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शासन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता

Lokesh Pal May 22, 2025 04:18 11 0

संदर्भ

भारत ने ‘सुशासन के लिए AI’ (AI for Good Governance) पर एक कार्यशाला की मेजबानी की, जिसमें AI का उपयोग करके डेटाव संचालित, कुशल और नागरिक केंद्रित डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई।

“सुशासन के लिए AI” कार्यशाला की मुख्य विशेषताएँ

  • आयोजक: कार्यशाला का आयोजन हिमाचल प्रदेश सरकार के डिजिटल प्रौद्योगिकी और शासन विभाग (Department of Digital Technologies and Governance-DDT&G) द्वारा केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तहत राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग (National e-Governance Division- NeGD) के सहयोग से किया गया था।
  • उद्देश्य: इस कार्यक्रम का उद्देश्य शासन में AI की भूमिका पर 100 से अधिक वरिष्ठ अधिकारियों को जागरूक करना था, जिसमें पारदर्शिता, दक्षता और नागरिक केंद्रित सेवा वितरण पर ध्यान केंद्रित किया गया।
    • कार्यशाला व्यापक IndiaAI मिशन के तहत NeGD की क्षमता निर्माण (CB) पहल का हिस्सा है, जो AI-तैयार शासन ढाँचे के निर्माण में राज्यों का समर्थन करती है।
  • तकनीकी फोकस क्षेत्र: मुख्य सत्रों में AI की नींव, जोखिम न्यूनीकरण, अपनाने की रणनीतियाँ, सार्वजनिक प्रशासन के लिए उपकरण और साइबर स्वच्छता को शामिल किया गया।
  • रणनीतिक दृष्टि: राज्य के अधिकारियों ने नैतिक, समावेशी और नवाचार-संचालित AI परिनियोजन पर जोर दिया, डिजिटल परिवर्तन और लचीले AI बुनियादी ढाँचे के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बारे में

  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मशीन-आधारित प्रणालियों को संदर्भित करता है, जो ऐसे कार्य करने में सक्षम हैं, जिनके लिए आमतौर पर मानवीय बुद्धिमत्ता की आवश्यकता होती है, जैसे- निर्णय लेना, पैटर्न पहचानना, सीखना और समस्या-समाधान।
  • शासन में भूमिका: शासन में AI (GovAI) का तात्पर्य सार्वजनिक प्रशासन में दक्षता, जवाबदेही, पारदर्शिता और सेवा वितरण को बढ़ाने के लिए बुद्धिमता प्रौद्योगिकियों की तैनाती से है।
  • अर्थव्यवस्था में भूमिका: AI आर्थिक परिदृश्य को बदलने में सहायक हो सकता है, विशेष रूप से व्यक्तिगत विपणन, बेहतर ग्राहक अनुभव और बाजार आसूचना जैसे क्षेत्रों में।
    • PwC के 27वें वार्षिक वैश्विक CEO सर्वेक्षण 2024 के अनुसार, 70% भारतीय CEO का मानना ​​है कि जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GenAI) अगले तीन वर्षों के भीतर मूल्य सृजन को बदल देगा।

भारत में AI को आगे बढ़ाने वाले रुझान

  • डिजिटल कनेक्टिविटी का विस्तार: भारत में वर्ष 2024 में 90 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता होंगे; वर्ष 2026 तक 120 करोड़ तक पहुँचने का अनुमान है, जो इसे वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक कनेक्टेड डिजिटल समाज बनाता है।
  • बढ़ता हुआ AI स्टार्ट-अप इकोसिस्टम: भारत की DPI नेतृत्व वाली डिजिटल पहलों से प्रेरित होकर, 1,00,000 से अधिक स्टार्ट-अप शुरू हुए हैं, जिनमें कई AI-संचालित फर्म शामिल हैं।
  • AI में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक निवेश: सरकार ने डेटा, नवाचार और स्वदेशी क्षमता पर ध्यान केंद्रित करते हुए IndiaAI मिशन को 10,354 करोड़ रुपये आवंटित किए।
  • समृद्ध सार्वजनिक डेटा इकोसिस्टम: भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे ने सबसे बड़ी सार्वजनिक ‘डेटा रिपॉजिटरी’ में से एक बनाई है, जो AI मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  • गवर्नेंस मल्टीप्लायर के रूप में GovAI: AI ऐप और छोटे भाषा मॉडल (SLM) के माध्यम से शासन को बदल रहा है, नीति डिजाइन, सार्वजनिक सेवा वितरण और आपदा प्रबंधन में सुधार कर रहा है।

