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अनुसूचित जनजातियों पर असम मंत्रिसमूह की रिपोर्ट

Lokesh Pal December 03, 2025 02:08 12 0

संदर्भ

असम विधानसभा में प्रस्तुत मंत्रिसमूह (GoM) की रिपोर्ट में छह अन्य पिछड़ा वर्ग समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने  की अनुशंसा की गई है।

महत्त्वपूर्ण तथ्य 

  • अनुसूचित जनजाति का दर्जा माँगने वाले समुदाय: ताई अहोम, टी जनजाति/आदिवासी, मोरान, मोटोक, चुटिया, कोच-राजबंशी।
  • वर्तमान स्थिति: इन समुदायों की जनसंख्या असम की कुल जनसंख्या का लगभग 27% है और ये वर्तमान में अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी में सूचीबद्ध हैं।

मंत्रिसमूह की पृष्ठभूमि और उसका अधिदेश

  • मंत्रिसमूह का गठन: केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश (वर्ष 2019) पर गठन और दो बार पुनर्गठित।
  • अधिदेश
    • इन छह समुदायों के लिए आरक्षण का परिमाण निर्धारित करना।
    • नई अनुसूचित जनजाति श्रेणी बनाने के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण में संशोधन का सुझाव देना।
    • वर्तमान अनुसूचित जनजाति (मैदानी) और अनुसूचित जनजाति (पहाड़ी) समुदायों के लिए सुरक्षा-प्रावधान सुझाना।

मंत्री समूह रिपोर्ट की प्रमुख अनुशंसाएँ

  • त्रि-स्तरीय अनुसूचित जनजाति वर्गीकरण 
    • नई श्रेणी: अनुसूचित जनजाति (घाटी): ताई अहोम, चुटिया, टी जनजाति/आदिवासी तथा कोच-राजबंशी (अविभाजित गोलपाड़ा को छोड़कर) को शामिल करने की अनुशंसा।
    • वर्तमान स्थिति: वर्तमान में अनुसूचित जनजातियाँ दो वर्गों में हैं- अनुसूचित जनजाति (मैदानी): 10% आरक्षण, अनुसूचित जनजाति (पहाड़ी): 5% आरक्षण।
  • अनुसूचित जनजाति (घाटी) के लिए पृथक आरक्षण व्यवस्था
    • अलग रोस्टर एवं रिक्ति अभिलेख: अनुसूचित जनजाति (घाटी) के लिए राज्य सरकार की सभी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में अनुसूचित जनजाति (मैदानी) और अनुसूचित जनजाति (पहाड़ी) से स्वतंत्र आरक्षण प्रणाली लागू की है।
    • केंद्रीय आरक्षण: राष्ट्र-स्तर पर सभी अनुसूचित जनजातियों को एक समान, एकल श्रेणी के अंतर्गत प्रतिस्पर्द्धा करनी होगी।
  • संसदीय प्रतिनिधित्व
    • मुख्य सीटों का स्थायी आरक्षण:  कोकराझार (अनुसूचित जनजाति-मैदानी) और दिफू (अनुसूचित जनजाति-पहाड़ी) को संवैधानिक संशोधन के माध्यम से स्थायी रूप से आरक्षित रखा जाए।
    • अतिरिक्त आरक्षण: नई अनुसूचित जनजाति (घाटी) श्रेणी जुड़ने से असम की अनुसूचित जनजाति जनसंख्या में वृद्धि होगी, इसलिए अनुसूचित जनजाति (घाटी) के लिए अतिरिक्त संसदीय सीटें आरक्षित की जाएँ।
  • अंतरिम उपाय
    • अन्य पिछड़ा वर्ग का उप-वर्गीकरण: ओबीसी आरक्षण (27%) को सात उप-श्रेणियों (प्रत्येक छह समुदायों के लिए एक और शेष ओबीसी के लिए एक) में विभाजित किया जाएगा ।
    • जनसंख्या-आधारित आरक्षण: प्रत्येक समूह को जनसंख्या के आकार के आधार पर आरक्षण दिया जाएगा, जिसके लिए सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण और गणना की आवश्यकता होगी।
    • स्थानीय निकायों में आरक्षण: पंचायतों, नगर पालिकाओं और शहरी स्थानीय निकायों में इन समूहों को आरक्षण उपलब्ध कराया जाएगा।
    • भूमि संरक्षण कानून: राज्य सरकार ऐसा कानून बनाए, जो इन छह समुदायों और अन्य वर्तमान अनुसूचित जनजातियों की भूमि को बाह्य व्यक्तियों को हस्तांतरित करने पर रोक लगाए।

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