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वस्तु एवं सेवा कर (GST) के सात वर्ष पूरे

Lokesh Pal July 02, 2024 03:37 138 0

संदर्भ 

1 जुलाई, 2017 को वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax- GST) लागू हुए सात वर्ष हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि GST को पारंपरिक राज्य और केंद्रीय अप्रत्यक्ष करों को एक ही छत्र प्रणाली के अंतर्गत एकीकृत करने के उद्देश्य से लागू किया गया था।

53वीं GST काउंसिल की बैठक

  • हाल ही में 53वीं वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax- GST) परिषद की बैठक हुई और छोटे व्यवसायों, रेलवे सेवाओं आदि के लिए अनुपालन को आसान बनाने हेतु कई उपायों को मंजूरी दी गई तथा सात वर्षीय GST के तहत विभिन्न कर दरों के पुनर्गठन पर चर्चा करने के लिए अगस्त 2024 में पुनः बैठक करने पर भी सहमति बनी।

वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax- GST) के बारे में

  • वस्तु एवं सेवा कर (GST) भारत में किए गए सबसे बड़े आर्थिक और कराधान सुधारों में से एक है।
  • उद्देश्य: देश में कराधान संरचना को सुव्यवस्थित करना और कराधान प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए अप्रत्यक्ष करों की एक शृंखला को एकल GST से बदलना।
  • संक्षेप में: GST अनिवार्य रूप से एक उपभोग कर (Consumption Tax) है और इसे अंतिम उपभोग बिंदु पर लगाया जाता है। GST कराधान में प्रयुक्त सिद्धांत ‘डेस्टिनेशन प्रिंसिपल’ (Destination Principle) है।
    • यह मूल्यवर्द्धन पर लगाया जाता है और सेट-ऑफ प्रदान करता है। 
    • यह कर पर व्यापक प्रभाव या कर से बचाता है, जिससे अंतिम उपभोक्ता पर कर का बोझ बढ़ जाता है। 
    • इसे आपूर्ति लाइन में बिक्री के प्रत्येक बिंदु पर वस्तुओं एवं सेवाओं पर एकत्र किया जाता है।
  • कर संग्रह के लिए स्लैब हैं: 0%, 5%, 12%, 18% और 28%।
  • भारत में GST की पृष्ठभूमि एवं विकास
    • प्रस्तावित: भारत में राष्ट्रव्यापी GST का विचार पहली बार वर्ष 2000 में अप्रत्यक्ष करों पर केलकर टास्क फोर्स (Kelkar Task Force) द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
    • संसद में प्रस्तुतीकरण: केंद्र और राज्य सरकारों के बीच वर्षों के विचार-विमर्श और बातचीत के बाद, कई अप्रत्यक्ष करों को समाप्त करने तथा ‘एक राष्ट्र एक कर’ (One Nation One Tax) प्रणाली लागू करने के लिए संविधान (122वाँ संशोधन) विधेयक, 2014 को संसद में प्रस्तुत किया गया।
    • संसद में पारित: संविधान (122वाँ संशोधन) विधेयक 2016 में संविधान (101वाँ संशोधन) अधिनियम के रूप में पारित किया गया और GST को 1 जुलाई, 2017 को पूरे देश में प्रस्तुत एवं लागू किया गया।
    • GST परिषद की स्थापना: वर्ष 2016 का संवैधानिक संशोधन GST को लागू करने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री और सभी राज्यों के प्रतिनिधियों से मिलकर एक GST परिषद का गठन करता है।
      • GST काउंसिल की सहायता के लिए GST काउंसिल सचिवालय का कार्यालय भी स्थापित किया गया।

