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UAPA के तहत संगठनों पर प्रतिबंध

Lokesh Pal March 01, 2024 06:19 176 0

संदर्भ

केंद्र सरकार ने गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 [Unlawful Activities (Prevention) Act, 1967] की धारा 3 के तहत मुस्लिम कॉन्फ्रेंस जम्मू और कश्मीर (सुमजी गुट) तथा मुस्लिम कॉन्फ्रेंस जम्मू और कश्मीर (भट गुट) को पाँच वर्ष की अवधि के लिए प्रतिबंधित किया गया है।

संबंधित तथ्य 

  • केंद्र सरकार ने जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर को अगले 5 वर्ष की अवधि के लिए गैर-कानूनी संगठनघोषित किया है।

वर्ष 2023 में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा UAPA के तहत हालिया प्रतिबंध

  • आतंकवादी संगठन: खालिस्तान टाइगर फोर्स तथा जम्मू-कश्मीर गजनवी फोर्स (Jammu and Kashmir Ghaznavi Force- JKGF)
  • व्यक्ति आतंकवादीके रूप में: हरविंदर सिंह संधू उर्फ रिंडा
  • गैर-कानूनी संघ: सात ‘मैतेई चरमपंथी संगठन’ तथा उनके सहयोगी।
  • मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट)’/MLJK-M
  • तहरीक-ए-हुर्रियत।

  • केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आतंकवाद एवं अलगाववाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलते हुए केंद्र सरकार ने प्रतिबंध की अवधि बढ़ा दी है।
  • उन्होंने यह भी कहा कि संगठन को देश की सुरक्षा, अखंडता तथा संप्रभुता के खिलाफ अपनी गतिविधियाँ जारी रखते हुए पाया गया है।

गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम 1967 के बारे में

  • UAPA एक आतंकवाद विरोधी कानून है, जिसे पहली बार वर्ष 1967 में भारत की संप्रभुता एवं अखंडता के लिए खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों को प्रभावी ढंग से रोकने तथा उनसे निपटने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ लागू किया गया था।
  • प्रयोज्यता: इस अधिनियम के प्रावधान निम्नलिखित पर भी लागू होते हैं-
    • भारत के बाहर भारत के नागरिक।
    • सरकार की सेवा में कार्यरत व्यक्ति, चाहे वे कहीं भी हों।
    • भारत में पंजीकृत जहाजों एवं विमानों पर सवार व्यक्ति, चाहे वे कहीं भी हों।

UAPA, 1967 के प्रावधान

  • सरकार की शक्तियाँ: केंद्र सरकार उन संघों पर अखिल भारतीय प्रतिबंध लगा सकती है, जिन्हें अधिनियम के तहत गैर-कानूनी घोषित किया गया है।
    • इस अधिनियम के तहत भारतीय नागरिकों तथा विदेशी नागरिकों दोनों पर आरोप लगाया जा सकता है। इसके अलावा, यदि अपराध भारत के बाहर विदेशी भूमि पर किया जाता है तो यह अधिनियम अपराधियों को भी जिम्मेदार ठहराता है।
  • जाँच करने की शक्तियाँ: मामलों की जाँच राज्य पुलिस एवं राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) दोनों द्वारा की जा सकती है।
  • अपील तंत्र: यह एक न्यायाधिकरण को प्रतिबंध के खिलाफ अपील की समीक्षा करने या सुनवाई करने की अनुमति देता है।
  • आतंकवादी संगठन: कोई भी व्यक्ति जो आतंकवादी संगठन का सदस्य है, उसे धारा 20 एवं 38 के तहत 10 वर्ष के कारावास की सजा दी जाएगी। UAPA अनुसूची में निषिद्ध समूहों की एक सूची शामिल है।

UAPA में संशोधन

  • वर्ष 2004: आतंकवादी कृत्यों पर मुकदमा चलाने के उद्देश्य से विशिष्ट अध्याय जोड़ा गया।
  • वर्ष 2008: कोई भी कार्य ‘भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा या संप्रभुता को खतरे में डालने की संभावना’ या ‘लोगों में आतंक पैदा करने की संभावना’ भी एक आतंकवादी कार्य है।
  • वर्ष 2012: देश की आर्थिक सुरक्षा को खतरा पहुँचाने वाले अपराधों को शामिल करने के लिए ‘आतंकवादी कृत्य’ की परिभाषा का विस्तार किया गया।
  • वर्ष 2019: केंद्र सरकार अब किसी व्यक्ति को ‘आतंकवादी’ घोषित कर सकती है तथा बिना किसी उचित प्रक्रिया के उनका नाम अधिनियम की अनुसूची IV में जोड़ सकती है। यह राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (National Investigation Agency- NIA) के महानिदेशक  (Director General) को संपत्ति की जब्ती या कुर्की की मंजूरी देने का भी अधिकार देता है।

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