दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए पटाखों पर प्रतिबंध की अवधि को जनवरी 2025 तक बढ़ा दिया।
संबंधित तथ्य
दशहरा उत्सव के बाद, दिल्ली की वायु गुणवत्ता में तेजी से गिरावट आई है।
हाल ही में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI), 220 पर पहुँच गया, जिससे वायु को ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, त्योहार के बाद से शहर इसी श्रेणी में बना हुआ है, जिससे प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर चिंता बढ़ गई है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने न्यूनतम तापमान 19 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 35 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया, जिससे दिल्ली में आंशिक रूप से बादल छाए रहने का अनुमान है।
वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के बारे में
परिचय: AQI को वर्ष 2014 में पूरे भारत में वायु गुणवत्ता की प्रभावी निगरानी के लिए प्रस्तुत किया गया था।
CPCB द्वारा वायु गुणवत्ता विशेषज्ञों से इनपुट के साथ विकसित, AQI का उद्देश्य वर्ष 2009 में स्थापित राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (NAAQS) के तहत जटिल अनुपालन मानकों को सरल बनाना है।
श्रेणियाँ: AQI छह श्रेणियों पर आधारित है अर्थात् अच्छा, संतोषजनक, मध्यम रूप से प्रदूषित, खराब, बहुत खराब और गंभीर।
मापे गए प्रदूषक: AQI की गणना आठ प्रदूषकों से की जाती है:-
PM 10
PM 2.5
नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂)
सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂)
कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)
ग्राउंड-लेवल ओजोन (O₃)
अमोनिया (NH₃)
लेड (Pb)
गणना पद्धति
डेटा संग्रह: वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) PM10, PM2.5, NO₂, SO₂, NH₃ और Pb के लिए 24 घंटे के औसत का उपयोग करता है, जबकि CO और O₃ की गणना 8 घंटे के औसत का उपयोग करके की जाती है।
न्यूनतम आवश्यकताएँ: AQI की गणना करने के लिए, कम-से-कम तीन प्रदूषकों से डेटा की आवश्यकता होती है, जिसमें से कम-से-कम एक PM 10 या PM 2.5 हो।
CPCB और SPCB की भूमिका
स्थापना: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCB) की स्थापना जल (प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के तहत की गई थी और उन्हें वायु (प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत सशक्त बनाया गया है।
SPCB के कार्य: यह जल प्रदूषण की जाँच करते हैं, राज्य सरकारों को सलाह देते हैं और पर्यावरण कानूनों के अनुपालन की निगरानी करते हैं।
CPCB के उत्तरदायित्व
जल निकायों की स्वच्छता को बढ़ावा देना।
वायु और जल प्रदूषण नियंत्रण पर केंद्र सरकार को सलाह देना।
वायु गुणवत्ता, जल गुणवत्ता मानदंड और विभिन्न उद्योगों से उत्सर्जन के लिए मानक विकसित करना।
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