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भारत में विमानन सुरक्षा

Lokesh Pal December 31, 2024 03:48 51 0

संदर्भ

दिसंबर 2024 में हुई घातक विमान दुर्घटनाओं की शृंखला, जिसमें हाल ही में हुई जेजू एयर दुर्घटना भी शामिल है, ने सैकड़ों लोगों की जान ले ली है और विमानन सुरक्षा को लेकर चिंताएँ उत्पन्न कर दी हैं।

संबंधित तथ्य 

  • गोवा के मोपा हवाई अड्डे पर एयर इंडिया एयरबस A320 विमान से जुड़ी हाल की घटना भारतीय विमानन के लिए एक और चेतावनी है।

भारत में नागरिक विमानन के बारे में

  • भारत में नागरिक विमानन उद्योग पिछले तीन वर्षों के दौरान देश में सबसे तेजी से बढ़ते उद्योगों में से एक के रूप में उभरा है।
  • इसे व्यापक रूप से वर्गीकृत किया जा सकता है
    • अनुसूचित हवाई परिवहन सेवा जिसमें घरेलू तथा अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस शामिल हैं,
    • गैर-अनुसूचित हवाई परिवहन सेवा, जिसमें चार्टर ऑपरेटर तथा एयर टैक्सी ऑपरेटर शामिल होते हैं, एयर कार्गो सेवा, जिसमें कार्गो और मेल का हवाई परिवहन शामिल होता है।

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (Directorate General of Civil Aviation- DGCA)

  • DGCA भारत में एक नियामक संस्था है, जो नागरिक विमानन सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है।
  • जिम्मेदारियाँ: हवाई परिवहन सेवाओं को विनियमित करना, हवाई सुरक्षा और उड़ान योग्यता मानकों को लागू करना तथा अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन के साथ समन्वय करना।
  • मुख्यालय: नई दिल्ली।

भारत में नागरिक विमानन से संबंधित अन्य संगठन

  • नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (Bureau of Civil Aviation Security- BCAS): हवाई परिवहन सुरक्षा एवं संरक्षा के लिए उत्तरदायी।
  • भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (Airports Authority of India- AAI): हवाई अड्डे के रखरखाव और सुधार के लिए जिम्मेदार।
  • हवाई अड्डा आर्थिक विनियामक प्राधिकरण (Airports Economic Regulatory Authority- AERA): वैमानिकी सेवाओं और हवाई अड्डा शुल्कों को विनियमित करने तथा प्रमुख हवाई अड्डों के प्रदर्शन मानकों की निगरानी के लिए जिम्मेदार।
  • विमान दुर्घटना जाँच ब्यूरो (Aircraft Accident Investigation Bureau- AAIB): एक संगठन जो विमान दुर्घटनाओं की जाँच करता है।

भारतीय नागरिक विमानन क्षेत्र की स्थिति

पहलू

विवरण

विकास तथा बाजार का आकार भारत विश्व स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाजार है, जिसके वर्ष 2030 तक दूसरा सबसे बड़ा बाजार बन जाने का अनुमान है।
यात्री आवागमन वित्त वर्ष 2023-24 में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों सहित 341 मिलियन यात्रियों को लाभान्वित किया जाएगा।
बेड़े का आकार भारतीय विमानन कंपनियाँ 700 से अधिक विमानों का बेड़ा संचालित करती हैं, जिसके वर्ष 2030 तक बढ़कर 1,200 से अधिक हो जाने की उम्मीद है।
नियामक प्राधिकरण नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA)
हवाई अड्डे तथा बुनियादी ढाँचा  148 परिचालन हवाई अड्डे, वर्ष 2025 तक 220 हवाई अड्डों तक पहुँचने के लिए विस्तार परियोजनाएँ चल रही हैं (उड़ान पहल)। AAI  की योजना के अनुसार, वर्ष 2047 तक भारत में 300 हवाई अड्डे होंगे।
UDAN योजना वंचित तथा वंचित क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए उड़े देश का आम नागरिक (Ude Desh Ka Aam Naagrik- UDAN) योजना शुरू की गई।
रोजगार  यह क्षेत्र प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 4 मिलियन नौकरियाँ प्रदान करता है तथा आर्थिक विकास में योगदान देता है।
कार्गो यातायात वित्त वर्ष 2023-24 में 3.4 मिलियन मीट्रिक टन एयर कार्गो का प्रबंधन किया गया, जो ई-कॉमर्स और निर्यात का प्रमुख चालक है।
FDI नीति अनुसूचित हवाई परिवहन सेवाओं में 100% तक FDI की अनुमति (स्वचालित मार्ग से 49%)।

