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शिक्षा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता

Lokesh Pal August 20, 2025 03:27 5 0

संदर्भ

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence–AI) शिक्षा में बदलाव ला रही है, जहाँ यह केवल तत्काल उत्तर प्रदाता न रहकर दार्शनिक चिंतन प्रणाली पर आधारित होती जा रही है, जो आलोचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करती है और गहन शिक्षण के शैक्षणिक लक्ष्यों के अनुरूप सामंजस्य स्थापित करती है।

शिक्षा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में ऐसी प्रणालियाँ शामिल हैं, जो तर्क, अधिगम और समस्या-समाधान जैसे कार्यों के लिए मानवीय बुद्धिमत्ता की नकल करती हैं और इनका उपयोग शिक्षण, अधिगम और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है।
  • उद्भव: शिक्षा में AI (AI in education- AIEd) पर लगभग 30 वर्षों से शोध किया जा रहा है और 1990 के दशक से मशीन लर्निंग और न्यूरल नेटवर्क के कारण इसमें उल्लेखनीय प्रगति हुई है।
    • हाल ही में जनरेटिव AI टूल्स (जैसे- चैटजीपीटी, नवंबर 2022 में लॉन्च हुआ) को अपनाने में तेजी आई है।
  • शिक्षा में पारंपरिक AI से जुड़े मुद्दे
    • शैक्षणिक त्वरितता को बढ़ावा देता है: पारंपरिक AI, जिसे ‘आंसर इंजन’ (Answer Engine) के रूप में डिजाइन किया गया था, केवल तत्काल समाधान उपलब्ध कराता है और इस प्रकार छात्रों को आलोचनात्मक सोच तथा वास्तविक सीखने से दूर ले जाता है।
    • शैक्षिक लक्ष्यों के साथ असंगत: त्वरित, व्यापक आउटपुट पर AI का ध्यान शिक्षा के संघर्ष, चिंतन और क्रमिक समझ पर दिए गए जोर के विपरीत है।
    • उच्च स्तरीय सोच पर सीमित ध्यान: पारंपरिक AI आलोचनात्मक विश्लेषण, सहयोग या मेटाकॉग्निशन जैसे कौशलों को बढ़ावा देने की तुलना में आउटपुट निर्माण को प्राथमिकता देता है।
    • नैतिक और पूर्वाग्रह संबंधी चिंताएँ: पारंपरिक AI डेटा और एल्गोरिदम में पारदर्शिता की कमी के कारण पक्षपातपूर्ण आउटपुट उत्पन्न कर सकता है या नैतिक मुद्दे उठा सकता है।
  • प्रतिमान परिवर्तन: AI को एक समाधान प्रदाता से एक ‘दार्शनिक/तार्किक सहभागिता’ (Socratic Partner) के रूप में विकसित करना, जो प्रश्न-आधारित शिक्षण के माध्यम से अन्वेषण, चिंतन और आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देता है।

शिक्षा में ‘दार्शनिक/तार्किक’ AI दृष्टिकोण (Socratic AI Approach in Education)

  • ‘दार्शनिक/तार्किक’ AI दृष्टिकोण: एक शैक्षणिक पद्धति, जहाँ AI एक ‘आंसर इंजन’ के बजाय एक ‘सोचने वाले सहयोगी’ के रूप में कार्य करता है, और आलोचनात्मक सोच, चिंतन तथा अन्वेषण को बढ़ावा देने के लिए प्रश्न-आधारित संकेतों का उपयोग करता है।
  • प्रेरणा: ‘दार्शनिक/तार्किक AI दृष्टिकोण’ से प्रेरित, एक सदियों पुरानी तकनीक, जो प्रश्न पूछने, पुरानी मान्यताओं को चुनौती देने और विविध दृष्टिकोणों की खोज के माध्यम से सीखने को बढ़ावा देती है।
  • उद्देश्य: चैटजीपीटी जैसे जनरेटिव AI टूल्स की सरलीकृत संस्कृति का मुकाबला करते हुए, बौद्धिक संघर्ष, तर्क और गहन समझ को प्रोत्साहित करके AI को शैक्षिक लक्ष्यों के साथ जोड़ता है।

