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आर्कटिक परिषद

Lokesh Pal May 14, 2025 05:06 16 0

संदर्भ

हाल ही में डेनमार्क ने नॉर्वे से आर्कटिक परिषद की अध्यक्षता ग्रहण की है।

  • यह परिवर्तन ऐसे समय में हो रहा है, जब आर्कटिक क्षेत्र में भू-राजनीतिक संवेदनशीलता बहुत बढ़ गई है, विशेष रूप से तब, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ग्रीनलैंड को USA में मिलाने के प्रयासों को नवीनीकृत किया है।

आर्कटिक परिषद के बारे में

  • आर्कटिक क्षेत्र का शासन आर्कटिक परिषद द्वारा किया जाता है, जो एक अंतर-सरकारी निकाय है, जिसका गठन वर्ष 1996 में ओटावा घोषणा के माध्यम से किया गया था।

पहलू

विवरण

स्थापना वर्ष 1996
प्रकृति यह एक अंतर-सरकारी प्लेटफॉर्म  है, जो सैन्य/सुरक्षा मुद्दों से नहीं निपटता है।
अधिदेश आर्कटिक क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण, सतत विकास और स्वदेशी अधिकारों पर सहयोग को बढ़ावा देता है
सदस्य देश 8 राष्ट्र: रूस, अमेरिका, कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, स्वीडन
स्थायी प्रतिभागी आर्कटिक लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले 6 स्वदेशी संगठन
पर्यवेक्षक  राज्य और गैर-राज्य संगठन पर्यवेक्षक हो सकते हैं (कुल 38)भारत वर्ष 2013 से इसका पर्यवेक्षक है।
हालिया तनाव वर्ष 2022 के बाद, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद, 7 सदस्यों ने रूस के साथ सहयोग रोक दिया था।

आर्कटिक का सामरिक महत्त्व क्यों बढ़ रहा है?

  • जलवायु परिवर्तन और बर्फ पिघलना: ग्लोबल वार्मिंग के कारण आर्कटिक की बर्फ के तेजी से पिघलने से आगे के अन्वेषणों के लिए पहले से दुर्गम क्षेत्र खुल रहे हैं।
    • इससे नए शिपिंग मार्ग (जैसे, उत्तरी समुद्री मार्ग) का निर्माण हो रहा है और तेल, गैस तथा दुर्लभ मृदा तत्वों जैसे विशाल प्राकृतिक संसाधनों की खोज की अनुमति मिल रही है।
  • नए समुद्री व्यापार मार्ग: आर्कटिक मार्ग यूरोप और एशिया के बीच शिपिंग समय और लागत को 40% तक कम कर सकते हैं।
    • इससे स्वेज नहर और मलक्का जलडमरूमध्य जैसे पारंपरिक समुद्री मार्गों के आर्थिक प्रभुत्व को चुनौती मिलती है।
  • भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्द्धा: रूस आर्कटिक क्षेत्र में अपनी सैन्य और आर्थिक उपस्थिति को मजबूत कर रहा है।
    • अमेरिका और चीन इस क्षेत्र में अपनी रणनीतिक नीति का विस्तार कर रहे हैं। चीन स्वयं को “आर्कटिक क्षेत्र का निकटवर्ती राज्य” कहता है और आर्कटिक के बुनियादी ढाँचे और अनुसंधान में निवेश कर रहा है।
  • ग्रीनलैंड का रणनीतिक स्थान: ग्रीनलैंड का स्थान उत्तरी अटलांटिक मार्गों पर नियंत्रण और आर्कटिक महासागर के निकट होने की सुविधा प्रदान करता है।
    • ग्रीनलैंड को खरीदने में अमेरिका की रूचि सैन्य और ऊर्जा रणनीति के लिए इसके महत्त्व को दर्शाती है।
  • ऊर्जा और संसाधन क्षमता: अनुमान है कि आर्कटिक में विश्व के 13% तेल और 30% गैस भंडार मौजूद हैं।
    • इन संसाधनों तक पहुँच तेजी से संभव होती जा रही है, जिससे आर्कटिक संसाधन कूटनीति का क्षेत्र बन गया है।
  • पर्यावरण और जलवायु शासन: आर्कटिक परिषद, एक सुरक्षा निकाय नहीं है, लेकिन सतत् विकास, जलवायु अनुसंधान और जैव विविधता संरक्षण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • स्वदेशी अधिकार और सहयोग: आर्कटिक परिषद स्वदेशी समुदायों को स्थायी प्रतिभागियों के रूप में एकीकृत करती है। उनकी भागीदारी क्षेत्र में समावेशी शासन और सतत् प्रथाओं को मजबूत करती है।

भारत के लिए आर्कटिक का महत्त्व

  • आर्कटिक परिषद में पर्यवेक्षक की भूमिका: भारत वर्ष 2013 से आर्कटिक परिषद का पर्यवेक्षक रहा है और बैठकों में भाग लेता है, जिससे वैज्ञानिक सहयोग और नीति संवाद संभव हो सके।
  • नौवहन और व्यापार में रणनीतिक हित: नए आर्कटिक शिपिंग लेन भारत के ऊर्जा परिवहन मार्गों में विविधता ला सकते हैं और होर्मुज जलडमरूमध्य तथा मलक्का जलडमरूमध्य जैसे चोक पॉइंट पर निर्भरता कम कर सकते हैं।
  • जलवायु अनुसंधान और वैश्विक जलवायु भूमिका: आर्कटिक में भारत की भागीदारी इसकी जलवायु कूटनीति साख को बढ़ाती है और ध्रुवीय एवं समुद्र विज्ञान अनुसंधान (नॉर्वे के स्वालबार्ड में हिमाद्री अनुसंधान स्टेशन के माध्यम से) में योगदान देती है।
  • ऊर्जा सुरक्षा और संसाधन पहुँच: आर्कटिक ऊर्जा भंडार भारत के लिए अपनी एनर्जी बास्केट  में विविधता लाने के लिए दीर्घकालिक हित रखता है। भारत ने आर्कटिक तेल और गैस अन्वेषण के लिए रूस के साथ समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए हैं।
  • राजनयिक लाभ: आर्कटिक में सक्रिय भागीदारी भारत को अन्य वैश्विक शक्तियों के साथ जोड़ती है और वैश्विक शासन में एक जिम्मेदार हितधारक के रूप में इसके दावे को मजबूत करती है।
  • चीन की आर्कटिक महत्त्वाकांक्षाओं को संतुलित करना: भारत की संतुलित उपस्थिति आर्कटिक मामलों में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करती है तथा यह सुनिश्चित करती है कि यह क्षेत्र बहुपक्षीय और समावेशी बना रहे।

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आर्कटिक महासागर

  • अवस्थिति: आर्कटिक महासागर विश्व के प्रमुख महासागरों में सबसे छोटा और उथला है, जो उत्तरी ध्रुव के आसपास अवस्थित है।
  • विशेषताएँ
    • वर्ष के अधिकांश समय महासागरीय हिम से ढका रहता है।
    • प्रमुख सीमांत सागर: बैरेंट्स सागर, कारा सागर, लैपटेव सागर, ब्यूफोर्ट सागर और चुक्ची सागर।
    • ध्रुवीय जलवायु से प्रभावित और उत्तरी गोलार्द्ध के जलवायु विनियमन के लिए महत्त्वपूर्ण।

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