विमानन क्षेत्र के लिए प्रमुख सुरक्षा चिंताएँ

  • रनवे सुरक्षा मुद्दे: रनवे पर अतिक्रमण, भ्रमण और भ्रम अक्सर सुरक्षा संबंधी चिंताएँ हैं।
    • IATA वर्ष 2023 सुरक्षा रिपोर्ट के अनुसार, 50% से अधिक दुर्घटनाएँ लैंडिंग या टेकऑफ के दौरान होती हैं।
    • वर्ष 2024 में गोवा एयर इंडिया टैक्सीवे त्रुटि, रनवे भ्रम को उजागर करती है। कोझिकोड (वर्ष 2020) तथा मंगलूरू (वर्ष 2010) दुर्घटनाएँ रनवे ओवररन के कारण हुई थीं, जिसके कारण सामूहिक रूप से 179 मौतें हुईं।
  • पक्षियों का टकराना: इंजन में पक्षियों के घुसने और विंडशील्ड पर पक्षियों के टकराने से इंजन में खराबी या संरचनात्मक क्षति हो सकती है।
    • दक्षिण कोरिया विमान दुर्घटना (वर्ष 2024) में 179 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें पक्षी के टकराने का संदेह है। प्रसिद्ध यूएस एयरवेज फ्लाइट 1549 (वर्ष 2009) पक्षी के टकराने के कारण दोनों इंजन फेल हो जाने के बाद हडसन नदी में क्रैश हो गई।
    • लैंडफिल के निकट या खराब वन्यजीव प्रबंधन वाले हवाई अड्डों पर पक्षियों के टकराने की दर अधिक देखी जाती है, जैसे कि वर्ष 2019 में अहमदाबाद हवाई अड्डा (प्रति 10,000 उड़ानों पर 11 वन्यजीवों के टकराने की घटनाएँ)।
  • मानवीय कारक तथा थकान: पायलटों और चालक दल में थकान के कारण निर्णय लेने में बाधा आती है और सुरक्षा संबंधी त्रुटियाँ होती हैं।
    • IATA ने विमानन दुर्घटनाओं में 20-30% तक थकान को एक महत्त्वपूर्ण कारक बताया है।
    • सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन द्वारा भारत में 530 एयरलाइन पायलटों पर किए गए सर्वेक्षण से पता चला कि 10 घंटे से अधिक की उड़ान ड्यूटी, बार-बार टेल स्वैपिंग तथा न्यूनतम विश्राम अवधि के कारण पायलटों की थकान  का प्रमुख कारण होता है।
  • नियंत्रित उड़ान (Controlled Flight Into Terrain- CFIT): CFIT तब होता है, जब उड़ान योग्य विमान, पायलट के गलत निर्णय के कारण किसी दुर्गम स्थान पर उड़ता है।
    • CFIT वैश्विक स्तर पर, विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों में, विमानन दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों का प्रमुख कारण बना हुआ है।
    • जनवरी 2023 में नेपाल में हुई दुर्घटना में विमान में सवार सभी लोग मारे गए, जिसका मुख्य कारण पायलट की गलती थी।
  • हवाई यातायात नियंत्रण (Air Traffic Control- ATC) चुनौतियाँ: विश्व स्तर पर बढ़ते हवाई यातायात के कारण ATC प्रणालियों पर दबाव बढ़ गया है, जिसके लिए उन्नत नेविगेशन प्रौद्योगिकियों और कुशल कार्मिकों की आवश्यकता है।
    • भारत में वायु यातायात नियंत्रकों (Air Traffic Controllers- ATCO) की भर्ती में लंबित मामलों को एक संसदीय रिपोर्ट में उजागर किया गया, जिसमें बढ़ती माँगों को पूरा करने के लिए शीघ्र प्रक्रियात्मक समाधान की आवश्यकता पर बल दिया गया।
  • उड़ान के दौरान नियंत्रण खोना (Loss of Control In-Flight- LOC-I):LOC-I में तकनीकी समस्याओं, प्रतिकूल मौसम या पायलट की गलती के कारण पायलट नियंत्रण बनाए रखने में असमर्थ होते हैं।
    • IATA के अनुसार, वर्ष 2023 में LOC-I के कारण वैश्विक स्तर पर 72 मौतें हुईं।
    • मलेशिया एयरलाइंस की फ्लाइट MH370 (वर्ष 2014) एक प्रसिद्ध LOC-I घटना है, जिसका कारण के संबंध में अभी भी अटकलें  लगाई जाती हैं।
  • प्रतिकूल मौसम की स्थिति: मौसम संबंधी चुनौतियाँ जैसे हवा का झोंका, आँधी तथा बर्फ जमने की स्थिति, उड़ान सुरक्षा को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती हैं।
    • 20% वैश्विक विमानन घटनाओं (IATA 2023) में मौसम को एक योगदान कारक के रूप में उद्धृत किया गया है।
    • वर्ष 2000 में सिंगापुर एयरलाइंस से जुड़ी ताइवान दुर्घटना भारी बारिश के दौरान हुई थी, जिसमें 83 लोगों की मौत हो गई थी।
  • ग्राउंड हैंडलिंग त्रुटियाँ: अनुचित कार्गो लोडिंग, ग्राउंड टकराव तथा GSE रखरखाव संबंधी समस्याएँ विमान की तैयारी के दौरान जोखिम पैदा करती हैं।
    • IATA ने कहा कि भूमि क्षति की घटनाओं से विमानन उद्योग को वर्षं 2035 तक प्रतिवर्ष 10 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान होगा।

