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सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (Assisted Reproductive Technology)

Samsul Ansari January 06, 2024 04:38 469 0

संदर्भ

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों से तलाकशुदा/विधवाओं (Single Women) और अविवाहित महिलाओं की कुल संख्या पर डेटा माँगा है, जिन्होंने सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (Assisted Reproductive Technology- ART) का प्रभावी ढंग से उपयोग किया है। इसका उद्देश्य ART अधिनियम, 2021 के कार्यान्वयन का मूल्यांकन करना है।

संबंधित तथ्य

  • प्रजनन विशेषज्ञों ने तलाकशुदा/विधवाओं (Single Women)/अविवाहित महिलाओं को एक श्रेणी के रूप में शामिल करने के निर्णय का स्वागत किया है।
  • मंत्रालय ने दाताओं एवं रोगियों को बेहतर देखभाल प्रदान करने के लिए सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के तहत सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) संशोधन नियम, 2023 को भी अधिसूचित किया है।
  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सरोगेसी अधिनियम, 2021 के कार्यान्वयन के बाद सरोगेसी का सफलतापूर्वक उपयोग करने वाले कुल जोड़ों और सिंगल वुमेन का श्रेणीवार डेटा भी माँगा था।
    • सफल ART मामलों का डेटा साझा करने का अनुरोध विभिन्न ART क्लीनिकों की सफलता दर से संबंधित जानकारी देगा।

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF)

  • IVF सहायक प्रजनन की एक विधि है, जिसमें महिला (मादा) के अंडे एवं पुरुष (नर) के शुक्राणुओं को शरीर के बाहर एक प्रयोगशाला में निषेचित किया जाता है।
  • फिर इस निषेचित अंडे (भ्रूण) को महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है, जहाँ वह गर्भाशय की परत में चिपक जाता है एवं वृद्धि करता है।

सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (ART) सेवाएँ क्या हैं?

  • ART में मानव शरीर के बाहर शुक्राणु या अंडाणु (अपरिपक्व अंड कोशिका) को सँभालकर एवं युग्मक या भ्रूण को एक महिला की प्रजनन प्रणाली में स्थानांतरित करके गर्भावस्था प्राप्त करने की तकनीक शामिल होती है।
  • इनमें युग्मक दान (शुक्राणु या अंडे का), इन विट्रो निषेचन एवं गर्भकालीन सरोगेसी शामिल हैं।

सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) अधिनियम, 2021

  • परिचय: भारत में ART क्लीनिक और बैंकों के अभ्यास को विनियमित करने के लिए अधिनियम 20 दिसंबर, 2021 को पारित किया गया था।
  • उद्देश्य: यह सहायक प्रजनन के तेजी से विकसित हो रहे क्षेत्र में उचित पर्यवेक्षण, विनियमन, लाइसेंसिंग और अच्छी नैतिक प्रथाओं को सुनिश्चित करने से संबंधित है।
  • महत्त्व: इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) तकनीक के आगमन के साथ, देश में ART क्लीनिकों में वृद्धि हुई है, जिससे प्रजनन उपचार चाहने वाली महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए पर्यवेक्षण और विनियमन की आवश्यकता उत्पन्न हो गई है।

इस अधिनियम की विशेषताएँ

  • ART सेवाओं का प्रावधान: ART सेवाएँ, ART क्लीनिकों जो ART से संबंधित उपचार और प्रक्रियाएँ प्रदान करते हैं तथा ART बैंक, जो युग्मकों को एकत्र करते हैं स्क्रीनिंग करते हैं एवं संगृहीत करते हैं, के माध्यम से प्रदान की जाएँगी।
  • ART क्लीनिकों एवं बैंकों का पंजीकरण: इस अधिनियम के तहत, एक राष्ट्रीय रजिस्ट्री तैयार की जाएगी, जो देश के सभी ART क्लीनिकों एवं बैंकों के विवरण के साथ एक केंद्रीय डेटाबेस के रूप में कार्य करेगी।
    • केंद्र और राज्य सरकारों को पंजीकरण संबंधी सेवाओं का समर्थन करने के लिए उचित अधिकारियों की नियुक्ति करनी होगी।

सरोगेसी अधिनियम, 2021

  • यह वाणिज्यिक सरोगेसी पर प्रतिबंध लगाता है और उन इच्छुक जोड़ों के लिए परोपकारी सरोगेसी की अनुमति देता है, जो सिद्ध बाँझपन से पीड़ित हैं।
  • सरोगेसी प्रक्रिया से पैदा हुआ बच्चा, इच्छुक जोड़े या महिला का जैविक बच्चा (Biological Child) माना जाएगा।
  • निर्धारित शर्तों को छोड़कर सरोगेसी के किसी भी चरण में गर्भपात निषिद्ध है।

