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विद्यालयी शिक्षा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता

Lokesh Pal November 01, 2025 02:36 34 0

संदर्भ

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के विद्यालय शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (DoSE&L) ने कक्षा 3 से आगे के सभी विद्यालयों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और कंप्यूटेशनल थिंकिंग (Computational Thinking-CT) शुरू करने की घोषणा की है।

मुख्य बिंदु 

  • उद्देश्य: प्रौद्योगिकी शिक्षण को मुख्यधारा के पाठ्यक्रम में एकीकृत करके छात्रों को AI-संचालित भविष्य के लिए तैयार करना।
  • मुख्य उद्देश्य: ‘सार्वजनिक हित के लिए AI’ (AI for Public Good) को बढ़ावा देना और AI शिक्षण को हमारे आस-पास की दुनिया’ (The World Around Us- TWAU) के साथ एकीकृत करना।
  • संरेखण: विद्यालयी शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCF-SE) 2023 और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के साथ संरेखित करना।
  • कार्यान्वयन समय-सीमा: शैक्षणिक सत्र 2026-27 से।

विद्यालयी शिक्षा में AI की आवश्यकता

  • 21वीं सदी के कौशल का निर्माण: AI साक्षरता कंप्यूटेशनल सोच, समस्या-समाधान, रचनात्मकता और नैतिक तर्क को बढ़ावा देती है, जो तेजी से स्वचालित और डेटा-संचालित अर्थव्यवस्था में आवश्यक कौशल हैं। प्रारंभिक परिचय छात्रों को उभरती तकनीकों के साथ सहजता से अनुकूलन करने में सक्षम बनाता है।
    • उदाहरण: नीति आयोग के अंतर्गत अटल टिंकरिंग लैब्स ने 10,000 से अधिक विद्यालयों में डिजाइन थिंकिंग और नवाचार को बढ़ावा देते हुए AI तथा STEM मॉड्यूल शुरू किए हैं।
  • डिजिटल विभाजन को पाटना: विद्यालयों में AI का उद्देश्य तकनीक और डिजिटल शिक्षा तक पहुँच को लोकतांत्रिक बनाना है, यह सुनिश्चित करते हुए कि ग्रामीण और वंचित पृष्ठभूमि के बच्चे डिजिटल उपकरणों से परिचित हों, जिससे सीखने में सामाजिक-आर्थिक असमानताएँ कम हों।
    • उदाहरण: इंटेल के युवाओं के लिए AI’ (AI For Youth) और CBSE कौशल मॉड्यूल ने वर्ष 2019 से छात्रों के डिजिटल कौशल में उल्लेखनीय सुधार दिखाया है।
  • भविष्य के लिए कार्यबल तैयार करना: AI को तीव्रता लागू करने से नए युग के उद्योगों के लिए एक लचीला, अनुकूलनीय कार्यबल तैयार होता है।
    • उदाहरण: नीति आयोग की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2030 तक भारत के तकनीकी क्षेत्र में AI लगभग 20 लाख नौकरियाँ समाप्त कर सकता है, लेकिन यह उन्नत डिजिटल दक्षताओं की माँग वाले 40 लाख नए रोजगार उत्पन्न कर सकता है।
  • शैक्षणिक नवाचार: AI अनुकूलित प्लेटफॉर्म के माध्यम से व्यक्तिगत शिक्षण को सक्षम बनाता है, जो प्रदर्शन की निगरानी करता है और तत्काल प्रतिक्रिया प्रदान करता है।
    • बहुभाषी और दिव्यांग शिक्षार्थियों के लिए उपयोगी, यह दीक्षा (DIKSHA) और पीएम ई-विद्या (PM eVidya) डिजिटल पहलों का पूरक है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और समावेशी शिक्षा 

