सिग्नल मॉड्यूलेशन टीवी पर समाचार या रेडियो पर गाने जैसी सूचनाओं वाले सिग्नल प्रसारित करने के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों को आसान बनाता है।
तरंगों के बारे में
तरंगें (Waves): तरंग एक दोलन है, जो स्पेस या माध्यम से होकर गुजरती है तथा एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ऊर्जा स्थानांतरित करती है।
उदाहरण के लिए, जब एक कंकड़ को शांत झील में फेंका जाता है, तो इससे लहरें उत्पन्न होती हैं जो एक गोलाकार पैटर्न में बाहर की ओर बढ़ती हैं, ये लहरें वास्तव में तरंगें होती हैं, जो कंकड़ के प्रभाव से उत्पन्न ऊर्जा को जल की सतह पर स्थानांतरित करती हैं।
तरंग का आयाम (Amplitude): आयाम, तरंग की ऊँचाई को दर्शाता है, जो इसकी विरामावस्था से अधिकतम विस्थापन को मापता है। यह तरंग की ऊर्जा निर्धारित करता है।
उदाहरण के लिए, यदि आप झील में एक बड़ा पत्थर गिराते हैं, तो परिणामी लहर एक छोटे कंकड़ को गिराने की तुलना में अधिक ऊँची होगी। इसी तरह, उच्च आयाम वाली ध्वनि तरंग अधिक तीव्र होगी और उच्च आयाम वाली प्रकाश तरंग अधिक चमकीली होगी।
आवृत्ति (Frequency): आवृत्ति, तरंग चक्रों (शिखरों एवं गर्तों) की संख्या है, जो प्रति सेकंड एक विशिष्ट बिंदु से गुजरती है, जिसे हर्ट्ज (Hz) में मापा जाता है।
सिग्नल मॉड्यूलेशन (Signal Modulation): यह सूचना को एनकोड करने और संचारित करने के लिए वाहक सिग्नल के गुणों, जैसे आयाम, आवृत्ति या चरण को बदलने की प्रक्रिया है।
यह तकनीक सूचना को लंबी दूरी के प्रसारण के लिए उपयुक्त प्रारूप में परिवर्तित करके कुशल संचार की अनुमति देती है।
AM, FM और फेज मॉड्यूलेशन के बारे में
फ्रीक्वेंसी मॉड्यूलेशन (Frequency Modulation- FM): फ्रीक्वेंसी मॉड्यूलेशन में, वाहक तरंग की आवृत्ति संचारित की जा रही सूचना के आधार पर बदलती रहती है, जबकि इसका आयाम स्थिर रहता है। कल्पना करें कि वायलिन बजाते समय यदि आप इसके तार को कसते या ढीला करते हैं, तो ध्वनि की आवृत्ति बदल जाती है, लेकिन इसकी तीव्रता वही रहती है।
मुख्य विशेषताएँ
वाहक तरंग की आवृत्ति संकेत के साथ बदलती रहती है तथा आयाम स्थिर रहता है।
AM की तुलना में अधिक बैंडविड्थ की आवश्यकता होती है।
उपयोग: FM का उपयोग FM रेडियो प्रसारण में व्यापक रूप से किया जाता है क्योंकि यह तीव्र ध्वनि से होने वाले व्यतिकरण को कम करता है।
एम्प्लीट्यूड मॉड्यूलेशन (Amplitude Modulation- AM): एम्प्लीट्यूड मॉड्यूलेशन में, वाहक तरंग का आयाम सूचना संकेत को प्रतिबिंबित करने के लिए भिन्न होता है, जबकि इसकी आवृत्ति समान रहती है। एक अच्छा उदाहरण स्पीकर पर वॉल्यूम समायोजित करना है – ध्वनि की आवृत्ति अपरिवर्तित रहती है, लेकिन आयाम बढ़ता या घटता है।
मुख्य विशेषताएँ
वाहक तरंग का आयाम सिग्नल के साथ बदलता रहता है तथा आवृत्ति स्थिर रहती है।
तीव्र ध्वनि और व्यतिकरण के प्रति संवेदनशील।
कम बैंडविड्थ (Lower Bandwidth) आवश्यकता वाली सरल तकनीक।
उपयोग: AM रेडियो प्रसारण और लंबी दूरी के संचार (जैसे, विमानन संचार) में उपयोग किया जाता है।
फेज मॉड्यूलेशन (Phase Modulation- PM): फेज मॉड्यूलेशन एक ऐसी तकनीक है, जहाँ सूचना ले जाने के लिए तरंग के चक्र का समय या स्थिति बदल दी जाती है। तरंग के आयाम अथवा आवृत्ति को बदलने के बजाय, PM अपने चक्र के भीतर तरंग की शुरुआत को समायोजित करता है। तरंग के शुरुआती बिंदु में यह परिवर्तन संदेश को एनकोड करने का तरीका है।
मुख्य विशेषताएँ
