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ग्रेट इंडियन बस्टर्ड संरक्षण के अगले चरण को मंजूरी

Lokesh Pal July 03, 2024 04:16 51 0

संदर्भ

हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) और लेसर फ्लोरिकन (Lesser Florican) के संरक्षण के अगले चरण के लिए 56 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। 

  • अभी तक लगभग 140 GIBs और 1,000 से कम लेसर फ्लोरिकन जंगल में जीवित बचे हैं।  

संरक्षण कार्यक्रम 

  • संरक्षण कार्यक्रम, गंभीर रूप से लुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustard) और लेसर फ्लोरिकन के दीर्घकालिक पुनर्स्थापन के लिए वर्ष 2016 से चलाया जा रहा है।

पुनः वन्यीकरण (Rewilding)

  • इसका उद्देश्य पारिस्थितिकी तंत्र का पुनर्स्थापन करना तथा वन्यजीवों और प्राकृतिक प्रक्रियाओं को उन क्षेत्रों पर पुनः अधिकार करने की अनुमति देकर जैव विविधता में गिरावट को रोकना है, जो अब मानव प्रबंधन के अधीन नहीं हैं।

  • कार्यक्रम के घटक
    • पहला घटक: इसमें जैसलमेर के रामदेवरा में संरक्षण प्रजनन केंद्र (Conservation Breeding Centre- CBC) का निर्माण पूरा करना, सोरसन लेसर फ्लोरिकन सुविधा (Sorsan Lesser Florican facility) का विकास करना, कैपटिव ब्रीड के पक्षियों को छोड़ने के लिए प्रारंभिक कार्य करना, राजस्थान और अन्य रेंज राज्यों में GIB को छोड़ना, रिहाई के बाद निगरानी एवं कृत्रिम गर्भाधान जैसे लक्ष्य शामिल हैं। 
    • दूसरा घटक: इसमें गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में GIB का इन-सीटू (In-situ) संरक्षण शामिल है।

कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination)

  • यह वह तकनीक है, जिसमें नर प्रजाति के माध्यम से एकत्र किए गए जीवित शुक्राणुओं को उपकरणों की सहायता से उचित समय पर मादा में प्रविष्ट कराया जाता है।

      • इस घटक को भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India- WII) द्वारा राज्य सरकारों के साथ मिलकर क्रियान्वित किया जाएगा। 
      • वर्ष 2024-2026 के बीच: भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India- WII) जैसलमेर, इसके सीमावर्ती राज्यों में GIB जनसंख्या आकलन और लेसर फ्लोरिकन की व्यापक जनसंख्या आकलन का कार्य भी करेगा। 
  • वर्ष 2027 से पहले पुनःवन्यीकरण शुरू नहीं होगा (Rewilding won’t begin before 2027): जब तक वर्ष 2027 से पहले पुनःवन्यीकरण का कार्य शुरू नहीं होता है, तब तक WII की योजना प्रत्येक वर्ष GIB के दो से चार अंडे और लेसर फ्लोरिकन के छह से दस अंडे एकत्र करने की है। 
  • कैपटिव ब्रीड बस्टर्ड (Captive-Breed Bustards): वनों में GIB को छोड़े जाने के लिए एक सुरक्षित जगह की पहचान की जाएगी। साथ ही इन बस्टर्ड को वनों में आवास हेतु प्रशिक्षित भी किया जाएगा और रिहाई के लिए सुरक्षित क्षेत्र भी विकसित किए जाएँगे। 
  • वर्ष 2024-2029 का चरण: इस प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे वैज्ञानिकों ने कहा कि इसका लक्ष्य बंदी प्रजनन संरक्षण के लिए कृत्रिम गर्भाधान तकनीकों का विकास एवं कार्यान्वयन करना भी होगा। 
  • भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) इसके लिए अबू धाबी स्थित इंटरनेशनल फंड फॉर होउबारा कंजर्वेशन (International Fund for Houbara Conservation) के साथ सहयोग कर रहा है। 

