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संतुलित उर्वरक

Lokesh Pal May 03, 2024 06:24 140 0

संदर्भ 

लोकसभा चुनाव के बाद नई सरकार के लिए संतुलित उर्वरक प्रमुख नीतिगत लक्ष्य होगा।

संबंधित तथ्य 

वित्तीय वर्ष 2023-2024 में यूरिया की रिकॉर्ड खपत 35.8 मिलियन टन (mt) तक पहुँच गई है, जो वर्ष 2013-14 में 30.6 मिलियन टन से 16.9% अधिक है।

संतुलित उर्वरक 

  • कई फसलों की उपज के लिए मिट्टी में नाइट्रोजन, फॉस्फेट और पोटाश जैसे पोषक तत्त्वों की आवश्यकता होती है।
  • मिट्टी या फसल की आवश्यकता के अनुसार, पोषक तत्वों का सही अनुपात में उपयोग ‘संतुलित उर्वरक’ कहलाता है।

भारत में उर्वरक की खपत

  • सभी उर्वरक उत्पादों की कुल खपत: वर्ष 2022-23 के दौरान 63.92 मिलियन मीट्रिक टन (mmt) की तुलना में वित्तीय वर्ष 2021-22 में 0.03% की गिरावट देखी गई।
    • खपत में वृद्धि: वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान यूरिया की खपत 4.5% की वृद्धि के साथ 35.73 mmt और DAP की खपत 13.6% की वृद्धि के साथ 10.53 MMT दर्ज की गई।
    • खपत में कमी: वित्तीय वर्ष 2022-2023 के दौरान NP/ NPK उर्वरक की खपत में 12.2% की कमी आई है, जबकि MOP उर्वरक 33.6% की गिरावट के साथ 1.63 mmt और SSP की खपत में 11.7% की गिरावट के बाद 5.02 mmt पर पहुँच गई है।
  • अखिल भारतीय स्तर पर NPK उपयोग का अनुपात: यह वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान 7.7:3.1:1 से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान 11.8:4.6:1 हो गया।
  • कुल पोषक तत्त्वों का प्रति हेक्टेयर उपयोग (N+P+K): यह वित्तीय वर्ष 2021-22 में 141.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर में मामूली वृद्धि के साथ वित्तीय वर्ष 2022-23 में 141.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो गया।

  • उद्देश्य
    • मिट्टी में पोषक तत्त्वों की कमी को दूर करना और फसलों की गुणवत्ता में सुधार करना।
    • मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखना तथा असंतुलित उर्वरक के उपयोग के कारण अनुर्वर हुई मिट्टी की उर्वरता में सुधार करना।
  • आवश्यकता: किसानों को केवल प्राथमिक पोषक तत्त्व आधारित उर्वरकों जैसे यूरिया, डाइ -अमोनियम फॉस्फेट (DAP) और म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) के अधिक उपयोग को नियंत्रित करना।
  • पहल (Initiative)
    • पोषक तत्त्व-आधारित सब्सिडी (Nutrient-Based Subsidy- NBS) प्रणाली
      • सरकार ने किसी भी उर्वरक पर सब्सिडी को उसकी पोषक सामग्री (N, P, K और S प्रति किलोग्राम) के आधार पर तय किया है।
      • उद्देश्य: उत्पाद संबंधी नवाचार को प्रेरित करना और किसानों को यूरिया, DAP (18% N और 46% P सामग्री) और MOP (60% K) के बदले N, P, K, S और अन्य पोषक तत्त्वों वाले जटिल उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देना। 
    • नीम लेपित यूरिया (Neem Coated Urea)
      • वर्ष 2015 से सभी यूरिया के लिए अनिवार्य नीम कोटिंग की व्यवस्था शुरू की गई और इसका उद्देश्य प्लाईवुड, डाई, पशु चारा और सिंथेटिक दूध निर्माताओं जैसे गैर-कृषि उपयोगों के लिए अत्यधिक सब्सिडी वाले यूरिया के अवैध इस्तेमाल को प्रतिबंधित करना था।
      • नीम का तेल नाइट्रीकरण अवरोधक (Nitrification Inhibitor) के रूप में भी कार्य करता है, फलस्वरूप नाइट्रोजन का उत्पादन धीमा हो जाता है।
      • नाइट्रोजन उपयोग की दक्षता में सुधार के परिणामस्वरूप प्रति एकड़ आवश्यक यूरिया की मात्रा में कमी आई है और सरकार ने वर्ष 2018 में यूरिया  बैग का आकार 50 किलोग्राम से घटाकर 45 किलोग्राम कर दिया है।
    • गैर-यूरिया उर्वरकों के मूल्य नियंत्रण हेतु उपाय: उर्वरक विभाग (Department of Fertilizers- DoF) ने नए दिशा-निर्देशों में गैर-यूरिया उर्वरकों का अप्रत्यक्ष MRP (Maximum Retail Price) निर्धारित कर दिया है, फलस्वरूप कंपनियों का लाभ सीमित हो गया है।
      • इसके माध्यम से अधिकतम लाभ का निर्धारण किया जा चुका है, जिसका पालन उर्वरक कंपनियों को करना होगा। आयातकों के लिए 8%, निर्माताओं के लिए 10% और एकीकृत निर्माताओं के लिए 12% लाभ तय किया गया है।
    • सल्फर लेपित यूरिया (Sulphur Coated Urea): केंद्र सरकार ने हाल ही में 37% N और 17% S युक्त सल्फर-लेपित यूरिया की मंजूरी दे दी है, इसप्रकार नीम लेपित यूरिया की कीमत की तुलना में सल्फर-लेपित यूरिया की कीमत में 12.5% की बढ़ोतरी हुई है।