GST के लिए संवैधानिक ढाँचा

  • 101वाँ संविधान संशोधन अधिनियम: भारत में वस्तु एवं सेवा कर विधेयक वर्ष 2016 में पारित किया गया।
  • अनुच्छेद-246A: संसद एवं राज्य विधानसभाओं, दोनों को GST से संबंधित कानून बनाने की समवर्ती शक्तियाँ होंगी।
    • हालाँकि, संसद को वस्तुओं एवं सेवाओं के अंतर-राज्यीय व्यापार के मामले में कानून बनाने का विशेष अधिकार प्राप्त होगा।
      • अनुच्छेद-269A: अंतर-राज्यीय व्यापार के मामले में जहाँ GST केंद्र सरकार द्वारा लगाया एवं एकत्र किया जाता है, कर राजस्व को केंद्र द्वारा केंद्र एवं राज्यों के बीच उस तरीके से विभाजित किया जाएगा जैसा कि GST परिषद की सिफारिशों पर संसद के कानून द्वारा प्रदान किया जा सकता है।
      • अनुच्छेद-279A: यह भारत के राष्ट्रपति को GST परिषद का गठन करने और इसकी संरचना एवं कार्यप्रणाली को परिभाषित करने का अधिकार देता है।

भारत में GST की आवश्यकता (Need of GST in India)

GST के क्रियान्वयन से मूल्य वर्द्धित कर के सिद्धांतों पर आधारित एक मौलिक बदलाव आया है और यह पूरे देश में वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति पर लागू होता है। इसने पूरे भारत में कर ढाँचे में एकरूपता ला दी है, जिससे करों का व्यापक प्रभाव समाप्त हो गया है।

  • इनपुट टैक्स क्रेडिट: यह सेट-ऑफ सिस्टम GST का मूल तत्त्व रहा है, जो पूर्ववर्ती कर व्यवस्था से बिल्कुल अलग है, जिसके कारण करों का एक बड़ा हिस्सा लागू होता था। GST व्यवस्था ने करदाताओं को इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input Tax Credit- ITC) का दावा करने में सक्षम बनाकर करों के व्यापक प्रभाव को लगभग समाप्त कर दिया है।
  • प्रभावी निपटान तंत्र: एक केंद्रीय एजेंसी की आवश्यकता है, जो दावों को सत्यापित करने और संबंधित सरकारों को धन का हस्तांतरण करने के लिए सूचित करने हेतु क्लियरिंग-हाउस के रूप में कार्य कर सके।
  • प्रतिस्पर्द्धी मूल्य: GST अप्रत्यक्ष प्रकृति के अन्य सभी करों को समाप्त कर देता है और इसका प्रभावी रूप से अर्थ यह होगा कि अंतिम उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान की जाने वाली कर राशि कम हो जाएगी।
    • कीमतें जितनी कम होंगी, उस उत्पाद की माँग उतनी ही अधिक होगी, जिसके परिणामस्वरूप खपत बढ़ेगी और संस्थाओं को लाभ होगा।
  • राजस्व में वृद्धि (Increase in Revenue): GST को समझना आसान है और एक सरल कर संरचना करदाताओं की संख्या में वृद्धि करेगी और बदले में, इससे भारत सरकार के राजस्व में वृद्धि होगी।

पिछले 7 वर्षों में GST की उपलब्धियाँ

  • GST ने अप्रत्यक्ष कर परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया है, जिसके कारण वित्त वर्ष 2023-24 में GST संग्रह 20.14 ट्रिलियन रुपये से अधिक हो गया है। यह मजबूत प्रदर्शन भारत के आर्थिक लचीलेपन को दर्शाता है और GST सुधारों के अगले चरण का मार्ग प्रशस्त करता है।

