100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

भारत में ऑरोरा लाइट्स

Lokesh Pal May 18, 2024 04:15 132 0

संदर्भ  

इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, बेंगलूरू (IIA) के खगोलविदों द्वारा हानले, लद्दाख में भारतीय खगोलीय वेधशाला (Indian Astronomical Observatory) के चारों ओर स्थित एक ऑल-स्काई कैमरे के माध्यम से ऑरोरा लाइट्स की छवियों को कैप्चर किया था। 

संबंधित तथ्य 

संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम, रूस आदि सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में भी ऑरोरा लाइट्स देखी गई हैं, जबकि दक्षिणी लाइट्स (ऑरोरा ऑस्ट्रेलिस) न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में देखी गई थी।

ऑरोरा के बारे में 

  • ऑरोरा चमकदार और रंगीन लाइट्स हैं, जो अंतरिक्ष में आवेशित सौर पवन कणों एवं पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर (Magnetosphere) के बीच सक्रिय संपर्क के कारण निर्मित होती हैं।
    • जैसे ही सौर वायु पृथ्वी के पास आती है, यह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से विक्षेपित हो जाती है, जो एक सुरक्षा कवच की तरह कार्य करती है।

  • सौर हवाएँ: यह सूर्य के वायुमंडल से आवेशित कणों को बाहर निकालती हैं, जो अधिकतर प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉनों से बने होते हैं।
  • मैग्नेटोस्फीयर: यह पृथ्वी के चारों ओर का चुंबकीय क्षेत्र होता  है, जो पृथ्वी को सौर हवाओं से सुरक्षा प्रदान करता है और ध्रुवों पर सबसे मजबूत होता है।
  • कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs): सूर्य की सतह पर सबसे बड़े विस्फोटों में से एक है जिसमें अंतरिक्ष में कई मिलियन मील प्रति घंटे की गति से एक अरब टन पदार्थ हो सकता है।
    • सबसे तेज पृथ्वी-निर्देशित CMEs हमारी पृथ्वी तक 15-18 घंटों में पहुँच सकते हैं।

  • हालाँकि, कुछ आवेशित कण चुंबकीय क्षेत्र में फँस जाते हैं और वे उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों पर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं से नीचे पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में चले जाते हैं।
  • वायुमंडलीय तत्त्वों के साथ अंतःक्रिया: ये कण वायुमंडल में मौजूदा विभिन्न गैसों के साथ क्रिया करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप रात के आकाश में प्रकाश की छोटी-छोटी लाइट्स दिखाई देती हैं।
    • जब सौर वायु के कण ऑक्सीजन से टकराते हैं तो हरे रंग का प्रकाश उत्पन्न होता है। नाइट्रोजन के साथ अंतःक्रिया से नीले और बैंगनी रंग उत्पन्न होते हैं।
    • उदाहरण: निऑन लाइट में गैस के माध्यम से प्रवाहित होने वाले इलेक्ट्रॉन कैसे निऑन एवं अन्य गैसों से टकराकर अलग-अलग रंग के प्रकाश को उत्पन्न करते हैं।
  • परंपरागत दृष्टिकोण: ऑरोरा प्रकाश को  आमतौर पर पूरे वर्ष उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के उच्च अक्षांश क्षेत्रों में देखा जाता है।
    • इस घटना को उत्तरी गोलार्द्ध में नॉर्दन लाइट्स (ऑरोरा बोरेलिस) और दक्षिणी गोलार्द्ध में सदर्न लाइट्स (ऑरोरा ऑस्ट्रेलिस) के रूप में जाना जाता है।

लद्दाख से ऑरोरा क्यों दिखाई देते हैं? 

  • सौर प्रज्वाला गतिविधियों में वृद्धि: जब सौर हवा बेहद तीव्र होती है तो ऑरोरा मध्य अक्षांश तक फैल जाता है, जिससे सौर प्रज्वाला और कोरोनल मास इजेक्शन (CME) होता है, जिसके परिणामस्वरूप भू-चुंबकीय तूफान (पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में एक अस्थायी विचलन) हो सकता है। 
  • वर्तमान घटना: एक CME के पृथ्वी से टकराने के बाद एक भू-चुंबकीय तूफान शुरू हो गया था, नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) ने तूफान को ‘चरम’ के रूप में वर्गीकृत किया था। 12 मई, 2024 तक कोरोनल मास इजेक्शन की एक शृंखला के पृथ्वी की ओर आने की भविष्यवाणी की गई है।
    • केवल 2 दिनों में पृथ्वी पर कम-से-कम चार तीव्र सौर तूफान आए, जिससे पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर में बड़ा विचलन उत्पन्न हुआ है। 
  • इन तूफानों का स्रोत: यह एक सक्रिय सनस्पॉट क्षेत्र AR13664 से था, जो कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) उत्सर्जित कर रहा था।
    • पृथ्वी की ओर सौर प्रज्वालाएँ 815 किमी./सेकंड की गति से यात्रा कर रही हैं, जो अन्यथा शांत अंतरिक्ष मौसम को प्रभावित कर रही हैं।
  • तूफान की तीव्रता: वर्तमान सौर तूफान गतिविधियाँ काफी तीव्र हैं और औसत स्तर से ऊपर दर्ज की गई हैं, इसी तरह की सौर तूफान घटना नवंबर 2003 में देखी गई थी।

सौर तूफानों का प्रभाव

  • उपग्रहों की भेद्यता: सौर तूफान निम्न पृथ्वी कक्षा (Low Earth Orbit- LEO) (200-1,600 किमी.) में सक्रिय उपग्रहों के सुचारू संचालन में बाधा डाल सकते हैं और उन्हें खतरे में डाल सकते हैं, जिनका उपयोग नेविगेशन, सैन्य, खुफिया, संचार आदि जैसे कई उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
  • विकिरण में वृद्धि: यह उच्च अक्षांशों पर उड़ानों पर मनुष्यों, विशेष रूप से एयरलाइन चालक दल और यात्रियों के लिए स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न कर सकता है, क्योंकि सौर तूफान के दौरान पृथ्वी के वायुमंडल के ऊपरी हिस्सों तक पहुँचने वाले सौर और ब्रह्मांडीय विकिरण की मात्रा बढ़ जाती है।
  • उपग्रहों पर ड्रैग प्रभाव: अत्यधिक ड्रैग का अर्थ उपग्रहों को असहनीय मात्रा में घर्षण का सामना करना पड़ सकता है, जो अधिकता वाले मामलों में उपग्रहों को प्रज्वलित और जला सकता है, जिससे उनका संचालन पूरी तरह से बंद हो सकता है।
  • विद्युत कटौती: वे विद्युत प्रणालियों पर अधिभार डालने के लिए भू-चुंबकीय रूप से प्रेरित धाराओं (Geomagnetically Induced Currents- GICs) को प्रेरित कर सकते हैं, जिससे वोल्टेज विनियमन समस्याएँ, ट्रांसफार्मर क्षति और बड़े पैमाने पर विद्युत कटौती हो सकती है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.