दार्शनिक/तार्किक AI की कार्यप्रणाली

  • तंत्र (Mechanism)
    • सीधे उत्तर देने के बजाय, AI तर्क को दिशा देने के लिए प्रश्न पूछता है (उदाहरण के लिए, ‘वर्ष 2008 के वित्तीय संकट का कारण क्या था?” AI पूछता है, “आपने किन आर्थिक कारकों पर विचार किया है?” या ‘किस संकेतक ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई?)।
    • छात्रों को धारणाएँ स्पष्ट करने, साक्ष्य का मूल्यांकन करने और वैकल्पिक दृष्टिकोणों पर विचार करने के लिए प्रेरित करता है।
  • अनुकूली शिक्षण (Adaptive Questioning): छात्रों के उत्तरों के आधार पर प्रश्न की जटिलता को समायोजित करता है और जैसे-जैसे निपुणता बढ़ती है, यह और अधिक परिष्कृत होता जाता है।
  • बहु-विधीय अंतःक्रिया (Multi-modal Interaction): टेक्स्ट, ध्वनि, दृश्य और अंतःक्रियात्मक तत्त्वों के माध्यम से विविध शिक्षण शैलियों का समर्थन करता है।

शिक्षा में AI के अनुप्रयोग

  • व्यक्तिगत शिक्षण: AI व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार सामग्री तैयार करता है, गति, शैली और कठिनाई (जैसे- गणित के लिए दृश्य सहायताएँ, उन्नत शिक्षार्थियों के लिए सैद्धांतिक ढाँचे) को अनुकूलित करता है।
    • विद्याAI जैसे प्लेटफॉर्म एक व्यक्तिगत शिक्षण प्लेटफॉर्म का उपयोग करके इस समस्या का समाधान करते हैं, जो यह समझता है कि प्रत्येक छात्र अपनी गति, शक्ति और कमजोरियों के अनुसार कैसे सीखता है।
  • ‘दार्शनिक/चिंतनशील प्रश्न’ (Socratic Questioning): छात्रों को स्वास्थ्य सेवा, वित्त और STEM जैसे क्षेत्रों में तर्क करने के लिए प्रेरित करता है (उदाहरण के लिए, ‘वर्ष 2008 के वित्तीय संकट में किन कारकों ने योगदान दिया?’)।
    • आलोचनात्मक सोच, तर्क और मेटाकॉग्निशन को बढ़ाता है।
  • मूल्यांकन और मूल्यांकन: ग्रेडिंग, प्रश्नोत्तरी निर्माण और प्रदर्शन पूर्वानुमान (जैसे- स्कूल छोड़ने की दर, शैक्षणिक सफलता) को स्वचालित करता है।
    • उदाहरण: आइला (Aila) (ओक नेशनल एकेडमी, यू.के.) जैसे AI उपकरण शिक्षकों को पाठ योजना और मूल्यांकन में सहायता करते हैं।
  • प्रशासनिक दक्षता: उपस्थिति, समय-निर्धारण और रिपोर्ट निर्माण जैसे कार्यों को सुव्यवस्थित करता है, जिससे शिक्षकों को शिक्षण के लिए समय मिलता है।
    • उदाहरण: ऑस्ट्रेलिया के डीकिन विश्वविद्यालय में IBM का वाटसन, चौबीसों घंटे छात्रों को सहायता प्रदान करता है।
  • समावेशी शिक्षा: अनुकूली प्लेटफॉर्म और सहायक तकनीकों (जैसे- वर्चुअल लैब, स्पीच-टू-टेक्स्ट टूल) के माध्यम से दिव्यांग छात्रों की सहायता करता है।
  • वैश्विक सहयोग: वर्चुअल प्लेटफॉर्म के माध्यम से अंतर-सांस्कृतिक शिक्षा को सक्षम बनाता है, जिससे वैश्विक क्षमता को बढ़ावा मिलता है।
  • अनुसंधान और विश्लेषण: AI पाठ्यक्रम में सुधार और सीखने की कमियों की पहचान करने के लिए छात्र डेटा का विश्लेषण करता है।