शासन में AI के उपयोग के लाभ

  • डेटा संचालित निर्णय लेना: AI बड़े डेटासेट का विश्लेषण करके साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण को सक्षम बनाता है।
    • उदाहरण: आधार सक्षम प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण सब्सिडी रिसाव को कम करने के लिए AI का उपयोग करता है।

  • कुशल सार्वजनिक सेवा वितरण: स्वचालन मानवीय त्रुटि को कम करता है, प्रक्रियाओं को गति देता है, और पारदर्शिता को बढ़ाता है।
    • उदाहरण: पासपोर्ट सेवा केंद्र शेड्यूलिंग और दस्तावेजीकरण प्रक्रियाओं को स्वचालित करते हैं।
  • व्यक्तिगत सेवाएँ: AI चैटबॉट और इंटरफेस क्षेत्रीय भाषाओं में अनुकूलित सेवाएँ प्रदान करते हैं।
    • उदाहरण: MyGov पोर्टल नागरिक जुड़ाव को व्यक्तिगत बनाने के लिए AI का उपयोग करता है।
  • पूर्वानुमानित शासन: मशीन लर्निंग का उपयोग करके आपदाओं, बीमारियों या आर्थिक संकटों का अनुमान लगाता है। 
    • उदाहरण के लिए, भारतीय मौसम विभाग चक्रवातों की भविष्यवाणी करने और प्रारंभिक चेतावनी जारी करने के लिए AI का उपयोग करता है।
  • स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रबंधन: शहरी सेवाओं को AI के माध्यम से अनुकूलित किया जाता है, जिससे जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि होती है। स्मार्ट सिटीज मिशन यातायात, अपशिष्ट और निगरानी प्रबंधन के लिए एआई का उपयोग करता है।
  • न्यायिक सुधार: एआई कानूनी अनुवाद, केस प्राथमिकता और लंबित मामलों को कम करने में मदद करता है।
    • SUVAS (सर्वोच्च न्यायालय विधिक अनुवाद सॉफ्टवेयर) कानूनी दस्तावेजों का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करता है।
  • शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा: व्यक्तिगत अधिगम को सक्षम बनाता है और निदान एवं टेलीमेडिसिन आउटरीच में सुधार करता है।
    • उदाहरण के लिए, नीति आयोग की पहल कैंसर इमेज डायग्नोस्टिक्स में एआई का उपयोग करती है।
  • नीति और योजना प्रदर्शन: सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के डिजाइन और प्रभावशीलता को बढ़ाना। 
    • उदाहरण: भारत में आरोग्य सेतु और उमंग जैसे एआई-संचालित प्लेटफॉर्म।

शासन में एआई को बढ़ावा देने वाली भारतीय सरकार की पहल

  • एआई के लिए राष्ट्रीय रणनीति (#AIforAll): नीति आयोग (2018) द्वारा जारी, यह स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और कृषि जैसे क्षेत्रों में समावेशी विकास के लिए एआई के उपयोग की रूपरेखा प्रस्तुत करता है।
  • इंडिया AI मिशन (2024): कंप्यूटर अवसंरचना विकसित करने, स्टार्ट-अप का समर्थन करने और आधारभूत भाषा मॉडल बनाने के लिए ₹10,372 करोड़ आवंटित किए गए।
  • AI पर वैश्विक भागीदारी (GPAI), 2020: भारत एक संस्थापक सदस्य है और वर्तमान में नैतिक AI परिनियोजन को बढ़ावा देने के लिए GPAI की अध्यक्षता करता है।
  • डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (Digital Public Infrastructure-DPI): AI-संचालित DPI में आधार, UPI, डिजिलॉकर शामिल हैं, जो सार्वजनिक सेवा परिवर्तन को आगे बढ़ाते हैं।
  • कौशल विकास कार्यक्रम: MeitY के फ्यूचरस्किल्स प्राइम और सीबीएसई एआई ऐच्छिक जैसे पहल एआई में क्षमता निर्माण को बढ़ावा देते हैं।

