100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

डायनासोर की समाप्ति के लिए उत्तरदायी क्षुद्रग्रह

Lokesh Pal August 19, 2024 03:00 66 0

संदर्भ

हाल ही में जर्नल साइंस में प्रकाशित एक अध्ययन ने पुष्टि की है कि 66 मिलियन वर्ष पहले डायनासोर के विलुप्त होने का कारण बृहस्पति ग्रह की कक्षा से बाहर निर्मित हुआ एक क्षुद्रग्रह था।

  • अवसादी नमूनों और रूथेनियम (Ruthenium) समस्थानिकों का विश्लेषण करके, शोधकर्ताओं ने पिछले धूमकेतु सिद्धांतों को खारिज करते हुए, इस क्षुद्रग्रह को कार्बनयुक्त क्षुद्रग्रह या C-टाइप के क्षुद्रग्रह के रूप में पहचाना। ये निष्कर्ष अंतरिक्ष की घटनाओं और पृथ्वी के इतिहास की समझ को और गहरा करते हैं।

हालिया खोज के बारे में

इस खोज से पता चलता है कि सामूहिक विलुप्ति उन घटनाओं की श्रृंखला का परिणाम थी जो सौरमंडल की उत्पत्ति के दौरान ही शुरू हो गयी थी।

  • विश्लेषण: शोधकर्ताओं ने 37 मिलियन से 470 मिलियन वर्ष पूर्व के पाँच अन्य क्षुद्रग्रहों की टक्कर के साक्ष्यों का विश्लेषण किया तथा पाया कि वे सभी S-टाइप के थे, जो कार्बनयुक्त क्षुद्रग्रह के टक्कर की दुर्लभता को दर्शाता है।