शिक्षा में AI के लाभ

  • उन्नत आलोचनात्मक सोच: AI ‘दार्शनिक/तार्किक प्रश्न’ के माध्यम से संवाद आधारित शिक्षा को बढ़ावा देता है, जिससे छात्रों को विश्लेषण, चिंतन और आलोचनात्मक तर्क करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
    • ‘क्लाउड्स लर्निंग मोड’ जैसे उपकरण ‘वर्ष 2008 के वित्तीय संकट के क्या कारण थे?’ जैसे प्रश्न पूछते हैं, जिससे गहरी समझ विकसित होती है, जैसा कि नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी में देखा गया है।
  • व्यक्तिगत शिक्षण: AI छात्रों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार सामग्री, गति और शैली को अनुकूलित करता है, जिससे जुड़ाव एवं परिणामों में सुधार होता है।
    • इंटेलिजेंट ट्यूटरिंग सिस्टम (Intelligent Tutoring Systems- ITS) ने गणित और विज्ञान (वर्ष 2024 के अध्ययन) में छात्रों के प्रदर्शन में 10-15% की वृद्धि की। उदाहरण के लिए- स्मार्ट स्पैरो जैसे अनुकूली प्लेटफॉर्म।
  • संस्थानों में मापनीयता: AI बड़े पैमाने पर परिनियोजन को सक्षम बनाता है, जिससे हजारों छात्रों और शिक्षकों को कुशलतापूर्वक सहायता मिलती है।
    • उदाहरण: वर्ष 2025 में नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी के 13 परिसरों में AI एकीकरण ने 50,000 से अधिक उपयोगकर्ताओं को प्रभावित किया, जिससे मापनीयता प्रदर्शित हुई।
  • छात्रों और शिक्षकों के लिए समय की बचत: AI ग्रेडिंग और सामग्री निर्माण जैसे कार्यों को स्वचालित करता है, जिससे शिक्षण और सीखने के लिए समय मिलता है।
    • 42% छात्रों ने शोध कार्यों में समय की बचत संबंधी सूचना दी (वर्ष 2023 सर्वेक्षण), और आइला (Aila) (ओक नेशनल एकेडमी, यू.के.) जैसे उपकरणों ने शिक्षकों के कार्यभार को 20% तक कम कर दिया।
  • विविध शिक्षार्थियों के लिए बेहतर पहुँच: AI, स्पीच-टू-टेक्स्ट और वर्चुअल लैब जैसे अनुकूली उपकरणों के माध्यम से दिव्यांग छात्रों की सहायता करता है।
    • माइक्रोसॉफ्ट के इमर्सिव रीडर जैसे AI-संचालित प्लेटफॉर्म दृष्टिबाधित छात्रों की सहायता करते हैं, जिससे समावेशिता बढ़ती है।
  • वैश्विक सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान: AI आभासी प्लेटफॉर्म के माध्यम से अंतर-सांस्कृतिक शिक्षा को सुगम बनाता है, जिससे छात्रों को एक वैश्वीकृत कार्यबल के लिए तैयार किया जाता है।
    • यूनेस्को की बीजिंग सहमति (2025) AI-संचालित आभासी आदान-प्रदान कार्यक्रमों पर प्रकाश डालती है, जो संयुक्त अनुसंधान के लिए विभिन्न देशों के छात्रों को आपस में जोड़ते हैं।
  • समावेशी शिक्षा के लिए बहुभाषी समर्थन: AI कई भाषाओं में रियल-टाइम ट्रांसलेशन और सामग्री निर्माण को सक्षम बनाता है, भाषा संबंधी बाधाओं को तोड़ता है और समावेशिता को बढ़ावा देता है।
    • उदाहरण: AI4Bharat का इंडिकट्रांस3 मॉडल (AI4Bharat’s IndicTrans3 model) 22 भारतीय भाषाओं में अनुवाद का समर्थन करता है, जो भाषिणी की बहुभाषी शैक्षिक सामग्री वितरण को सशक्त बनाता है।
  • आजीवन सीखने का समर्थन: AI शिक्षार्थियों के साथ विकसित होता है, और गतिशील कॅरियर की माँगों के लिए निरंतर कौशल अद्यतन प्रदान करता है।
    • पोलिटेक्निका (POLITEHNICA) बुखारेस्ट के 95.6% छात्रों ने निरंतर सीखने के लिए AI उपकरणों का उपयोग किया (वर्ष 2024), कोर्सेरा (Coursera) के AI पाठ्यक्रमों जैसे प्लेटफॉर्म पेशेवरों की सहायता कर रहे हैं।