परिवहन के अन्य साधनों की तुलना में विमानन सुरक्षा

  • यात्रा की गई दूरी के अनुसार मृत्यु दर
    • विमानन: वैश्विक स्तर पर, प्रति अरब यात्री-किलोमीटर मृत्यु दर के संदर्भ में हवाई यात्रा परिवहन का सबसे सुरक्षित साधन है।
      • उदाहरण के लिए, वर्ष 2023 में वाणिज्यिक विमानन के लिए मृत्यु दर प्रति दस लाख उड़ानों में 0.03 मौतें थी, जिसका अर्थ है कि किसी व्यक्ति को घातक दुर्घटना का सामना करने के लिए 1,03,000 वर्षों तक प्रतिदिन उड़ान भरने की आवश्यकता होगी।
    • सड़क परिवहन: सड़क परिवहन काफी जोखिम भरा है। कारों के लिए मृत्यु दर प्रति बिलियन यात्री-किलोमीटर 3.1 मौतें है, जबकि सड़क दुर्घटनाओं के कारण विश्व में प्रत्येक वर्ष 1.3 मिलियन मौतें (WHO, वर्ष 2023) होती हैं।
    • रेलवे: रेल परिवहन में प्रति बिलियन यात्री-किलोमीटर 0.07 मौतें होती हैं, जो इसे सड़क परिवहन से अधिक सुरक्षित बनाता है, लेकिन फिर भी विमानन से अधिक जोखिम भरा है।
  • दुर्घटना दर
    • विमानन: वर्ष 2023 में वैश्विक स्तर पर वाणिज्यिक विमानन में केवल 30 दुर्घटनाएँ (IATA) हुईं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण भाग में कोई मृत्यु नहीं हुई।
    • सड़क परिवहन: सड़क दुर्घटनाएँ प्रति वर्ष 100,000 वाहनों पर 56.2 की दर से होती हैं, जिससे मृत्यु तथा गंभीर चोटें दोनों होती हैं।
    • रेलवे: रेल दुर्घटनाएँ दुर्लभ हैं, लेकिन विनाशकारी हो सकती हैं, जैसे कि भारत में ओडिशा ट्रेन दुर्घटना (वर्ष 2023), जिसमें 288 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई।
  • दुर्घटनाओं का प्रभाव
    • विमानन: दुर्घटनाएँ बहुत अधिक होती हैं, लेकिन दुर्लभ होती हैं। उदाहरण के लिए, वर्ष 2024 में दक्षिण कोरिया में विमान दुर्घटना में 179 लोगों की मौत हुई, जो एक महत्त्वपूर्ण संख्या है, लेकिन एक दुर्लभ घटना है।
    • सड़क परिवहन: दुर्घटनाएँ अक्सर होती हैं, लेकिन आम तौर पर हर घटना में कम लोग हताहत होते हैं। उदाहरण के लिए, भारत में हर दिन 400 सड़क दुर्घटनाएँ होती हैं।
    • रेलवे: दुर्घटनाएँ तब विनाशकारी हो सकती हैं, जैसे ट्रेन की टक्कर या पटरी से उतर जाना, जिसमें अक्सर सैकड़ों यात्री शामिल होते हैं।

अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ (IATA) के बारे में

  • विश्व की एयरलाइनों के लिए एक अंतरराष्ट्रीय व्यापार संघ, जिसकी स्थापना वर्ष 1945 में हवाना, क्यूबा में हुई थी, जिसके 57 संस्थापक सदस्य हैं। 
  • इसका मिशन एयरलाइन उद्योग का प्रतिनिधित्व करना, उसका नेतृत्व करना और उसकी सेवा करना है।
  • सदस्य: IATA वर्तमान में लगभग 330 एयरलाइनों का प्रतिनिधित्व करता है, जो वैश्विक हवाई यातायात का 80% से अधिक हिस्सा है। सदस्यों में दुनिया की अग्रणी यात्री और कार्गो एयरलाइनें शामिल हैं।
  • मुख्यालय: मॉन्ट्रियल, कनाडा में स्थित है।
  • लक्ष्य: संचालन को सरल बनाकर और यात्री सुविधा को बढ़ाकर एयरलाइनों को लागत कम करने और दक्षता में सुधार करने में मदद करना।
    • यह एयरलाइनों को सुरक्षित, संरक्षित, कुशल और लागत प्रभावी तरीके से स्पष्ट रूप से परिभाषित मानदंडों के तहत परिचालन करने में सहायता करता है।

भारत में विमानन सुरक्षा से संबंधित प्रमुख पहल

  • DGCA निरीक्षण और लेखा परीक्षा (वर्ष 1997): नागरिक विमानन महानिदेशालय (DGCA) नियामक प्राधिकरण के रूप में अपनी स्थापना के बाद से नियमित सुरक्षा लेखा परीक्षा आयोजित कर रहा है।
    • ये ऑडिट एयरलाइनों, हवाई अड्डों और ग्राउंड हैंडलिंग परिचालनों पर केंद्रित होते हैं, ताकि प्रणालीगत सुरक्षा कमियों की पहचान की जा सके और उन्हें दूर किया जा सके।
  • राष्ट्रीय विमानन सुरक्षा योजना (NASP): DGCA ने वर्ष 2024-2028 की अवधि के लिए राष्ट्रीय विमानन सुरक्षा योजना (NASP) प्रकाशित की है।
    • NASP भारत में विमानन सुरक्षा में सुधार के लिए एक रणनीति है, और यह अंतरराष्ट्रीय नागरिक विमानन संगठन (ICAO) की वैश्विक विमानन सुरक्षा योजना (GASP) के अनुरूप है।
    • वर्ष 2018-2022 के लिए पहला संस्करण प्रकाशित।
  • उड़ान ड्यूटी समय सीमाएँ (FDTL) विनियम (वर्ष 2011): ये विनियम पर्याप्त विश्राम अवधि लागू करके तथा ड्यूटी घंटों को सीमित करके पायलट की थकान को दूर करते हैं।
    • यह पहल थकावट के कारण होने वाली मानवीय त्रुटियों को न्यूनतम करके बेहतर परिचालन सुरक्षा सुनिश्चित करती है।
  • वन्यजीव और पक्षियों के हमलों की रोकथाम (वर्ष 2014): वन्यजीव हमलों को एक गंभीर सुरक्षा चिंता के रूप में पहचानते हुए, DGCA  ने पक्षियों के हमले की घटनाओं को कम करने के लिए हवाई अड्डों पर कठोर निरीक्षण शुरू किए और वन्यजीव जोखिम प्रबंधन कार्यक्रम शुरू किए।
  • GPS-सहायता प्राप्त नेविगेशन सिस्टम-गगन (वर्ष 2015): इसरो तथा AAI द्वारा विकसित GPS-सहायता प्राप्त भू-संवर्धित नेविगेशन सिस्टम, विशेष रूप से प्रतिकूल मौसम की स्थिति और चुनौतीपूर्ण इलाकों में नेविगेशन और लैंडिंग परिशुद्धता में सुधार करने के लिए चालू हो गया।
  • IATA तथा ICAO के साथ सहयोग: भारत जोखिम-आधारित सुरक्षा ऑडिट करने, वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने और पायलटों तथा हवाई यातायात नियंत्रकों के लिए उन्नत प्रशिक्षण कार्यक्रमों को लागू करने के लिए IATA और ICAO जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करता है।
  • विमान दुर्घटना जाँच ब्यूरो (AAIB) (वर्ष 2011): AAIB का गठन विमानन दुर्घटनाओं की स्वतंत्र और गहन जाँच करने के लिए किया गया था।
    • यह कारणों का विश्लेषण करने और इसी प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए उपाय सुझाने पर केंद्रित है।