  • उच्च कर राजस्व: देश भर में अधिकांश कर दरों को मानकीकृत करने के अलावा, GST ने उच्च कर राजस्व के संदर्भ में लाभ प्रदान किया है।
    • पिछले तीन महीनों में शासन के तहत मासिक राजस्व संग्रह दोगुना होकर औसतन 1.8 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है, जबकि कार्यान्वयन के पहले वर्ष में यह 89,884 करोड़ रुपये था।
    • वर्ष 2023-24 (वित्तीय वर्ष 24) में GST राजस्व 20.2 ट्रिलियन रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुँच गया। ‘सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी’ के आँकड़ों के अनुसार, विकास दर 10% से ऊपर बनी हुई है, हालाँकि पहले की तुलना में धीमी है।
    • नवीनतम वित्तीय वर्ष 2024 आँकड़ों में, GST संग्रह सकल घरेलू उत्पाद के 3.25% के बराबर था, जो वर्ष 2018-19 में 3.08% था।
    • GST में वृद्धि वित्त वर्ष 2012 में 1.6 से घटकर 2024 में 1.3 हो गई।
    • GST में वृद्धि का उच्च स्तर यह दर्शाता है कि GST प्राप्तियाँ नाममात्र GDP की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ी हैं।

  • ई-वे बिल जनरेशन (E-way Bill Generation) में वृद्धि एवं उच्च उपकर संग्रह
    • इलेक्ट्रॉनिक वे (Electronic way/e-way) बिल 1 अप्रैल, 2018 को प्रस्तुत किए गए थे। तब से, राज्य के अंतर्गत एवं अंतरराज्यीय दोनों ही तरह से ई-वे बिलों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है, तथा राज्य के अंतर्गत लेन-देन में भी तेज वृद्धि हुई है।
    • वर्ष 2021-22 (वित्त वर्ष 2022) से उपकर संग्रह लगातार 1 ट्रिलियन रुपये से अधिक रहा है और इसमें वृद्धि जारी है।

  • उपभोक्ताओं के लिए अनुकूल: एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि अधिकांश उपभोक्ता वस्तुओं पर GST कर कम या बिल्कुल नहीं लगता है।
    • उपभोग की 3% से भी कम वस्तुओं पर 28% की उच्चतम कर दर लागू होती है।

  • करदाताओं में वृद्धि (Rise in Taxpayers): पंजीकृत करदाताओं की संख्या वर्ष 2017 में 65 लाख से बढ़कर 1.46 करोड़ हो गई है।
    • औसत मासिक GST राजस्व वर्ष 2017-18 में लगभग ₹90,000 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2024-25 में लगभग ₹1.90 लाख करोड़ हो गया।
  • डिजिटल अवसंरचना में प्रगति: GST ‘डिजिटल इंडिया (Digital India)’ के आह्वान के अनुरूप है। कर प्रणाली लगभग पूरी तरह से डिजिटल है, जो इसे भविष्य के लिए तैयार करती है।
    • प्रारंभ से ही प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया, पंजीकरण से लेकर सभी अनुपालन और फाइलिंग तक का कार्य GST नेटवर्क (GST Network- GSTN) पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन किया जा रहा है।
    • GSTN ने करदाताओं के लिए पंजीकरण, कर भुगतान और रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को सरल बना दिया।
  • अनुपालन में वृद्धि: GSTN ने व्यवसायों और कर अधिकारियों के लिए अनुपालन को आसान बना दिया है, उन्हें कर चोरी का पता लगाने एवं रोकने के लिए डेटा विश्लेषण से संबद्ध किया गया है।
    • ई-वे बिल, ई-इनवॉयसिंग और मासिक रिटर्न जैसे कार्यों के स्वचालन ने कर अनुपालन को बदल दिया है।
  • MSME के लिए लाभ: त्रैमासिक रिटर्न और GSTR-9C आवश्यकताओं में ढील जैसे उपायों ने MSME को GST के तहत पंजीकरण करने के लिए प्रोत्साहित किया है, जिससे करदाता आधार में वृद्धि हुई है।
    • GST ने MSME के लिए ऋण तक बेहतर पहुँच की सुविधा प्रदान की है, जिससे उनकी वृद्धि में तेजी आई है।
  • एकीकृत बाजार एवं प्रतिस्पर्द्धात्मकता: GST ने एक एकीकृत प्रणाली की शुरुआत की है, एक सामान्य बाजार की स्थापना की है और टैक्स कैसकेडिंग (Tax Cascading) को समाप्त किया है तथा भारतीय व्यवसायों में प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाया है।
    • GST ने राज्य की सीमाओं पर प्रवेश कर और चेकपॉइंट्स को हटा दिया है, इससे माल की सुचारू आवाजाही, तीव्र पारगमन समय एवं व्यवसायों के लिए रसद लागत कम हो गई है।

