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पारंपरिक चिकित्सा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता

Lokesh Pal July 15, 2025 02:27 48 0

संदर्भ

‘AI फॉर गुड ग्लोबल समिट’ (AI for Good Global Summit) में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) एवं विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) ने संयुक्त रूप से पारंपरिक चिकित्सा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुप्रयोग पर एक रोडमैप जारी किया।

संबंधित तथ्य

  • यह रोडमैप ‘स्वास्थ्य के लिए AI पर वैश्विक पहल’ (Global Initiative on AI for Health-GI-AI4H) के तहत तैयार किया गया है, जिसका उद्देश्य सांस्कृतिक विरासत एवं डेटा संप्रभुता को संरक्षित करते हुए AI का जिम्मेदारी से उपयोग करना है।

पारंपरिक चिकित्सा

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की परिभाषा के अनुसार, पारंपरिक चिकित्सा से तात्पर्य उस ज्ञान, कौशल और प्रथाओं से है, जो विभिन्न संस्कृतियों ने समय के साथ स्वास्थ्य को बनाए रखने, शारीरिक तथा मानसिक बीमारियों की रोकथाम, निदान एवं उपचार के लिए विकसित की है।
  • इसमें दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग की जाने वाली प्राचीन एवं आधुनिक प्रथाओं की एक विस्तृत शृंखला शामिल है, जिनमें भारत में आयुर्वेद, सिद्ध तथा यूनानी चिकित्सा के साथ-साथ एक्यूपंक्चर एवं पारंपरिक चीनी चिकित्सा जैसी प्रथाएँ शामिल हैं।

वैश्विक स्तर पर पारंपरिक चिकित्सा की स्थिति

  • वैश्विक उपयोग: WHO के अनुसार, दुनिया की 80% से अधिक आबादी किसी-न-किसी रूप में पारंपरिक चिकित्सा का उपयोग करती है।
  • भारत के फुटप्रिंट: भारत में 5,00,000 से अधिक आयुष चिकित्सक हैं।
    • प्रभावी संस्थागत समर्थन: राष्ट्रीय आयुष मिशन, पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (TKDL), एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन का वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र (Global Centre for Traditional Medicine- GCTM), जामनगर।
  • बाजार का विस्तार: वैश्विक पारंपरिक, पूरक एवं एकीकृत चिकित्सा (Traditional, Complementary And Integrative Medicine- TCIM) बाजार के वर्ष 2025 तक 600 अरब डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है।
    • केवल पारंपरिक चिकित्सा बाजार के वर्ष 2030 तक 200 अरब डॉलर से अधिक होने का अनुमान है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के तकनीकी रोडमैप (Technical Roadmap) के बारे में

  • शीर्षक: पारंपरिक चिकित्सा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुप्रयोग का मानचित्रण (Mapping the Application of Artificial Intelligence in Traditional Medicine)।
  • उद्देश्य: पारंपरिक स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के सुरक्षित, नैतिक एवं प्रभावी एकीकरण के लिए एक रणनीतिक मार्गदर्शिका प्रदान करना।
  • भारत द्वारा नेतृत्व
    • GI-AI4H के अंतर्गत आयुष मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित प्रस्ताव।
    • आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी आदि में डिजिटलीकरण, व्यक्तिगत चिकित्सा एवं वैश्विक कृत्रिम बुद्धिमत्ता मानकों पर जोर देना।
    • मान्यता प्राप्त पहल
      • पारंपरिक ज्ञान डिजिटल पुस्तकालय (Traditional Knowledge Digital Library- TKDL)
      • आयुर्जेनोमिक्स (Ayurgenomics)
      • AI-संचालित आयुष चैटबॉट (AI-powered AYUSH Chatbots) (प्रक्रिया जारी है)।

स्वास्थ्य के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक पहल (GI-AI4H) के बारे में

  • स्वास्थ्य के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक पहल जुलाई 2023 में जेनेवा में एआई फॉर गुड ग्लोबल समिट (AI for Good Global Summit) में शुरू की गई थी। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) एवं विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) की एक संयुक्त पहल है।
  • उद्देश्य: स्वास्थ्य सेवा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता समाधानों को सक्षम, सुगम एवं कार्यान्वित करना।

WHO AI रोडमैप की प्रमुख विशेषताएँ

  • उपयोग संबंधी मानचित्रण: AI को निदान, टेक्स्ट डिजिटलीकरण, नैदानिक निर्णय समर्थन एवं जन स्वास्थ्य के रूप में में वर्गीकृत किया गया है।
  • शासन सिद्धांत: पारदर्शिता, सुरक्षा, निष्पक्षता, जवाबदेही एवं व्याख्यात्मकता पर आधारित।
  • तकनीकी समर्थक: अंतर-संचालनीय डेटा, कुशल मानव संसाधन एवं सुदृढ़ विनियमन का आह्वान।
  • देश मॉडल: समुदाय-नेतृत्व वाले स्वदेशी डेटा शासन के लिए कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड पर प्रकाश डाला गया।
  • भारत की मान्यता: TKDL, आयुर्जेनोमिक्स एवं आयुष में नियोजित AI उपकरण।

पारंपरिक चिकित्सा में AI अनुप्रयोग

  • व्यक्तिगत देखभाल: आयुर्जेनोमिक्स आयुर्वेद की प्रकृति को आधुनिक जीनोमिक्स से जोड़ता है।
  • औषधि खोज: पारंपरिक यौगिकों का AI विश्लेषण (जैसे- कोरिया)।
  • जैव विविधता मानचित्रण: मशीन लर्निंग के माध्यम से औषधीय पौधों की पहचान (जैसे- घाना, दक्षिण अफ्रीका)।
  • निदान एवं नैदानिक सहायता: आयुर्जेनोमिक्स में AI उपकरण, लक्षण विश्लेषण, रक्त विकार उपचार।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य उपकरण: AI चैटबॉट, मोबाइल डायग्नोस्टिक्स, ग्रामीण पहुँच में सुधार के लिए आभासी देखभाल उपकरण।
  • टेक्स्ट डिजिटलीकरण: प्राचीन पांडुलिपियों एवं चिकित्सा ग्रंथों से AI-सक्षम निष्कर्षण।

डेटा-संचालित एवं नैतिक नवाचार

  • साक्ष्य निर्माण के लिए AI: विशाल शास्त्रीय ग्रंथों एवं आधुनिक डेटासेट को संसाधित करके TCIM के नैदानिक सत्यापन में अंतराल को पाटता है।
  • डिजिटल रिपॉजिटरी: TKDL (भारत) एवं वर्चुअल हेल्थ लाइब्रेरी (अमेरिका) ज्ञान को संरक्षित करते हैं तथा बायोपाइरेसी को रोकते हैं।
  • वैश्विक मानकीकरण: AI आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के साथ नैदानिक भाषा संगतता प्रदान करता है।
  • नवाचार मॉडल: AI डेवलपर्स एवं पारंपरिक चिकित्सकों के बीच सह-निर्माण को प्रोत्साहित करता है।

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