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मानसून का आगमन

Lokesh Pal May 30, 2024 04:48 382 0

संदर्भ

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन की घोषणा की है।

सम्बंधित तथ्य

  • IMD के अनुसार, आने वाले दिनों में मानसून के केरल तट तक पहुँचने के लिए जलवायु परिस्थितियाँ अनुकूल हैं।
    • दक्षिण-पश्चिम मानसून भारत के अधिकांश हिस्सों के लिए प्राथमिक वर्षा ऋतु का भाग है, जो कृषि के लिए आवश्यक वर्षा लाता है।
    • उत्तर-पूर्व मानसून दक्षिणी प्रायद्वीप, विशेषकर तमिलनाडु में कुछ वर्षा करता है।

  • विशिष्ट मानसून पैटर्न
    • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह: इस क्षेत्र में आमतौर पर 15 मई से 20 मई के बीच मानसूनी वर्षा शुरू हो जाती है।
    • केरल तट: इस क्षेत्र में आमतौर पर मई के आखिरी सप्ताह में वर्षा होने लगती है।

‘मानसून की शुरुआत’ का अर्थ

  • मॉनसून सीजन की शुरुआत: मॉनसून की शुरुआत (जून-सितंबर) भारतीय उपमहाद्वीप में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के आगमन का प्रतीक है।
    • ऐसा तब होता है जब मानसूनी पवनें भारत के सबसे दक्षिणी राज्य केरल तक पहुँचती हैं।

  • शुरुआती महीने: यह घटना आमतौर पर मई के अंत या जून की शुरुआत में होती है।
  • वार्षिक वर्षा: दक्षिण-पश्चिम मानसून के कारण भारत में 70% से अधिक वार्षिक वर्षा होती है।
    • यह कृषि, जल संसाधन और समग्र आर्थिक कल्याण के लिए महत्त्वपूर्ण है।

मानसून की शुरुआत की घोषणा के लिए मानदंड

IMD मोटे तौर पर एक विशिष्ट क्षेत्र में लगातार वर्षा, इसकी तीव्रता और वायु की गति की जाँच करता है।

  • वर्षण संबंधी आवश्यकताएँ 

14 नामित स्टेशन
  1. मिनीकॉय
  2. अमीनी
  3. तिरुवनंतपुरम
  4. पुनालुर
  5. कोल्लम
  6. अलपुझा
  7. कोट्टायम
8. कोच्चि

9. त्रिशूर

10. कोझिकोड

11. थालास्सेरी

12. कन्नूर

13. कासरगोड

14. मंगलुरु

    • सततता: केरल और लक्षद्वीप के 14 नामित मौसम स्टेशनों में से कम से कम 60% में 10 मई के बाद लगातार दो दिनों तक न्यूनतम 2.5 मिमी. वर्षा दर्ज की जानी चाहिए।
    • वायु की गति एवं दिशा: पश्चिमी पवनों को भूमध्य रेखा से 10ºN अक्षांश और 55ºE से 80ºE देशांतर तक निर्दिष्ट क्षेत्र में 600 हेक्टोपास्कल (hPa) तक पहुँचना चाहिए।
    • 5-10ºN अक्षांश और 70-80ºE देशांतर वाले क्षेत्र में क्षेत्रीय वायु की गति 925 hPa पर लगभग 15-20 समुद्री मील (28-37 किलोमीटर प्रति घंटा) होनी चाहिए।
  • तापमान संबंधी आवश्यकताएँ- आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन (OLR): मानसून की शुरुआत की पुष्टि के लिए निर्दिष्ट क्षेत्र में OLR मान 200 वाट प्रति वर्ग मीटर (WM²) से कम होना चाहिए।
    • OLR पृथ्वी की सतह, महासागरों द्वारा अंतरिक्ष में उत्सर्जित ऊर्जा को मापता है।
      • IMD दिशा-निर्देशों के अनुसार, यह माप 5-10ºN अक्षांश और 70-75ºE देशांतर से घिरे क्षेत्र के अंतर्गत होना चाहिए।

दक्षिण-पश्चिम मानसून को प्रभावित करने वाले कारक

  • विभेदक तापमान और शीतलन
    • स्थलीय एवं जलीय प्रभाव: स्थल एवं जल के बीच तापमान में परिवर्तन से भारतीय भू-भाग पर कम दबाव और आसपास के समुद्रों पर उच्च दबाव उत्पन्न होता है।
  • अंतर उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) की स्थिति
    • ग्रीष्मकालीन अवधि: गर्मियों के दौरान, अंतर उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) भूमध्य रेखा के लगभग 5 डिग्री उत्तर में गंगा के मैदान की ओर स्थानांतरित हो जाता है।
      • इस क्षेत्र को मानसून गर्त (Monsoon Trough) भी कहा जाता है।
        •  यह मानसून निर्माण को प्रभावित करता है।

विशेषता

उत्तर-पूर्व मानसून

दक्षिण पश्चिम मानसून

दिशा उत्तर पूर्व दक्षिण पश्चिम
मौसम सर्दी (अक्टूबर-नवंबर) ग्रीष्म (जून-सितंबर)
वर्षा की मात्रा कम तीव्रता उच्च तीव्रता
प्रभावित क्षेत्र दक्षिणी प्रायद्वीप (तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, आदि) भारत का अधिकांश भाग (उत्तर-पश्चिम को छोड़कर)
मूल स्थल (साइबेरियाई और तिब्बती पठार) सागर (अरब सागर और बंगाल की खाड़ी)
तापमान पर प्रभाव अपेक्षाकृत शुष्क, ठंडा आर्द्र, गर्म


  • हिंद महासागर के ऊपर उच्च दाब का क्षेत्र
    • मेडागास्कर के पूर्व में: मेडागास्कर के पूर्व में हिंद महासागर में 20°S के आसपास एक उच्च दाब वाला क्षेत्र मौजूद है। इस क्षेत्र की तीव्रता एवं स्थिति भारतीय मानसून को प्रभावित करती है|
  • तिब्बती पठार का तापमान: गर्मियों के दौरान तिब्बती पठार अत्यधिक गर्म होता है, जिससे प्रभावी ऊर्ध्वाधर वायुरशियाँ उत्पन्न होती हैं और समुद्र तल से लगभग 9 किमी. ऊपर निम्न दाब बनता है।
  • जेट स्ट्रीम का प्रभाव
    • पश्चिमी जेट स्ट्रीम (Westerly Jet Stream): हिमालय के उत्तर में पश्चिमी जेट स्ट्रीम की गति मानसून निर्माण को प्रभावित करती है।
    • उष्णकटिबंधीय पूर्वी जेट स्ट्रीम (Tropical Easterly Jet Stream): गर्मियों के दौरान भारतीय प्रायद्वीप पर उष्णकटिबंधीय पूर्वी जेट स्ट्रीम की उपस्थिति मानसून पैटर्न को प्रभावित करती है।
  • दक्षिणी दोलन (Southern Oscillation)
    • दबाव उत्क्रमण: आमतौर पर, उच्च दाब उष्णकटिबंधीय पूर्वी दक्षिण प्रशांत महासागर में और निम्न दाब पूर्वी हिंद महासागर में होता है।
      • हालाँकि, कुछ वर्षों में, यह पैटर्न उलट जाता है जिसे दक्षिणी दोलन (SO) के रूप में जाना जाता है।

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