चिंताएँ: जिनका ध्यान रखा जाना आवश्यक है

  • यह नहीं कहा जा सकता कि GST और इससे संबंधित सभी कानून दोषरहित हैं, लेकिन इसमें किए गए परिवर्तनों से पता चलता है कि कानून में और सुधार होने की उम्मीद है, ताकि बदलती परिस्थितियों के अनुरूप इसमें बदलाव किया जा सके।
  • उत्पादों को GST से छूट (Products Exempted from GST): पेट्रोलियम उत्पादों को GST रिजीम के तहत नहीं रखा गया है।
  • जटिलताएँ (Complexities): GST कानून अभी भी विकसित हो रहा है, जिससे अपरिचितता और भिन्न स्थितियों के कारण विभिन्न मुद्दों पर विभिन्न विवाद हो रहे हैं।
  • कर धोखाधड़ी (Tax Frauds): अनुपालन सुनिश्चित करने और ऐसे धोखाधड़ी वाले व्यवसायों को समाप्त करने के उपायों के साथ, कर धोखाधड़ी से निपटना एक प्राथमिकता बनी हुई है।
  • मुकदमेबाजी और विवाद समाधान (Litigation and Dispute Resolution): कर लागू होने के 7 वर्ष बाद भी, भारत में अभी भी कोई परिचालन GST अपीलीय न्यायाधिकरण (GST Appellate Tribunal- GSTAT) नहीं है।
    • इस तंत्र के अभाव के कारण मुकदमों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिससे उच्च न्यायालयों पर बोझ बढ़ गया है।
  • डिजिटलीकरण (Digitalization): GST के प्रारंभिक वर्षों में ITC का डिजिटल मिलान चालू नहीं था और इसलिए अनंतिम उपलब्धता से चालान-स्तरीय समाधान (फॉर्म GST R-2A/2B) में बदलाव चुनौतीपूर्ण रहा है और करदाताओं के लिए एक कठिन बदलाव रहा है।
    • दुर्भाग्यवश, इसके परिणामस्वरूप बेमेल नोटिसों की संख्या में वृद्धि  हो गई है, जो आज भारत में GST से संबंधित मुकदमों का बड़ा हिस्सा है।

  • GST संग्रह में असमानताओं का प्रचलन: केंद्रीय GST (CGST) और राज्य GST (SGST) दोनों में वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि (हालाँकि थोड़ी अलग दरों पर) देखी जा रही है। राज्य संग्रह केंद्रीय संग्रह की तुलना में मामूली रूप से धीमी गति से बढ़ा है।
    • एक विश्लेषण के अनुसार, महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश सबसे अधिक कर संग्रह करने वाले राज्यों में से प्रमुख हैं। हालाँकि, जनसंख्या के हिसाब से समायोजन करने पर, अन्य राज्य बेहतर प्रदर्शन करते हैं, जो अलग-अलग उपभोग पैटर्न और खर्च करने की क्षमता को दर्शाता है।

आगे की राह

वर्ष 2047 तक 30-35 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत को GST के संबंध में विभिन्न कदम उठाने की आवश्यकता है।