  • AI का सबसे आशाजनक योगदान समावेशिता को बढ़ावा देने में निहित है।
    • भाषा अनुवाद और वाक् पहचान (Language Translation & Speech Recognition): यह तकनीक अन्यभाषी छात्रों तथा श्रवण या दृष्टि-बाधित विद्यार्थियों की सीखने की प्रक्रिया को आसान बनाती है।
    • अनुकूलनशील प्लेटफॉर्म (Adaptive Platforms): ये प्लेटफॉर्म छात्रों की विभिन्न सीखने की शैलियों के अनुसार कंटेंट को व्यक्तिगत रूप से तैयार करते हैं।
    • सहायक प्रौद्योगिकियाँ (Assistive Technologies): ये तकनीकें दिव्यांग विद्यार्थियों को शिक्षण प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने में सक्षम बनाती हैं।
  • ये उपकरण भारत की बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक कक्षाओं में सीखने की असमानताओं को कम कर सकते हैं।
  • यदि समानता और डिजाइन संवेदनशीलता के साथ लागू किया जाए, तो AI शिक्षा में एक सशक्त पक्ष बन सकता है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि सीखने के अवसर प्रत्येक बच्चे तक पहुँचें, चाहे उसकी भौगोलिक स्थिति या पृष्ठभूमि कुछ भी हो।
  • वैश्विक उदाहरण: यूनेस्को का वर्ष 2023 का शिक्षा में जनरेटिव AI के लिए मार्गदर्शन’ (Guidance for Generative AI in Education) मानव-केंद्रित, समतामूलक डिजाइन पर जोर देता है।
  • भारतीय उदाहरण: भारत सरकार का भाषिणी’ (Bhashini) प्लेटफॉर्म 22 भारतीय भाषाओं में AI-संचालित अनुवाद प्रदान करता है, जो क्षेत्रीय माध्यम की कक्षाओं के लिए उपयोगी है।

सरकारी पहल और नीतिगत ढाँचा

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020: इसका उद्देश्य विद्यालयी पाठ्यक्रम में AI, डिजाइन थिंकिंग और डेटा साइंस जैसे समकालीन विषयों को शामिल करने का आह्वान करना है।
    • यह अनुभवात्मक अधिगम, कौशल एकीकरण और लचीले पाठ्यक्रम ढाँचे को बढ़ावा देता है।
  • विद्यालयी शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCF-SE) 2023: NCF-SE 2023 विद्यालयी शिक्षा के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को क्रियान्वित करता है।
    • इसका उद्देश्य योग्यता-आधारित, लचीली और समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पाठ्यक्रम, शिक्षण पद्धति और मूल्यांकन प्रणाली की पुनर्कल्पना करना है।
    • कक्षा 3 से आगे AI और कंप्यूटेशनल थिंकिंग (CT) को एकीकृत करने के लिए पाठ्यचर्या आधार प्रदान करता है।
    • सार्वजनिक हित के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ (AI for Public Good) औरहमारे आस-पास की दुनिया’ (The World Around Us- TWAU) के सिद्धांतों पर आधारित, प्रासंगिक तथा नैतिक आधार सुनिश्चित करना।
    • इसका उद्देश्य AI शिक्षा को एक विशिष्ट धारा के स्थान पर एक सार्वभौमिक साक्षरता के रूप में देखना है।
  • CBSE और NCERT की पहल: CBSE ने वर्ष 2019-20 में कक्षा 9 के लिए AI को एक कौशल विषय के रूप में पेश किया और वर्ष 2020-21 से इसे कक्षा 11 तक बढ़ा दिया।
    • प्राथमिक और माध्यमिक स्तरों के लिए AI पाठ्यक्रम तैयार करने हेतु एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया।
    • NCERT और CBSE संयुक्त रूप से शिक्षण सामग्री, हैंडबुक और डिजिटल सामग्री विकसित करते हैं।
    • इंटेल-CBSE का  ‘AI फॉर ऑल’ (2021) का लक्ष्य 11 भारतीय भाषाओं में 4 घंटे के AI साक्षरता पाठ्यक्रम के माध्यम से 10 लाख शिक्षार्थियों तक पहुँचना था।
  • निष्ठा (NISHTHA) के माध्यम से शिक्षक प्रशिक्षण: निष्ठा 2.0 (NISHTHA 2.0) के अंतर्गत व्यापक कौशल उन्नयन अभियान और शिक्षकों को AI शिक्षण के लिए तैयार करने हेतु वीडियो-आधारित प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार करना।
    • कर्नाटक का शिक्षा को-पायलट (माइक्रोसॉफ्ट + शिक्षा) शिक्षकों को पाठ योजनाएँ बनाने और AI को एकीकृत करने में मदद करता है।
  • SOAR कार्यक्रम (MSDE, 2025)
    • AI तैयारी के लिए कौशल विकास कक्षा 6-12 और शिक्षकों पर केंद्रित है।
    • छात्रों के लिए 15 घंटे के AI साक्षरता मॉड्यूल और 45 घंटे के शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करता है।
    • शिक्षा के लिए AI में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने और बहुभाषी AI शिक्षण उपकरण विकसित करने के लिए ₹500 करोड़ के बजट से समर्थित किया गया है।
    • कौशल भारत मिशन, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) 4.0, राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्द्धन योजना (National Apprenticeship Promotion Scheme-NAPS), और कौशल भारत डिजिटल हब (Skill India Digital Hub- SIDH) के साथ संरेखित किया गया है।

