हाल ही में अल्फाफोल्ड के अधिक प्रभावी संस्करण का अनावरण किया गया है।
प्रोटीन: प्रोटीन सूक्ष्म अणु होते हैं जो सभी जीवित चीजों के व्यवहार के संचालन के लिए जिम्मेदार होते हैं।
ये अणु त्रि-आयामी आकृतियों में परिवर्तित होने से पहले रासायनिक यौगिकों के रूप में पाए जाते हैं जो शरीर में अन्य सूक्ष्म तंत्रों के संबंध को परिभाषित करते हैं।
डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA): यह जीवों की वृद्धि, विकास, कार्यप्रणाली और प्रजनन के लिए आवश्यक आनुवंशिक निर्देश प्रदान करता है।
यह न्यूक्लियोटाइड्स नामक इकाइयों से निर्मित एक लंबी एवं डबल-स्ट्रैंडेड हेलिकल स्ट्रक्चर (Double-stranded Helical Structure) है।
रिबोन्यूक्लिक एसिड (Ribonucleic Acid-RNA): यह सभी जीवित कोशिकाओं में मौजूद एक प्रकार का न्यूक्लिक अम्ल है जिसकी संरचना DNA के समान होती है।
इसमें नाइट्रोजनस आधार जैसे एडेनिन (Adenine), गुआनिन (Guanine), यूरैसिल (Uracil) और साइटोसिन (Cytosine) शामिल हैं।
अल्फाफोल्ड (AlphaFold)
परिचय: यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता से युक्त तकनीक है जो वैज्ञानिकों को मानव शरीर के कोशिकाओं को संचालित करने वाले सूक्ष्म तंत्र के व्यवहार को समझने में सहायक है।
प्रोटीन की संरचना में परिवर्तन की समस्या का समाधान: वर्ष 2020 में निर्मित अल्फाफोल्ड के शुरुआती संस्करण ने ‘प्रोटीन फोल्डिंग प्रॉब्लम’ का सफलतापूर्वक समाधान कर दिया है।
जीवविज्ञानियों ने प्रोटीन के सटीक आकार के निर्धारण में दशकों शोध किया है। अल्फाफोल्ड को अमीनो अम्ल की श्रृंखला के साथ जोड़ा जाता है जिसके परिणामस्वरूप यह बहुत कम समय में त्रि-आयामी आकार की भविष्यवाणी कर सकता है।
जैव-चिकित्सा क्षेत्र में शोध-क्रांति: अल्फाफोल्ड के शोध के बाद, जीवविज्ञानियों ने औषधियों के विनिर्माण को तेज करने, मलेरिया और पार्किंसंस रोग के उपचार खोजने, कोरोना वायरस को समझने तथा अन्य तरह की महामारियों से निपटने में इसका उपयोग शुरू कर दिया है।
अल्फाफोल्ड 3 (AlphaFold3)
परिचय: यह अल्फाफोल्ड का नया संस्करण है जो प्रोटीन फोल्डिंग की तकनीक में विस्तार करता है।
महत्त्व: यह DNA सहित अन्य सूक्ष्म जैविक तंत्रों के व्यवहार की भविष्यवाणी कर सकता है।
DNA से प्रोटीन तक जानकारी का स्थानांतरण RNA के माध्यम से होता है।
यह निश्चित रूप से नई दवाओं और टीकों के निर्माण में सहायक होगा।
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