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अखिल भारतीय ग्रामीण वित्तीय समावेशन सर्वेक्षण 2021-22

Lokesh Pal October 23, 2024 03:19 66 0

संदर्भ 

हाल ही में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक द्वारा ‘अखिल भारतीय ग्रामीण वित्तीय समावेशन सर्वेक्षण 2021-22’ (All-India Rural Financial Inclusion Survey 2021-22) का दूसरा संस्करण जारी किया गया।

संबंधित तथ्य

  • कृषि क्षेत्र, भारत की अर्थव्यवस्था का केंद्र बना हुआ है, जो इसकी अधिकांश आबादी की आजीविका का प्रबंध करता है।
  • 57% ग्रामीण परिवार अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं।
    • गैर-कृषि परिवारों की तुलना में कृषि परिवारों में यह निर्भरता अधिक है।

वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) क्या है?

  • यह व्यक्तियों को बैंकिंग एवं वित्तीय सेवाएँ प्रदान करने की एक विधि है। 
  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य समाज में प्रत्येक व्यक्ति को उनकी आय या बचत की चिंता किए बिना बुनियादी वित्तीय सेवाएँ प्रदान करना है। 
    • इसके माध्यम से यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि हाशिए पर रहने वाले लोग अपने पैसे का सर्वोत्तम उपयोग करें एवं वित्त से संबंधित शिक्षा प्राप्त करें। 
  • भारत में परिचय: भारत में, इसे पहली बार वर्ष 2005 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा प्रस्तुत किया गया था। 

नाबार्ड (NABARD) सर्वेक्षण (2021-22) से मुख्य निष्कर्ष

  • कृषि पर बढ़ती निर्भरता: 57% ग्रामीण परिवारों की पहचान ‘कृषि’ के रूप में की गई, जो वर्ष 2016-17 में 48% से अधिक है।
  • कृषि परिवारों की परिभाषा: कृषि परिवार वह है जो:-
    • कृषि गतिविधियों (फसलों, पशुधन, जलीय कृषि आदि सहित) से मासिक रूप से 6,500 रुपये से अधिक की कमाई की।
    • संदर्भित वर्ष (जुलाई 2021 से जून 2022) के दौरान इन गतिविधियों में कम-से-कम एक स्व-नियोजित सदस्य था।
  • ग्रामीण परिवारों में आय संबंधी आँकड़े
    • कृषि परिवारों के लिए उच्च आय
      • वर्ष 2021-22 में कृषि परिवारों की औसत मासिक आय 13,661 रुपये थी, जो गैर-कृषि परिवारों की औसत मासिक आय 11,438 रुपये से अधिक है।
      • वर्ष 2016-17 में, कृषि परिवारों ने मासिक रूप से गैर-कृषि परिवारों (7,269 रुपये) की तुलना में अधिक कमाई (8,931 रुपये) की।
    • कृषक परिवारों के लिए आय के स्रोत
      • कृषि परिवार की केवल एक-तिहाई आय ही खेती से आती है।
      • आय का दो-तिहाई हिस्सा मजदूरी, सरकारी या निजी सेवाओं और अन्य उद्यमों से आता है।
  • कृषि गतिविधियों से आय में वृद्धि
    • कृषि का योगदान: भूमि आकार श्रेणियों में कृषि (खेती एवं पशुपालन) से आय का हिस्सा बढ़ गया:
      • 0.01 हेक्टेयर से कम भूमि वाले परिवारों के लिए: 23.5% से 26.8% तक।
      • 0.41-1 हेक्टेयर वाले परिवारों के लिए: 38.2% से 42.2% तक।
      • 1.01-2 हेक्टेयर वाले परिवारों के लिए: 52.5% से 63.9% तक।
      • 2 हेक्टेयर से अधिक वाले परिवारों के लिए: 58.2% से 71.4% तक।
  • आय स्रोतों का विविधीकरण
    • 56% कृषि परिवार तीन या अधिक आय स्रोतों पर निर्भर हैं, हालाँकि 66% गैर-कृषि परिवार एक ही स्रोत पर निर्भर हैं।
    • चार या अधिक आय स्रोतों वाले परिवार केवल एक आय स्रोत वाले परिवारों की तुलना में लगभग चार गुना अधिक कमाते हैं।
    • यह आय विविधीकरण कृषि की घटती आय के बीच छोटे किसानों के लचीलेपन को दर्शाता है।

