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भूजल में आर्सेनिक और फ्लोराइड (Arsenic & Fluoride In Groundwater)

Samsul Ansari January 02, 2024 05:14 310 0

संदर्भ

हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT) ने भू-जल में आर्सेनिक और फ्लोराइड की मौजूदगी को लेकर 24 राज्यों और 4 केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया है।

संबंधित तथ्य

  • NGT पैनल एक मामले की सुनवाई कर रहा था जिसमें उसने एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया था जिसमें विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कुछ हिस्सों में भू-जल में अनुमेय सीमा से अधिक आर्सेनिक और फ्लोराइड की मौजूदगी पर प्रकाश डाला गया था।
  • अधिकरण के एक हालिया आदेश में रिपोर्ट को संदर्भित करते हुए कहा गया है कि देश के 25 राज्यों के 230 जिलों के कुछ हिस्सों में भू-जल में आर्सेनिक पाया गया, जबकि 27 राज्यों के 469 जिलों के कुछ हिस्सों में भू-जल में फ्लोराइड की मात्रा अधिक पाई गई।

NGT पैनल द्वारा की गई टिप्पणियाँ

  • भू-जल में धातुओं की उपस्थिति: न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल की पीठ ने कहा कि केंद्रीय भूजल प्राधिकरण ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है जिसमें उसने जिलों एवं राज्यों में आर्सेनिक और फ्लोराइड की उपस्थिति को स्वीकार किया है।
  • केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (Central Ground Water Authority- CGWA) द्वारा लापरवाही: CGWA भू-जल को विनियमित करने के लिए जिम्मेदार है, लेकिन उसने इस आधार पर कोई स्वतंत्र कदम नहीं उठाया क्योंकि जल राज्य का विषय है।

आर्सेनिक के बारे में

  • उपस्थिति: यह एक अत्यधिक विषैला तत्त्व है, जो कई देशों के पर्यावरण और पृथ्वी की पर्पटी और भू-जल में स्वाभाविक रूप से मौजूद है।
  • चिंताएँ: पीने के पानी और भोजन में लंबे समय तक आर्सेनिक की उपस्थिति कैंसर, त्वचा रोग, हृदय रोग और मधुमेह का कारण बन सकती है।
  • अनुमेय सीमा: पीने के पानी में आर्सेनिक के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की अनंतिम दिशा-निर्देश सीमा- 0.01 मिलीग्राम/लीटर (10 μg/लीटर) तथा वैकल्पिक स्रोत के अभाव में भारत में आर्सेनिक की अनुमेय सीमा- 0.05 मिलीग्राम/लीटर (50 μg/लीटर) है।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT) के बारे में

  • यह राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 के तहत स्थापित एक विशेष न्यायिक निकाय है।
  • इसका प्राथमिक उद्देश्य पर्यावरणीय मुद्दों और विवादों से संबंधित मामलों को संबोधित करना है।
  • पर्यावरण कानूनों को लागू करने, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण से संबंधित मामले इसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
  • यह अधिकरण, सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत निर्धारित प्रक्रिया से बाध्य नहीं है, लेकिन प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होगा।
  • इसमें तीन प्रमुख शामिल हैं: अध्यक्ष, न्यायिक सदस्य और विशेषज्ञ सदस्य।
    • इन सभी एनजीटी सदस्यों को पाँच साल तक पद पर बने रहना आवश्यक है और वे पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र नहीं हैं।

फ्लोराइड के बारे में

  • उपस्थिति: मिट्टी, पानी, पौधों और खाद्य पदार्थों में फ्लोराइड की मात्रा कम होती है। अधिकांश फ्लोराइड जो लोग उपभोग करते हैं वह फ्लोराइड युक्त जल, फ्लोराइड युक्त जल से तैयार खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ और टूथपेस्ट एवं फ्लोराइड युक्त अन्य दंत उत्पादों से आता है।
  • विषाक्तता: यह अत्यधिक विषैला होता है। एक वयस्क में 2 ग्राम और बच्चों में 16 मिलीग्राम/किलोग्राम फ्लोराइड के सेवन से मृत्यु हो सकती है।
  • चिंताएँ: पीने के पानी में उच्च सांद्रता  डेंटल फ्लोरोसिस, स्कल्टन फ्लोरोसिस, गुर्दे की बीमारियों और गठिया का कारण बन सकती है।
  • अनुमेय सीमा: WHO 1984 और भारतीय मानक पेयजल विनिर्देश 1991 के अनुसार, पीने के पानी में फ्लोराइड की अधिकतम अनुमेय सीमा 1.5 PPM है और उच्चतम वांछनीय सीमा 1.0 PPM है।

बायोचार का उपयोग करके फ्लोराइड निवारण

  • चावल की भूसी के बायोमास से उत्पादित नवीकरणीय बायोचार में भू-जल से फ्लोराइड प्रदूषकों को अवशोषित करने की क्षमता होती है।
  • बायोचार्स का उपयोग करके फ्लोराइड निवारण ने तटस्थ pH पर महत्त्वपूर्ण निष्कासन दर्शाया है।
  • बायोचार-मध्यस्थता वाले रेत स्तंभों (Sand Columns) का उपयोग हैंड पंपों और ट्यूबवेलों में डीफ्लोराइडेशन के लिए किया जा सकता है।

केंद्रीय भूजल प्राधिकरण के बारे में

  • स्थापना: इसकी स्थापना वर्ष 1970 में केंद्रीय कृषि मंत्रालय के तहत खोजपूर्ण ट्यूबवेल संगठन (Exploratory Tubewells Organization) का नाम बदलकर की गई थी और बाद में इसका वर्ष 1972 के दौरान भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के भू-जल विंग के साथ विलय कर दिया गया।
  • अधिदेश: यह राष्ट्रीय सर्वोच्च एजेंसी है जिसे देश के भू-जल संसाधनों के प्रबंधन, अन्वेषण, निगरानी, ​​मूल्यांकन, वृद्धि और विनियमन के लिए वैज्ञानिक इनपुट प्रदान करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

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