  • राष्ट्रीय और राज्य बोर्ड: सरोगेसी अधिनियम, 2021 के तहत गठित ये बोर्ड ART सेवाओं के विनियमन के लिए राष्ट्रीय और राज्य बोर्ड के रूप में भी कार्य करेंगे। 
  • क्लीनिकों का पंजीकरण: केंद्र सरकार उपयुक्त सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी एवं सरोगेसी प्राधिकरण (Appropriate Assisted Reproductive Technology and Surrogacy Authority) के तहत अधिकारियों की नियुक्ति करेगी, जो सरोगेसी एवं ART सेवाओं दोनों के लिए क्लीनिकों के पंजीकरण को विनियमित करेगी। 
    • राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर प्राधिकरणों का गठन किया जाएगा।
  • कमीशनिंग पक्षों के लिए पात्रता मानदंड: ART सेवाएँ सिंगल वुमेन या विवाहित जोड़ों द्वारा कमीशन की जा सकती हैं, जहाँ महिला की उम्र 21 से 50 वर्ष के बीच है एवं पुरुष की उम्र 21 से 55 वर्ष के बीच है तथा विवाहित जोड़े बाँझ होने चाहिए।
    • विदेशियों को ART सेवाओं का लाभ उठाने से प्रतिबंधित नहीं किया गया है। 
  • दाताओं के लिए पात्रता मानदंड: एक ART बैंक 21 से 55 वर्ष की आयु के पुरुषों से वीर्य प्राप्त कर सकता है एवं 23 से 35 वर्ष की आयु की महिलाओं से अंडे प्राप्त कर सकता है। 
    • महिला अपने जीवन में केवल एक बार अंडे दान कर सकती है एवं सात से अधिक अंडे उससे प्राप्त नहीं किए जा सकते हैं। 
    • एक बैंक को एक से अधिक कमीशनिंग पार्टियों (अर्थात् सेवा चाहने वाले जोड़े या सिंगल वुमेन) को एक ही दाता के युग्मकों की आपूर्ति नहीं करनी चाहिए।
  • सेवाएँ प्रदान करने की शर्तें: ART प्रक्रियाएँ केवल कमीशनिंग पक्षों एवं दाता की लिखित सहमति से ही आयोजित की जानी चाहिए। 
    • आनुवंशिक रोग स्क्रीनिंग: क्लीनिकों को प्रत्यारोपण से पहले आनुवंशिक बीमारियों की जाँच करना आवश्यक है तथा उन्हें कोई भी लिंग-चयनात्मक सेवाएँ (जैसे- लिंग निर्धारण) प्रदान करने से प्रतिबंधित किया जाता है।
    • दाता के लिए बीमा कवरेज: ART सेवाएँ चाहने वाले पक्षों को अंडाणु दाता के पक्ष में बीमा कवरेज (दाता की किसी भी हानि, क्षति या मृत्यु के लिए) प्रदान करना होगा।

सरोगेसी अधिनियम 2021 ART अधिनियम 2021 
पाँच साल तक असुरक्षित यौन संबंध के बाद गर्भधारण करने में असमर्थता को बाँझपन कहा जाता है।  असुरक्षित यौन संबंध के एक वर्ष बाद गर्भधारण करने में असमर्थता को बाँझपन कहा जाता है।
एक बाँझपन उपचार, जहाँ एक तीसरा पक्ष, एक महिला, सरोगेट माँ होती है।  उपचार का लाभ कमीशनिंग दंपत्ति द्वारा स्वयं लिया जा सकता है और यह हमेशा आवश्यक नहीं है कि कोई तीसरा व्यक्ति शामिल हो।
सरोगेसी की अनुमति केवल भारतीय विवाहित जोड़ों को ही है।  ART प्रक्रियाएँ विवाहित जोड़ों, लिव-इन पार्टनर्स, एकल महिलाओं एवं विदेशियों के लिए भी खुली हैं।
भारत में विदेशियों या भारतीय विदेशी नागरिकता (Overseas Citizen of India-OCI) या भारतीय मूल का व्यक्ति (Persons of Indian Origin- PIO) कार्डधारकों द्वारा सरोगेसी करना प्रतिबंधित है, लेकिन भारतीय नागरिकता रखने वाले NRIs सेरोगेसी का लाभ उठा सकते हैं।

  • ART के माध्यम से पैदा हुए बच्चे के अधिकार: ART के माध्यम से पैदा हुए बच्चे को कमीशनिंग जोड़े का जैविक बच्चा माना जाता है एवं कमीशनिंग जोड़े के प्राकृतिक बच्चे के लिए उपलब्ध अधिकारों और विशेषाधिकारों का हकदार बनाया जाता है।
    • दाता के पास बच्चे पर माता-पिता का कोई अधिकार नहीं होगा।
  • ART क्लीनिकों और ART बैंकों के कर्तव्य:  ART क्लीनिकों और ART बैंकों को कमीशनिंग पार्टियों और दाताओं के नामांकन की प्रक्रियाओं एवं प्रक्रिया के परिणाम से संबंधित जानकारी राष्ट्रीय रजिस्ट्री के साथ साझा करनी होती है। 
    • सभी दाता के रिकॉर्ड को कम-से-कम 10 वर्षों तक बनाए रखना होगा , जिसके बाद रिकॉर्ड को राष्ट्रीय रजिस्ट्री में स्थानांतरित कर दिया जाता है।  
  • सरोगेसी को विनियमित करना: अधिनियम सरोगेसी के उपचार को अपने दायरे में लाता है एवं इसलिए सरोगेट माताओं के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करवाई जाती है। 

