वर्ष 2024 में 6 सितंबर (गणेश चतुर्थी) से 10 दिवसीय गणेश उत्सव का आयोजन किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक ने राष्ट्रवादी भावनाओं को जगाने के लिए गणेश चतुर्थी उत्सव को वर्तमान स्वरूप में मनाने के लिए प्रोत्साहित किया था।
बाल गंगाधर तिलक
पत्रकारिता: तिलक ने प्रेस की शक्ति का प्रभावी ढंग से उपयोग किया।
उनके समाचार-पत्र, ‘केसरी’ (मराठी में) और ‘मराठा’ (अंग्रेजी में) ने, राष्ट्रवादी भावनाओं को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाई, अंग्रेजों की आलोचना की एवं जनता को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया।
शिक्षा: नई पीढ़ी के नेताओं को तैयार करने में शिक्षा की शक्ति को पहचानते हुए, तिलक ने पुणे में फर्ग्यूसन कॉलेज जैसे संस्थानों की स्थापना की।
उन्होंने ‘न्यू इंग्लिश स्कूल’, ‘डेक्कन सोसायटी फॉर एजुकेशन’ एवं ‘फर्ग्यूसन कॉलेज’ जैसी संस्थाओं की स्थापना की तथा हंटर कमीशन (वर्ष 1882 और वर्ष 1919) के लिए एक व्यापक शैक्षिक ढाँचा प्रस्तुत किया।
बाल गंगाधर तिलक ने लोगों के अधिकारों की सिफारिशों करने के लिए अपने समाचार-पत्र ‘मराठा’ का भी सहारा लिया एवं अपने तर्कों का समर्थन करने के लिए हिंदू धर्मग्रंथों तथा श्री मद् भगवत गीता का सहारा लिया।
बाल गंगाधर तिलक, जिन्हें आम बोलचाल की भाषा में ‘लोकमान्य’ के नाम से जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख नेता थे।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका
स्वराज एवं स्व-शासन: तिलक का स्पष्ट आह्वान ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा’ ने लाखों भारतीयों की आकांक्षाओं को समाहित कर दिया।
वह ब्रिटिशों से पूर्ण स्वतंत्रता (पूर्ण स्वराज) की माँग करने वाले पहले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में से एक थे।
होमरूल आंदोलन: आयरिश होमरूल आंदोलन से प्रेरणा लेते हुए, तिलक ने एनी बेसेंट के साथ मिलकर वर्ष1916 में भारतीय होमरूल आंदोलन की शुरुआत की।
यह एक महत्त्वपूर्ण कदम था, क्योंकि इसने ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर भारत के लिए स्व-शासन हासिल करने की माँग की, जिससे पूर्ण स्वतंत्रता की बड़ी माँग के लिए आधार तैयार किया।
त्योहारों का महत्त्व: सामाजिक-आर्थिक वर्ग के लोगों को एकजुट करने के लिए तिलक ने गणेश चतुर्थी एवं शिवाजी जयंती जैसे पारंपरिक भारतीय त्योहारों को पुनः जीवंत किया।
गणेश चतुर्थी जुलूस राजनीतिक चेतना एवं एकता का मंच बन गया।
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