AI शिक्षा में वैश्विक उदाहरण

1. संयुक्त राज्य अमेरिका

  • नीतिगत दृष्टिकोण: अमेरिका में AI शिक्षा काफी सीमा तक राज्य द्वारा संचालित है।
    • कैलिफोर्निया, वर्जीनिया और मैसाचुसेट्स जैसे राज्यों ने STEM मानकों में AI साक्षरता को शामिल किया है।
    • AI4K12 पहल — जोएसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफआर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ (AAAI) और अमेरिकी राष्ट्रीय विज्ञान फ़ाउंडेशन (NSF) के बीच एक सहयोग है, यह K-12 तक AI सीखने की नींव के रूप में AI के पाँच प्रमुख विचारों (धारणा, प्रतिनिधित्व, अधिगम, प्राकृतिक अंतःक्रिया और सामाजिक प्रभाव) को परिभाषित करती है।
  • शैक्षणिक फोकस: केवल प्रोग्रामिंग के बजाय, AI साक्षरता पर जोर दिया जाता है, यह समझने पर कि AI समाज को कैसे प्रभावित करता है।

2. चीन: नेशनल स्ट्रैटेजी फॉर AI एजुकेशन

  • नीतिगत दृष्टिकोण: चीन ने वर्ष 2018 से अपनी अगली पीढ़ी की कृत्रिम बुद्धिमत्ता विकास योजना” के तहत एक शीर्ष-स्तरीय, राष्ट्रव्यापी कृत्रिम बुद्धिमत्ता शिक्षा रणनीति अपनाई है।
    • प्राथमिक विद्यालय से ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता अनिवार्य है, जिसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता-केंद्रित पाठ्यपुस्तकों, पायलट विद्यालयों और राष्ट्रीय शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों द्वारा समर्थित किया जाता है।

3. सिंगापुर: “AI फॉर ऑल” और आजीवन शिक्षा

  • नीतिगत दृष्टिकोण: सिंगापुर की AI रणनीति (2019) AI शिक्षा को अपने स्मार्ट राष्ट्र दृष्टिकोण में एकीकृत करती है।
    • “AI फॉर ऑल” कार्यक्रम विद्यालयों और लोगों में AI संबंधी जागरूकता का प्रसार करता है।
    • प्राथमिक से लेकर पूर्व-विश्वविद्यालय स्तर तक के छात्र व्यावहारिक, खोज-आधारित परियोजनाओं के माध्यम से सीखते हैं, जो नैतिकता, पूर्वाग्रह और AI के उत्तरदायी उपयोग पर केंद्रित होती हैं।
  • शैक्षणिक फोकस: AI नैतिकता, समस्या-आधारित शिक्षण और अंतर-विषयक अनुप्रयोगों पर जोर देना।

4. यूनेस्को के वैश्विक दिशा-निर्देश (2023)

  • यूनेस्को ‘शिक्षा और अनुसंधान में जनरेटिव AI के लिए मार्गदर्शन’ (2023) संबंधी दिशा-निर्देश में निम्नलिखित बिन्दुओं पर चर्चा की गई है:-
    • मानव-केंद्रित, समावेशी और नैतिक डिजाइन।
    • कक्षा में तैनाती से पहले शिक्षक प्रशिक्षण।
    • पूर्वाग्रह, गलत सूचना और अति-निर्भरता के विरुद्ध स्पष्ट सुरक्षा उपाय।