वाहक तरंग का चरण सिग्नल के साथ बदलता रहता है लेकिन आवृत्ति और आयाम स्थिर रहते हैं।
तीव्र ध्वनि के प्रति प्रतिरोधी, विशेष रूप से डिजिटल संचार में।
उपयोग: तीव्र ध्वनि के प्रति प्रतिरोधी होने के कारण वाई-फाई जैसे डिजिटल ट्रांसमिशन में PM को प्राथमिकता दी जाती है, क्योंकि कम आयाम परिवर्तन सिग्नल को खराब नहीं करते हैं।
वाई-फाई, सैटेलाइट संचार तथा GPS जैसी डिजिटल संचार प्रणालियों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
एनालॉग बनाम डिजिटल सिग्नल
पैरामीटर
एनालॉग सिग्नल
डिजिटल सिग्नल
परिभाषा
एनालॉग सिग्नल एक सतत्, समय-परिवर्तनशील सिग्नल है, जो मानों की एक सतत् श्रेणी के रूप में सूचना का प्रतिनिधित्व करता है। यह सहज है और बिना किसी रुकावट के प्रवाहित होता है।
डिजिटल सिग्नल एक असतत् सिग्नल है, जो बाइनरी अंकों (0 और 1) का उपयोग करके जानकारी ले जाता है। यह अलग-अलग मानों के बीच बदलता है।
सूचना प्रतिनिधित्व
इसके परिमाणों की अनंत सीमा, अर्थात् यह किसी भी समय किसी निश्चित सीमा के भीतर प्रत्येक संभव मान ले लेता है।
असतत् मान, आमतौर पर दो अवस्थाओं (0 और 1) द्वारा दर्शाए जाते हैं।
विद्युत की आवश्यकता
आमतौर पर संचरण के दौरान अधिक विद्युत की खपत होती है।
एनालॉग प्रणालियों की तुलना में कम विद्युत की खपत होती है।
प्रयोग
एनालॉग रेडियो, पुराने टीवी प्रसारण और ध्वनि रिकॉर्डिंग प्रणालियों जैसे उपकरणों में उपयोग किया जाता है।
आमतौर पर आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे कंप्यूटर, डिजिटल फोन और संचार प्रणालियों (वाई-फाई, CD, आदि) में उपयोग किया जाता है।
शुद्धता
एनालॉग सिग्नल वास्तविक दुनिया के डेटा का अधिक सटीक प्रतिनिधित्व प्रदान करते हैं क्योंकि वे अनंत मान ले सकते हैं।
डिजिटल सिग्नल, हस्तक्षेप के प्रति अधिक प्रतिरोधी होते हैं, लेकिन अपनी पृथक प्रकृति के कारण कम सटीक प्रतिनिधित्व प्रदान करते हैं।
सिग्नल मॉड्यूलेशन का महत्त्व
चैनलों का कुशल उपयोग: मॉड्यूलेशन के माध्यम से एक ही चैनल पर एक साथ कई सिग्नलों को बिना किसी व्यवधान के प्रेषित किया जा सकता है, जैसे रेडियो तरंगों या फाइबर-ऑप्टिक केबलों में।
ध्वनि प्रदूषण में कमी: मॉड्यूलेशन संचारित संकेतों पर बाहरी ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव को कम करने में मदद करता है, विशेष रूप से डिजिटल ट्रांसमिशन के लिए स्पष्ट संचार सुनिश्चित करता है।
विस्तारित संचरण रेंज: AM जैसी मॉडुलन तकनीकें लंबी तरंगदैर्ध्य के कारण संकेतों को लंबी दूरी तक, यहाँ तक कि पहाड़ों जैसी भौतिक बाधाओं के ऊपर से भी यात्रा करने की अनुमति देती हैं।
बेहतर सिग्नल गुणवत्ता: FM जैसी मॉडुलन विधियाँ स्थैतिक प्रभाव को कम करके बेहतर ध्वनि गुणवत्ता प्रदान करती हैं, हालाँकि इसके लिए अधिक बैंडविड्थ की आवश्यकता होती है और इसकी ट्रांसमिशन रेंज छोटी होती है।
आवृत्ति आवंटन: मॉड्यूलेशन आवृत्ति बैंड के कुशल उपयोग को सक्षम बनाता है, जिससे सिग्नल हस्तक्षेप कम होता है। अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन विभिन्न संचार सेवाओं के लिए इन आवृत्ति बैंडों को आवंटित करते हैं।
डिजिटल प्रसारण की ओर बदलाव: जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी आगे बढ़ रही है, एनालॉग से डिजिटल प्रसारण की ओर बदलाव हो रहा है, जो स्पष्ट संकेत, कम हस्तक्षेप और अधिक कुशल डेटा संचरण प्रदान करता है, हालाँकि शुरुआत में इसकी लागत अधिक होती है।
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