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पशुओं में एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग पर प्रतिबंध

Lokesh Pal April 30, 2025 03:16 8 0

संदर्भ

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India-FSSAI) ने रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए मांस, मुर्गी पालन, अंडे, दूध, दुग्ध उत्पादों और जलीय कृषि के उत्पादन में चुनिंदा एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।

एंटीबायोटिक प्रतिरोध जीन (ARGs)

  • ARGs आनुवंशिक तत्त्व हैं, जो बैक्टीरिया को दवाओं को अप्रभावी या निष्कासित करके एंटीबायोटिक दवाओं के संपर्क में जीवित रहने में सक्षम बनाते हैं।
  • ये जीन क्षैतिज जीन स्थानांतरण के माध्यम से बैक्टीरिया के बीच प्रसारित हो सकते हैं, जिससे मनुष्यों और जानवरों में एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी संक्रमणों के विकास में तेजी आती है।

प्रतिबंध की मुख्य बिंदु

  • उद्देश्य: भोजन के माध्यम से पशुओं से मनुष्यों में एंटीबायोटिक प्रतिरोध जीन (ARG) के हस्तांतरण को रोकना।
  • पृष्ठभूमि: भारत ने AMR पर मस्कट मंत्रिस्तरीय घोषणा-पत्र (2022) के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक कृषि खाद्य प्रणालियों में रोगाणुरोधी उपयोग को 30-50% तक कम करना है।
  • दायरा: प्रतिबंध सभी प्रमुख पशुधन और जलीय कृषि प्रणालियों पर लागू होता है।
  • प्रभाव: इसका उद्देश्य मानव स्वास्थ्य के लिए महत्त्वपूर्ण एंटीबायोटिक दवाओं को संरक्षित करना और पशु विकास को बढ़ावा देने के लिए उनके उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना है।

वृद्धि प्रवर्तक के रूप में एंटीबायोटिक का उपयोग

  • एंटीमाइक्रोबियल ग्रोथ प्रमोटर (Antimicrobial Growth Promoters-AMGP) के रूप में प्रयुक्त एंटीबायोटिक्स हानिकारक बैक्टीरिया को समाप्त कर, पोषक तत्त्वों के अवशोषण को बढ़ाकर आँत के माइक्रोबायोटा में परिवर्तन लाते हैं।
    • इससे पशुओं में खाद्य दक्षता और वजन संबंधी वृद्धि में सुधार होता है।
  • AMGP उपयोग की वैश्विक स्थिति: 1940 के दशक से, AMGP को व्यापक रूप से अपनाया गया था, वर्ष 1951 में अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (USFDA) ने इसे मंजूरी दी थी।
    • हालाँकि, स्वीडन एवं डेनमार्क जैसे देशों ने प्रतिरोध जोखिमों के कारण उन्हें शीघ्र प्रतिबंधित कर दिया, डेनमार्क ने वर्ष 1995 में वैनकोमाइसिन-रेसिस्टेंट एंटरोकोकी (Vancomycin-Resistant Enterococci- VRE) के लिंक सामने आने के बाद एवोपार्सिन (Avoparcin) पर प्रतिबंध लगा दिया।
  • भारत में उपयोग: भारत खाद्य-उत्पादक पशुओं में एंटीबायोटिक दवाओं का चौथा सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है।
  • प्रतिरोध निगरानी (Resistance Surveillance) (2019-22) ने जलीय कृषि एवं मुर्गी पालन में उच्च एंटीबायोटिक प्रतिरोध को प्रदर्शित किया, जिसमें पेनिसिलिन के प्रतिरोधी स्टैफिलोकोकस ऑरियस आइसोलेट्स (Staphylococcus Aureus Isolates) का 91.3% शामिल है, जो व्यापक दुरुपयोग एवं विनियमन की तत्काल आवश्यकता को उजागर करता है।

रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR)

  • AMR तब होता है, जब रोगाणु (बैक्टीरिया, कवक, वायरस, परजीवी) रोगाणुरोधी दवाओं के प्रभावों का प्रतिरोध करने के लिए विकसित होते हैं, जिससे उपचार अप्रभावी हो जाते हैं।
  • AMR बैक्टीरिया में AGR के माध्यम से विकसित होता है, जो जानवरों से मनुष्यों में और इसके विपरीत स्थानांतरित होते हैं।
  • प्रतिरोधी रोगजनकों के उदाहरण
    • मेथिसिलिन-रेसिस्टेंट स्टैफिलोकोकस ऑरियस (Methicillin Resistant Staphylococcus Aureus- MRSA)।
    • वैनकोमाइसिन-रेसिस्टेंट एंटरोकोकी (Vancomycin Resistant Enterococci- VRE)।
    • दवा-प्रतिरोधी एस्चेरिचिया कोली (Drug-Resistant Escherichia Coli)।
    • बहु-दवा-प्रतिरोधी तपेदिक (Multidrug Resistant Tuberculosis- MDR TB)।
  • AMR का खतरा
    • वैश्विक प्रभाव (WHO): प्रतिवर्ष 7,00,000 मौतें होती हैं; यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो वर्ष 2050 तक प्रतिवर्ष 10 मिलियन मौतें होने का अनुमान है।
    • भारत की स्थिति: पशुधन में एंटीबायोटिक दवाओं के शीर्ष उपभोक्ताओं में से एक है।
      • अध्ययनों से पता चलता है कि मछली, मुर्गी और सूअरों में सामान्य एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति 50% से अधिक प्रतिरोध है।