अवसर

  • शिक्षकों को सशक्त बनाना: AI दोहराए जाने वाले कार्यों (उपस्थिति, ग्रेडिंग, प्रगति ट्रैकिंग) को स्वचालित कर सकता है, जिससे शिक्षक रचनात्मक जुड़ाव पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
    • AI उपकरण डेटा-आधारित पाठ योजनाएँ तैयार करने में भी शिक्षकों की सहायता कर सकते हैं।
  • कौशल अंतराल को पाटना: प्रारंभिक AI अनुभव विद्यालयी शिक्षा को उद्योग 4.0 कौशल आवश्यकताओं के अनुरूप बनाता है, जिससे विद्यालयी शिक्षा और रोजगार के बीच पारंपरिक अंतर को पाटा जा सकता है।
  • संलग्नता के लिए जनरेटिव AI: जनरेटिव AI उपकरण इंटरैक्टिव शिक्षण के लिए कस्टम क्विज, अध्ययन सामग्री और चैटबॉट तैयार कर सकते हैं, जिससे सीखने की असमानताएँ कम होती हैं और जिज्ञासा-आधारित अन्वेषण को बढ़ावा मिलता है।
  • व्यक्तिगत और समावेशी शिक्षण: AI अनुकूली शिक्षण प्रणालियों को सक्षम बनाता है, जो प्रत्येक शिक्षार्थी की गति और समझ के अनुसार सामग्री को अनुकूलित करती हैं।
    • यह बहुभाषी और विशेष-आवश्यकताओं वाली शिक्षा का समर्थन करता है, जिससे भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में समावेशिता बढ़ती है।
  • नवाचार और अनुसंधान की मानसिकता को बढ़ावा देना: सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) के लिए AI पर व्यावहारिक AI परियोजनाएँ और मॉड्यूल नवाचार को बढ़ावा देते हैं और छात्रों को प्रौद्योगिकी को सामाजिक समस्या-समाधान से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

AI साक्षरता (AI literacy)

  • AI साक्षरता (AI literacy) AI के कार्य करने के तरीके को समझने और उसकी प्रतिक्रियाओं का मूल्यांकन करते समय आलोचनात्मक सोच को लागू करने की क्षमता है।

AI कौशल (AI skills)

  • AI कौशल से तात्पर्य AI उपकरण, AI उत्पाद विकसित करने या AI मूल्य शृंखला में उपस्थिति होने से है।

चुनौतियाँ

  • पाठ्यक्रम डिजाइन और अतिभार: स्पष्टता के बिना,विद्यालयों में AI’ एक प्रचलित शब्द बनने का जोखिम है, जिसमें कोडिंग से लेकर चैटबॉट के उपयोग तक सब कुछ शामिल हो सकता है।
    • AI साक्षरता, AI-सहायता प्राप्त शिक्षा और एक विषय के रूप में AI के बीच अंतर करना महत्त्वपूर्ण है।
  • शिक्षकों का व्यापक प्रशिक्षण: शिक्षकों का व्यापक प्रशिक्षण और मानसिक रूप से तैयार होना अभी भी असमान है।
    • लगभग 9% विद्यालयों में केवल एक शिक्षक है, 35% विद्यालयों में 50 से कम छात्र और दो शिक्षक हैं।
    • कई शिक्षकों के पास औपचारिक योग्यताएँ नहीं हैं और कुछ विद्यालयों में विद्युत या कंप्यूटर तक नहीं हैं।
  • डिजिटल विभाजन: छात्रों और शिक्षकों के एक बड़े हिस्से के पास बुनियादी डिजिटल उपकरणों तक पहुँच नहीं है, जिससे यह लक्ष्य विरोधाभासी या अवास्तविक प्रतीत होता है।
    • उदाहरण के लिए, UDISE+ 2021–22 के अनुसार, 34% भारतीय विद्यालयों में इंटरनेट था; कई विद्यालयों में कार्यात्मक कंप्यूटर का अभाव था।
    • बुनियादी ICT पहुँच और शिक्षक तत्परता को संबोधित किए बिना AI की शुरुआत मौजूदा असमानताओं को बढ़ा सकती है।
  • शैक्षणिक असंगति: 10-13 वर्ष के बच्चों की जटिल AI प्रणालियों को समझने की संज्ञानात्मक और मनोवैज्ञानिक तत्परता संदिग्ध है।
    • ऐसी अवधारणाओं को पढ़ाने के लिए विशिष्ट शिक्षण पद्धति की आवश्यकता होती है, जिसका वर्तमान में अधिकांश विद्यालयों में अभाव है।
    • संदर्भगत उदाहरणों और व्यावहारिक प्रासंगिकता के बिना, ये पाठ आलोचनात्मक समझ से रहित रटंत अभ्यास बन सकते हैं।
  • कार्यान्वयन में समानता: यह सुनिश्चित करना कि ग्रामीण और कम संसाधन वाले विद्यालय AI क्रांति से समान रूप से लाभान्वित हों।
  • डेटा गोपनीयता और नैतिकता: छात्रों के डेटा की सुरक्षा और कक्षाओं में AI के उपयोग को विनियमित करने के लिए मजबूत ढाँचों की आवश्यकता है।