  • कोविड-19 महामारी का प्रभाव
    • कृषि पर कोविड-19 का प्रभाव: कोविड महामारी ने कृषि पर निर्भरता बढ़ाने में योगदान दिया है, क्योंकि कृषि गतिविधियों को लॉकडाउन प्रतिबंधों से छूट दी गई थी।
    • अच्छे मानसून वर्ष: वर्ष 2019 से लगातार चार अच्छे मानसून ने कृषि आय में सुधार करने में मदद की है।
  • कृषक परिवारों के आर्थिक संघर्ष
    • कृषि संबंधी चुनौतियाँ
      • 30% कृषक परिवारों को अनियमित वर्षा, कीटों के हमले, चक्रवात एवं सूखे के कारण फसल के नष्ट होने का सामना करना पड़ा है।
      • 12% कृषक परिवारों ने कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण नुकसान की सूचना दी, जिससे कई लोगों को बचत का उपयोग करने या अनौपचारिक स्रोतों से उधार लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
      • रोजगार पर PLFS डेटा
        • भारत के कार्यबल में कृषि की हिस्सेदारी पिछले कुछ वर्षों में घट (वर्ष 1993-94 में 64.6% से वर्ष 2018-19 में 42.5%) गई है।
        • हालाँकि, कोविड 19 महामारी के बाद, वर्ष 2020-21 में शेयर बढ़कर 46.5% हो गया, जो विपरीत प्रवृत्ति को दर्शाता है।
    • उच्च व्यय एवं ऋण
      • कृषक परिवारों का औसत मासिक खर्च 11,710 रुपये है, जिससे 1,951 रुपये का मामूली अधिशेष बचता है।
      • छोटे एवं सीमांत किसान अपनी आय का अधिक हिस्सा भोजन पर खर्च करते हैं।
      • कृषि परिवारों के लिए औसत ऋण 91,231 रुपये, जो उनकी मासिक आय का लगभग सात गुना है।
      • कई किसान इन ऋणों को चुकाने में अपना पूरा जीवन व्यतीत कर देते हैं।
  • बढ़ती अर्थव्यवस्था में बढ़ती कृषि निर्भरता का विरोधाभास
    • आर्थिक विस्तार बनाम कृषि रोजगार: वर्ष 2016-17 एवं वर्ष 2023-24 के बीच अर्थव्यवस्था 1.4 गुना बढ़ने के बावजूद नौकरियों के लिए कृषि पर निर्भरता बढ़ रही है।
    • विनिर्माण नौकरियों की कमी: वर्ष 2023-24 में रोजगार में विनिर्माण की हिस्सेदारी घटकर 11.4% हो गई, जिससे अधिशेष श्रम, कृषि में शेष रह गया या व्यापार, होटल एवं निर्माण जैसे कम उत्पादकता वाले क्षेत्रों की ओर स्थानांतरित हो गया।

कृषि रोजगार में क्षेत्रीय विविधताएँ

  • उच्च कृषि रोजगार वाले राज्य: छत्तीसगढ़ (63.8%), मध्य प्रदेश (61.6%), उत्तर प्रदेश (55.9%), बिहार (54.2%), एवं राजस्थान (51.1%)।
  • कम कृषि रोजगार वाले राज्य: गोवा (8.1%), केरल (27%), पंजाब (27.2%), हरियाणा (27.5%), एवं तमिलनाडु (28%)।

