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समावेशी सामाजिक विकास के लिए AI

Lokesh Pal October 11, 2025 02:34 35 0

संदर्भ

नीति आयोग ने समावेशी सामाजिक विकास के लिए AI पर रोडमैप’ (Roadmap on AI for Inclusive Societal Development) रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि कैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और अग्रणी प्रौद्योगिकियाँ डिजिटल समावेशन, कौशल और सामाजिक सुरक्षा एकीकरण के माध्यम से भारत के 490 मिलियन अनौपचारिक श्रमिकों का उत्थान कर सकती हैं।

भारत में अनौपचारिक श्रमिकों की वर्तमान स्थिति

  • सबसे बड़ा रोजगार सृजनकर्ता: लगभग 49 करोड़ भारतीय (कुल कार्यबल का लगभग 90%) अनौपचारिक कार्यों में लगे हुए हैं और भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 45% का योगदान करते हैं।
  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था में प्रभुत्व: 80% से अधिक ग्रामीण श्रमिकों के पास औपचारिक अनुबंध या सामाजिक सुरक्षा का अभाव है, जो निर्माण, खुदरा और हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों में मुख्य रूप से केंद्रित हैं।
  • कम उत्पादकता और मजदूरी: अनौपचारिक क्षेत्र में औसत उत्पादकता औपचारिक क्षेत्र की एक-चौथाई है, जो लगभग 5 डॉलर प्रति घंटा (राष्ट्रीय औसत का आधा) है।
  • लैंगिक अनौपचारिकता: IMF के अनुसार, सभी श्रमिकों में से 60% अनियमित नौकरियों में लगे हुए हैं, जो मुख्य रूप से घर-आधारित और कृषि कार्यों में मौजूद हैं और मजदूरी समानता कम है।
  • सामाजिक सुरक्षा अंतराल: केवल 48% अनौपचारिक श्रमिक किसी भी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आते हैं; अधिकांश दैनिक या विखंडित आय पर निर्भर हैं।

अनौपचारिक व्यापार कार्यबल के सामने आने वाली चुनौतियाँ

विषयगत चुनौतियाँ

नीति आयोग के व्यक्तित्व-आधारित शोध ने पाँच आवर्ती और परस्पर-संबंधित विषयों को उजागर किया है, जो अनौपचारिक श्रमिकों के विकास और समावेशन को बाधित करते हैं:-

  • वित्तीय कमजोरी और अस्थिरता: अनियमित वेतन, अनुबंधों की कमी और अनौपचारिक ऋण पर निर्भरता के कारण लगातार आय में अस्थिरता बनी रहती है।
    • सत्यापन योग्य पहचान-पत्र न होने के कारण श्रमिकों को अक्सर भुगतान में देरी और विवादों का सामना करना पड़ता है।
      • उदाहरण के लिए: 75% से अधिक अनौपचारिक श्रमिक ₹10,000/माह से कम कमाते हैं और उनके पास किफायती ऋण या बीमा तक पहुँच नहीं है (आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण, 2024)।
  • बाजार पहुँच और माँग के बीच संबंध: अधिकांश श्रमिक बाजार के हाशिये पर कार्य करते हैं, और उनकी स्थिर माँग, डिजिटल प्लेटफॉर्म या सुरक्षित अनुबंधों तक पहुँच सीमित होती है।
    • प्रवासी श्रमिक विशेष रूप से नॉन-पोर्टेबल आईडी और बिचौलियों के शोषण से प्रभावित होते हैं।
  • कौशल विकास को बढ़ावा देना: कौशल विकास संबंधी प्रणालियाँ संस्थागत नहीं हैं और आधुनिक समय के अनुरूप नहीं हैं तथा स्थानीयकृत डिजिटल शिक्षण उपकरणों तक उनकी पहुँच सीमित है।
    • कई लोग पारंपरिक तरीकों पर निर्भर हैं, जो आधुनिक कार्य माँगों या उपकरणों के अनुकूल नहीं हैं।
  • सामाजिक सुरक्षा और व्यावसायिक सुरक्षा: अनौपचारिक क्षेत्र संस्थागत सामाजिक सुरक्षा के दायरे  में नही आता है, जिससे श्रमिक, आर्थिक चुनौतियों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
    • व्यावसायिक खतरे, सुरक्षा मानकों का अभाव और सुरक्षात्मक तकनीकों का अभाव व्याप्त है।
  • उत्पादकता अंतराल: श्रमिकों को कम उत्पादन का सामना अपने प्रयासों के कारण नहीं, बल्कि मैन्युअल कार्यप्रवाह, डिजिटल उपकरणों की कमी और ऋण तक पहुँच न होने के कारण करना पड़ता है।
    • मशीनीकरण और कार्यप्रवाह अनुकूलन के अभाव के कारण अधिक प्रयास, कम प्रतिफल और प्रदर्शन की अदृश्यता होती है।