शैक्षणिक और नैतिक आयाम 

  • AI शिक्षा का उद्देश्य: क्या विद्यालयों में AI का आशय यह सीखना होना चाहिए कि AI कैसे कार्य करता है, या AI का जिम्मेदारी से प्रयोग कैसे किया जाए?
    • सच्ची AI शिक्षा का ध्यान इन पर होना चाहिए:
      • समाज पर AI के प्रभाव की गहन समझ।
      • नैतिक तर्क, डेटा गोपनीयता और पूर्वाग्रह जागरूकता।
      • जिम्मेदार डिजिटल नागरिकता, न कि केवल कोडिंग या एल्गोरिदम।
  • विकासात्मक उपयुक्तता: सीखने का मनोविज्ञान यह माँग करता है कि सिस्टम मैपिंग, मशीन लर्निंग, या न्यूरल नेटवर्क जैसी जटिल अवधारणाओं को आधारभूत वैज्ञानिक और गणितीय परिपक्वता प्राप्त होने के बाद ही प्रस्तुत किया जाए।
    • यदि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का परिचय केवल सतही स्तर पर दिया जाए, तो इसके शिक्षण के शब्द प्रधान और औपचारिक प्रदर्शन में परिवर्तित होने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे विषय की गहन समझ और आलोचनात्मक दृष्टि विकसित नहीं हो पाती।।

विद्यालयी शिक्षा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के मनोवैज्ञानिक प्रभाव

  • अति-निर्भरता और ‘अशिक्षा’: मनोवैज्ञानिक चेतावनी देते हैं कि AI उपकरणों (जैसे- चैटबॉट, कंटेंट जनरेटर) पर अत्यधिक निर्भरताअशिक्षा’ का कारण बन सकती है- सीखने की आंतरिक प्रेरणा का धीरे-धीरे क्षरण।
    • जब AI तत्काल समाधान प्रदान करता है, तो छात्र रचनात्मकता और समस्या-समाधान के लिए आवश्यक संज्ञानात्मक संघर्ष में संलग्न होना बंद कर सकते हैं।
  • कम ध्यान अवधि और गहन अधिगम: AI-संचालित त्वरित प्रतिक्रिया के निरंतर संपर्क से ध्यान अवधि कम हो सकती है और गहन पठन या विश्लेषणात्मक सोच हतोत्साहित हो सकती है।
    • यह वैचारिक समझ के स्थान पर सतही स्तर की शिक्षा को प्रोत्साहित करता है।
  • रचनात्मकता और मौलिक विचार में गिरावट: एल्गोरिदम द्वारा तैयार की गई प्रतिक्रियाएँ छात्रों की कल्पनाशील क्षमताओं को सीमित कर सकती हैं।
    • उत्पादक AI उपकरणों के अति प्रयोग से समरूप सोच उत्पन्न हो सकती है, जहाँ छात्र प्रयोग और नवाचार करने के बजाय परिणामों की नकल करते हैं।
  • सामाजिक और भावनात्मक विस्थापन: सर्वेक्षणों (जैसे- यूथ पल्स सर्वे 2025) से पता चलता है कि लगभग 57% छात्र भावनात्मक वार्ता के लिए AI चैटबॉट का उपयोग करते हैं।
    • इससे मानवीय संपर्क, सहानुभूति और पारस्परिक जुड़ाव कम हो सकता है, जो बचपन और किशोरावस्था के दौरान सामाजिक विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  • तकनीकी लत का जोखिम: AI-संचालित प्लेटफॉर्म जुड़ाव के लिए डिजाइन किए गए हैं; युवा शिक्षार्थी तकनीक पर निर्भरता विकसित कर सकते हैं, जो बाध्यकारी उपयोग, चिंता, या ऑफलाइन कार्यों के प्रति कम धैर्य के रूप में प्रकट हो सकती है।
  • डेटा और गोपनीयता की चिंता: यह जागरूकता कि AI सिस्टम व्यक्तिगत डेटा एकत्र और विश्लेषण करते हैं, छात्रों में निगरानी संबंधी चिंता या अविश्वास उत्पन्न कर सकती है क्योंकि वे डिजिटल रूप से अधिक जागरूक होते हैं।