कुछ प्रतिबंधित एंटीबायोटिक्स

एंटीबायोटिक दवाओं

सामान्य दुरुपयोग

स्वास्थ्य जोखिम

कोलिस्टिन (Colistin) पशुधन में वृद्धि प्रवर्तक प्रतिरोध का विकास; अंतिम उपाय उपचार विकल्पों को कमजोर करता है।
क्लोरैमफेनिकोल (Chloramphenicol) जलीय कृषि और मुर्गी पालन में उपयोग किया जाता है। मनुष्यों में अप्लास्टिक एनीमिया; कई देशों में प्रतिबंधित है।
सल्फामेथोक्साजोल (Sulfamethoxazole) पशुधन में संक्रमण की रोकथाम। एलर्जी संबंधी प्रतिक्रियाएँ; मानव रोगाणुओं में प्रतिरोध।
कार्बाडॉक्स (Carbadox) सूअरों में वृद्धि प्रवर्तक। कैंसरकारी; कई देशों में प्रतिबंधित।
नाइट्रोफ्यूरान (Nitrofurans) जलीय कृषि और मुर्गीपालन में उपयोग किया जाता है। कैंसरकारी; उपभोक्ताओं के लिए खतरनाक अवशेष।
एमोक्सिसिलिन (Amoxicillin) पशुधन में व्यापक उपयोग अत्यधिक उपयोग के कारण मानव चिकित्सा में प्रतिरोध।
सेफैलेक्सिन 

(Cephalexin)

पशुओं में संक्रमण का इलाज करना। प्रतिरोधी जीवाणु तनाव के विकास को प्रोत्साहित करता है।
जेंटामाइसिन 

(Gentamicin)

पोल्ट्री और डेयरी में उपयोग किया जाता है। अवशेषों से गुर्दे की विषाक्तता; प्रतिरोध जोखिम।
सल्फामेथाजिन (Sulfamethazine) वृद्धि प्रवर्तक और रोग निवारण। कैंसरकारी क्षमता; असुरक्षित अवशेष स्तर।
सल्फाडीमेथोक्सिन (Sulfadimethoxine) जलीय कृषि और मुर्गीपालन में उपयोग किया जाता है। अतिसंवेदनशीलता प्रतिक्रियाएँ; प्रतिरोध में योगदान देती हैं।

AMR से निपटने में चुनौतियाँ

  • पशुधन क्षेत्र पर आर्थिक निर्भरता: भारत के पशुधन क्षेत्र में वर्ष 2014-21 के बीच 7.9% CAGR देखी गई, जिससे उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए रोगाणुरोधी उपयोग को बढ़ावा मिला।
  • एंटीबायोटिक्स का अत्यधिक उपयोग: एवोपार्सिन जैसे एंटीबायोटिक्स का दशकों से फीड दक्षता बढ़ाने के लिए व्यापक रूप से उपयोग किया जाता रहा है, लेकिन इससे प्रतिरोधी उपभेदों का विकास हुआ है।
  • प्रवर्तन का अभाव: दिशा-निर्देशों के बावजूद, ओवर-द-काउंटर एंटीबायोटिक की बिक्री जारी है, अक्सर बिना डॉक्टर के पर्चे के।
  • छोटे पैमाने पर उत्पादन: मुर्गी पालन और जलीय कृषि सेटअप निगरानी और विनियमन प्रयासों को जटिल बनाते हैं।
  • अपर्याप्त निगरानी और डेटा: सभी क्षेत्रों एवं सेक्टर में वास्तविक समय प्रतिरोध ट्रैकिंग के लिए सीमित बुनियादी ढाँचा है।
  • जागरूकता की कमी: जागरूकता की कमी के कारण एंटीबायोटिक दवाओं का दुरुपयोग किसानों और उपभोक्ताओं द्वारा व्यापक रूप से होता है।