प्रणालीगत बाधाएँ

व्यक्तिगत चुनौतियों के अलावा, रिपोर्ट में चार प्रणालीगत बाधाओं की पहचान की गई है, जो अनौपचारिकता और असमानता को बनाए रखती हैं।

  • विश्वास की कमी: सत्यापन योग्य पहचान, अनुबंध और कार्य संबंधी अनुभव का अभाव नियोक्ता-कर्मचारी के विश्वास और सुरक्षित रोजगार या वित्त तक पहुँच को कमजोर करता है।
  • प्रणालीगत पहुँच और उपयोगिता अंतराल: डिजिटल निरक्षरता, भाषा संबंधी बाधाएँ और जटिल इंटरफेस, कर्मचारियों को औपचारिक सेवाओं या बाजारों तक पहुँचने से रोकते हैं।
  • ज्ञान और क्षमता अंतराल: अपर्याप्त कौशल पारिस्थितिकी तंत्र और कर्मचारी डेटा का अभाव अनुकूलनशीलता और लक्षित नीति समर्थन को बाधित करता है।
  • संरचनात्मक अक्षमताएँ और उपकरण की कमी: शारीरिक श्रम पर निर्भरता, आधुनिक उपकरणों तक पहुँच का अभाव और खंडित डिजिटल प्रणालियाँ दक्षता को कम करती हैं तथा भेद्यता को बढ़ाती हैं।

देरी की उच्च लागत: भारत को अभी कार्रवाई क्यों करनी चाहिए?

भारत एक संवेदनशील मोड़ पर है। मजबूत डिजिटल ढाँचे (आधार, UPI, भारतनेट) के बावजूद, देरी से की गई कार्रवाई असमानता को बढ़ा सकती है।

  • आर्थिक तात्कालिकता: वर्तमान 6.3% की वृद्धि दर के साथ, भारत का सकल घरेलू उत्पाद वर्ष 2047 तक 15.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाएगा, जो कि 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के विकसित भारत लक्ष्य से काफी कम है।
    • अनौपचारिक श्रमिकों के लिए, इसका अर्थ है कि उनकी औसत वार्षिक आय 6,000 अमेरिकी डॉलर पर स्थिर रहेगी, जो भारत के लिए उच्च आय का दर्जा प्राप्त करने हेतु आवश्यक 14,500 अमेरिकी डॉलर की सीमा से बहुत कम है।
  • बाहर होने का जोखिम: देरी होने से लाखों लोगों के डिजिटल अर्थव्यवस्था से बाहर होने का जोखिम है, जिससे उन्हें प्रौद्योगिकी-संचालित दुनिया में अकुशल और कम वेतन पर निर्भर होना पड़ सकता है।

अग्रणी प्रौद्योगिकियों की क्षमता

वर्ष 2035 तक, भारत का लक्ष्य अनौपचारिक क्षेत्र में भूमिका निभाने वाले समावेशी प्रौद्योगिकी समाधानों के विस्तार में अग्रणी बनना है।

