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अजरबैजान का नया जलवायु कोष

Lokesh Pal September 24, 2024 03:58 132 0

संदर्भ

इस वर्ष के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, COP29 के मेजबान अजरबैजान ने विकासशील देशों के लिए एक नया जलवायु कोष (New Climate Fund) प्रारंभ करने का प्रस्ताव रखा हैI 

COP29 के बारे में

  • COP29 जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के पक्षकारों का 29वाँ वार्षिक सम्मेलन है। 
    • COP वार्षिक स्तर पर संयुक्त राष्ट्र (UN) जलवायु बैठक है। 
  • आयोजन: यह 11-24 नवंबर, 2024 तक बाकू, अजरबैजान में आयोजित किया जाएगा। 
  • मेजबान: अजरबैजान।
  • उद्देश्य: COP29 का मुख्य उद्देश्य एक वित्त समझौते को अंतिम रूप देना है, जो यह निर्धारित करेगा कि वर्ष 2025 के बाद विकसित देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में विकासशील देशों की मदद करने के लिए कितनी धनराशि जुटानी चाहिए। [नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG) 2025 के बाद के जलवायु वित्त लक्ष्य का एक हिस्सा है]। 
  • पिछला COP: COP28, दुबई में आयोजित किया गया था और यह इतिहास में सबसे बड़ी भागीदारी वाला सम्मेलन था। 
    • पहली बार ग्लोबल स्टॉक टेक (GST) (वर्ष 2015 पेरिस समझौते की प्रगति की मध्यावधि समीक्षा) का समापन इस आयोजन का मुख्य परिणाम था। 
    • इसने हानि एवं क्षति कोष को एक इकाई के रूप में संचालित किया, जिसे सम्मेलन के वित्तीय तंत्र के संचालन का दायित्व सौंपा गया, जो पेरिस समझौते के लिए भी कार्य करेगा। 

जलवायु वित्त वार्ता (Climate Finance Negotiations) की पृष्ठभूमि

  • जलवायु वित्त के बारे में: संयुक्त राष्ट्र ने जलवायु वित्त को स्थानीय, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय वित्तपोषण के रूप में परिभाषित किया है, जो सार्वजनिक, निजी और वैकल्पिक स्रोतों से प्राप्त होता है, जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए शमन और अनुकूलन कार्यों का समर्थन करना है।  
  • पेरिस समझौते का अधिदेश: विकसित देशों के लिए वर्तमान दायित्व प्रतिवर्ष कम-से-कम 100 बिलियन डॉलर जुटाने का है, जिसे पेरिस समझौते के अनुसार, वर्ष 2025 के बाद बढ़ाया जाना चाहिए। 
  • COP29: नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG) को अजरबैजान में COP29 में अपनाया जाना है। 
  • इसी समय, अजरबैजान ने COP29 में हरित परियोजनाओं का समर्थन करने और सदस्य देशों को 1.5 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य तक पहुँचने में मदद करने के लिए जलवायु वित्त कार्रवाई निधि (CFAF) की घोषणा की। 

अजरबैजान की नई पहल: जलवायु वित्त कार्रवाई निधि (CFAF) 

  • जलवायु वित्त कार्रवाई कोष (CFAF) को जीवाश्म ईंधन उत्पादक देशों और तेल, गैस तथा कोयला क्षेत्र की कंपनियों के स्वैच्छिक योगदान से पूँजीकृत किया जाएगा और अजरबैजान इसका संस्थापक योगदानकर्ता होगा। 
    • सदस्य वार्षिक अंशदान को एक निश्चित राशि या उत्पादन की मात्रा के आधार पर हस्तांतरित करने के लिए प्रतिबद्ध होंगे। 
    • प्रारंभिक स्तर पर धन संग्रहण का लक्ष्य 1 बिलियन डॉलर है, क्योंकि COP29 के मनोनीत अध्यक्ष ने योगदानकर्ताओं से जलवायु वित्त के लिए आगे आने का आह्वान किया है। 

अजरबैजान के जलवायु कोष से जुड़े मुद्दे

  • स्वैच्छिक योगदान: अजरबैजान द्वारा प्रस्तावित कोष तेल और गैस उत्पादक देशों तथा कंपनियों के स्वैच्छिक योगदान पर निर्भर करेगा, जिससे इसकी प्रभावशीलता पर संदेह उत्पन्न होता है। 
  • ‘हानि और क्षति निधि’ की तुलना: COP27 में बनाए गए ‘हानि और क्षति निधि’ जैसे समान फंडों के बीच अंतर्द्वंद देखा गया है, जिससे यह अनिश्चित हो गया है कि अजरबैजान का फंड कितना प्रभावी होगा। 
  • CFAF का परिमाण: CFAF के प्रस्ताव में 10 देशों या शेयरधारकों द्वारा प्रति वर्ष 1 बिलियन डॉलर के प्रारंभिक दौर का संकेत दिया गया है। 
    • जीवाश्म ईंधन उत्पादक देशों द्वारा यह योगदान अत्यंत कम है। 