हालिया शोध रुझान (वर्ष 2016– वर्ष 2025)

  • AI अनुप्रयोगों की प्राथमिक श्रेणियाँ (वर्ष 2024 का अध्ययन)
    • अनुकूली शिक्षण और व्यक्तिगत शिक्षण।
    • बुद्धिमान मूल्यांकन और प्रबंधन।
    • प्रोफइलिंग और पूर्वानुमान (जैसे- ड्रॉपआउट दर, शैक्षणिक सफलता)।
    • उभरते उत्पाद (जैसे- आइला AI सहायक)।
  • अनुसंधान केंद्र
    • विज्ञान शिक्षा: AI भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान में शैक्षणिक परिदृश्य, प्रश्नोत्तरी निर्माण और प्रदर्शन पूर्वानुमान को बेहतर बनाता है।
    • भाषा शिक्षा: AI संवादात्मक माध्यमों के माध्यम से भाषा सीखने में सुधार करता है।
    • गणित एवं इंजीनियरिंग: समस्या-समाधान और विश्लेषणात्मक कौशल पर ध्यान केंद्रित करता है।
    • चिकित्सा शिक्षा: AI मशीन लर्निंग के माध्यम से शल्य चिकित्सा विशेषज्ञता का आकलन करता है।
  • प्रकाशन वृद्धि: वर्ष 2021-2022 में AIEd प्रकाशनों में 2-3 गुना वृद्धि देखी गई, जिसमें चीन ने शोध उत्पादन में अमेरिका को पीछे छोड़ दिया।
  • शोध अंतराल
    • उच्च-स्तरीय चिंतन कौशल, सहयोग और AI साक्षरता पर सीमित ध्यान।
    • AIEd अनुसंधान में शिक्षकों का कम प्रतिनिधित्व (वर्ष 2019 में शिक्षा विभागों से केवल 6%)।

AI एकीकरण में चुनौतियाँ

  • तकनीकी जटिलता: परिष्कृत संवाद और मजबूत गोपनीयता उपायों के साथ अनुकूली, नैतिक AI विकसित करना तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण है।
    • सुविधा की बजाय सीखने को प्राथमिकता देने के लिए संवैधानिक AI ढाँचे बनाने के लिए नैतिक दिशा-निर्देशों को शामिल करना आवश्यक है, जैसा कि क्लाउड्स लर्निंग मोड जैसे उपकरणों में देखा गया है।
  • एल्गोरिदमिक पूर्वाग्रह और पारदर्शिता: AI प्रणालियाँ प्रशिक्षण डेटा में पूर्वाग्रहों को बनाए रख सकती हैं, जिससे अनुचित शैक्षिक परिणाम या विषम सामग्री प्राप्त हो सकती है।
    • अध्ययन AI आउटपुट में लैंगिक या सांस्कृतिक रूढ़िवादिता जैसे पूर्वाग्रहों को प्रदर्शित करते हैं, जिससे निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए एल्गोरिदम की आवश्यकता होती है।
  • संकाय प्रतिरोध: शिक्षकों को डर है कि AI मानव शिक्षण की जगह ले सकता है या पारंपरिक शिक्षण विधियों को बाधित कर सकता है, जिससे प्रतिरोध हो सकता है।
  • बजट की बाधाएँ: AI के बुनियादी ढाँचे, सॉफ्टवेयर और प्रशिक्षण की उच्च लागत, खासकर कम संसाधनों वाले संस्थानों में, इसके अपनाने में बाधा बनती है।
    • भारत जैसे विकासशील देशों को सीमित धन के कारण AIEd को बढ़ाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसा कि यूनेस्को की वर्ष 2025 की बीजिंग सहमति में उल्लेख किया गया है।
  • छात्रों की अति-निर्भरता और नैतिक चिंताएँ: छात्र शॉर्टकट के संदर्भ में AI का अत्यधिक उपयोग कर सकते हैं, जिससे शैक्षणिक अखंडता और आलोचनात्मक सोच कौशल का क्षरण होने का खतरा होता है।
    • PEW के शोध के अनुसार, अमेरिका में 26% किशोरों ने स्कूल के कार्य के लिए चैटजीपीटी का उपयोग किया और 48.2% छात्रों ने AI की सटीकता से सीखने में आने वाली बाधा के बारे में चिंता व्यक्त की।
  • डिजिटल विभाजन: AI उपकरणों तक असमान पहुँच शैक्षिक असमानताओं को बढ़ाती है, विशेषतः ग्रामीण या कम आय वाले क्षेत्रों में।
    • भारत के ग्रामीण स्कूलों में प्रायः इंटरनेट और उपकरणों की कमी होती है, जिससे AIEd तक पहुँच सीमित हो जाती है, जैसा कि NEP 2020 कार्यान्वयन चुनौतियों में प्रदर्शित किया गया है।
  • डेटा गोपनीयता और सुरक्षा: AI प्रणालियों में छात्र डेटा की सुरक्षा उल्लंघनों को रोकने और विश्वास सुनिश्चित करने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
    • यू.के. का इंस्टिट्यूट फॉर एथिकल AI इन एजुकेशन (2025) सख्त गोपनीयता प्रोटोकॉल पर जोर देता है, क्योंकि छात्र डेटा में उल्लंघनों की वैश्विक स्तर पर रिपोर्ट की गई है।