  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI): क्रेडिट स्कोरिंग, पूर्वानुमान विश्लेषण और व्यक्तिगत कौशल विकास को सक्षम बनाता है।
  • इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT): कार्यस्थल की सुरक्षा और परिचालन दक्षता में सुधार करता है।
  • ब्लॉकचेन: सुरक्षित और पारदर्शी स्मार्ट अनुबंध और भुगतान सुनिश्चित करता है।
  • रोबोटिक्स: निर्माण और विनिर्माण में दक्षता तथा सुरक्षा बढ़ाता है।
  • इमर्सिव लर्निंग: विविध कौशल समूहों के लिए अनुकूली, स्थानीय भाषा-आधारित प्रशिक्षण प्रदान करता है।

अनौपचारिक क्षेत्र के लिए AI की क्षमता

  • समावेशन की एक शक्ति के रूप में AI: ‘AI for All’ ढाँचे के तहत, AI को एक विघटनकारी के रूप में नहीं, बल्कि समान विकास के वाहक के रूप में स्थापित किया गया है।
    • श्रम बाजारों, वित्तीय सेवाओं, स्वास्थ्य सेवा, कौशल विकास और सामाजिक सुरक्षा में तार्किक प्रणालियों को समाहित करके, भारत अनौपचारिक श्रमिकों को डिजिटल अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में एकीकृत कर सकता है।
  • सामाजिक समावेशन: स्थानीय AI मॉडल (भाषिणी और AI4Bharat के माध्यम से) गैर-अंग्रेजी भाषा में सक्षम लोगों के लिए भी डिजिटल सेवाओं को सुलभ बना सकते हैं।
    • AI लैंगिक समावेशन को बढ़ावा दे सकता है और महिलाओं की कार्यबल भागीदारी को 15% (वर्ष 2025) से बढ़ाकर 42% (वर्ष 2047) कर सकता है।
  • आर्थिक सशक्तीकरण: जैसा कि रोडमैप में अनुमान लगाया गया है, AI वर्ष 2047 तक उत्पादकता को $5/घंटा से $49/घंटा तक बढ़ा सकता है।
    • बेहतर नौकरी होने से और ऋण पहुँच से आय स्थिर होगी और आर्थिक गतिशीलता बढ़ेगी।
  • बाजार पहुँच और उत्पादकता: छोटे कारीगर और किसान खरीदारों से सीधे जुड़ने और बिचौलियों पर निर्भरता कम करने के लिए AI-संचालित ई-कॉमर्स अनुशंसा प्रणालियों या सटीक कृषि उपकरणों का लाभ उठा सकते हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी।
  • वित्त और सामाजिक सुरक्षा तक पहुँच: वैकल्पिक डेटा (UPI लेनदेन, नौकरी का इतिहास और सामाजिक सुरक्षा रिकॉर्ड) का उपयोग करके AI-आधारित क्रेडिट स्कोरिंग मॉडल तैनात करना ताकि श्रमिकों को औपचारिक माइक्रो-क्रेडिट और बीमा तक पहुँचने में मदद मिल सके।
  • विश्वास और दक्षता में वृद्धि: AI-संचालित डिजिटल पहचान और स्मार्ट अनुबंध समय पर भुगतान तथा सत्यापन योग्य नौकरी संबंधी इतिहास सुनिश्चित कर सकते हैं।
    • ब्लॉकचेन-सक्षम प्रणालियाँ बिचौलियों पर निर्भरता कम कर सकती हैं और लेन-देन में पारदर्शिता बढ़ा सकती हैं।
  • व्यक्तिगत कौशल और कौशल उन्नयन: AI-संचालित मोबाइल लर्निंग प्लेटफॉर्म अनौपचारिक श्रमिकों को नए, संदर्भ-विशिष्ट कौशल हासिल करने में मदद कर सकते हैं।
    • उदाहरण के लिए: AI-संचालित अनुवाद उपकरण क्षेत्रीय भाषाओं में प्रशिक्षण प्रदान कर सकते हैं, जिससे एक बढ़ई या बुनकर अपनी मातृभाषा में डिजाइन उपकरण या सुरक्षा विधियाँ सीख सकता है।
  • स्वास्थ्य सेवा और कल्याण: AI-सक्षम टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म ग्रामीण या अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में कामगारों के लिए पहुँच के अभाव को कम कर सकते हैं, कम लागत पर निदान और व्यक्तिगत स्वास्थ्य निगरानी प्रदान कर सकते हैं।
  • डेटा-संचालित शासन: AI नीति निर्माताओं को वास्तविक समय के कर्मचारी डेटा का विश्लेषण करने, सामाजिक सुरक्षा में कमियों की पहचान करने और कल्याणकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लक्षित करने में मदद कर सकता है।
  • सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा के लिए AI: पूर्वानुमानित विश्लेषण और IoT-सक्षम निगरानी कार्यस्थल के जोखिमों का अनुमान लगा सकती है, बीमा दावों को गति प्रदान कर सकती है और व्यावसायिक सुरक्षा अनुपालन सुनिश्चित कर सकती है।
    • उदाहरण के लिए: AI-सक्षम जोखिम निगरानी कार्यस्थल दुर्घटनाओं को कम कर सकती है, जो वर्तमान में अनौपचारिक क्षेत्रों में प्रतिवर्ष सैकड़ों रोके जा सकने वाली मौतों का कारण बनती हैं।