जलवायु वित्त से संबंधित सामान्य मुद्दे

  • परिभाषाओं पर मतभेद: वर्तमान में, जलवायु वित्त की परिभाषाओं पर भी भारी मतभेद हैं। 
  • दोहरी गणना और नवीन लेखांकन: विकासशील देश अक्सर शिकायत करते हैं कि दोहरी गणना पद्धति के कारण वास्तविक जलवायु वित्त प्रवाह विकसित देशों द्वारा बताए गए आँकड़ों से बहुत कम है। 
  • अनुकूलन की उपेक्षा: जलवायु वित्त का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा शमन परियोजनाओं की ओर निर्देशित किया जाता है, जो उत्सर्जन में कमी लाती हैं। 
    • हालाँकि, अनुकूलन परियोजनाओं को 20% से भी कम धनराशि प्राप्त हुई। 
    • वर्ष 2023 की संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में यह राशि भी पूर्ण रूप से कम हो गई है।
    • विकासशील देश माँग कर रहे हैं कि जलवायु वित्त का कम-से-कम 50% अनुकूलन की ओर जाना चाहिए।

नए सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG) के बारे में 

  • नया वित्तीय लक्ष्य: यह पेरिस समझौते का एक प्रमुख घटक है, जिसे वर्ष 2025 के बाद विकासशील देशों को उनके जलवायु कार्यों में सहायता देने के लिए एक नया वित्तीय लक्ष्य निर्धारित करने के लिए डिजाइन किया गया है। 
    • यह वर्ष 2009 में कोपेनहेगन (Copenhagen) जलवायु शिखर सम्मेलन में निर्धारित पिछले लक्ष्य से आगे है, जहाँ विकसित देशों ने विकासशील देशों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वर्ष 2020 तक प्रति वर्ष 100 बिलियन डॉलर जुटाने की प्रतिबद्धता जताई थी। 
    • NCQG पर अभी वार्ता चल रही है और इसके वर्ष 2025 तक अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है। 
  • आवश्यक वित्त की मात्रा: भारत सहित कई विकासशील देशों ने प्रस्ताव दिया है कि NCQG राशि प्रतिवर्ष 1 ट्रिलियन से 1.5 ट्रिलियन डॉलर के बीच होनी चाहिए, जो प्रभावी जलवायु कार्रवाई के लिए आवश्यक राशि को दर्शाती है। 

NCQG के महत्त्व के कारण

  • जलवायु वित्त अंतराल को संबोधित करना: नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG) का उद्देश्य जलवायु वित्त में लगातार मौजूद अंतराल को पाटना है। 
    • NCQG विकासशील देशों को रियायती वित्त प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करता है, जिन्हें जलवायु शमन, अनुकूलन और सतत् ऊर्जा प्रणालियों में परिवर्तन के लिए पर्याप्त संसाधनों की आवश्यकता होती है।
  • कमजोर विकासशील देशों की सहायता करना: उभरते बाजार, विशेष तौर पर छोटे द्वीपीय देश और कम विकसित देश, जलवायु परिवर्तन से असमान रूप से प्रभावित हैं। जलवायु वित्त के लिए उच्च लक्ष्य निर्धारित करके, NCQG इन देशों को चरम मौसम और बढ़ते समुद्री स्तर जैसे गंभीर जलवायु प्रभावों के विरुद्ध लचीलापन बनाने में मदद करने के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान कर सकता है। 
  • वैश्विक जलवायु कार्रवाई को बढ़ावा देना: NCQG विकसित देशों को जिम्मेदारी और एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित करके वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देता है। 
  • निजी क्षेत्र के निवेश का लाभ उठाना: अकेले सार्वजनिक वित्तपोषण जलवायु कार्रवाई के लिए व्यापक आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकता। NCQG स्थिरता और प्रतिबद्धता का संकेत देता है, जो जलवायु-अनुकूल परियोजनाओं के लिए निजी निवेशकों को आकर्षित कर सकता है। 
  • जवाबदेही और पारदर्शिता को बढ़ावा देना: NCQG स्पष्ट लक्ष्य, मापदंड और रिपोर्टिंग तंत्र स्थापित करके जलवायु वित्त में अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता को प्रोत्साहित करता है। यह पारदर्शिता सुनिश्चित करती है कि निधियों को प्रभावी ढंग से ट्रैक किया जाता है, जिससे इच्छित प्राप्तकर्ताओं को लाभ मिलता है और वैश्विक जलवायु वित्त प्रयासों की विश्वसनीयता बढ़ती है। 

NCQG की चुनौतियाँ 

  • लक्ष्य प्राप्ति में चुनौतियाँ: विकसित देश मौजूदा 100 बिलियन डॉलर के लक्ष्य को भी पूरा करने में असफल रहे हैं, जिससे यह संभावना नहीं है कि वे प्रस्तावित बड़ी धनराशि पर सहमत होंगे। 
  • दाता आधार का विस्तार: विकसित देशों का तर्क है कि चीन, दक्षिण कोरिया और तेल समृद्ध खाड़ी देशों जैसे उच्च आय वाले देशों को भी जलवायु वित्त में योगदान देना चाहिए।

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