चुनौतियाँ

  • मूल्य निर्धारण में समस्या: गैर-यूरिया उर्वरकों पर मूल्य नियंत्रण के कारण पोषक तत्त्वों में असंतुलन बढ़ गया है, जिसके कारण डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) नया यूरिया के रूप में उभरा है तथा किसान दोनों उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग कर रहे हैं।
    • उदाहरण के लिए, DAP की वर्तमान MRP 1,350 रुपये प्रति 50 किलोग्राम है, जबकि 10:26:26:0 और 12:32:16:0 संरचना के साथ NPKS जटिल उर्वरकों का मूल्य 1,470 रुपये है।
  • अन-अफोर्डेबल म्यूरेट ऑफ पोटाश (Unaffordable Muriate of Potash- MOP): खुदरा दुकानों में MOP का मूल्य 1,650 रुपये प्रति है, इसलिए किसानों द्वारा इसका उपयोग करना महंगा है, साथ ही कंपनियों के लिए MOP को NPKS जटिल उर्वरक में शामिल करना एक चुनौती है।
    • उदाहरण के लिए, सर्वाधिक उपयोग किए जाने वाले जटिल उर्वरक में पोटेशियम (20:20:0:13) की मात्रा नहीं होती है, क्योंकि पोटेशियम कीटों और बीमारियों के विरुद्ध फसलों की प्रतिरक्षा के साथ-साथ नाइट्रोजन के अवशोषण को भी बढ़ाता है।
  • NBS की विफलता: NBS योजना की विफलता का कारण इसमें यूरिया को शामिल नहीं करना था। यूरिया की MRP सरकार द्वारा नियंत्रित की जाती है, जिसके परिणामस्वरूप NBS की कीमतों में केवल 16.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसके कारण यह सस्ता हो गया तथा किसानों ने बडी मात्रा में इसका उपयोग किया। 

  • आयात पर निर्भरता: भारत सभी प्रकार के उर्वरकों के मामले में आयात पर निर्भर है। उर्वरकों की उच्च वैश्विक कीमतों के कारण देश की विदेशी मुद्रा व्यय एवं सरकार पर सब्सिडी का बोझ भी बढ़ता है।

नियंत्रण के उपाय और आवश्यकता 

  • उर्वरकों के मूल्य का अनुक्रम बनाना: गैर-यूरिया उर्वरकों के बीच DAP को उच्चतम, MOP को सबसे कम और बीच में जटिल उर्वरकों का मूल्य निर्धारण कर इस मूल्य अनुक्रम को सुनिश्चित किया जा सकता है।
  • DAP का नियंत्रित उपयोग: DAP को मुख्य रूप से चावल और गेहूँ के उत्पादन तक सीमित किया जाना चाहिए, साथ ही अन्य फसलें जटिल उर्वरकों और SSP के माध्यम से P की कमी को पूरा कर सकती हैं।
  • स्वीकार्यता बढ़ाना: DAP का निर्माण पाउडर के बजाए दानेदार रूप में करना चाहिए। दानों वाली DAP में जिप्सम या मिट्टी की मिलावट की संभावना कम होती है, साथ ही इसके उपयोग के दौरान फॉस्फोरस  के उत्पादन की गति धीमी हो जाती है।
  • उर्वरकों के MRP की समीक्षा: इसके अंतर्गत यूरिया को NBS में शामिल करना और अन्य पोषक तत्त्वों पर सब्सिडी दरों में वृद्धि किया जा सकता है, जिससे MRP में महत्त्वपूर्ण वृद्धि का प्रभाव कम हो जाएगा।
  • सुपर फॉस्फेट (Super Phosphate): सरकार को देश में सुपर फॉस्फेट के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए जो P, S और कैल्शियम की आपूर्ति का महत्त्वपूर्ण स्रोत है।

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