पारंपरिक मानदंडों से परे सफलता का मापन

  • पारंपरिक मापदंड की सीमाएँ: परीक्षा स्कोर और GPA, आलोचनात्मक सोच पर नहीं, बल्कि धारणा पर केंद्रित होते हैं।
  • नए मूल्यांकन दृष्टिकोण
    • प्रश्नों की गहनता: सतही स्तर से लेकर बहुस्तरीय प्रश्नों तक की प्रगति को ट्रैक करता है।
    • तर्क-वितर्क की गुणवत्ता: तार्किक तर्क, साक्ष्य के उपयोग और प्रतिवाद की स्वीकृति का मूल्यांकन करता है।
    • अधिगम हस्तांतरण: विभिन्न विषयों (जैसे- इतिहास से लेकर विज्ञान तक) में आलोचनात्मक चिंतन को लागू करने की क्षमता को मापता है।
    • परासंज्ञानात्मक जागरूकता: चिंतन प्रक्रियाओं के बारे में आत्म-जागरूकता का आकलन करता है (जैसे- मान्यताओं को पहचानना)।
    • बौद्धिक विनम्रता: साक्ष्य के आधार पर विचारों को संशोधित करने के लिए खुलेपन को महत्त्व देता है।
    • सहयोगात्मक समस्या समाधान: विविध दृष्टिकोणों को संश्लेषित करने की क्षमता का मूल्यांकन करता है।
    • दीर्घकालिक प्रभाव: कॅरियर की सफलता और आजीवन सीखने का आकलन करने के लिए दीर्घकालिक अध्ययन पर जोर देता है।
    • पोर्टफोलियो-आधारित मूल्यांकन: चिंतन, समस्या-समाधान रिकॉर्ड के माध्यम से चिंतन विकास का दस्तावेजीकरण करता है।

शैक्षिक स्तरों पर कार्यान्वयन

  • नर्सरी/प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च माध्यमिक शिक्षा
    • प्राथमिक विद्यालय: बुनियादी कौशल विकसित करने के लिए सरल जाँच-आधारित उपकरण।
    • मध्यम स्तरीय विद्यालय: साक्ष्य मूल्यांकन और बहु-दृष्टिकोण विश्लेषण का परिचय।
    • उच्च विद्यालय: अनुसंधान और जटिल समस्या-समाधान के लिए उन्नत उपकरण।
  • उच्च शिक्षा
    • स्नातक: गहन शिक्षण के लिए विषय-विशिष्ट उपकरण (जैसे- इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य विज्ञान)।
    • स्नातक: मौलिक कार्यप्रणाली विकास के लिए अनुसंधान-केंद्रित कृत्रिम बुद्धिमत्ता।
    • व्यावसायिक विद्यालय: वास्तविक दुनिया के परिदृश्यों का अनुकरण (जैसे- चिकित्सा निदान, कानूनी नैतिकता)।
  • कॉरपोरेट प्रशिक्षण
    • नेतृत्व: रणनीतिक सोच के लिए मान्यताओं को चुनौती देता है।
    • तकनीकी: जटिल समस्या-समाधान का मार्गदर्शन करता है।
    • अनुपालन: नैतिक परिदृश्य विश्लेषण।

