हाल ही में शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (ASER), 2024 जारी की गई है।
ASER सर्वेक्षण
यह एक वार्षिक नागरिक-आधारित सर्वेक्षण है, जो ग्रामीण भारत में बच्चों की स्कूली शिक्षा एवं अधिगम स्तर का विश्वसनीय अनुमान प्रदान करता है।
ASER स्कूल-आधारित सर्वेक्षण के बजाय एक घरेलू सर्वेक्षण है एवं ASER सर्वेक्षण, वर्ष 2011 के जनगणना फ्रेमवर्क का उपयोग करता है।
‘बेसिक’ ASER डिजाइन: यह प्रत्येक जिले से 30 गाँवों और प्रत्येक गाँव से 20 घरों का यादृच्छिक चयन करता है, जिससे प्रत्येक जिले में कुल 600 घर या पूरे देश के लिए लगभग 3,00,000 घर का चयन किया गया है।
आयु मूल्यांकन: 3 आयु समूहों के लगभग 6.5 लाख बच्चों का बुनियादी शिक्षा एवं अंकगणित कौशल में सर्वेक्षण किया गया है।
प्री-प्राइमरी (आयु 3 से 5), प्राथमिक (6 से 14), एवं माध्यमिक (15 से 16)।
संचालन: ASER सर्वेक्षण का समन्वय ASER केंद्र द्वारा किया जाता है एवं NGO प्रथम नेटवर्क द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।
प्रत्येक जिले में स्थानीय भागीदार संगठनों के लगभग 30,000 स्वयंसेवक सर्वेक्षण करते हैं।
ASER सर्वेक्षण 2024 की मुख्य विशेषताएँ
वर्ष 2018 के पूर्व COVID स्तरों की तुलना में, बड़े पैमाने पर सरकारी स्कूलों के नेतृत्व में राज्यों में मूलभूत साक्षरता एवं संख्यात्मकता (FLN) में समग्र सुधार देखा गया।
FLN कौशल: कक्षा 3 और 5 के अधिकांश बच्चे अभी भी अपनी स्थानीय भाषा में कक्षा 2 के स्तर की पाठ्य सामग्री पढ़ने या सरल गणित के प्रश्न हल करने में असमर्थ हैं।
सरकारी स्कूल में नामांकन: इसमें महामारी से पहले के स्तर पर वापसी देखी गई।
उदाहरण: सरकारी स्कूलों में नामांकित 6-14 वर्ष के बच्चों का प्रतिशत वर्ष 2018 में 65.6% था, जो वर्ष 2022 में बढ़कर 72.9% हो गया और अब गिरकर 66.8% हो गया है।
पठन कौशल: सर्वेक्षण में पाया गया कि वर्ष 2018 में कोविड-पूर्व स्तर की तुलना में सभी कक्षाओं में पठन कौशल में मामूली सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी कक्षा 3 और 5 के अधिकांश बच्चे कक्षा 2 के स्तर की पाठ्य सामग्री पढ़ने में असमर्थ हैं।
उदाहरण: सरकारी स्कूलों में नामांकित कक्षा 3 के 23.4% छात्र वर्ष 2024 में कक्षा 2 के स्तर का पाठ पढ़ने में सक्षम थे, जबकि वर्ष 2018 में यह 20.9% था।
कक्षा 3 के 76.6% छात्र पाठ पढ़ने में असमर्थ थे, जो 19 भाषाओं में उपलब्ध कराए गए थे।
बुनियादी संख्यात्मक कौशल: सरकारी एवं निजी दोनों स्कूलों में बच्चों ने बुनियादी अंकगणित (संख्याओं को पहचानना, दहाई के अंकों वाली संख्याओं को घटाना, एवं तीन अंकों की संख्याओं को एक अंक से विभाजित करना) में पर्याप्त सुधार दर्शाया है।
उदाहरण: कक्षा 5 के छात्रों में, विभाजन की समस्याओं को हल करने वालों का अनुपात वर्ष 2018 में 27.9% से बढ़कर वर्ष 2024 में 30.7% हो गया है, जिसमें लगभग 70% अभी भी पीछे हैं।
राज्यवार प्रदर्शन: कक्षा 2 का पाठ पढ़ने में सक्षम बच्चों की संख्या में विभिन्न राज्यों में सुधार हुआ है।
4 से 5.9 प्रतिशत अंक की वृद्धि: हिमाचल प्रदेश एवं बिहार।
6 से 9.9 प्रतिशत अंक की वृद्धि: ओडिशा, हरियाणा, पश्चिम बंगाल एवं झारखंड।
10 प्रतिशत अंक की वृद्धि: हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, ओडिशा एवं उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022 के स्तर की तुलना में सबसे अधिक सुधार देखा गया।
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2018 में 12.3% से 15% अंक की वृद्धि देखी गई एवं वर्ष 2024 में 27.9% हो गई।
डिजिटल साक्षरता: 14 वर्ष से 16 वर्ष की आयु के 89% किशोरों के पास घर पर स्मार्टफोन तक पहुँच है, जबकि 31.4% के पास स्वयं का अपना फोन है।
उपयोग: 57% ने इसका उपयोग शिक्षा-संबंधी मामलों के लिए एवं 76% ने सोशल मीडिया ब्राउज करने के लिए किया है।
लैंगिक सुरक्षा: लड़कियों की तुलना में लड़के अपने फोन पर सुरक्षा सुविधाओं के बारे में अधिक जागरूक थे, 62% जानते थे कि किसी प्रोफाइल को कैसे ब्लॉक या रिपोर्ट किया जाए, 55.2% जानते थे कि प्रोफाइल को निजी कैसे बनाया जाए, एवं 57.7% जानते थे कि पासवर्ड कैसे बदला जाए।
सुधार के कारण
मुख्य फोकस क्षेत्र के रूप में मूलभूत शिक्षा: सरकार ने NEP 2020 के माध्यम से वर्ष 2025 तक प्राथमिक विद्यालय में सार्वभौमिक मूलभूत साक्षरता एवं संख्यात्मकता प्राप्त करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।
निपुण भारत (NIPUN bharat): मूलभूत साक्षरता एवं संख्यात्मकता (FLN) के लिए केंद्रित वित्तपोषण के साथ-साथ संदेश पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।
मूल्यांकन: शिक्षकों एवं छात्रों के अधिक जुड़ाव के साथ आंतरिक तथा बाह्य मूल्यांकन स्कूली शिक्षा चर्चा का हिस्सा बन गया है।
प्रशिक्षण: शिक्षक प्रशिक्षण आदि के लिए राज्यों के साथ जुड़ाव एवं समन्वय का स्तर भी बढ़ रहा है।
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