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अमृत (AMRUT) ​​योजना

Lokesh Pal June 03, 2024 02:40 208 0

संदर्भ

वर्ष 2047 तक भारत की आधी से अधिक आबादी शहरों में रहने लगेगी। शहरी बुनियादी ढाँचे की बढ़ती माँग से निपटने के लिए ‘कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन’ (AMRUT) योजना शुरू की गई थी।

 ‘कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन’ (AMRUT) योजना

  • संबंधित तथ्य: अमृत (AMRUT) 25 जून, 2015 को आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा शुरू की गई एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
  • उद्देश्य: जल एवं सीवरेज तक सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना, शहर के बेहतर रहने योग्य स्थितियों के लिए पार्क जैसे हरित स्थान विकसित करना और सार्वजनिक एवं गैर-मोटर चालित परिवहन के साथ प्रदूषण से निपटना।
  • घटक: कार्यक्रम में क्षमता निर्माण, सुधार कार्यान्वयन, जल आपूर्ति, सीवरेज एवं सेप्टेज प्रबंधन, जल निकासी, शहरी परिवहन एवं हरित स्थानों एवं पार्कों को विकसित करना शामिल है।
    • इसके उद्देश्यों में नागरिक सेवा वितरण में सुधार, लागत कम करना, वित्तीय स्थिरता बढ़ाना, संसाधन बढ़ाना एवं पारदर्शिता को बढ़ावा देना शामिल है।
    • इसके अतिरिक्त, इसमें पारंपरिक स्ट्रीट लाइटों को LED लाइटों से बदलना शामिल है।
  • राज्य वार्षिक कार्य योजना (State Annual Action Plan- SAAP): अमृत ​​यह सुनिश्चित करता है कि राज्य परियोजनाओं की योजना बनाने और क्रियान्वयन में समान भागीदार हों, क्योंकि आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (भारत सरकार) SAAP को प्रतिवर्ष मंजूरी देता है। 
    • राज्य स्थानीय स्तर पर परियोजनाओं को मंजूरी देने और अनुमोदन देने के लिए जिम्मेदार हैं, जिससे सहकारी संघवाद को बढ़ावा मिलता है।
  • पर्यवेक्षण: इस मिशन की देखरेख केंद्रीय आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय (MoHUA) के सचिव की अध्यक्षता वाली एक शीर्ष समिति द्वारा की जाती है, जिसमें संबंधित मंत्रालयों एवं संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
  • कुल परिव्यय: वित्त वर्ष 2015-16 से 2019-20 तक पाँच वर्षों के लिए अमृत (AMRUT) का कुल परिव्यय ₹50,000 करोड़ था।

अमृत 2.0 (AMRUT ​​2.0)

  • परिचय: अक्टूबर 2021 में लॉन्च किया गया अमृत 2.0, वर्ष 2021-22 से 2025-26 वित्तीय वर्षों तक पाँच वर्षों तक विस्तारित किया गया है। यह जून 2015 में शुरू किए गए अमृत मिशन का विस्तार है।
  • उद्देश्य: इसका लक्ष्य ‘कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन’ (AMRUT) योजना में शामिल 500 शहरों से लेकर देश भर के सभी वैधानिक कस्बों तक सार्वभौमिक जल आपूर्ति कवरेज का विस्तार करना है।
    • इन शहरों को ‘आत्मनिर्भर’ एवं ‘जल सुरक्षित’ बनाने के उद्देश्य से, 500 अमृत शहरों में व्यापक सीवेज और सेप्टेज प्रबंधन सुनिश्चित करना।
    • इस मिशन का लक्ष्य प्राकृतिक संसाधनों की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए मीठे जल निकायों को प्रदूषण से बचाना है।
  • बजट: कुल परिव्यय ₹2,99,000 करोड़ है, जिसमें 1 अक्टूबर, 2021 से प्रारंभ होने वाले पाँच वर्षों के लिए केंद्रीय परिव्यय ₹76,760 करोड़ है।