नई शिक्षा नीति (NEP)- 2020 तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)

  • शिक्षा में प्रौद्योगिकी एकीकरण: NEP शैक्षिक गुणवत्ता को बढ़ाने, पहुँच को व्यापक बनाने और अनुकूलित शिक्षण अनुभव प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से AI का लाभ उठाने पर जोर देता है।
    • AI विविध शिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करके और भौगोलिक बाधाओं को दूर करके समावेशी शिक्षा को सक्षम बनाता है, जो भारत के सार्वभौमिक शिक्षा के लक्ष्य के अनुरूप है।
  • स्कूली पाठ्यक्रम में AI और कोडिंग: NEP कक्षा 6 से AI और कोडिंग शुरू करने का समर्थन करता है ताकि छात्रों को डिजिटल अर्थव्यवस्था और भविष्य के लिए तैयार कॅरियर के लिए कौशल प्रदान किया जा सके।
    • प्रारंभिक परिचय कंप्यूटेशनल सोच और नवाचार को बढ़ावा देता है, छात्रों को डेटा विज्ञान और AI विकास जैसे उभरते क्षेत्रों के लिए तैयार करता है।
  • शिक्षक व्यावसायिक विकास में AI: NEP शिक्षकों को प्रौद्योगिकी का प्रभावी ढंग से उपयोग करने और प्रगति के साथ अद्यतन रहने में सशक्त बनाने के लिए AI-संचालित प्रशिक्षण को बढ़ावा देता है।
  • AI-सक्षम मूल्यांकन प्रणालियाँ: NEP सटीकता में सुधार, पूर्वाग्रह को कम करने और छात्रों को तत्काल प्रतिक्रिया प्रदान करने के लिए AI-आधारित मूल्यांकन का प्रस्ताव करता है।
    • मूल्यांकन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करता है, व्यक्तिपरकता को कम करता है, और वास्तविक समय में छात्रों की क्षमताओं तथा कमियों की पहचान करके व्यक्तिगत शिक्षण का समर्थन करता है।
  • राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच (National Educational Technology Forum-NETF): राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 NETF को शिक्षा के लिए विचारों, सर्वोत्तम प्रथाओं और नवीन तकनीकी समाधानों को साझा करने हेतु एक मंच के रूप में स्थापित करती है, जो प्रभावी AI कार्यान्वयन का समर्थन करती है।
    • राष्ट्रीय शिक्षा लक्ष्यों के साथ संरेखण सुनिश्चित करते हुए, AI-संचालित शैक्षिक उपकरणों को विकसित और विस्तारित करने के लिए हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है।

AI-संवर्द्धित शिक्षा में भविष्य के रुझान

  • व्यक्तिगत शिक्षण पथ: AI व्यक्तिगत आवश्यकताओं के आधार पर गति, विषयवस्तु और भावनात्मक समर्थन को अनुकूलित करेगा।
  • पाठ्यक्रम-पार एकीकरण: विषयों को जोड़ता है (उदाहरण के लिए विज्ञान, अर्थशास्त्र, नैतिकता में जलवायु परिवर्तन)।
  • वास्तविक दुनिया की समस्या समाधान: छात्रों को वास्तविक चुनौतियों (जैसे- शहरी नियोजन, सार्वजनिक स्वास्थ्य) से जोड़ता है।
  • वैश्विक सहयोग: आभासी प्लेटफॉर्मों के माध्यम से अंतर-सांस्कृतिक संवाद को सुगम बनाता है।
  • उन्नत मूल्यांकन: चिंतन प्रक्रियाओं का निरंतर, प्रासंगिक मूल्यांकन।
  • भावनात्मक बुद्धिमत्ता: AI सहानुभूति और सहयोग जैसे ‘सॉफ्ट स्किल्स’ का समर्थन करता है।
  • आजीवन शिक्षा: AI गतिशील कॅरियर आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शिक्षार्थियों के साथ विकसित होता है।