  • एक नई खोज: इन निष्कर्षों ने पहले के उस सिद्धांत को खारिज कर दिया कि क्रेटेशियस-पैलियोजीन विलुप्ति (Cretaceous–Paleogene Extinction) की घटना किसी क्षुद्रग्रह के बजाय धूमकेतु से प्रारंभ हुई थी।
    • पृथ्वी पर गिरने वाले सभी उल्कापिंड, जो C-टाइप और चट्टानी S-टाइप क्षुद्रग्रहों के टुकड़े हैं, क्षुद्रग्रह बेल्ट से उत्पन्न होते हैं। इसलिए यह सबसे अधिक संभावना है कि (अंतिम-क्रेटेशियस) यह क्षुद्रग्रह भी क्षुद्रग्रह बेल्ट से उत्पन्न होता है।
  • टक्कर: क्रिटेशियस काल के अंत में हुए टकराव से ‘चिक्सुलब क्रेटर’ (Chicxulub Crater) 180 किमी. चौड़ा और 20 किमी. गहरा हो गया। 
    • मृदा की परत में इरीडियम (Iridium), रूथेनियम (Ruthenium), ऑस्मियम (Osmium), रोडियम (Rhodium), प्लैटिनम (Platinum) और पैलेडियम (Palladium) जैसी धातुएँ प्रचुर मात्रा में पाई जाती हैं, जो पृथ्वी पर तो दुर्लभ हैं, लेकिन क्षुद्रग्रहों में सामान्य हैं।
    • डायनासोर पर प्रभाव: डायनासोरों का लंबे समय तक इस पृथ्वी पर अस्तित्त्व था, लेकिन पक्षी वर्ग को छोड़कर, वे सभी इस टक्कर के बाद नष्ट हो गए, साथ ही टेरोसॉरस नामक उड़ने वाले सरीसृप, बड़े समुद्री सरीसृप और कई समुद्री प्लवक प्रजातियों सहित अन्य समुद्री जीवन भी नष्ट हो गए।
      • स्तनधारियों ने इस घटना के प्रति खुद को अनुकूलित कर लिया, जिससे इन रोयेंदार जीवों को अंततः भूमि पर प्रभुत्व प्राप्त हो गया और लगभग 300,000 वर्ष पूर्व हमारी प्रजाति के उद्भव के लिए मंच तैयार हो गया।
  • रूथेनियम (Ruthenium) संबंधी अध्ययन: भू-रसायनज्ञों ने चिक्सुलब क्रेटर (Chicxulub Crater) के 3 स्थलों से नमूने प्राप्त किए, तथा पिछले 3.5 अरब वर्षों में 8 अन्य क्षुद्रग्रह टकराव स्थलों से चट्टानों की तुलना की। जिसमें रूथेनियम संबंधी अध्ययन किया गया, विशेष रूप से, मिट्टी की परत में मौजूद इसके समस्थानिकों के अनुपात पर।
    • मिट्टी की परत लगभग पूरी तरह से क्षुद्रग्रहों से प्राप्त रूथेनियम से बनी है, न कि पृष्ठभूमि तलछट से, और रूथेनियम आंतरिक और बाहरी सौर मंडल सामग्री के बीच अलग समस्थानिक संरचना दर्शाता है।
    • रूथेनियम के सात समस्थानिक हैं, जिनमें से तीन विशेष रूप से खोज में महत्वपूर्ण हैं। रूथेनियम समस्थानिक अनुपात अन्य ज्ञात कार्बनयुक्त क्षुद्रग्रहों से मेल खाता है।
      • समस्थानिक एक ही तत्व के परमाणु होते हैं जिनके द्रव्यमान में थोड़ा अंतर होता है, क्योंकि उनमें न्यूट्रॉन नामक उप-परमाण्विक कणों की संख्या भिन्न होती है।
    • चिक्सुलब संघातक (Chicxulub Impactor) में रूथेनियम समस्थानिक, आंतरिक सौर मंडल के सिलिसियस क्षुद्रग्रह की अपेक्षा, बाहरी सौर मंडल के कार्बनयुक्त क्षुद्रग्रह के लिए उपयुक्त थे।
    • पृथ्वी की चट्टानों में रूथेनियम अत्यंत दुर्लभ है, इसलिए नमूने पृथ्वी से टकराने वाले खगोलीय पिंड की पुष्टि करते हैं।
    • इसके अलावा, विशिष्ट रूथेनियम समस्थानिक वैज्ञानिकों को यह पता लगाने में मदद कर सकता है कि सौरमंडल में कोई क्षुद्रग्रह कहाँ से आया है।
  • घटनाओं की घातक श्रृंखला: कंप्यूटर सिमुलेशन ने कई ऐसी स्थितियाँ दर्शाई हैं जिनमें बाह्य सौरमंडल से किसी वस्तु को उसकी कक्षा से बाहर खींचकर पृथ्वी की ओर लाया जा सकता है। 
    • इसके पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं, जैसे अन्य क्षुद्रग्रहों से टकराना या ग्रहों और सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल।
    • पृथ्वी से टकराव: यदि किसी क्षुद्रग्रह की सामान्य कक्षा बाधित होती है, तो पृथ्वी से टकराव की संभावना बहुत कम होती है। वर्ष 2021 के एक अध्ययन में पाया गया कि पृथ्वी के 250 मिलियन वर्षों में केवल एक बार बड़े क्षुद्रग्रहों से टकराने की संभावना है।
      • यद्यपि मानवता के जीवनकाल में ऐसी टक्कर घटित होने की संभावना नहीं है, लेकिन यदि ऐसा हुआ तो यह घातक होगा।
      • क्षुद्रग्रह के प्रभाव से वायु में फैली भारी मात्रा में सल्फर, धूल और कालिख ने सूर्य को आंशिक रूप से ढक दिया, तथा पृथ्वी पर तापमान में कमी ला दी तथा पौधों एवं पादप प्लवक में प्रकाश संश्लेषण को बाधित कर दिया।
        • इससे पारिस्थितिकी तंत्र में भारी व्यवधान उत्पन्न हुआ, जिसके कारण अंततः बहुत कम जीव जीवित बच सके।

क्षुद्रग्रह और उनसे खतरे 

क्षुद्रग्रहों को कभी-कभी लघु ग्रह भी कहा जाता है, ये चट्टानी, वायुहीन अवशेष हैं जो लगभग 4.6 अरब वर्ष पहले हमारे सौर मंडल के प्रारंभिक निर्माण के दौरान बचे थे।

  • मात्रा: नासा के अनुसार, वर्तमान में ज्ञात क्षुद्रग्रहों की संख्या 1,113,527 है।
    • प्रत्येक दिन हजारों क्षुद्रग्रह उल्काओं और उल्कापिंडों के रूप में पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं, लेकिन वे इतने बड़े नहीं होते कि ज्यादा नुकसान पहुँचा सकें।