सफलता के लिए कार्यान्वयन योग्य सिफारिशें

  • डिजिटल सशक्तीकरण और पहुँच: एक राष्ट्रव्यापी डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना, जहाँ AI, IoT और ब्लॉकचेन-आधारित प्लेटफॉर्म श्रमिकों को उनकी अपनी भाषा और क्षेत्र में कौशल, नौकरियों तथा कल्याण तक पहुँच प्रदान करना।
    • अंतिम छोर तक डिजिटल पहुँच सुनिश्चित करने के लिए, विशेष रूप से ग्रामीण और प्रवासी श्रमिकों के लिए, AI-सक्षम कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) और जिला-स्तरीय डिजिटल हब स्थापित करना।
    • संघीय डिजिटल पहचान प्रणाली के माध्यम से सभी श्रमिक डेटाबेस (ई-श्रम, उद्यम, डिजिलॉकर) को एकीकृत करना, जिससे सत्यापन योग्य कार्य प्रमाण-पत्र और राज्यों के बीच पोर्टेबिलिटी सुनिश्चित हो सके।
  • वित्तीय समावेशन और विश्वास संबंधी ढाँचा: वैकल्पिक डेटा (UPI लेनदेन, नौकरी का इतिहास और सामाजिक सुरक्षा रिकॉर्ड) का उपयोग करके AI-आधारित क्रेडिट स्कोरिंग मॉडल तैनात करना ताकि श्रमिकों को औपचारिक माइक्रो-क्रेडिट और बीमा तक पहुँचने में मदद मिल सके।
    • निर्माण, गिग कार्य और हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों में पारदर्शी और समय पर वेतन भुगतान सुनिश्चित करने के लिए ब्लॉकचेन स्मार्ट अनुबंधों का उपयोग करना।
    • श्रमिकों और नियोक्ताओं के मध्य विश्वास बढ़ाने के लिए AI-संचालित शिकायत निवारण और भुगतान सत्यापन प्रणाली बनाना।
  • अनुकूली कौशल और आजीवन शिक्षा: बाजार की जरूरतों के अनुरूप व्यक्तिगत, माँग पर आधारित कौशल प्रदान करने के लिए AI-संचालित स्थानीय शिक्षण प्लेटफॉर्म लॉन्च करना।
    • प्लंबिंग, बढ़ईगीरी और स्वास्थ्य सेवा सहायता जैसे व्यवसायों में सुरक्षा प्रशिक्षण और व्यावहारिक तकनीकी शिक्षा के लिए इमर्सिव लर्निंग (AR/VR) का उपयोग करना।
    • AI-अनुमानित श्रम माँग रुझानों के आधार पर पाठ्यक्रमों को निरंतर अद्यतन करने के लिए उद्योगों के साथ साझेदारी करना।
  • प्रौद्योगिकी के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा: कार्यस्थल सुरक्षा की निगरानी और व्यावसायिक दुर्घटनाओं को रोकने के लिए IoT और पूर्वानुमानित विश्लेषण का लाभ उठाना, विशेषकर खनन, निर्माण और वस्त्र जैसे उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में।
    • AI-संचालित सुरक्षा अलर्ट को स्वचालित बीमा वितरण और स्वास्थ्य लाभों से जोड़ना, यह सुनिश्चित करते हुए कि सामाजिक सुरक्षा प्रतिक्रियात्मक के बजाय सक्रिय हो।
    • स्थानीय स्तर पर कवरेज और वितरण पर नजर रखने के लिए कल्याणकारी योजनाओं के लिए रियल-टाइम निगरानी प्रणालियों को मजबूत करना।
  • शासन और नीति पारिस्थितिकी तंत्र: अनौपचारिक रोजगार, मजदूरी और कौशल में रुझानों को एकत्रित करने, उनका विश्लेषण करने और पूर्वानुमान लगाने के लिए नीति आयोग के तहत श्रम वेधशाला के लिए एक राष्ट्रीय AI विकसित करना।
    • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (DPDP) अधिनियम, 2023 के तहत डेटा संरक्षण, एल्गोरिथम पारदर्शिता और निष्पक्षता सुरक्षा उपायों के माध्यम से नैतिक और रिस्पांसिबल AI अपनाने को बढ़ावा देना।
    • अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के लिए किफायती आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उपकरण बनाने वाले स्टार्ट-अप और सामाजिक उद्यमों को अनुदान, कर लाभ और अनुसंधान एवं विकास क्रेडिट प्रदान करके नवाचार को प्रोत्साहित करना।

