित मूल्यों, पारदर्शिता, जवाबदेही और मजबूती पर जोर देता है।
    • 46 देशों द्वारा समर्थित, ये सिद्धांत सरकारों को नैतिक AI नीतियाँ बनाने में मार्गदर्शन करते हैं।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता की नैतिकता पर यूनेस्को की अनुशंसा
    • यूनेस्को द्वारा वर्ष 2021 में नैतिक एआई उपयोग सुनिश्चित करने के लिए अपनाया गया एक वैश्विक ढाँचा है।
    • समावेशन, स्थिरता, गोपनीयता और डेटा सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • विश्वसनीय AI के लिए यूरोपीय संघ (EU) नैतिकता संबंधी दिशा-निर्देश
    • जिम्मेदार AI परिनियोजन सुनिश्चित करने के लिए AI पर EU के उच्च-स्तरीय विशेषज्ञ समूह द्वारा विकसित।
    • इसमें सात सिद्धांत शामिल हैं: जवाबदेही, निष्पक्षता, पारदर्शिता, सुरक्षा, गोपनीयता, समावेशिता और सामाजिक कल्याण।
  • जिम्मेदार एआई के लिए मॉन्ट्रियल घोषणा
    • कनाडा की एक पहल, जो समाज में एआई के नैतिक उपयोग पर जोर देती है।
    • समानता, निष्पक्षता, स्वायत्तता के प्रति सम्मान और पर्यावरण की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करती है।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी (Global Partnership on Artificial Intelligence- GPAI)
    • नैतिक और समावेशी एआई को आगे बढ़ाने के लिए भारत सहित 29 देशों द्वारा एक सहयोगात्मक प्रयास।
    • पूर्वाग्रह में कमी, डेटा गवर्नेंस और यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है कि एआई लाभ समान रूप से साझा किए जाएँ।
  • स्वायत्त और बुद्धिमान प्रणालियों की नैतिकता पर IEEE वैश्विक पहल
    • पारदर्शिता, जवाबदेही और मानवाधिकारों पर ध्यान केंद्रित करते हुए नैतिक AI उपयोग के लिए मानक विकसित करता है।
    • IEEE, P7000 जैसे मानक AI प्रौद्योगिकियों को नैतिक रूप से संरेखित करने की प्रक्रियाओं की रूपरेखा तैयार करते हैं।

भारत में नैतिक एआई के लिए आगे की राह

  • एक व्यापक कानूनी ढाँचा स्थापित करना: डेटा सुरक्षा, AI शासन और नैतिक मानकों के लिए मजबूत कानून लागू करना।
    • यूरोपीय संघ के GDPR जैसा कानून AI सिस्टम द्वारा डेटा उपयोग को विनियमित कर सकता है।
  • स्वदेशी AI अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना: भारत की विविध आवश्यकताओं और मूल्यों के अनुरूप AI अनुसंधान में निवेश करना।
    • समावेशी और सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील AI समाधान बनाने के लिए सरकार, शिक्षा और उद्योग के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना।
  • नैतिक AI मानक विकसित करना: निष्पक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के माध्यम से AI मानक स्थापित करना।
    • OECD सिद्धांतों जैसे अंतरराष्ट्रीय ढाँचों के साथ संरेखित मानक नैतिक-वैश्विक सहयोग सुनिश्चित कर सकते हैं।
  • डिजिटल डिवाइड को पाटना: ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में AI तकनीकों तक समान पहुँच सुनिश्चित करना।
    • एआई अपनाने में असमानताओं को कम करने के लिए इंटरनेट कनेक्टिविटी और एआई साक्षरता कार्यक्रमों जैसे बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना।
  • जागरूकता और नैतिक क्षमता का निर्माण करना: सार्वजनिक जागरूकता अभियान चलाना और शैक्षिक पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में एआई नैतिकता को शामिल करना।
    • नीति निर्माताओं, डेवलपर्स और आम जनता सहित हितधारकों को नैतिक AI प्रथाओं पर प्रशिक्षित करना।
  • AI की निगरानी के लिए एक विनियामक निकाय की स्थापना करना: AI की तैनाती की निगरानी करने और नैतिक प्रथाओं को लागू करने के लिए एक स्वतंत्र विनियामक प्राधिकरण बनाना।
    • इस निकाय को अनुपालन के लिए AI सिस्टम की निगरानी करनी चाहिए, जोखिमों का आकलन करना चाहिए और शिकायतों का समाधान करना चाहिए।

निष्कर्ष

एआई प्रगति और समस्या-समाधान के लिए अविश्वसनीय क्षमता प्रदान करता है, लेकिन मजबूत नैतिक दिशा-निर्देशों के बिना, यह गंभीर नुकसान का जोखिम उठाता है। इसलिए, जैसे-जैसे एआई विकास और क्रियान्वयन आगे बढ़ता है, नैतिक एआई सिद्धांतों का पालन करना महत्त्वपूर्ण है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह तकनीकी पूरी मानवता को लाभान्वित करे।

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