  • नेशनल एडवांस रूलिंग अथॉरिटी (National Advance Ruling Authority) की स्थापना: एक नेशनल एडवांस रूलिंग अथॉरिटी आवश्यक है क्योंकि यह पूरे भारत में कानून की एक समान व्याख्या सुनिश्चित कर सकता है और अनिश्चितता को कम कर सकता है तथा विवादों को कम कर सकता है।
  • प्रभावी विवाद समाधान: एक कार्यात्मक वस्तु एवं सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (Goods and Services Tax Appellate Tribunal- GSTAT) न्यायालयों पर उच्च बोझ को कम कर सकता है।
    • इससे व्यवसायों के लिए विवाद समाधान अधिक तीव्र और कुशल हो सकेगा।
  • GST जटिलताओं पर स्पष्टीकरण: अब समय आ गया है कि विशिष्ट क्षेत्रों से संबंधित FAQ को पुनः प्रस्तुत किया जाए, इससे स्पष्ट मार्गदर्शन मिल सकता है तथा जटिलताएँ कम हो सकती हैं।
    • ऑनलाइन गेमिंग गतिविधियों, क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े लेन-देन आदि पर कराधान के संबंध में भी स्पष्टीकरण की आवश्यकता है।
  • छूट प्राप्त उत्पादों को GST में शामिल करना: समय की माँग है कि कर आधार पर विचार किया जाए, ताकि न केवल सभी वस्तुओं जैसे पेट्रोलियम उत्पाद, बिजली, भूमि और शराब को GST के दायरे में लाया जा सके, बल्कि कैस्केडिंग को कम करने के लिए बड़ी संख्या में छूटों पर भी विचार किया जाए।
  • केंद्र-राज्य सहयोग: अब समय आ गया है कि सभी स्तरों पर केंद्र-राज्य सहयोग पर ध्यान दिया जाए, ताकि केंद्रीकृत या संयुक्त अथवा समन्वित लेखा परीक्षा की स्थापना करके, देश भर में बड़ी कंपनियों पर किए जा रहे लेखा परीक्षा एवं जाँच की बहुलता को कम करके व्यापार को सुलभ बनाया जा सके।
  • स्थायी सचिवालय की स्थापना: सक्रिय आधार पर इन्वर्टेड ड्यूटी, व्याख्यात्मक विसंगतियों और प्रक्रियात्मक समस्याओं जैसे मुद्दों पर संरचनात्मक परिवर्तन और क्षेत्रीय संरेखण प्रदान करने के लिए निरंतर आधार पर बहुत आवश्यक अनुसंधान और विश्लेषण प्रदान करना।
  • अन्य कार्यवाहियाँ: कर क्रेडिट प्रणाली के कुछ पहलुओं पर पुनर्विचार की आवश्यकता है, ताकि करों के व्यापक प्रभाव को रोका जा सके।
    • GST परिषद को निर्माण-संबंधी व्यय पर ITC की रोक पर पुनर्विचार करना चाहिए, विशेष रूप से यह देखते हुए कि बुनियादी ढाँचे या किसी अन्य अचल तंत्र के निर्माण से कर योग्य राजस्व उत्पन्न हो सकता है।
    • भारत के सभी राज्यों को उनकी सर्वोत्तम क्षमता प्राप्त करने के लिए उपभोग पैटर्न और खर्च करने की क्षमताओं को सशक्त बनाने तथा बढ़ाने के लिए कार्रवाई की जानी चाहिए।
    • दरों/स्पष्टीकरणों को पूर्वव्यापी रूप से लागू करने से सख्ती से बचा जाना चाहिए।

निष्कर्ष (Conclusion)

GST परिषद का करदाता समर्थक दृष्टिकोण और GSTN का डिजिटल प्लेटफॉर्म व्यापार में आसानी सुनिश्चित करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और इसे जारी रखने तथा GST को ‘गुड एंड सिंपल टैक्स’ (Good and Simple Tax) बनाए रखने की आवश्यकता है।

  • अब समय आ गया है कि GST के भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण विकसित किया जाए, ताकि वर्ष 2047 तक 30-35 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए व्यवसाय को आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान किया जा सके।

GST परिषद (GST Council)

  • यह 101वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा अधिनियमित अनुच्छेद-279A(1) के तहत गठित एक संवैधानिक निकाय है।
  • यह भारत की अब तक की सबसे बड़ी और सबसे सफल संवैधानिक संस्था है।
  • इसकी अधिकांश अनुशंसाएँ सदस्यों के बीच आम सहमति के माध्यम से प्रस्तुत की जाती हैं, जिनमें मतदान की शायद ही कभी आवश्यकता होती है। 

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