  • क्षुद्रग्रह का निर्माण: सौरमंडल का निर्माण लगभग 4.6 अरब वर्ष पहले शुरू हुआ था, जिसकी शुरुआत गैस एवं धूल के घने बादल के रूप में हुई थी, जिसने अंततः विखंडित होकर आकाशीय पिंडों का आकार ले लिया।
    • उच्च तापमान: निर्माण के दौरान, आण्विक बादल के आंतरिक क्षेत्रों में तापमान इतना अधिक था कि वाष्पशील रसायन (जो वाष्प रूप में हो सकते हैं) संघनित नहीं हो सके।
    • संघटन: परिणामस्वरूप, वहाँ उत्पन्न क्षुद्रग्रहों में वाष्पशील पदार्थों का स्तर कम था, तथा वे सिलिकेट खनिजों से समृद्ध हो गए (जो पृथ्वी की 90% सतह बनाते हैं)।
      • आगे निर्मित क्षुद्रग्रह ‘कार्बोनेसियस’ बन गए, जिनमें बहुत सारा कार्बन और वाष्पशील रसायन थे।
      • सौरमंडल की सबसे प्राचीन वस्तुओं में से एक C-टाइप के क्षुद्रग्रह सबसे सामान्य क्षुद्रग्रह प्रकार हैं, इसके बाद पत्थर के S-टाइप के क्षुद्रग्रह और दुर्लभ धातु के M-टाइप के क्षुद्रग्रह हैं। क्षुद्रग्रहों के बीच संरचनागत अंतर इस बात से उत्पन्न होता है कि वे सूर्य से कितनी दूरी पर बने हैं।
        • C-टाइप के क्षुद्रग्रह बाहरी सौरमंडल के गैस और बर्फ ग्रहों के बचे हुए निर्माण खंडों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
        • S-टाइप के क्षुद्रग्रह आंतरिक सौरमंडल में पृथ्वी जैसे स्थलीय ग्रहों के प्राथमिक निर्माण खंड हैं।
    • बाह्य सौरमंडल में बनने के बाद, यह क्षुद्रग्रह संभवतः बाद में अंदर की ओर चला गया और मंगल एवं बृहस्पति के बीच मुख्य क्षुद्रग्रह बेल्ट का हिस्सा बन गया।
  • कक्षाएँ (Orbits): अधिकांश क्षुद्रग्रह, मुख्य क्षुद्रग्रह बेल्ट के भीतर मंगल और बृहस्पति के बीच सूर्य की परिक्रमा करते हुए पाए जा सकते हैं, तथा कुइपर बेल्ट में भी पाए जा सकते हैं।
  • आकार प्रोफाइल: क्षुद्रग्रहों का आकार विभिन्न प्रकार का है, जिनमें सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह ‘वेस्टा’ है, जिसका व्यास लगभग 329 मील (530 किलोमीटर) है, तथा अन्य क्षुद्रग्रहों का व्यास 33 फीट (10 मीटर) से भी कम है।
  • द्रव्यमान (Mass): सभी क्षुद्रग्रहों का कुल द्रव्यमान पृथ्वी के चंद्रमा के द्रव्यमान से भी कम है।
  • पृथ्वी के लिए खतरा
    • सामूहिक विलुप्ति का कारण: ऐसा माना जाता है कि क्षुद्रग्रह ही डायनासोर के विलुप्त होने का कारण बने।
    • चेल्याबिंस्क उल्का विस्फोट (Chelyabinsk Meteor Explosion): वर्ष 2013 में, एक 20 मीटर चौड़ा क्षुद्रग्रह रूसी शहर से लगभग 30 किमी. ऊपर फटा, जिससे उत्पन्न ऊर्जा हिरोशिमा पर विस्फोटित परमाणु बम से उत्पन्न ऊर्जा से 26 से 33 गुना अधिक थी।
      • रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, हालाँकि इस ऊर्जा का अधिकांश भाग वायुमंडल द्वारा अवशोषित कर लिया गया, लेकिन प्रघाती तरंगें जमीन तक पहुँच गईं, पेड़ों को ध्वस्त कर दिया, इमारतों को नुकसान पहुँचाया और 1,491 लोग घायल हो गए।
        • शॉक वेव्स (Shock Waves) ध्वनि तरंगें हैं। ये विस्फोट या बिजली गिरने जैसी विस्फोटक घटनाओं के दौरान वायुमंडल में उत्पन्न होती हैं।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.