ART अधिनियम 2021 के साथ चुनौतियाँ

  • गोपनीयता उल्लंघन की चिंताएँ: ART क्लीनिकों एवं ART बैंकों को दाताओं तथा कमीशनिंग पक्षों की व्यक्तिगत जानकारी राष्ट्रीय रजिस्ट्री के साथ साझा करने की आवश्यकता से उनके गोपनीयता अधिकारों के उल्लंघन का खतरा बना रहता है।
  • दाताओं के लिए परामर्श के लिए कोई प्रावधान नहीं: जबकि ART अधिनियम, ART क्लीनिकों को ART प्रक्रियाओं की सफलता की संभावनाओं के संबंध में कमीशनिंग पार्टियों को परामर्श सेवाएँ प्रदान करने का आदेश देता है, लेकिन दाताओं के लिए परामर्श से संबंधित प्रावधानों का अभाव है।
  • दाताओं के लिए सहमति का अभाव: भ्रूण या युग्मक को महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित करने से पहले कमीशनिंग पार्टियाँ सहमति वापस ले सकती हैं। हालाँकि, दानदाताओं को अपनी सहमति वापस लेने के समान अधिकार नहीं दिए गए हैं। 
  • पेशेवरों की योग्यता के मुद्दे का समाधान नहीं: यह अधिनियम ART क्लीनिकों एवं ART बैंकों में काम करने वाले पेशेवरों की योग्यता, अनुभव और वांछित कौशल के मुद्दे का समाधान नहीं करता है।
  • गोद लेने का कोई विनियमन नहीं: असफल प्रजनन उपचार के बाद आम तौर पर जोड़े द्वारा गोद लेने का प्रयास किया जाता है। हालाँकि, भारत में गोद लेना अनियमित है।
  • कार्यान्वयन में चुनौतियाँ: देश में संचालित अनेक ART क्लीनिकों एवं ART बैंकों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण है।
    • इस अधिनियम के सभी पहलुओं का अनुपालन सुनिश्चित करना, विशेष रूप से गैर-अनुपालन के लिए जुर्माने एवं अन्य दंडों को सख्ती से लागू करना, राष्ट्रीय और राज्य ART तथा सरोगेसी बोर्ड दोनों के लिए एक कठिन कार्य है। 
    • चूँकि स्वास्थ्य राज्य का एक विषय है। इसलिए प्रत्येक राज्य को अपनी सहूलियत के लिए उपयुक्त संदर्भ विशिष्ट नियम बनाने होंगे। 
  • उपयुक्त दाताओं को ढूँढने में कठिनाई: प्रतिबंध ART जोड़ों के लिए उपयुक्त दाताओं को खोजने के अवसरों को काफी हद तक सीमित कर देते हैं। 
    • भारत, बाकी दुनिया की तरह, प्रजनन दर में कमी का सामना कर रहा है और उपलब्ध दाताओं को और सीमित करने से कमीशनिंग पक्षों के लिए समस्याएँ बढ़ गई हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय सरोगेसी अनुबंधों से संबंधित चिंताएँ: अंतरराष्ट्रीय जोड़ों और सरोगेसी सेवाएँ प्रदान करने वाली स्थानीय महिलाओं के बीच सरोगेसी अनुबंधों पर हस्ताक्षर करने से कानूनी जटिलताएँ उत्पन्न होती हैं।

आगे की राह

  • गोपनीयता अधिकारों की रक्षा करना: जैसा कि स्थायी समिति की सिफारिश की गई है, मरीजों और कमीशनिंग जोड़ों के व्यक्तिगत डेटा को एक फॉर्म में परिवर्तित किया जाना चाहिए ताकि उनकी गोपनीयता बनाए रखी जा सके।
    • डेटा को एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए एकत्र किया जाना चाहिए और उस उद्देश्य के लिए आवश्यक अवधि तक रखा जाना चाहिए। 
  • अंतरराष्ट्रीय सरोगेसी अनुबंधों को संबोधित करना: सरोगेसी अनुबंधों से उत्पन्न होने वाले किसी भी विवाद को संबोधित करने के लिए एक विस्तृत प्रावधान होना चाहिए। 
    • भारत जैसे विकासशील देश में सरोगेसी सेवाएँ चाहने वाले विकसित देशों के कई अंतरराष्ट्रीय जोड़ों की भागीदारी को देखते हुए यह महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
  • गोद लेने के विनियमन के लिए प्रावधान: ART और सरोगेसी के साथ-साथ गोद लेने के विनियमन पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।

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