AMR से निपटने के लिए वैश्विक पहल

  • WHO की AMR पर वैश्विक कार्य योजना (GAP-AMR), 2015: इसका लक्ष्य दुरुपयोग को कम करते हुए प्रभावी रोगाणुरोधी दवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करना है।
    • यह निगरानी, ​​अनुसंधान, प्रबंधन और संक्रमण नियंत्रण पर केंद्रित है।
  • वैश्विक रोगाणुरोधी प्रतिरोध और उपयोग निगरानी प्रणाली (GLASS), 2015: वैश्विक AMR निगरानी को मानकीकृत करने के लिए WHO द्वारा विकसित। यह राष्ट्रीय नीतियों को सूचित करने के लिए AMR के प्रसार और प्रभाव का आकलन करता है।
  • AMR पर मस्कट मंत्रिस्तरीय घोषणा-पत्र (2022): भारत सहित अन्य देशों द्वारा वर्ष 2030 तक खाद्य प्रणालियों में रोगाणुरोधी उपयोग को 50% तक कम करने की प्रतिबद्धता जताई गई है।
    • यह आवश्यक मानव एंटीबायोटिक दवाओं के संरक्षण को बढ़ावा देता है।
  • WHO AMR अनुसंधान एजेंडा (2030): यह मानव और जूनोटिक AMR में 40 अनुसंधान प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करता है।
    • यह जीवाणु और कवक प्रतिरोधी रोगजनकों दोनों को संबोधित करता है।

AMR से निपटने के लिए राष्ट्रीय पहल

  • AMR रोकथाम पर राष्ट्रीय कार्यक्रम (भारत, 2013): राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) के नेतृत्व में इस कार्यक्रम के अंतर्गत तर्कसंगत रोगाणुरोधी उपयोग, IPC अभ्यास और जागरूकता सृजन शामिल हैं।
  • राष्ट्रीय AMR निगरानी नेटवर्क (NARS-Net): यह 33 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 60 राज्य प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क है।
    • यह 9 प्राथमिकता वाले जीवाणु रोगजनकों और कैंडिडा एसपीपी (Candida Spp) में प्रतिरोध प्रवृत्तियों को ट्रैक करता है।
  • रेड लाइन अभियान: रेड लाइन लेबल वाली एंटीबायोटिक दवाओं के ओवर-द-काउंटर उपयोग को हतोत्साहित करने वाला सार्वजनिक अभियान है।
    • यह केवल प्रिस्क्रिप्शन-आधारित उपयोग को बढ़ावा देता है।
  • भारत में कानूनी ढाँचा
    • औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 एवं नियम, 1945 एंटीबायोटिक दवाओं के निर्माण, वितरण एवं बिक्री को विनियमित करते हैं तथा यह सुनिश्चित करते हैं कि उनका उपयोग केवल चिकित्सकीय देख-रेख में ही किया जाए।
    • अनुसूची H एवं H1: ये अनुसूचियाँ उन एंटीबायोटिक दवाओं को वर्गीकृत करती हैं, जिनकी बिक्री के लिए वैध पर्चे की आवश्यकता होती है, जिससे ओवर-द-काउंटर दुरुपयोग को सीमित किया जा सके।
    • केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO): CDSCO दवा विनियमों के प्रवर्तन की देख-रेख करता है और पूरे भारत में रोगाणुरोधी दवाओं की गुणवत्ता और जिम्मेदार वितरण सुनिश्चित करता है।

आगे की राह

  • जैव सुरक्षा और पशु कल्याण प्रथाओं को मजबूत करना: फार्म स्तर पर स्वच्छता में सुधार करना, संक्रमित पशुओं को अलग करना तथा एंटीबायोटिक पर निर्भरता कम करने के लिए रोग का प्रसार न्यूनतम करना।
  • विकल्पों के उपयोग को बढ़ावा देना: प्रोबायोटिक्स, प्रीबायोटिक्स, बैक्टीरियोफेज, कार्बनिक अम्ल और टीकों जैसे सुरक्षित विकल्पों को प्रोत्साहित करना।
  • निगरानी और डेटा अवसंरचना में निवेश करना: राज्यों के बीच वास्तविक समय AMR डेटा साझाकरण को बढ़ाना और राष्ट्रव्यापी निगरानी का समर्थन करने के लिए प्रयोगशाला क्षमताओं में सुधार करना।
  • मजबूत नियामक ढाँचे को लागू करना: मानव और पशु चिकित्सा दोनों में एंटीबायोटिक दवाओं की बिक्री और उपयोग पर नियंत्रण कड़ा किया जाना चाहिए तथा उल्लंघन पर कठोर दंड का प्रावधान किया जाना चाहिए।
  • जागरूकता और सामुदायिक संबंध का विस्तार करना: स्थानीय भाषाओं में अभियानों के माध्यम से किसानों, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और जनता को AMR जोखिमों एवं सुरक्षित प्रथाओं के बारे में शिक्षित करना।
  • अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करना: नए रोगाणुरोधी, नैदानिक ​​उपकरणों एवं प्रतिरोध-निगरानी प्रौद्योगिकियों के लिए अनुसंधान एवं विकास का समर्थन करना।

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