AI-संचालित शिक्षण प्लेटफॉर्म की केस स्टडीज

  • खान अकादमी (वैश्विक): दुनिया भर के छात्र खान अकादमी की व्यक्तिगत शैक्षिक सामग्री का लाभ, इसके AI-संचालित अनुशंसा एल्गोरिदम के माध्यम से लाभ उठा सकते हैं।
    • छात्रों को उन विषयों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करने के लिए जिनमें उन्हें सुधार करने की आवश्यकता है, यह व्यक्तिगत शिक्षण डैशबोर्ड प्रदान करता है, जो उनकी प्रगति की निगरानी करते हैं।
    • छात्र इस प्लेटफॉर्म के इंटरैक्टिव अभ्यासों का उपयोग करके अपनी गति से सीख सकते हैं, जिनमें AI-संचालित संकेत और चरण-दर-चरण स्पष्टीकरण शामिल हैं।
  • कोर्सेरा (वैश्विक, उच्च शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा): ‘कोर्सेरा’ नामक एक ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफॉर्म, उपयोगकर्ताओं की रुचियों, नौकरी की आकांक्षाओं और पिछले पाठ्यक्रम के आधार पर उन्हें पाठ्यक्रमों की अनुशंसा करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करता है।
    • शिक्षार्थी इस प्लेटफॉर्म के AI-संचालित परीक्षणों से तत्काल प्रतिक्रिया, स्वचालित ग्रेडिंग और अपनी योग्यता अंतराल का विश्लेषण प्राप्त कर सकते हैं।
    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संचालित आभासी शिक्षण सहायक और चैटबॉट छात्रों को पाठ्यक्रम सामग्री और प्रश्नों के उत्तर देने में मदद करते हैं।

आगे की राह 

  • नैतिक AI ढाँचे विकसित करना: संवैधानिक AI के साथ सुविधा की बजाय सीखने को प्राथमिकता देना, एल्गोरिदम में शैक्षणिक अखंडता तथा पारदर्शिता सुनिश्चित करना
  • डिजिटल विभाजन को पाटना: विशेष रूप से ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में, AI उपकरणों तक समान पहुँच सुनिश्चित करने के लिए बुनियादी ढाँचे और सब्सिडी में निवेश करना
  • शिक्षक प्रशिक्षण को बढ़ावा देना: AI को प्रभावी ढंग से एकीकृत करने और मानवीय शिक्षण को पूरक बनाने के लिए शिक्षकों के लिए अनिवार्य AI साक्षरता कार्यक्रम लागू करना।
  • छात्रों के लिए AI साक्षरता को बढ़ावा देना: नैतिक AI उपयोग, AI आउटपुट के आलोचनात्मक मूल्यांकन और पूर्वाग्रहों को समझने पर पाठ्यक्रम शुरू करना।
  • नीतिगत ढाँचों को मजबूत करना: AIEd को विनियमित करने के लिए NEP-2020 और यूनेस्को की बीजिंग सहमति के साथ सामंजस्य बिठाना तथा गोपनीयता, समानता और गुणवत्ता सुनिश्चित करना।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देना: भारत की विविध शैक्षिक आवश्यकताओं के अनुरूप वहनीय, मापनीय AI उपकरण विकसित करने के लिए एडटेक फर्मों के साथ सहयोग करना।
  • मूल्यांकन विधियों में नवीनता लाना: आलोचनात्मक सोच, मेटाकॉग्निशन और वास्तविक दुनिया में अनुप्रयोग को मापने के लिए पोर्टफोलियो आधारित और अनुदैर्ध्य मूल्यांकन की ओर रुख करना।

निष्कर्ष

AI में शिक्षा को रूपांतरित करने की क्षमता है, क्योंकि यह आलोचनात्मक सोच और व्यक्तिगत शिक्षा दोनों को बढ़ावा देता है, लेकिन इसकी सफलता नैतिक डिजाइन, समान पहुँच और मजबूत शासन पर निर्भर करती है। डिजिटल डिवाइड और शिक्षक तत्परता जैसी चुनौतियों का समाधान करके, भारत भविष्य के लिए तैयार शिक्षा प्रणाली बनाने के लिए AI का लाभ उठा सकता है।

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