अंतरराष्ट्रीय नागरिक विमानन संगठन (ICAO)

  • स्थापना: ICAO एक विशेष संयुक्त राष्ट्र एजेंसी है, जिसे वर्ष 1944 में वैश्विक हवाई नेविगेशन के लिए मानक और प्रक्रियाएँ स्थापित करने के लिए बनाया गया था।
  • उद्देश्य: यह सुरक्षित और व्यवस्थित अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन विकास को बढ़ावा देता है।
  • शिकागो कन्वेंशन: शिकागो कन्वेंशन एक संधि है, जो अंतरराष्ट्रीय नागरिक विमानन को नियंत्रित करती है और ICAO, एक संयुक्त राष्ट्र एजेंसी का निर्माण करती है।
  • हस्ताक्षरित तिथि: 7 दिसंबर 1944 को शिकागो में हस्ताक्षरित।
  • सदस्यता: भारत सहित 193 सदस्य देश।
  • मुख्यालय: मॉन्ट्रियल, कनाडा।

विमानन में वैश्विक सुरक्षा मानक

  • ICAO मानक तथा  अनुशंसित अभ्यास (SARP)
    • स्थापना: अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO), 1947
    • मुख्य विशेषताएँ 
      • सुरक्षा, संरक्षा, नेविगेशन तथा पर्यावरण संरक्षण सहित अंतरराष्ट्रीय विमानन के पहलुओं को नियंत्रित करना।
      • शिकागो कन्वेंशन के अनुलग्नकों में परिभाषित (उदाहरण के लिए, दुर्घटना जाँच के लिए अनुलग्नक 13, हवाई अड्डे के डिजाइन और संचालन के लिए अनुलग्नक 14)।
    • भारत द्वारा अपनाया जाना: वर्ष 1947 में भारत के ICAO सदस्य बनने के बाद से नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) द्वारा इसे पूर्ण रूप से क्रियान्वित किया गया है।
  • IATA ऑपरेशनल सेफ्टी ऑडिट (IATA Operational Safety Audit – IOSA)
    • स्थापित: अंतरराष्ट्रीय वायु परिवहन संघ (IATA), 2003
    • मुख्य विशेषताएँ 
      • एयरलाइन के परिचालन प्रबंधन तथा नियंत्रण प्रणालियों के मूल्यांकन के लिए वैश्विक उद्योग मानक निर्धारित करना।
      • IATA सदस्य एयरलाइनों के लिए अनिवार्य।
    • भारत में सभी IATA सदस्य एयरलाइंस (जैसे, एयर इंडिया, इंडिगो, विस्तारा) IOSA-प्रमाणित हैं।
  • वैश्विक विमानन सुरक्षा योजना (Global Aviation Safety Plan- GASP)
    • स्थापित: ICAO, 1997।
    • मुख्य विशेषताएँ: वैश्विक सुरक्षा सुधार ढाँचा प्रदान करता है, रनवे की घटनाओं, नियंत्रित उड़ान में इलाके (CFIT) और उड़ान के दौरान नियंत्रण की हानि (LOC-I) को कम करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
    • DGCA ने वर्ष 2018 में GASP लक्ष्यों के अनुरूप भारत की राष्ट्रीय विमानन सुरक्षा योजना (NASP) विकसित की।
  • फ्लाईट ड्यूटी एंड फटीग रेगुलेशंस (Flight Duty and Fatigue Regulations)
    • द्वारा निर्धारित: ICAO (2011)।
    • मुख्य विशेषताएँ: चालक दल के लिए उड़ान और ड्यूटी समय सीमाओं को मानकीकृत करता है।
    • DGCA ने वर्ष 2011 में फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) विनियम लागू किए।
  • उन्नत भू निकटता चेतावनी प्रणाली (Enhanced Ground Proximity Warning System- EGPWS)
    • प्रस्तुतकर्ता: हनीवेल (वर्ष 1996)।
    • मुख्य विशेषताएँ: पायलटों को इलाके की निकटता के बारे में सचेत करता है, जिससे CFIT घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आती है।
      • विश्व भर में सभी वाणिज्यिक विमानों के लिए आवश्यक
    • वर्ष 2002 से सभी भारतीय वाणिज्यिक विमानों के लिए DGCA  द्वारा इसे अनिवार्य किया गया है।
  • पायलट प्रशिक्षण मानक
    • द्वारा स्थापित: ICAO (प्रशिक्षण सुधारों के लिए 2012, UPRT अधिदेश के लिए वर्ष 2019)।
    • प्रमुख विशेषताएँ
      • इसमें अपसेट प्रिवेंशन और रिकवरी ट्रेनिंग (UPRT) शामिल है।
      • इंजन विफलताओं तथा प्रतिकूल मौसम जैसी आपात स्थितियों के लिए मानकीकृत सिम्युलेटर प्रशिक्षण।
    • DGCA ने वर्ष 2019 से सभी भारतीय वाणिज्यिक पायलटों के लिए ICAO के अपसेट प्रिवेंशन एंड रिकवरी ट्रेनिंग (UPRT) मानकों को लागू किया।
  • वैश्विक नेविगेशन तथा निगरानी प्रणाली
    • ADS-B (ऑटोमैटिक डिपेंडेंट सर्विलांस-ब्रॉडकास्ट): वास्तविक समय में विमान ट्रैकिंग को बढ़ाने के लिए वर्ष 2007 में ICAO द्वारा पेश किया गया।
      • वर्ष 2014 से भारत में पूर्णतः क्रियाशील, जिससे विमानों की वास्तविक समय पर ट्रैकिंग संभव हो सकी।
    • GPS-सहायता प्राप्त भू-संवर्धित नेविगेशन (GPS-Aided Geo-Augmented Navigation-  GAGAN): दृष्टिकोण तथा लैंडिंग परिशुद्धता में सुधार के लिए वर्ष 2015 में भारत में लॉन्च किया गया।
  • वैश्विक सहयोग
    • विमानन सुरक्षा रिपोर्टिंग प्रणाली
      • संयुक्त राज्य अमेरिका में वर्ष 2007 में स्थापित विमानन सुरक्षा सूचना विश्लेषण और साझाकरण (ASIAS) जैसे कार्यक्रम डेटा-संचालित निर्णय लेने को बढ़ावा देते हैं।
    • रनवे सुरक्षा कार्यक्रम
      • रनवे एक्सकर्शन की रोकथाम के लिए वैश्विक कार्य योजना (GAPPRE) को वर्ष 2021 में ICAO और IATA द्वारा पेश किया गया।