एआई-गवर्नेंस में अंतरराष्ट्रीय नवाचार

  • यूरोपीय संघ: नैतिक एआई उपयोग को नियंत्रित करने के लिए दुनिया का पहला व्यापक विनियमन, यूरोपीय संघ एआई अधिनियम (2024) पेश किया।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका: रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) जैसी एजेंसियों के माध्यम से धोखाधड़ी का पता लगाने, पूर्वानुमानित पुलिसिंग और सार्वजनिक स्वास्थ्य विश्लेषण के लिए एआई का उपयोग करता है।
  • सिंगापुर: एआई नैतिकता और नवाचार में सार्वजनिक-निजी समन्वय के लिए मॉडल एआई गवर्नेंस फ्रेमवर्क लॉन्च किया।
  • संयुक्त राष्ट्र: सतत् विकास के लिए डिजिटल सहयोग और AI परिनियोजन को मानकीकृत करने के लिए ग्लोबल डिजिटल कॉम्पैक्ट (2024) प्रस्तुत किया।

राष्ट्रीय डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क नीति (National Data Governance Framework Policy-NDGFP)

  • इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा वर्ष 2022 में सार्वजनिक परामर्श के लिए मसौदा राष्ट्रीय डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क नीति जारी की गई थी। इसे अभी अंतिम रूप दिया जा रहा है।
  • उद्देश्य: यह नीति भारत में अनुसंधान और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकारी तथा निजी संस्थाओं दोनों से सार्वजनिक एवं गोपनीय डेटा तक सुरक्षित पहुँच को सक्षम करने के लिए डिजाइन की गई है।
  • संस्थागत ढाँचा: यह गोपनीयता, सुरक्षा और सार्वजनिक विश्वास पर जोर देने के साथ गैर-व्यक्तिगत डेटासेट के साझाकरण तथा उपयोग के लिए नियमों, मानकों, दिशा-निर्देशों और प्रोटोकॉल को शामिल करते हुए एक व्यापक ढाँचे के निर्माण का प्रस्ताव करता है।
  • IDMO की भूमिका: भारत डेटा प्रबंधन कार्यालय (IDMO) डेटा गवर्नेंस प्रथाओं को मानकीकृत करने और विभागों में क्षमता निर्माण के लिए मंत्रालयों, राज्य सरकारों और अन्य कार्यक्रमों के साथ कार्य करके नीति के कार्यान्वयन का नेतृत्व करेगा।
  • भारत डेटासेट कार्यक्रम एकीकरण: यह नीति भारत डेटासेट कार्यक्रम में मंत्रालयों और निजी संस्थाओं दोनों से गैर-व्यक्तिगत डेटासेट को शामिल करने में तेजी लाने का प्रयास करती है, जिससे खुले तथा सुरक्षित डेटा-संचालित नवाचार को बढ़ावा मिलता है।

शासन में AI के उपयोग की चुनौतियाँ

  • डेटा गोपनीयता और सुरक्षा: AI सिस्टम को बड़े पैमाने पर डेटासेट की आवश्यकता होती है, जिससे उल्लंघन और निगरानी का जोखिम बढ़ जाता है। आधार नियमों के उल्लंघन के कारण 81 करोड़ से अधिक भारतीयों (2023) का डेटा प्रदर्शित हुआ।
  • डिजिटल डिवाइड: ग्रामीण और हाशिए पर रहने वाली आबादी को AI-आधारित सेवाओं तक सीमित पहुँच का सामना करना पड़ता है।
    • 45% भारतीयों के पास इंटरनेट एक्सेस नहीं है (IAMAI, 2023)।
  • कौशल अंतर: प्रशिक्षित कर्मियों की कमी AI को अपनाने में बाधा डालती है। NASSCOM ने भारत में 1.4 लाख AI पेशेवरों की कमी की रिपोर्ट की है।
  • उच्च लागत: AI सिस्टम के विकास और रखरखाव के लिए महत्त्वपूर्ण वित्तीय निवेश की आवश्यकता होती है।
  • खंडित डेटा पारिस्थितिकी तंत्र: विभागों के बीच अंतर-संचालन की कमी AI की प्रभावशीलता को कम करती है।
    • उदाहरण: राष्ट्रीय डेटा शासन रूपरेखा नीति अभी भी कार्यान्वयन के लिए लंबित है।
  • नैतिक चिंताएँ: प्रशिक्षण डेटा में पूर्वाग्रह अनुचित परिणामों और भेदभाव की ओर ले जाता है।
    • उदाहरण: AI भर्ती उपकरण और चेहरे की पहचान करने वाली प्रणालियाँ प्रशिक्षण डेटा में निहित पूर्वाग्रहों के कारण भेदभाव को बढ़ावा दे सकती हैं।
  • जवाबदेही और पारदर्शिता: अपारदर्शी AI सिस्टम (ब्लैक-बॉक्स मॉडल) सार्वजनिक विश्वास और कानूनी जाँच में बाधा डालते हैं। स्वायत्त वाहनों से जुड़े दुर्घटना परिदृश्यों में, कानूनी जिम्मेदारी अस्पष्ट बनी हुई है।
  • विनियामक अंतराल: भारत में यूरोपीय संघ के विपरीत एक व्यापक AI-विशिष्ट कानूनी ढाँचे का अभाव है।