मिशन डिजिटल श्रमसेतु

इस दृष्टिकोण को क्रियान्वित करने के लिए, नीति आयोग ने डिजिटल श्रमसेतु मिशन का प्रस्ताव रखा है, जो अनौपचारिक क्षेत्र में तकनीकी अंतर को पाटने के लिए एक राष्ट्रीय पहल है।

यह मिशन निम्नलिखित पर जोर देता है:-

  • विविध श्रमिक श्रेणियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए व्यक्तित्व और क्षेत्र-आधारित प्राथमिकता।
  • राज्य-संचालित कार्यान्वयन प्रासंगिक, बॉटम-अप तैनाती सुनिश्चित करता है।
  • नवाचार, डेटा संरक्षण और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नैतिक उपयोग के लिए नियामक सक्षमता।
  • सरकार, उद्योग, शिक्षा जगत और नागरिक समाज के बीच रणनीतिक साझेदारी।
  • समावेशिता और वास्तविक दुनिया के परिणामों की निगरानी के लिए मजबूत प्रभाव मूल्यांकन ढाँचे।

उद्देश्य: प्रस्तावित मिशन का उद्देश्य नौकरियों, बाजारों और अधिकारों तक रियल टाइम में पहुँच प्रदान करने, सत्यापित कार्य परिणामों से जुड़े स्मार्ट अनुबंधों और मॉड्यूलर, माँग-संचालित कौशल प्लेटफार्मों के लिए AI और अग्रणी प्रौद्योगिकियों का उपयोग करना है।

निष्कर्ष

भारत में AI की सफलता अंततः स्वचालित किए गए व्हाइटकॉलर टास्क की संख्या से नहीं, बल्कि अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में इसके द्वारा बेहतर बनाए गए जीवन से मापी जाएगी। समावेशी सामाजिक विकास के लिए AI रोडमैप भारत को मानव-केंद्रित प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी स्थान पर रखता है, जहाँ प्रत्येक अनौपचारिक कार्यकर्ता मूल्यवान और सशक्त है।

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