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भारत के पुरावशेषों की संयुक्त राज्य अमेरिका से वापसी

Lokesh Pal July 29, 2024 02:11 92 0

संदर्भ

अमेरिका और भारत ने नई दिल्ली में विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र के दौरान भारत से अमेरिका में प्राचीन वस्तुओं के अवैध व्यापार पर अंकुश लगाने के लिए सांस्कृतिक संपदा समझौते  (Cultural Property Agreement- CPA)  पर हस्ताक्षर किए।

  • उद्देश्य: भारत में ऐसी कलाकृतियों की वापसी के लिए एक परिभाषित रूपरेखा स्थापित करना एवं सुचारू तथा शीघ्र प्रत्यावर्तन की सुविधा प्रदान करना।
  • भारत 29 मौजूदा अमेरिकी द्विपक्षीय सांस्कृतिक संपत्ति समझौता भागीदारों की सूची में शामिल हो गया है।
    • अमेरिका के अफगानिस्तान, चीन, कंबोडिया, मिस्र, ग्रीस, इटली, जॉर्डन एवं तुर्किए सहित 28 सक्रिय द्विपक्षीय देशों से सांस्कृतिक संपत्ति समझौते हैं।
  • इस अवसर पर अमेरिका ने भी भारत को 262 पुरावशेष लौटाए।
    • कुल कलाकृतियाँ वापस लाई गईं: भारत वर्ष 1976 से अब तक 358 पुरावशेषों को वापस लाया है, इनमें से 345 को वर्ष 2014 के बाद से पुनः प्राप्त कर लिया गया है।

पुरावशेष (Antiquity) क्या है?

  • वर्ष 1972 का पुरावशेष एवं कला निधि अधिनियम, पुरावशेष (Antiquity)  को किसी भी वस्तु या कला के कार्य के रूप में परिभाषित करता है, जो कम-से-कम 100 वर्षों से अस्तित्व में है।
  • इसमें सिक्के, मूर्तियाँ, पेंटिंग, शिलालेख, अलग लेख एवं अन्य वस्तुएँ शामिल हैं, जो पिछले युग के विज्ञान, कला, साहित्य, धर्म, रीति-रिवाजों, नैतिकता या राजनीति को दर्शाती हैं।
  • ‘पांडुलिपि, रिकॉर्ड या अन्य दस्तावेज जो वैज्ञानिक, ऐतिहासिक, साहित्यिक या सौंदर्य मूल्य का है’ के लिए, यह अवधि 75 वर्ष की  है।

सांस्कृतिक संपत्ति समझौता (Cultural Property Agreement- CPA) 

  • आयात प्रतिबंध: CPA कुछ वस्तुओं के आयात को प्रतिबंधित करता है:-
    • पुरातात्त्विक सामग्री: इसकी अवधि 1.7 मिलियन वर्ष पूर्व से लेकर 1770 ई.पू. तक है।
    • नृवंशविज्ञान (Ethnological) सामग्री: इसमें नागरिक, धार्मिक एवं शाही वास्तुशिल्प सामग्री, धार्मिक सामग्री तथा औपचारिक वस्तुओं की श्रेणियाँ एवं दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर वर्ष 1947 तक की संयुक्त राज्य अमेरिका की पांडुलिपियाँ शामिल हैं।
  • समझौते के अनुसार, अमेरिकी सरकार द्वारा जब्त की गई नामित सूची की कोई भी वस्तु या सामग्री अमेरिका भारत को वापस करने की पेशकश करेगा।
  • पृष्ठभूमि: यह समझौता भारत की अध्यक्षता में आयोजित वर्ष 2023 के G20 के ‘कल्चर वर्किंग ग्रुप’ के परिणाम दस्तावेज ‘काशी कल्चर पाथवे’ का परिणाम था।
    • दस्तावेज में सर्वसम्मति से सांस्कृतिक संपत्ति की अवैध तस्करी के खिलाफ निपटान को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत और प्रभावी वैश्विक गठबंधन का समर्थन किया गया तथा इसका आह्वान किया गया।
  • राजनयिक संबंधों के एक हिस्से के रूप में: भारत ने राजनयिक संबंधों को उन्नत करने के एक भाग के रूप में सांस्कृतिक संपत्ति के अवैध आयात, निर्यात और स्वामित्व के हस्तांतरण के निषेध और रोकथाम के साधनों पर वर्ष 1970 के यूनेस्को कन्वेंशन के अनुच्छेद-9 के तहत अमेरिकी सरकार से संपर्क किया।
  • महत्त्व
    • जब्ती एवं स्वदेश वापसी: यह समझौता अमेरिकी सीमा शुल्क पर भारतीय पुरावशेषों की त्वरित जब्ती तथा उन्हें भारत वापस लाने में सहायक होगा।
    • सतत् विकास: तस्करी की गई प्राचीन वस्तुओं का प्रत्यावर्तन सांस्कृतिक कूटनीति में एक व्यावहारिक निवेश था, जो राष्ट्रों को शैक्षिक संवर्द्धन, सामाजिक एकजुटता एवं आर्थिक सशक्तीकरण के लिए अपनी सांस्कृतिक संपत्तियों का लाभ उठाने के लिए सशक्त बनाता था।
    • न्याय: हमारी सामूहिक विरासत का प्रत्यावर्तन 1.4 अरब भारतीयों को न्याय की भावना प्रदान करेगा क्योंकि भारतीयों का जो अधिकार था वह भारत को वापस कर दिया गया है।

