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बंगाल की खाड़ी अंतर कार्यक्रम – सरकारी संगठन

Lokesh Pal February 25, 2025 02:30 10 0

संदर्भ

मालदीव के माले में 13वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में भारत द्वारा बंगाल की खाड़ी अंतर-सरकारी संगठन (Bay of Bengal Inter-Governmental Organisation) की अध्यक्षता ग्रहण की गई है।

बंगाल की खाड़ी कार्यक्रम अंतर-सरकारी संगठन के बारे में

  • स्थापना: वर्ष 2003 में 
  • संगठन की प्रकृति: यह एक क्षेत्रीय मत्स्य पालन निकाय है, जिसका उद्देश्य बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में लघु स्तर के  मछुआरों के जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने तथा आजीविका के अवसरों में सुधार लाने में सदस्य देशों की सहायता करना है।
  • विकास: संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के ‘बंगाल की खाड़ी कार्यक्रम’ से विकसित, जिसकी शुरुआत वर्ष 1979 में हुई थी।
  • अंतरराष्ट्रीय मान्यता: इस संगठन ने छोटे पैमाने के मत्स्य पालन पर केंद्रित कार्यक्रमों एवं गतिविधियों को लागू करने में वैश्विक मानक स्थापित किए हैं, जिससे इसके सदस्य देशों को मापनीय लाभ मिला है।
  • सदस्य देश
    • पूर्ण सदस्य: बांग्लादेश, भारत, मालदीव, श्रीलंका।
    • सहयोगी गैर-अनुबंधित पक्षकार: इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमार, थाईलैंड।
  • पर्यवेक्षक: FAO और सभी संबंधित क्षेत्रीय मत्स्य पालन एवं पर्यावरण निकाय तथा बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में सक्रिय अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन।

शासन संरचना

  • गवर्निंग काउंसिल: अंतर-सरकारी संगठन (IGO) के शीर्ष निकाय के रूप में कार्य करती है तथा वर्ष में एक बार बैठक करती है।
    • गवर्निंग काउंसिल कार्यक्रमों/गतिविधियों को मंजूरी प्रदान  करती है तथा सचिवालय को उन्हें लागू करने का निर्देश देता है।
    • यह संगठन के प्रशासनिक तथा प्रत्ययी पहलुओं की भी समीक्षा करती है तथा तदनुसार निर्णय लेती है।
  • तकनीकी सलाहकार समिति (Technical Advisory Committee-TAC): प्रस्तावित गतिविधियों के तकनीकी पहलुओं पर विचार करती है और उन्हें क्रियान्वित करती है। इसकी बैठक वर्ष में एक बार होती है।
  • तदर्थ समितियाँ: समय-समय पर विशिष्ट उद्देश्यों के लिए गठित की जाती हैं।
  • सचिवालय: यह IGO का कार्यान्वयन अंग है और शासी परिषद द्वारा लिए गए निर्णयों को क्रियान्वित करता है।

BOBP-IGO के उद्देश्य

  • समुद्री मत्स्य प्रबंधन जागरूकता: समुद्री मत्स्य प्रबंधन की आवश्यकताओं, लाभों और सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में ज्ञान और जागरूकता बढ़ाना।
  • क्षमता निर्माण और कौशल विकास: मत्स्य क्षेत्र में कौशल बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण और शिक्षा प्रदान करना।
    • लघु-स्तरीय मत्स्य पालन के विकास के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करना।
  • क्षेत्रीय सूचना नेटवर्किंग: सदस्य देशों के बीच संचार और सहयोग को बेहतर बनाने के लिए एक कुशल क्षेत्रीय सूचना-साझाकरण प्रणाली स्थापित करना।
  • महिला भागीदारी को बढ़ावा देना: समुद्री मत्स्य पालन मूल्य श्रृंखला में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करना और उसका समर्थन करना।

बंगाल की खाड़ी वृहद समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र परियोजना II के बारे में

  • क्रियान्वयन संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO), के सहयोग से क्रियान्वयित।
    • बंगाल की खाड़ी कार्यक्रम अंतर-सरकारी संगठन (BOBP-IGO)
    • अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN)
    • दक्षिण पूर्व एशिया मत्स्य विकास केंद्र (Southeast Asia Fisheries Development Center-SEAFDEC)
  • निधिकरण एजेंसियाँ
    • वैश्विक पर्यावरण सुविधा (Global Environment Facility-GEF)
    • नॉर्वेजियन विकास सहयोग एजेंसी (Norwegian Agency for Development Cooperation-NORAD)
  • उद्देश्य: निम्नलिखित से संबंधित चुनौतियों का समाधान करना:
    • समुद्री जीवन संसाधनों का अत्यधिक दोहन।
    • महत्वपूर्ण समुद्री आवासों की क्षति एवं क्षरण।
    • बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में समुद्री जल प्रदूषण।
  • परियोजना अवधि: पांँच वर्षीय परियोजना (2023-2028)।

लघु स्तरीय मत्स्य पालन (Small Scale Fishery-SSF) के बारे में

  • परिभाषा (संयुक्त राष्ट्र FAO के अनुसार): लघु-स्तरीय मत्स्य पालन (SSF) पारंपरिक, कुटीर, या समुदाय-आधारित मत्स्य गतिविधियों को संदर्भित करता है जो आमतौर पर श्रम-गहन होता है एवं इसके लिए छोटी नावों, न्यूनतम तकनीक और कम पूंजी निवेश का उपयोग किया जाता है।

लघु-स्तरीय मत्स्य पालन (SSF) का महत्त्व

  • आजीविका सहायता: UN FAO के अनुसार, यह दुनिया के 90% से अधिक मछुआरों और मत्स्य श्रमिकों को रोजगार प्रदान करता है।
  • खाद्य सुरक्षा एवं पोषण: वैश्विक स्तर पर मछली पकड़ने का लगभग 50% आपूर्ति करता है, जिससे लाखों लोगों के लिए किफायती दर पर प्रोटीन स्रोतों को  सुनिश्चित किया जा सकता है।
  • आर्थिक योगदान: तटीय और ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन करता है, गरीबी को कम करता है और स्थानीय व्यापार को बढ़ावा देता है।
  • सांस्कृतिक और सामाजिक महत्त्व: पारंपरिक मत्स्यन ज्ञान और सामुदायिक प्रथाओं को संरक्षित करता है।
  • सतत् संसाधन उपयोग: पर्यावरण के अनुकूल मछली पकड़ने के तरीकों को बढ़ावा देता है, जिससे दीर्घकालिक समुद्री जैव विविधता सुनिश्चित होती है।

भारत में लघु मत्स्य पालन की स्थिति

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