AMRUT ​​मिशन की उपलब्धियाँ

  • वित्तीय उपयोग: 19 मई, 2024 तक, केंद्र सरकार, राज्यों और शहरों के योगदान के साथ, AMRUT योजना के तहत कुल ₹83,357 करोड़ वितरित किए गए हैं।
  • जल आपूर्ति:  कुल 58,66,237 घरों में अब नल कनेक्शन हैं, जिससे विश्वसनीय जल आपूर्ति सुनिश्चित होती है।
  • सीवरेज कनेक्शन: 37,49,467 घरों को सीवरेज प्रणाली से जोड़ा गया है, जिससे  स्वच्छता में वृद्धि हुई है।
  • पार्कों का विकास: शहरी हरित स्थानों एवं मनोरंजक क्षेत्रों को समृद्ध करते हुए कुल 2,411 पार्क बनाए गए हैं।
  • सड़कों पर प्रकाश की व्यवस्था: 62,78,571 पारंपरिक स्ट्रीट लाइटों को LED विकल्पों से प्रतिस्थापित किया गया है, जिससे ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा मिला है एवं शहरी प्रकाश व्यवस्था में सुधार हुआ है।

अमृत (AMRUT)  ​​के साथ चुनौतियाँ 

  • स्वास्थ्य संकट: जल, स्वच्छता एवं साफ-सफाई की अपर्याप्त पहुँच के कारण सालाना लगभग 2,00,000 मौतें होती हैं।
    • वर्ष 2016 तक, भारत में असुरक्षित जल एवं स्वच्छता से होने वाली बीमारियों का बोझ चीन की तुलना में प्रति व्यक्ति 40 गुना अधिक था।
  • जल एवं स्वच्छता संबंधी चिंताएँ: अनुपचारित अपशिष्ट जल की पर्याप्त उपस्थिति बीमारियों की संवेदनशीलता को बढ़ा देती है।
    • प्रमुख जलाशय, जो वर्तमान में केवल 40% क्षमता पर कार्य कर रहे हैं, पेयजल, सिंचाई और जल-विद्युत के लिए जल की उपलब्धता के लिए खतरा उत्पन्न करते हैं।
    • अनुमान है कि लगभग 21 प्रमुख शहरों में भूजल की आसन्न कमी का सामना करना पड़ेगा।
  • वायु गुणवत्ता संबंधी चिंताएँ: अमृत ​​शहरों एवं अन्य बड़ी शहरी बस्तियों में वायु की गुणवत्ता लगातार खराब होती जा रही है।
    • केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2019 में एक राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme) शुरू किया गया था, क्योंकि AMRUT 2.0 केवल जल एवं सीवरेज पर केंद्रित था।
  • खंडित दृष्टिकोण:  इस योजना ने व्यापक शहरी नियोजन को एकीकृत करने की उपेक्षा करते हुए समग्र दृष्टिकोण के बजाय परियोजना-केंद्रित को अपनाया।
    • उदाहरण के लिए, शहरों में योजना के डिजाइन एवं कार्यान्वयन दोनों में पर्याप्त भागीदारी का अभाव था, जिससे इसकी प्रभावशीलता कम हो गई।
    • इसके अलावा, शासन मुख्य रूप से नौकरशाहों एवं निजी हितधारकों द्वारा संचालित था, जिसमें निर्वाचित शहर सरकारों की सीमित भागीदारी थी, जो भारतीय संविधान के 74वें संवैधानिक संशोधन का उल्लंघन था।
  • जल कुप्रबंधन: इस योजना में स्थानीय जलवायु, वर्षा पैटर्न एवं मौजूदा बुनियादी ढाँचे की उपेक्षा की गई, जिससे अकुशल जल और सीवेज प्रबंधन की स्थिति उत्पन्न हुई।
    • शहरी नियोजन ने रियल एस्टेट हितधारकों को प्राथमिकता दी, जिसके परिणामस्वरूप जल निकाय समाप्त हो गए, स्टॉर्म वाटर प्रवाह बाधित हो गया और जल निकासी प्रणालियाँ अपर्याप्त हो गईं।

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