सांस्कृतिक संपत्ति

  • परिभाषा: वर्ष 1970 कन्वेंशन के अनुच्छेद-1 के अनुसार, सांस्कृतिक संपत्ति वह संपत्ति है जिसे धार्मिक या धर्मनिरपेक्ष आधार पर प्रत्येक राज्य द्वारा पुरातत्त्व, प्रागैतिहासिक काल, इतिहास, साहित्य, कला या विज्ञान के लिए महत्त्व के रूप में निर्दिष्ट किया जाता है, जो निम्नलिखित श्रेणियों से संबंधित है:-
    • इतिहास से संबंधित संपत्ति, जिसमें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का इतिहास तथा सैन्य एवं सामाजिक इतिहास शामिल है।
    • पुरातात्त्विक उत्खनन या पुरातात्त्विक खोजों के उत्पाद।
    • कलात्मक या ऐतिहासिक स्मारकों या पुरातात्त्विक स्थलों के तत्त्व जो खंडित कर दिए गए हैं।
    • सौ वर्ष से अधिक पुराने पुरावशेष, जैसे शिलालेख, सिक्के एवं उत्कीर्ण मुहरें
    • कलात्मक अभिरुचि की संपत्ति, जैसे,
      • किसी भी सामग्री में पूर्णतः हाथ से निर्मित चित्र, पेंटिंग और रेखाचित्र (औद्योगिक डिजाइन और हाथ से सजाए गए निर्मित लेखों को छोड़कर)
      • मूल उत्कीर्णन, प्रिंट एवं लिथोग्राफ।
      • दुर्लभ पांडुलिपियाँ एवं इंकुनबुला, पुरानी किताबें, दस्तावेज तथा विशेष रुचि के प्रकाशन (ऐतिहासिक, कलात्मक, वैज्ञानिक, साहित्यिक, आदि) एकल या समूह में।
      • डाक, राजस्व एवं समान टिकट, एकल या समूह में।
      • पुरालेख, जिसमें ध्वनि, फोटोग्राफिक एवं सिनेमैटोग्राफिक पुरालेख शामिल हैं
      • सौ वर्ष से अधिक पुराने फर्नीचर के सामान एवं पुराने संगीत वाद्ययंत्र। 

सांस्कृतिक संपत्ति के स्वामित्व के अवैध आयात, निर्यात एवं हस्तांतरण को प्रतिबंधित करने तथा रोकने के साधनों पर कन्वेंशन 1970

  • अंगीकरण: यह अभिसमय 14 नवंबर, 1970 को अपनाया गया और इसने यूनेस्को को सांस्कृतिक संपत्ति की अवैध तस्करी के विरुद्ध लड़ाई में अग्रणी बना दिया।
  • अनुमोदन: इसे 145 देशों द्वारा अनुमोदित किया गया है।
  • यह सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र 2030 एजेंडा में परिभाषित सतत् विकास लक्ष्यों के अनुरूप है।
  • सिद्धांत 
    • रोकथाम के उपाय
      • नियमित रूप से इन्वेंट्री की स्थापना।
      • निर्यात प्रमाण-पत्रों की स्थापना।
      • व्यापारियों के नियंत्रण एवं अनुमोदन का अनुप्रयोग।
      • आपराधिक या प्रशासनिक प्रतिबंधों का आवेदन।
      • सूचना एवं शिक्षा अभियानों का संगठन।
    • पुनर्स्थापन: वर्ष 1970 के सम्मेलन के अनुच्छेद-7 एवं 13 पुनर्स्थापन के प्रावधान प्रदान करते हैं।
      • अनुच्छेद-7: स्टेट (राष्ट्र) को चोरी एवं आयातित किसी भी सांस्कृतिक संपत्ति को जब्त करने तथा वापस करने के लिए उचित उपाय करने चाहिए। 
      • अनुच्छेद-13: क्षतिपूर्ति और सहयोग के मामले में पक्ष राष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदार हैं।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग

  • अनुच्छेद-9: यह स्टेट (राष्ट्र) को द्विपक्षीय संधियों पर बातचीत या सांस्कृतिक संपत्ति के निर्यात, आयात एवं अंतरराष्ट्रीय व्यापार के नियंत्रण के माध्यम से किसी भी ठोस अंतरराष्ट्रीय ऑपरेशन में भाग लेने के लिए प्रतिबद्ध करता है।

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