भारत में उल्लेखनीय राज्य-स्तरीय AI पहल

  • सतत् AI विकास (गुजरात): स्थायी शहरों, स्वास्थ्य सेवा और कृषि पर केंद्रित तीन उत्कृष्टता केंद्रों का शुभारंभ किया गया, जिन्हें 990 करोड़ रुपये का समर्थन प्राप्त है।
  • तमिलनाडु आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मिशन (TNAIM) (तमिलनाडु): 13.93 करोड़ रुपये के निवेश के साथ पाँच वर्षीय AI रणनीति का लक्ष्य तमिलनाडु को राष्ट्रीय AI हब बनाना है। “सोशल गुड बाय डिजाइन” पर केंद्रित, TNAIM शासन, आर्थिक उत्थान और सामाजिक कल्याण के लिए AI विकसित करता है।
  • आंध्र प्रदेश के लिए AI (Google द्वारा संचालित) (आंध्र प्रदेश): अमरावती को एक AI शहर के रूप में देखा गया है, जो कृषि, स्वास्थ्य सेवा और कौशल में AI को एकीकृत करता है। गूगल के साथ सहयोग एक औपचारिक समझौता ज्ञापन के माध्यम से AI-संचालित सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देता है।
  • ई-गवर्नेंस के लिए AI (तेलंगाना): तेलंगाना ने जनरेटिव AI का उपयोग करके ई-गवर्नेंस को बढ़ाने के लिए मेटा के साथ भागीदारी की। हैदराबाद में प्रस्तावित AI-केंद्रित विश्व व्यापार केंद्र वैश्विक AI फर्मों और स्टार्ट-अप को आगे बढ़ाएगा।

आगे की राह

  • डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर और गोपनीयता को मजबूत करना: डिजिटल व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा अधिनियम (2023) को प्रभावी ढंग से लागू करना।
    • डेटा गुमनामी और सुरक्षित भंडारण को बढ़ावा देना।
  • नैतिक निष्पक्ष AI मॉडल बनाना: निष्पक्षतापूर्ण मीट्रिक और ऑडिट तंत्र स्थापित करना। एल्गोरिदम संबंधी पूर्वाग्रह को कम करने के लिए विविध डेटासेट का उपयोग करना।
  • डिजिटल डिवाइड को समाप्त करना: अल्पसंख्यक क्षेत्रों में इंटरनेट एक्सेस और इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करना।
    • कम संसाधन प्रणाली के अनुरूप AI समाधान तैनात करना।
  • कार्यबल को कौशलयुक्त करना: नौकरशाहों और सिविल सेवकों के लिए प्रशिक्षण संबंधी सेवाएँ बढ़ाना।
    • युवाओं के लिए जिम्मेदार AI और इंडिया AI फ्यूचरस्किल्स जैसी पहलों के माध्यम से AI शिक्षा का विस्तार करना।
  • जोखिम और निगरानी तंत्र को संस्थागत बनाना: स्वतंत्र AI नैतिकता समितियाँ बनाना।
    • पारदर्शी, व्याख्यात्मक AI (XAI) ढाँचों के माध्यम से AI परिणामों की निगरानी करना।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देना: सैंडबॉक्स मॉडल और सब्सिडी के माध्यम से नवाचार को प्रोत्साहित करना। इंडियाएआई कंप्यूट कैपेसिटी प्रोग्राम (10,000+ जीपीयू) के तहत स्टार्ट-अप इकोसिस्टम का समर्थन करना।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: GPAI और यूएन ग्लोबल डिजिटल कॉम्पैक्ट जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से वैश्विक एआई नैतिकता मानकों के साथ संरेखित करना।
    • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और संयुक्त अनुसंधान एवं विकास के लिए राजनयिक सहयोग का लाभ उठाना।

निष्कर्ष

चूँकि भारत ‘सभी के लिए AI’ लक्ष्य में अग्रणी बनने की आकांक्षा रखता है, अतः जिम्मेदार और समावेशी AI शासन सुनिश्चित करना लोकतांत्रिक वैधता तथा विकासात्मक परिणामों के लिए महत्त्वपूर्ण होगा।

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