किसानों के कल्याण के लिए कृषि योजनाएँ: भारत में कुछ प्रमुख कृषि योजनाएँ हैं:-

  • कृषि विकास योजनाएँ
    • कृषि कल्याण अभियान (Krishi Kalyan Abhiyan): विभिन्न कृषि विकास गतिविधियों के माध्यम से किसान कल्याण में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
    • मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Cards- SHC) योजना: किसानों को मिट्टी की उर्वरता एवं उत्पादकता में सुधार करने में मदद करने के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान करती है।
    • राष्ट्रीय बाँस मिशन (National Bamboo Mission): बाँस की खेती एवं उद्योग की वृद्धि एवं विकास को बढ़ावा देता है।
    • हरित क्रांति- कृष्णोन्नति योजना (Green Revolution– Krishonnati Yojana): कृषि उत्पादकता को बढ़ाती है एवं खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
  • वित्तीय सहायता एवं बीमा योजनाएँ
    • प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (Pradhan Mantri Annadata Aay SanraksHan Abhiyan- PM-AASHA): कृषि उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करता है।
    • प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (Pradhan Mantri KISAN Samman Nidhi- PM-KISAN): किसानों को उनकी खेती की जरूरतों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
    • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana- PMFBY): किसानों को फसल के नुकसान से बचाने के लिए फसल बीमा प्रदान करती है।
    • आयुष्मान सहकार योजना (Ayushman Sahakar Scheme): ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढाँचे के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
  • बाजार पहुँच एवं नवप्रवर्तन योजनाएँ
    • E-NAM (राष्ट्रीय कृषि बाजार): कृषि वस्तुओं के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार बनाता है।
    • युवा सहकार-सहकारी उद्यम सहायता एवं नवाचार योजना (Yuva Sahakar-Cooperative Enterprise Support and Innovation Scheme): युवा उद्यमियों को सहकारी उद्यम स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
  • सतत् कृषि एवं पर्यावरण योजनाएँ
    • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana- PMKSY): इसका उद्देश्य सिंचाई कवरेज एवं जल उपयोग दक्षता में सुधार करना है।
    • परंपरागत कृषि विकास योजना (Paramparagat Krishi Vikas Yojana- PKVY): भागीदारी गारंटी प्रणाली के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा देती है।
    • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (National Food Security Mission- NFSM): चावल, गेहूँ, दालों एवं मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करता है।
    • मिशन अमृत सरोवर (Mission Amrit Sarovar): जल निकायों के विकास के माध्यम से जल संरक्षण को बढ़ावा देता है।
    • राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन (National Beekeeping and Honey Mission- NBHM): मधुमक्खी पालन क्षेत्र के विकास का समर्थन करता है।
    • राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (National Mission on Edible Oils- NMEO-OP): इसका उद्देश्य भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए खाद्य तेलों का उत्पादन बढ़ाना है।
    • प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Natural Farming- NMNF): सतत् एवं प्राकृतिक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देता है।
  • शिक्षा एवं कौशल विकास योजनाएँ
    • प्रधानमंत्री किसान मान-धन योजना (Pradhan Mantri Kisan Maan-Dhan Yojana- PM-KMY): छोटे एवं सीमांत किसानों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है।
    • पंडित दीन दयाल उपाध्याय उन्नत कृषि शिक्षा योजना (Pandit Deen Dayal Upadhyay Unnat Krishi Shiksha Yojana- PDDUUKSY): कृषि शिक्षा एवं विस्तार गतिविधियों पर केंद्रित है।
  • पशुधन एवं मत्स्य विकास योजनाएँ
    • राष्ट्रीय गोकुल मिशन (Rashtriya Gokul Mission- RGM): इसका उद्देश्य स्वदेशी गोजातीय नस्लों का संरक्षण एवं विकास करना है।
    • मछुआरों के कल्याण की राष्ट्रीय योजना (National Scheme of Welfare of Fishermen- NSWF): विभिन्न सहायता उपायों के माध्यम से मछुआरों का कल्याण सुनिश्चित करती है।

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