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustard) के बारे में

  • भारत में पाई जाने वाली चार बस्टर्ड प्रजातियों में GIB सबसे बड़ी है। 

    • अन्य तीन हैं: 
      1. मैकक्वीन बस्टर्ड (MacQueen’s Bustard)
      2. लेसर फ्लोरिकन (Lesser Florican) 
      3. बंगाल फ्लोरिकन (Bengal Florican)
  • संरक्षण की स्थिति
    • अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट: गंभीर रूप से संकटग्रस्त  (Critically Endangered)
    • CITES: परिशिष्ट 1 (Appendix 1) 
    • प्रवासी प्रजातियों पर कन्वेंशन (CMS): परिशिष्ट I  (Appendix I)
    • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची I (Schedule I)
  • ग्रेट इंडियन बस्टर्ड राजस्थान का राजकीय पक्षी है।
  • आवास: वर्तमान में इसकी आबादी मुख्यतः राजस्थान और गुजरात तक ही सीमित है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भी कुछ संख्या में पाए जाते हैं।
  • महत्त्व: GIBs को घास के मैदानों की प्रमुख पक्षी प्रजाति माना जाता है और इसलिए वे घास के मैदानों के पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के बैरोमीटर हैं। 
  • विशेषताएँ
    • ग्रेट इंडियन बस्टर्ड लंबे पैर और लंबी गर्दन वाले बड़े पक्षी हैं; सबसे बड़े पक्षी 1.2 मीटर (4 फीट) तक ऊँचे हो सकते हैं। 
    • नर और मादा को उनके पंखों के रंग से पहचाना जाता है। 
    • जीवनकाल: 12-15 वर्ष
    • GIBs धीमी गति से प्रजनन करने वाली प्रजाति है: यह प्रजाति अंडे देती है और लगभग एक वर्ष तक चूजों की देखभाल करती हैं। GIB की परिपक्वता अवधि 3-4 वर्ष की होती है। 
    • खाद्य आदतें (Food Habits): ग्रेट इंडियन बस्टर्ड सर्वाहारी होते हैं। वे घास के बीज, कीड़े, और कभी-कभी छोटे कृंतक (Small Rodents) और सरीसृपों (Reptiles) का भी शिकार करते हैं। 
  • खतरा: अपनी कमजोर दृष्टि क्षमता के कारण, ये पक्षी दूर से विद्युत के तारों को नहीं देख पाते हैं तथा ये इतने भारी होते हैं कि पास आने पर भी उन्हें रास्ता बदलना मुश्किल होता है। 
    • इस प्रकार, वे केबलों से टकराकर मर जाते हैं।
    • हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) के संरक्षण उपायों और उसी क्षेत्र में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पन्न करने के प्रयासों के बीच संतुलन खोजने के लिए सात सदस्यीय समिति का गठन किया। 

लेसर फ्लोरिकन के बारे में

  • लेसर फ्लोरिकन [वैज्ञानिक नाम- सिफियोटाइड्स इंडिकस (Sypheotides indicus)], जिसे अक्सर लिख (likh) या खरमोर (kharmore) के नाम से जाना जाता है, सबसे छोटा बस्टर्ड है।  
  • स्थानिकता: यह भारतीय उपमहाद्वीप में स्थानिक है, जहाँ यह लंबी घासों में निवास करता है।  
  • संरक्षण की स्थिति
    • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची I (Schedule I)
    • CITES: परिशिष्ट II (Appendix II)
  • निवास स्थान: राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, तथा आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ क्षेत्र। 

सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम

  • वर्ष 2013-2016: इस प्रजाति को पुनर्स्थापित करने की योजना सर्वप्रथम वर्ष 2013 में राष्ट्रीय बस्टर्ड रिकवरी योजना (National Bustard Recovery Plan) के तहत शुरू की गई, जिसने बाद में वर्ष 2016 में बस्टर्ड रिकवरी परियोजना (Bustard Recovery Project) के लिए रोडमैप तैयार किया। 
  • जुलाई 2018 में: केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, राजस्थान वन विभाग और WII के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। 
    • तीनों पक्षों द्वारा संचालित परियोजना के हिस्से के रूप में, दो GIB संरक्षण प्रजनन केंद्र और एक लेसर फ्लोरिकन केंद्र क्रमशः राजस्थान के सम (Sam), रामदेवरा और सोरसन में कार्य कर रहे हैं। 
  • प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Project Great Indian Bustard): इसे राजस्थान सरकार द्वारा इस प्रजाति के लिए प्रजनन बाड़ों के निर्माण के उद्देश्य से शुरू किया गया है। 
  • GIB प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम: इसके अंतर्गत भारतीय वन्यजीव संस्थान और राजस्थान वन विभाग ने संयुक्त रूप से प्रजनन केंद्र स्थापित किए, जहाँ जंगल से प्राप्त GIB अंडों को कृत्रिम रूप से संजोया गया। 
  • सर्वोच्च न्यायालय GIB और लेसर फ्लोरिकन संरक्षण कार्यक्रम की भी निगरानी कर रहा है: दोनों प्रजातियों के संरक्षण की माँग वाली एक याचिका सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है। 
    • इससे पहले, सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2021 में राजस्थान और गुजरात में GIB आवासीय क्षेत्र में बिजली की ट्रांसमिशन लाइनों को हटाने का आदेश दिया था।  
    • हालाँकि, केंद्र सरकार द्वारा यह दलील दिए जाने के बाद कि यह प्रक्रिया महंगी और अव्यावहारिक होगी, न्यायालय ने वर्ष 2024 में अपना आदेश वापस ले लिया। 
    • सर्वोच्च न्यायालय ने इस मुद्दे का अध्ययन करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति को भी कार्य सौंपा है।

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