आगे की राह 

  • स्पष्ट उद्देश्य तय करना: स्पष्ट करना कि इसका उद्देश्य AI साक्षरता, जिम्मेदारीपूर्ण उपयोग या तकनीकी कौशल विकास है।
  • बुनियादी डिजिटल शिक्षा को मजबूत बनाना: उन्नत AI अवधारणाओं को शुरू करने से पहले डिजिटल पहुँच, बुनियादी कोडिंग और कंप्यूटेशनल सोच को प्राथमिकता देना।
    • कक्षा 3-8 में AI साक्षरता और उच्च कक्षाओं में AI कौशल (कोडिंग, NLP, डेटा विज्ञान) पर ध्यान केंद्रित करना।
    • शिक्षण पद्धति को संज्ञानात्मक चरणों (आधारभूत, प्रारंभिक और माध्यमिक) के साथ संरेखित करना।
  • शिक्षक क्षमता निर्माण: व्यापक शिक्षक प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित करना और AI-सक्षम शिक्षकों का एक राष्ट्रीय कैडर बनाना।
    • शिक्षकों को केवल प्रेषक ही नहीं, बल्कि नवप्रवर्तक के रूप में प्रोत्साहित करना और AI उपकरणों को रचनात्मक रूप से एकीकृत करना।
  • पाठ्यक्रम का पुनर्निर्माण: AI मॉड्यूल को प्रासंगिक, आयु-उपयुक्त और नैतिक रूप से आधारित बनाना।
    • रटंत परीक्षाओं की जगह परियोजना-आधारित, अनुभवात्मक मूल्यांकन अपनाना।
  • नैतिक सुरक्षा सुनिश्चित करना: AI नैतिकता और बाल डेटा सुरक्षा दिशा-निर्देश स्थापित करना।
    • प्रारंभिक कक्षाओं से ही सुरक्षित और जिम्मेदार तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देना।
  • आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देना: पूछताछ-आधारित शिक्षा को प्रोत्साहित करना आवश्यक है, ताकि शिक्षार्थी यह समझ सकें कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) समाज, निष्पक्षता और स्थिरता के विभिन्न आयामों को किस प्रकार प्रभावित करती है।
  • वैश्विक शिक्षण और सहयोग: वैश्विक मॉडलों से सीखना जैसे- सिंगापुर का ‘AI फॉर आल’, ब्रिटेन का कंप्यूटिंग’ आधारित पाठ्यक्रम, लेकिन उन्हें भारत के पैमाने और विविधता के अनुरूप ढालना।
  • समतामूलक अवसंरचना विकास: सार्वजनिक-निजी भागीदारी, स्किल इंडिया डिजिटल हब और पीएम ई-विद्या के माध्यम से ग्रामीण-शहरी डिजिटल अंतर को पाटना, कम कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों के लिए ऑफलाइन AI मॉड्यूल विकसित करना।

निष्कर्ष

प्राथमिक शिक्षा में AI को शामिल करने का भारत का कदम महत्त्वाकांक्षी और दूरदर्शी है, लेकिन इसकी सफलता तत्परता, स्पष्टता और संयम पर निर्भर करती है। कक्षाओं में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उद्देश्य मानव अधिगम को समृद्ध करना होना चाहिए, न कि उसे प्रतिस्थापित या दबाना। शैक्षणिक एवं नैतिक आधार के अभाव में जटिल प्रौद्योगिकियों का शीघ्र परिचय ऐसी पीढ़ी को जन्म दे सकता है जो तकनीकी रूप से दक्ष तो होगी, परंतु अवधारणात्मक गहराई और विवेकशीलता में सीमित रहेगी।।

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