विमानन सुरक्षा के सर्वोत्तम वैश्विक उदाहरण

  • संयुक्त राज्य अमेरिका: उन्नत वायु यातायात प्रबंधन
    • U.S. संघीय उड्डयन प्रशासन (FAA) नेक्स्टजेन एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम का संचालन करता है, जो उपग्रह-आधारित नेविगेशन और वास्तविक समय डेटा साझाकरण का लाभ उठाता है।
    • FAA की ASIAS (विमानन सुरक्षा सूचना विश्लेषण और साझाकरण) प्रणाली बड़ी मात्रा में परिचालन डेटा का विश्लेषण करके सुरक्षा जोखिमों की सक्रिय रूप से पहचान करती है।
  • सिंगापुर: रनवे सुरक्षा और दुर्घटना-मुक्त रिकॉर्ड
    • सिंगापुर चांगी हवाई अड्डे पर रनवे अतिक्रमण रोकथाम प्रणाली और स्वचालित ग्राउंड संचालन का उपयोग किया जाता है।
  • जापान: भूकंप-प्रतिरोधी हवाई अड्डा अवसंरचना
    • कंसाई इंटरनेशनल जैसे हवाई अड्डों को भूकंप और सुनामी सहित प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • दक्षिण कोरिया: उन्नत पक्षी हमला रोकथाम
    • हवाई अड्डों के आसपास पक्षी पहचान रडार प्रणालियों की तैनाती और आवास प्रबंधन।
  • नॉर्वे: आर्कटिक संचालन सुरक्षा
    • चरम आर्कटिक परिस्थितियों में संचालन के लिए विशेष प्रशिक्षण तथा उपकरण।

भारत की विमानन सुरक्षा के लिए आगे की राह 

  • बुनियादी ढाँचे और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना: रनवे के जोखिम को कम करने के लिए हवाई अड्डे की क्षमता का विस्तार करना और रनवे डिजाइन में सुधार करना।
    • पक्षियों के टकराने की घटनाओं को कम करने के लिए रडार-आधारित पक्षी निगरानी जैसी उन्नत वन्यजीव पहचान प्रणाली तैनात करना।
    • वास्तविक समय की उड़ान और जमीनी संचालन निगरानी के लिए स्वचालन तथा AI-संचालित प्रणालियों में निवेश करना।
  • नियामक निगरानी को मजबूत करना: ICAO के सार्वभौमिक सुरक्षा निरीक्षण लेखा परीक्षा कार्यक्रम (USOAP) की सिफारिशों के साथ DGCA के अनुपालन को सुनिश्चित करना।
    • जोखिमों की सक्रिय रूप से पहचान करने के लिए एयरलाइनों, हवाई अड्डों और रखरखाव संगठनों के लिए अधिक लगातार सुरक्षा ऑडिट आयोजित करना।
    • निष्पक्ष और गहन जाँच के लिए विमान दुर्घटना जाँच ब्यूरो (AAIB) की स्वतंत्रता और संसाधनों को बढ़ाना।
  • उन्नत सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली (Safety Management Systems- SMS) अपनाना: सभी एयरलाइनों, हवाई अड्डों और ग्राउंड हैंडलिंग सेवाओं में व्यापक एसएमएस कार्यान्वयन को अनिवार्य बनाना।
    • पूर्वानुमानित सुरक्षा जोखिम विश्लेषण के लिए IATA के ASIAS कार्यक्रम जैसी डेटा-साझाकरण पहलों को प्रोत्साहित करना।
    • दंडात्मक कार्रवाई के डर के बिना त्रुटि रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित करने के लिए ‘न्यायपूर्ण संस्कृति’ को बढ़ावा देना।
  • पायलट और चालक दल के प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करना: अपसेट प्रिवेंशन और रिकवरी ट्रेनिंग (UPRT) के दायरे का विस्तार करें और प्रतिकूल परिदृश्यों के लिए नियमित सिम्युलेटर प्रशिक्षण शामिल करना।
    • फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) के सख्त प्रवर्तन के साथ चालक दल की थकान को दूर करना।
    • तनाव के दौरान निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाने के लिए मनोवैज्ञानिक प्रशिक्षण को शामिल करना।
  • क्षेत्रीय संपर्क और सुरक्षा में सुधार: उड़ान योजना के तहत विकसित छोटे हवाई अड्डों पर सुरक्षा अनुपालन सुनिश्चित करना।
    • क्षेत्रीय हवाई अड्डों पर हवाई यातायात प्रबंधन प्रणालियों को बड़े हब के मानकों के अनुरूप उन्नत करना।
    • अत्यधिक सुविधा-विहीन और चुनौतीपूर्ण इलाकों में GAGAN-आधारित नेविगेशन सहायता लागू करना।
  • अंतरराष्ट्रीय निकायों के साथ सहयोग करना: सुरक्षा मानकों में निरंतर सुधार के लिए ICAO और IATA के साथ मिलकर कार्य करना।
    • CFIT तथा LOC-I रोकथाम कार्यक्रमों जैसे सर्वोत्तम अभ्यासों को अपनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञता का लाभ उठाना।
    • GAPPRE (रनवे भ्रमण निवारण) और थकान प्रबंधन ढाँचे जैसी वैश्विक सुरक्षा पहलों में सक्रिय रूप से भाग लेना।
  • वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखना: भारत को सक्रिय सुरक्षा प्रबंधन और पायलट प्रशिक्षण के लिए सिंगापुर का दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
    • विफलताओं के लिए एयरलाइनों और नियामकों दोनों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

निष्कर्ष

हाल ही में हुई विमानन दुर्घटनाएँ कड़े सुरक्षा उपायों, उन्नत तकनीक तथा सक्रिय जोखिम प्रबंधन की निरंतर आवश्यकता को उजागर करती हैं। जबकि वैश्विक विमानन सुरक्षा में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, मानवीय त्रुटियाँ, बुनियादी ढाँचे की कमी और बाहरी खतरों जैसी चुनौतियाँ सुरक्षित आकाश सुनिश्चित करने के लिए निरंतर सतर्कता और सहयोग की माँग करती हैं।

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